मन की अशांति है तनाव की वजह: बहन पूनम
प्रजापिता ब्रह्मकुमारी
इश्वरीय
विश्व
विद्यालय
के
तत्वाधान
में
आयोजित
12 दिवसीय
तनाव
शिविर
का
समापन
सुरेश
गांधी
भदोही।
सभी तरह की
शारीरिक व मानसिक
बीमारियों की जड़
तनाव है। जो
सबसे पहले हमारे
मन में उत्पंन
होता है। इससे
शरीर में अनके
बीमारियां आती है।
गलत खान-पान,
देर से सोना,
देर से उठना,
नशे की लत,
चाय-काॅफी, अनियमित
दिनचर्या, चिंता, डर, दुःख
आदि भी अनेक
बीमारियों की वजह
है। यदि हम
तन के साथ
मन को भी
स्वस्थ रखें तो
हम अनके बीमारियों
पर सहज ही
विजय प्राप्त कर
सकते हैं। यह
बाते तनावमुक्त विशेषज्ञ
ब्रह्मकुमारी पूनम बहन
ने कहीं। वे
प्रजापिता ब्रह्मकुमारी इश्वरीय विश्व विद्यालय
के तत्वावधान में
रजपुरा स्थित सनबीम स्कूल
में चल रहे
12 दिवसीय अलविदा तनाव शिविर
के समापन अवसर
पर साधाकों से
कहीं। इस तनावमुक्त
शिविर में शहरवासियों
ने तनावमुक्त रहने
के गुर के
साथ आध्यात्मिक जीवन
शैली स्वस्थ्य रहने
के भी गुर
सिखें।
ब्रह्मकुमारी पूनम बहन
ने कहा कि
साधकों को चाहिए
कि वह मन
को शक्तिशाली बनाएं।
क्योंकि मन शक्तिशाली
होगा तो समस्याएं
स्वतः दूर हो
जायेगी। मन कमजोर
होने पर ही
हम हर समस्या
की गहराई तक
में चले जाते
है। राई जैसी
बातों को पहाड़
बना देते है।
ज्यादा सोचने से समस्या
विकराल हो जाती
है। कभी-कभी
तो यह होता
है कि समस्या
चली जाती है।
लेकिन सोच नहीं
जाती। सोचना हमारी
एक आदत बन
गई है। अगर
हम समस्याओं से
मुक्ति चाहते है तो
ज्यादा नहीं सोचे।
ज्यादा सोचने से भविष्य
बदलने वाला नहीं
है। वहीं होगा
जो इस खेल
में निश्चित है।
आज हम सागर
की गहराई तक
जाना चाहते है।
आकाश की
ऊंचाई को छूना
चाहते है। चंद्रमा
पर भी पहुंच
गए है। दूर-दूर तक
पहुंच गए लेकिन
स्वयं के बारे
में नहीं जान
पाए कि मै
कौन हूं? जिस
दिन हम स्वयं
को पहचान लेंगे
तो हमारे भीतर
छिपी हुई शक्तियां
जागृत हो जाएगी
और हर बात
खेल लगेगी। ब्रहृााकुमारी
पूनम ने कहा
कि इतिहास गवाह
है कि जिन्होंने
भी आत्मशक्ति को
कार्य में लगाया
है। वे असंभव
से असंभव कार्य
को भी पूरे
किए है। एडवांस
कोर्स में मेडिटेशन
के द्वारा यह
प्रेक्ट्रिकल में अनुभव
कराया गया कि
वास्तव में मै
शरीर नहीं हूं।
इससे अलग एक
अजर, अमर, अविनासी
आत्मा हूं
उन्होंने कहा कि
सारी चिंताएं, रोग,
शोक तभी उत्पन्न
होते है। जब
हम अपने शरीर
को समझने लगते
है। तब मालिक
शरीर हो जाता
है और आत्मा
गुलाम। आत्मा शरीर के
अधीन हो गई
है और अपनी
सभी कामेन्द्रियों की
गुलाम हो गई
है। यहीं तनाव
का मुख्य कारण
है। उन्होंने कहा
कि मेडिटेशन आज
के समय की
आवश्यकता है। हमें
बीच-बीच में
थोड़ा समय निकालकर
मेडिटेशन का अभ्यास
करना चाहिए। इससे
न सिर्फ हमारा
मन तरोताजा होता
है बल्कि जीवन
में आने वाली
समस्याओं का निदान
सहजता पूर्वक हो
जाता है। सेवाकेन्द्र
की संचालिका बहन
लक्ष्मी दीदी ने
सभी का आभार
व्यक्त करते हुए
कहा कि यह
पहला अवसर है
जब भदोही के
लोगों ने जीवन
को मधुर बनाने
के तरीके सीखे
और तनावमुक्त रहकर
हम आध्यात्मिकता के
बल पर भारत
को विश्वगुरु बना
सकते हैं। हमारे
आध्यात्मिक शक्ति से देश
का उद्धार होगा।
संचालन भाई ब्रजेश
ने किया।
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