Wednesday, 28 February 2018

विधि से की पूजन तो होलिका की तरह जल जाएंगे सारे पाप


विधि से की पूजन तो होलिका की तरह जल जाएंगे सारे पाप
भारत त्योहारों का देश है। और उन्हीं में से एक है होली। इस साल 2 मार्च 2018 को है। जबकि होलिका दहन 1 मार्च को किया जाएगा। ज्योतिषियों की मानें तो इस वर्ष होलिका दहन के अवसर पर सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ गजकेसरी योग का महासंयोग बन रहा है। ऐसा संयोग लगभग 100 वर्षों बाद आया है। ज्योतिषियों का कहना है कि अगर इस मौके पर विधि विधान कुछ उपाय कर लिए होते तो हालिका की तरह आपके भी सारे रोग, कष्ट पाप जलकर राख हो जायेंगे
                                    सुरेश गांधी

होलिका दहन के दिन पवित्र अग्नि जलाई जाती है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का संकेत है। होली वसंत ऋतु के आने और सर्दियों के जाने का प्रतीक है। यह शुभ दिन फाल्गुन महीने में पूर्णिमा को पड़ता है। होलिका दहन को भक्त प्रह्लाद के विश्वास और उसकी भक्ति के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार होलिका दहन को होलिका दीपक या छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है जो होली से एक दिन पहले मनाया जाता है। भद्रा खत्म होने के बाद ही होलिका दहन होना चाहिए। इस दिन भद्रा शाम 7.15 बजे तक खत्म होगी। ऐसे में होलिका दहन 7.15 के बाद ही करना शुभ होगा। होलिका दहन के अगले दिन रंग वाली होली जिसे धुलेंडी भी कहा जाता है, मनाई जाती है। धर्मसिंधु नामक ग्रंथ के अनुसार होलिका दहन के लिए तीन चीजों का एक साथ होना बहुत ही शुभ होता है। पूर्णिमा तिथि हो, प्रदोष काल हो और भद्रा ना लगा हो। इस साल होलिका दहन पर ये तीनों संयोग बन रहे हैं। इसलिए होली आनंददायक और शुभ रहेगी। इस दिन भगवान विष्णु के झूले में झुलाने की भी प्रथा है। शास्त्रानुसार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन जो लोग मन को एकाग्र कर भगवान विष्णु को झुले में बिठाकर, झूलते हुए विष्णु जी के दर्शन करते है, उन्हें पुण्य स्वरूप वैंकुण्ठ की प्राप्ति होती है। ध्यान रखें भद्रा में होलिका दहन करने से जनसमूह का नाश होता है। प्रतिपदा चतुर्दशी भद्रा और दिन में होलिका जलाना सर्वथा त्याग योग्य है। संयोगवश यदि होलिका जला दी जाए तो वहां के राजा राज नगर और मनुष्य अद्भुत उत्पादों से एक ही वर्ष में हीन हो जाते हैं। 

कहते है इस मौके पर शुभ-अशुभ सहित कई शक्तियां ब्रह्मांड में सक्रिय हो जाती है। उन्हीं को अनुकूल बनाने के लिए उपाय किए जाते हैं। होली का पर्व भी उनमें से एक है। होली के पहले दिन, होली वाले दिन और अगले दिन तक कुछ विशेष लेकिन सरल उपाय किए जाते हैं। यह उपाय किसी को हानि पहुंचाने के लिए नहीं बल्कि खुद के सुख, शांति, सफलता और सुरक्षा के लिए किए जाते हैं। मान्यता है कि यदि किसी ने आपके विरुद्ध कोई टोटका कर रखा है तो होली की रात में जहां होलिका दहन हो, उस जगह पर पर एक गड्ढा खोदकर उसमें 11 अभिमंत्रित कौड़ियां दबा दें। अगले दिन कौड़ियों को निकालकर अपने घर की मिट्टी के साथ नीले कपड़े में बांधकर बहते जल में प्रवाहित कर दें। जो भी तंत्र क्रिया आप पर किसी ने की होगी वह नष्ट हो जाएगी। इसके अलावा अगर आप पर किसी भी प्रकार का कोई कर्ज है, तो कौड़ियों पर पीले गुलाल से कर्जदार का नाम लिख दें। और जब होली जले तब आप पान के पत्ते पर 3 बतासे, घी में डुबोया एक जोड़ा लौंग, तीन बड़ी इलायची, थोड़े-से काले तिल गुड़ की एक डली रखकर तथा सिन्दूर छिड़ककर पान के पत्ते से ढंक दें। और सात बार ओउम् हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्मंत्र का जप करते हुए परिक्रमा करते हुए प्रत्येक बार एक-एक गोमती चक्र होलिका में डालते जाए। इससे संकटों से छुटकारा मिलेगा। इसके अलावा इस मंत्र को पढ़ते हुए एक अन्य नारियल को फोड़कर उसके पानी को चारों तरफ छिड़क दें। गाय के दूध को अपने घर के चारों ओर घुमते हुए धारा के रुप में बिखराकर कवच जैसा बना दें। तीनों नारियल जलती होली को अर्पण कर दें। इसके अलावा अगर आप अपने घर में नकारात्मक ऊर्जा से परेशान हैं। बिना बात के पति-पत्नी में कलह हो रहा हो और रोज किसी मुसीबत का सामना करना पड़ता हो तो यह उपाय जरूर आजमाएं। जब होली जल जाए, तब होलिका की थोड़ी-सी अग्नि ले आएं. फिर घर के आग्नेय कोण में उस अग्नि को तांबे या मिट्टी के पात्र में रखें। सरसों के तेल का दीपक जला दें इस उपाय से घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा जलकर समाप्त हो जाएगी। 

होली की पूजा के लिए रोली, कच्चा सूत, चावल, पुष्प, साबुत हल्दी, बतासे, श्रीफल और बुल्ले आदि इकट्ठा कर ले, और एक थाली में समस्त पूजन सामग्री रख ले। साथ ही एक जल का लोटा भी अवश्य रखें। इसके पश्चात होली पूजन के स्थान पर पहुंच करके मंत्र या पूजन करें। सबसे पहले संकल्प लें अपना नाम, पिता का नाम, गोत्र का नाम और चित्र का नाम लेते हुए अक्षत हाथ में उठायें और भगवान गणेश और अंबिका का ध्यान करें और हालिका पर अक्षत अर्पित कर दें। तत्पश्चात भक्त प्रहलाद का नाम ले और पुष्प चढ़ायें। अब भगवान नरसिंह का ध्यान करते हुए पंचोपचार पूजन करें। होली के सम्मुख खड़े हो जाएं और अपने दोनों हाथ जोड़कर मानसिक रूप से समस्त मनोकामनाएं निवेदित करें तत्पश्चात गंध, अक्षत और पुष्प में हल्दी श्रीफल चढ़ायें। कच्चा सूत हाथ में लेकर होलिका पर लपेटते हुए हाथ जोड़कर परिक्रमा करें। अंत में लोटे में भरा जल रही होली का पर चढ़ा दें।

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