भारतीय कालीनों की जर्मनी डोमोटेक्स फेयर में जलवा
उद्घाटन
कानसुलेट
जनरल
भारत
सरकार
के
मदन
लाल
रैगर
ने
किया
फेयर
में
भारत
के
337 निर्यातकों
ने
लगाई
है
कालीनों
की
प्रदर्शनी
सुरेश गांधी
वाराणसी।
सात समुंदर पार
जर्मनी के हनोवर
शहर में आयोजित
डोमोटेक्स में भारतीय
निर्यातकों ने बुनकरों
की हाडतोड़ मेहनत
से तैयार आकर्षक
डिजाइन वाले कालीनों
और फ्लोर कवरिंग
के बूते देश
का नाम रोशन
कर रहे हैं।
डोमोटेक्स में कालीन
निर्यातकों के स्टाॅलों
पर विदेशी खरीदारों
की काफी पूछपरख
है। या यूं
कहें भारतीय स्टाॅलो पर विभिन्न
प्रकार के डिजाइन
एवं आकर्षक कलर
वाली कालीनों की
डिमांड है। दावा
है कि डोमोटेक्स
में बड़ी संख्या
में विदेशी खरीदारों
ने शिरकत की
है। इस डोमोटेक्स
से भदोही, मिर्जापुर,
बनारस, आगरा, पानीपत, जयपुर,
दिल्ली व जम्मू
कश्मीर सहित पूरे
भारत के कालीन
निर्यातकों को काफी
उम्मीदें होती है।
डोमोटेक्स में भारतीय
पवेलियन का उद्घाटन
भारत सरकार के
कानसुलेट जनरल मदन
लाल रैगर ने
फीता काटकर किया।
इस मौके पर
हस्तशिल्प आयुक्त कार्यालय के
निदेशक अरूण कुमार
यादव, सीइपीसी चेयरमैन
महावीर प्रताप शर्मा, प्रधम
उपाध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह, द्वितीय
उपाध्यक्ष उमर हामिद,
अधिशासी निदेशक संजय कुमार,
वरिष्ठ प्रशासनिक सदस्य उमेश
गुप्ता, बोधराज मलहोत्रा, सतीश
वतल, श्रीराम मौर्य,
ओंकारनाथ मिश्र, राजेन्द्र कुमार
मिश्र आदि मौजूद
थे।
कालीन निर्यात संवर्धन
परिषद (सीईपीसी) के सीनियर
कोआ मेम्बर उमेश
गुप्ता मुन्ना ने फोन
पर बताया कि
महाकुंभ डोमोटेक्स का शुभारंभ
शुक्रवार को जर्मनी
के हनोवर शहर
में हो गया
है। फेयर में
भारत के 337 निर्यातकों
ने भागीदारी की
हैं, जिसमें 162 कालीन
निर्यातक सीईपीसी के बैनर
तले अपना रजिस्ट्रेशन
कराया हैं। फेयर
में हाल नंबर
3 में भारतीय पवेलियन
बना है, जिसमें
निर्यातकों ने अपने
अपने आकर्षक डिजाइनों
व रंगामेजी वाली
कालीनों की प्रदर्शनी
लगाई हैं। बताया
कि उद्घाटन के
बाद कानसुलेट जनरल
मदन लाल ने
भारतीय कालीन उद्योग में
बाल मजदूरी को
लेकर फैली भ्रांतियों
को दूर करने
का आश्वासन देते
हुए कहा कि
ऐसे लोगों को
चिन्हित कर उनके
खिलाफ कड़ी कार्रवाई
की जायेगी। बीते
दिनों जर्मन टीवी
चैनल पर भारतीय
कालीन उद्योग में
बाल मजदूरी पर
दिखाई गई डाक्यूमेंट्री
पूरी तरह सुनियोजित
है। बीते तीन
दशक में भारतीय
कालीन उद्योग को
पूरी बाल मजदूर
मुक्त कराने के
लिए भारत सरकार
द्वारा कारगर उपाय किए
गए हैं। दावे
के साथ कहा
जा सकता है
कि कालीन उद्योग
बाल श्रमिकों से
मुक्त हैं। श्री
उमेश गुप्ता ने
बताया कि फ्लोर
कवरिंग में विश्व
का यह सबसे
बड़ा चार दिवसीय
डोमोटेक्स है। इस
मेले से भारतीय
कालीन निर्यातकों को
काफी उम्मींदे होती
है। इस चार
दिन के फेयर
में निर्यातकों को
पूरे साल का
आर्डर मिलता है।
सीईपीसी फेयर में
भारतीय पवेलियन की व्यवस्था
करती हैं। इस
फेयर के लिए
निर्यातक काफी सफल
तैयारी करते है।
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