Wednesday, 11 April 2018

निर्यातकों को एक्सपर्ट्स ने समझाएं जीएसटी रिफंड के गुर


निर्यातकों को एक्सपर्ट्स ने समझाएं जीएसटी रिफंड के गुर
पुराने स्टॉक के इनपुट टैक्स क्रेडिट एवं समय से जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के बारे में विस्तार से दी गयी जानकारी
सुरेश गांधी
वाराणसी। कालीन निर्यातकों को जीएसटी रिफंड में रही समस्याओ को दूर करने एवं टैक्स क्रेडिट लेने इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करने जैसी सेवाओं के बारे में जानकारी के लिए कारपेट इक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल के तत्वावधान में शहर के कैन्टोमेंट स्थित एक होटल में सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में जीएसटी दिल्ली से जीएसटी रिफंड एक्सपर्ट्स बीके वर्मा ने कालीन निर्यातकों को उद्योग जगत में जीएसटी से होने वाले नफा-नुकसान के साथ साथ रिफंड दाखिल करने के आसान तरीकों को विस्तार से समझाया। कहा, जीएसटी से व्यापारी और कस्टमर दोनों को लाभ होगा। इसके साथ राज्य में एक समान कर प्रणाली के चलते व्यापार भी सुविधाजनक होगा। निर्यातकों को बेहतर सेवा देने के लिए ही विदेश व्यापार विभाग की वेबसाइट पर कान्टैक्ट एट डीजीएफटी लिंक की शुरूआत की गयी है। इस लिंक पर शिकायत या सुझाव भेजने पर रेफरेंस नंबर दिया जाता है। जिससे आवेदन को ट्रैक करना आसान होता है। इस दौरान निर्यातकों ने जीएसटी में रिफंड मिलने की समस्या प्रमुखता से उठाई और केंद्र सरकार से बेहतर विकल्प की जरूरत बताई। पुराने स्टॉक के इनपुट टैक्स क्रेडिट एवं समय से जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के बारे में व्यापारियों को बताया। कहा सरकार कंपोजीशन स्कीम के जरिये व्यापक स्तर पर टैक्स चोरी की आशंका को देखते हुए जीएसटी काउंसिलरिवर्स चार्ज मेकेनिज्मलागू की गयी है। इससे निर्यातकों को काफी सहूलियतें मिलेंगी। 
सीइपीसी चेयरमैन महावीर प्रताप शर्मा ने कहा कि कारोबारियों और उद्यमियों की परेशानी को ध्यान में रखकर ही हमने सेमिनार के जरिए जीएसटी रिफंड दाखिल करने में रही समस्याओं के निदान का प्रयास किया है। कुछ दिनों के प्रशिक्षण के बाद यह बिल्कुल सरल लगने लगेगा। उन्होंने बताया कि हम सॉफ्टवेयर उपलब्ध करवाने के साथ टैली और बिजी सॉफ्टवेयर का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। ताकि, व्यापारियों समेत सभी लोग अपनी कम्पनियों के बिल तैयार कर सकें। नए प्रावधान की वजह से विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। बाकी टैली और बिजी सॉफ्टवेयर के जरिए आसानी से काम हो सकेगा। जीएसटी रिटर्न को महीने में तीन की जगह एक ही फॉर्म भरना है। एक ही फॉर्म के तीन हिस्से है। पहला हिस्सा भरने के बाद शेष दो हिस्से अपने आप ही कंप्यूटर में भर जाएंगे। अब निर्यातकों की शिकायतों की ऑनलाइन निगरानी होगी। इससे तय समय में उनका निपटारा से हो सकेगा।
चेयरमैन ने बताया कि जीएसटी लागू होने से एक राज्य से दूरे राज्य में व्यापार करने में आसानी होगी। इसके साथ ही व्यापारियों को अपने माल पर दूसरे राज्यों में अलग-अलग टैक्स नहीं देना होगा। उन्होंने समाधान योजना, एमआरपी, जीएसटी रिटर्न फॉर्म आदि के बारे में उद्यमियों को जानकारी दी। जीएसटी को लेकर अब भी लोगों में भ्रम है। जानकारी के अभाव में कुछ लोग अब भी जीएसटी की आलोचना कर रहे हैं। जबकि जीएसटी व्यापारियों के भी हित में है। अब उन्हें विभिन्न प्रकार के टैक्स नहीं भरने होंगे। इतना ही नहीं जीएसटी से पारदर्शिता बढ़ेगी करप्शन पर लगाम लगेगा। इस दौरान उन्होंने एसजीएसटी, सीजीएसटी और आईजीएसटी के नियमों की विस्तृत जानकारी दी। कहा, सभी व्यापारी अपना रिफंड समय पर हर हाल में दाखिल करा लें। इनकम टैक्स एक्ट में हुए बदलाव में बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अब कोई भी व्यापारी या पेशेवर 10 हजार से अधिक का खर्च नकद में नहीं कर सकेगा। किसी भी सामान सेवा के लिए दो लाख से ऊपर की धनराशि चेक या बैंकिंग सिस्टम से ही ले सकते हैं। अन्यथा की स्थिति में भारी जुर्माने का प्रावधान है।
इस दौरान व्यापारियों के सवालों का वक्ताओं ने जवाब भी दिया। सालाना 20 लाख तक के लेनदेन करने वाले व्यापारी को जीएसटी से मुक्त रखा गया है। 75 लाख रूपये सालाना व्यापार करने वाले व्यवसायियों को कम्पोजिशन टैक्स के जरिये एक, दो पांच प्रतिशत की श्रेणी में ही रखा गया है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह फैसला उद्यमियों के लिए अच्छा साबित होने जा रहा है। क्योंकि, बेसिक कस्टम ड्यूटी इनफुट रिफंड के रूप में मिल जाएगी। पहले यह रिफंड नहीं मिलती थी। उन्होंने कहा कि सरकार अंतरराष्ट्रीय व्यापार को और आसान करना चाहती है। इससे विदेशों से मशीनरी मंगाने वाले उद्यमियों को बहुत लाभ होगा क्योंकि विभिन्न वस्तुओं पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 4 से लेकर 16 फीसदी तक होती है। अब यह सब ड्यूटी वापस मिल जाएगी। इस अवसर पर सीइपीसी के प्रथम उपाध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह, सीनियर प्रशासनिक सदस्य उमेश गुप्ता, सीइपीसी निदेशक संजय कुमार, सहायक निदेशक विजय कुमार सिनहा, प्रशासनिक सदस्य हुसैन जफर हुसैनी, भोलानाथ बरनवाल, सुभास दुबे आदि कालीन निर्यातक मौजूद थे। 

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