पाकिस्तान में घुसकर ‘अटैक’
करने की जरुरत
उरी
के
बाद
यह
पहला
बड़ा
हमला
है।
अफसोस
इस
बात
का
है
कि
सात
दिन
पहले
जारी
अलर्ट
के
बाद
भी
सावधानी
न
बरता
जाना खुफियां
एजेंसियों
की
नाकामी
तो
है
ही,
सरकार
की
तरफ
से
भी
कहीं
न
कहीं
बड़ी
चूक
जरुर
हुई
है।
खासकर
तब
जब
सत्ता
हासिल
करने
के
लिए
बेताब
एकमंच
पर
इकठ्ठा
हो
रहे
भ्रष्टाचारी
व
घोटालेबाज
एक
सूर
में
मोदी
हटाओं
मोदी
हटाओं
की
अलख
जगा
रहे
हो।
ऐसे
में
बड़ा
सवाल
तो
यही
है
क्या
झूठ
की
बुनियाद
पर
राफेल
का
मुद्दा
आंतकियों
को
कवर्ड
फायर
देने
की
साजिश
तो
नहीं?
सुरेश
गांधी
फिरहाल,
कांग्रेस
से
खिसियाई
जनता
ने
प्रधानमंत्री
मोदी
को
सिर्फ
इसलिए
सत्ता
नहीं
सौंपी
है
कि
वह
हर
आतंकी
घटना
के
बाद
कड़ी
निंदा
करें।
बल्कि
पूर्ण
बहुमत
की
सरकार
इसलिए
बनाई
है
आतंकियों
का
समूल
खात्मा
करें।
यह
आतंकी
हमला
सीधे
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र
मोदी
को
चुनौती
है।
मोदी
जी
देश
जानना
चाहता
है
कि
इस
हमले
का
कब
लेंगे
बदला?
निंदा
की
जगह
कब
दी
जायेगी
आतंकियों
को
मौत
की
नींद?
या
यू
कहें
20 हिन्दुस्तानियों
के
बदले
कब
होगा
आतंकियों
का
संपूर्ण
संहार?
पाकिस्तान
जिस
तरह
कश्मीर
में
नियंत्रण
रेखा
और
साथ
ही
जम्मू
में
अंतरराष्ट्रीय
सीमा
रेखा
पर
संघर्ष
विराम
का
उल्लंघन
करने
लगा
है
उसे
देखते
हुए
समझदारी
इसी
में
है
कि
उसके
कुत्सित
इरादों
के
प्रति
न
केवल
और
अधिक
सतर्कता
बरती
जाए,
बल्कि
उसे
दंडित
करने
के
नए
तौर-तरीकों
पर
भी
विचार
किया
जाए।
इसका
संज्ञान
अवश्य
लिया
जाना
चाहिए
कि
पाकिस्तान
पिछले
कुछ
समय
से
अंतरराष्ट्रीय
सीमा
रेखा
पर
संघर्ष
विराम
का
उल्लंघन
कुछ
ज्यादा
ही
कर
रहा
है।
यह
ठीक
नहीं
कि
कश्मीर
और
साथ
ही
पाकिस्तान
के
मामले
में
घूम-फिरकर
उन्हीं
नीतियों
का
इस्तेमाल
किया
जाए
जिनसे
अतीत
में
कोई
नतीजा
नहीं
निकला।
पाकिस्तान
से
निपटने
के
मामले
में
लीक
से
हटकर
सोचने
की
जरूरत
इसलिए
है,
क्योंकि
मौजूदा
उपाय
नाकाफी
प्रतीत
हो
रहे
हैं।
शायद
इसका
एक
कारण
यह
भी
है
कि
भारत
पाकिस्तान
की
हरकतों
पर
प्रतिक्रिया
व्यक्त
करने
वाली
स्थिति
में
अधिक
रहता
है।
हमारे
नीति-नियंताओं
को
यह
समझ
आ
ही
जाना
चाहिए
कि
पाकिस्तान
के
इरादे
क्या
हैं?
जिस
तरह
सीमा
पर
हालात
ठीक
नहीं
उसी
तरह
कश्मीर
में
भी
स्थितियां
अनुकूल
नहीं
कही
जा
सकतीं।
कश्मीर
के
पुलवामा
में
आतंकी
अपने
मंसूबों
में
कामयाब
हो
गए।
उरी
के
बाद
ये
पहला
इतना
बड़ा
हमला
हुआ
है,
जिसमें
एक
साथ
20 जवान
शहीद
हो
गए।
जबकि
खुफिया
एजेंसियों
ने
सात
दिन
पहले
ही
अलर्ट
जारी
किया
था
कि
कश्मीर
में
सुरक्षाबलों
को
डिप्लॉयमेंट
और
उनके
आने-जाने
के
रास्ते
पर
आतंकी
आईडी
से
हमला
कर
सकते
हैं।
ये
अलर्ट
संसद
भवन
पर
हमले
के
दोषी
अफजल
गुरु
और
जेकेएलएफ
के
संस्थापक
मोहम्मद
मकबूल
भट्ट
की
फांसी
की
बरसी
से
ठीक
पहले
जारी
किया
गया
था।
8 फरवरी
को
जारी
इस
अलर्ट
में
साफ
कहा
गया
था
कि
आतंकियों
ने
हमले
का
प्लान
बनाया
है।
अलर्ट
में
साफ
कहा
गया
था
कि
सभी
सुरक्षा
बल
सावधान
रहें,
एरिया
को
बिना
सेंसिटाइज
किए
उस
एरिया
में
ड्यूटी
पर
न
जाएं।
लेकिन
इसके
बावजूद
ये
चूक
हुई
और
आतंकी
बड़ा
हमला
करने
में
कामयाब
हो
गए।
बताया
जा
रहा
कि
आतंकियों
ने
सड़क
किनारे
ही
एक
गाड़ी
में
आईईडी
प्लांट
किया
था।
जैसे
ही
सीआरपीएफ
की
टीम
वहां
से
गुजरी,
वैसे
ही
आतंकियों
ने
आईईडी
में
धमाका
कर
दिया।
इस
कानवाई
में
दर्जन
भर
से
अधिक
गाड़ियां
थीं।
इन्हीं
में
से
दो
गाड़ी
धमाके
की
चपेट
में
आ
गई।
धमाके
में
20 जवान
शहीद
हो
गए,
45 घायल
है।
हमले
के
तुरंत
बाद
जैश-ए-मोहम्मद
ने
दावा
किया
है
कि
उसके
आतंकवादी
ने
इस
आत्मघाती
हमले
को
अंजाम
दिया
है।
उसके
आतंकी
आदिल
अहमद
उर्फ
वकास
ने
विस्फोटक
से
भरी
उस
गाड़ी
को
उड़ाया
है।
जैश
ने
कहा
है
कि
आदिल
पुलवामा
के
गुंडीबाग
इलाके
का
ही
रहने
वाला
था।
धमाके
से
पहले
जवानों
की
गाड़ी
पर
फायरिंग
भी
की
गई
है।
बताया
जा
रहा
कि
ये
काफिला
जम्मू
से
कश्मीर
की
ओर
जा
रहा
था।
आतंकियों
ने
जिस
तरह
से
ये
हमला
किया
है,
इस
तरीके
का
इस्तेमाल
आम
तौर
पर
अफगानिस्तान
और
पाकिस्तान
में
सुरक्षाबलों
को
निशाना
बनाने
के
लिए
किया
जाता
है।
लेकिन
काफी
समय
बाद
आतंकी
कश्मीर
में
इतना
बड़ा
हमला
करने
में
कामयाब
हो
गए।
इससे
पहले
18 सितंबर
2016 को
आतंकियों
ने
उरी
में
बड़ा
हमला
किया
था,
जिसमें
19 जवान
शहीद
हुए
थे।
आतंकियों
ने
इस
हमले
में
जवानों
के
दो
वाहनों
को
अपना
निशाना
बनाया।
यह
हमला
पाकिस्तान
के
कराची
में
5 फरवरी
को
जैश-ए-मोहम्मद
की
रैली
के
बाद
हुआ,
जिसमें
भारत
को
दहलाने
के
लिए
आतंकियों
की
7 टीमें
रवाना
की
गई
थी।
आपको
बता
दें
कि
पाकिस्तान
के
कराची
में
5 फरवरी
को
जैश-ए-मोहम्मद
की
रैली
में
मौलाना
मसूद
अजहर
के
छोटे
भाई
और
जैश
के
सरगना
मौलाना
अब्दुल
रऊफ
असगर
ने
भारत
के
अन्य
हिस्सों
को
दहलाने
का
ऐलान
किया
था।
इस
रैली
को
संबोधित
करते
हुए
रऊफ
असगर
ने
कहा
था
कि
अगले
साल
एक
बार
फिर
कश्मीर
सॉलिडरिटी
डे
मानाएंगे
तो
दिल्ली
दहल
चुकी
होगी।
सूत्रों
के
मुताबिक
इस
रैली
से
जैश
के
फिदायीनों
की
7 टीमें
भारत
के
विभिन्न
शहरों
के
लिए
रवाना
की
गई
थी।
दरअसल
दिसंबर
2018, में
जैश-ए-मोहम्मद
का
टॉप
ट्रेनर
अब्दुल
रशीद
गाजी
जम्मू-कश्मीर
में
घुसने
में
कामयाब
हो
चुका
है।
जैश
कमांडर
गाजी
अफगानिस्तान
में
तालिबानियों
के
दस्ते
में
शामिल
था।
इसके
साथ
ही
पीओके
में
जैश
के
ट्रेनिंग
कैंप
का
चीफ
इंस्ट्रक्टर
भी
रह
चुका
है।
सुरक्षा
एजेंसियों
ने
गाजी
के
घाटी
में
घुसपैठ
करने
को
लेकर
अलर्ट
जारी
किया
था।
बताया
जा
रहा
है
कि
गाजी
के
घाटी
में
दाखिल
होने
के
बाद
से
पिछले
दो
महीनों
में
आतंकी
घटनाएं
बढ़ी
हैं।
जैश-ए-मोहम्मद
पाकिस्तान
का
जिहादी
संगठन
है
जिसका
मकसद
कश्मीर
को
भारत
से
अलग
करना
है।
इसकी
स्थापना
मौलाना
मसूद
अजहर
ने
की
थी
लेकिन
वर्तमान
में
उसका
भाई
मौलाना
रऊफ
असगर
जैश
का
मुखिया
है।
जैश-ए-मोहम्मद
का
नाम
भारत
में
हुए
कई
आतंकी
हमलों
में
आता
रहा
है।
लेकिन
साल
2002 में
पाकिस्तान
द्वारा
जैश
को
प्रतिबंधित
घोषित
करने
के
बाद
इसकी
देश
में
इसकी
गतिविधियों
में
कमी
आई
थी।
जैश-ए-मोहम्मद
का
नाम
भारत,
अमेरिका
और
ब्रिटेन
द्वारा
जारी
आतंकवादी
संगठनों
की
सूची
में
शामिल
है।
बता
दें,29
नवम्बर
2016 को
जम्मू-कश्मीर
के
नगरोटा
में
आर्मी
कैंप
पर
आंतकियों
का
बड़ा
हमला
हुआ।
इस
हमले
में
3 आतंकी
मारे
गए,
सेना
के
7 जवान
शहीद
हुए।
इस
हमले
में
हमलावर
आतंकी
पुलिस
के
ड्रेस
में
आए
थे.।
27 अप्रैल
2017 को
कुपवाड़ा
के
पंजगाम
में
सेना
के
कैंप
पर
आतंकी
हमला।
27 अप्रैल
2017 को
कुपवाड़ा
के
पंजगाम
में
सेना
के
कैंप
पर
आतंकी
हमला
हुआ
था.।
इस
हमले
में
2 आतंकी
मारे
गए
जबकि
भारतीय
सेना
के
3 जवान
शहीद
हो
गए.।
5 जून
2017 बांदीपुरा
के
सुंबल
में
पुलिस
कैंप
पर
आतंकी
हमला।
इसमें
सेना
ने
चार
आतंकियों
को
किया
ढेर
कर
दिया
था।
26 अगस्त
2017 को
पुलवामा
पुलिस
लाईन
में
आतंकी
हमला
हुआ
था।
इस
हमले
में
8 जवान
शहीद,
हो
गए
थे
जबकि
3 आतंकियों
के
ढेर
कर
दिया
गया
था।
10-11 फरवरी
2018 को
सुंजवां
सेना
कैंप
आतंकी
पर
हमला
हुआ
जिसमें
3 आतंकवादी
मारे
गए
और
6 जवान
शहीद
हो
गए।
हालांकि
2019 में
अब
तक
28 आतंकी
मारे
गए
है।
जबकि
3 सुरक्षाबल
के
जवान
शहीद
हुए
हैं.।
वहीं
2014 से
अब
तक
866 आतंकी
मारे
जा
चुके
हैं.।
पिछले
साल
की
बात
करें
तो
2018 में
कुल
614 आतंकी
घटनाएं
हुई।
2018 में
91 सुरक्षाकर्मी
शहीद
हुए।
2018 में
257 आतंकी
मारे
गए।
2017 में
213 आतंकी
मारे
गए
थें
जबकि
सुरक्षा
बल
के
80 जवान
शहीद
हुए
थें।
अफसोस
है
कि
हमले
के
तुरंत
बाद
जवानों
के
प्रति
संवदेना
बरतने
के
बजाय
कांग्रेस
नेता
रणदीप
सिंह
सुरजेवाला
ने
मोदी
सरकार
पर
आरोप
लगाया
कि
पांच
साल
के
कार्यकाल
में
18 से
अधिक
आतंकी
हमले
हो
चुके
हैं।
उनके
बयान
की
बॉडीलंग्वेज
बता
रही
थी
कि
वे
इस
आतंकी
हमले
के
इंतजार
में
बैठे
थे।
हद
तो
तब
हो
गयी
जब
जम्मू-कश्मीर
की
पूर्व
मुख्यमंत्री
महबूबा
मुफ्ती
ने
कहा
कि
भारत
को
सर्जिकल
स्ट्राइक
करके
कुछ
नहीं
मिल
रहा
है।
देश
को
इन
चीजों
को
खत्म
करने
के
लिए
कोई
दूसरा
तरीका
अपनाना
पड़ेगा।
पता
नहीं
कि
आतंकियों
के
इस
वहशीपन
को
खत्म
करने
के
लिए
हमें
कितनी
जानें
गंवानी
पड़ेगी।
जहां
तक
देश
में
मौजूद
आतंकी
एवं
आतंकपरस्त
पाकिस्तानी
सेना
का
सवाल
है
तो
हर
किसी
को
मालूम
है
कि
उन्हें
खाद
पानी
व
उनकी
हिमायते
अलगाववादियों
से
लेकर
कांग्रेसी
नेता
हमेसा
करते
रहे
है।
इमरान
खान
का
करतारपुर
साहिब
कारीडोर
तो
एक
बहाना
था,
इसकी
आड़
में
उन्होंने
बड़ा
खाका
खींचा
जो
अब
हमले
के
रुप
में
सामने
आ
रहा
है।
हमें
नहीं
भूलना
चाहिए
कि
इमरान
खान
‘भारत
तेरे
टुकड़े-टुकड़े‘ के लिए हर
हथकंडे
अपना
रहे
है।
कश्मीर
एवं
पंजाब
की
बर्बादी
उनका
प्रमुख
एजेंडा
है।
इसके
लिए
उन्होंने
कांग्रेसी
मंत्री
नवजोत
सिंह
सिद्धू
को
चुना
था।
दोस्ती
की
आड़
में
भारत
को
झुकाने
में
उन्होंने
कोई
कोर
कसर
नहीं
छोड़ा।
सिद्धू
का
वहां
जाना
पहले
बाजवा
से
गले
मिलना,
बाद
में
शिलान्याय
के
दौरान
खालिस्तानी
आतंकी
गोपाल
चावला
से
मिलकर
फोटो
वायरल
करना
इमरान
की
ही
साजिश
का
एक
हिस्सा
था।
ऐसे
में
बड़ा
सवाल
तो
यही
है
सिद्धू
की
राष्ट्र
विरोधी
गतिविधियां
कब
तक
सहता
रहेगा
हिन्दुस्तान?
क्या
सिद्धू
पाकिस्तान
का
एजेंट
है?
एक
ग्रुप
फ़ोटो
में
नरेंद्र
मोदी
जी
से
बहुत
दूर
नीरव
मोदी
के
खड़े
होने
पर
बवाल
मचाने
वाले
राहुल
गांधी
कुछ
नहीं
बोलते।
क्या
कांग्रेसी
नहीं
जानते
कि
जब
श्रीनगर-मुजफ्फराबाद
रास्ता
खुला,
दिल्ली-लाहौर
बस
चली,
समझौता
एक्सप्रेस
की
रवानगी
हुई,
सामानों
की
आवाजाही
के
लिए
कायदे
नरम
हुए,
वीजा
देने
की
प्रक्रिया
में
ढील
दी
गयी
आदि।
लेकिन,
इसी
दौरान
कभी
संसद
पर
हमला
हुआ,
कभी
मुंबई
को
निशाना
बनाया
गया,
कभी
जहाज
अपहरण
किये
गये,
घुसपैठ
जारी
रही,
आतंकियों
को
पैसा,
हथियार
और
प्रशिक्षण
दिया
जाता
रहा
तथा
भारत
को
तबाह
करने
की
धमकियां
दी
गयीं।
इतना
ही
नहीं,
हाफिज
सईद,
मसूद
अजहर,
जकीउर
रहमान
लखवी
जैसे
आतंकी
सरगनाओं
को
पाकिस्तानी
हुक्मरान
सर-आंखों
पर
बिठाये
रहे।
कश्मीर
के
बड़े
हिस्से
पर
पाकिस्तान
का
अवैध
कब्जा
तो
है
ही,
जम्मू-कश्मीर
को
बर्बाद
करने
में
भी
पाकिस्तान
ने
कोई
कसर
नहीं
छोड़ी
है।
यह
सब
बदस्तूर
जारी
है।
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