Friday, 10 May 2019

भदोही : ‘गठबंधन’ की ‘गांठ’ में छिपा है ‘जीत हार’ का ‘फार्मूला’

भदोही : ‘गठबंधनकीगांठमें छिपा हैजीत हारकाफार्मूला’ 
बेलबूटेदार कलात्मक रंगों का इन्द्रधनुषी वैभव लिए हुए बेहद लुभावने कालीनों का शहर भदोही में चुनाव अपनी पूरी रंगत में हैं। लेकिन यहां की जातीय सियासी पैतरों की गांठ कालीनों की तरह इस कदर उलझी है कि सीधा करना तो दूर अब तो एक दुसरे पर से भरोसा ही उठने लगा है। ऐसे में अगर जातियां अपने अपने नेताओं पर मेहरबानी की तो परिणाम चौकाने वाले हो सकते हैं। मतलब साफ है मुसलमान, यादव, दलित ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य सहित अन्य पिछड़ी जातियों की जुगलबंदी ही प्रत्याशियों के भाग्य को तय करेगी। या यूं कहे सपा बसपा गठबंधन की गांठ मजबूत हुई तो भाजपा को अपनी सीट बचाना चुनौतीपूर्ण होगा। जबकि दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के मन में पड़ी गांठ अगर नहीं खुली तो गठबंधन की राह आसान नहीं होगी। क्योंकि आजमगढ़ से आएं बाहुबलि रमाकांत ने अपने जातीय वर्चस्व से सारे समीकरण उलट पलट दिए है    
सुरेश गांधी 
फिरहाल, भदोही में सियासी उथल पुथल के बीच मतदाता का मानस भी इस प्रचंड गर्मी में थपेड़े खा रहा हैं। उसके मन का प्रत्याशी होने से वो असमंजस में है। 2014 में मोदी लहर में भारी मतों से जीते विरेंद्र सिंहमस्तको बलिया भेज दिया गया हैं। उनकी जगह मिर्जापुर से बसपा विधायक रहे रमेश बिन्द को उतारा गया है। इसके पीछे बीजेपी की गणित है कि वो डेढ़ लाख से भी अधिक स्वजाति वोटों के साथ ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य, पटेल, मौर्या समेत अन्य पिछड़ी जातियों के समर्थन से बाजी अपने में करने में कामयाब हो सकते है। यां यूं कहे भाजपा को भरोसा हो चला है कि मोदी के नाव पर सवार होकर इन जातियों के समर्थन से जीत की वैतरिणी पार कर लेंगे। जबकि गठबंधन को उम्मींद है कि वोटों का बिखराव नहीं हुआ तो वो बाजी अपने पक्ष में करने में कामयाब हो सकते है। जबकि धनबल बाहुबल के बूते सोहरत हासिल कर चुके पूर्व सांसद रमाकांत को उम्मींद है कि वो एमवाई फैक्टर से जीत की राह आसान होगी। 
कांग्रेस के मुशीर इकबाल का कहना है कि भदोही प्रदेश की उन चुनिंदा संसदीय सीटों में शामिल हैं, जहां केवल कांग्रेस का कैडर वोट मौजूद है, बल्कि वह चुनाव को अपने पक्ष में करने की स्थिति में है।  कांग्रेस से जुड़े अन्य नेताओं का भी कुछ ऐसा ही कहना है। उनके मुताबिक माहौल कांग्रेस के पक्ष में लाने में यादव, दलित एवं अल्पसंख्यक सहित अन्य बेहद पिछड़ी जातियों अहम भूमिका अदा करने जा रहे हैं। इसके अलावा, इस सीट पर जातिगत समीकरण भी ऐसे हैं, जो भाजपा, सपा बसपा कांग्रेस के पक्ष में जाते हैं. भदोही की राजनीति सबसे करीब से देखने वाले अशोक जायसवाल कहते है बीजेपीसबका साथ-सबका विकासकी नीति पर चुनाव मैदान में है। उसने रमेश बिन्द को अपना प्रत्याशी बनाया है। जबकि बसपा से रंगनाथ मिश्र है। वे ब्राह्मणों के चहेते भी है। ऐसे में बीजेपी के सामने संकट है कि उनका ब्राहृमणों का पारंपरिक वोट कही सपा-बसपा गठबंधन के पक्ष में चला जाए। 
इतना ही नहीं, इस संसदीय सीट की कुछ पिछड़ी जातियों को भी बीजेपी का पारांपरिक वोट माना जाता है। दोनों नेता बीते पांच साल में किए गए कार्यों का उल्लेख कर सभी पक्षों को अपनी तरफ लाने का प्रयास करेंगे। इसके अलावा, सपा प्रमुख अखिलेश यादव की कोशिश होगी कि वे अल्पसंख्यक वोटों को कांग्रेस से जुदा कर अपने पक्ष में ले आएं। जबकि सपा-बसपा गठबंधन के समर्थकों के बीच मतभेद स्पष्ट तौर पर देखे जाने कांग्रेस प्रत्याशी संग यादव समाज का बड़ा तबका घूमने के बाद समीकरण थोड़ा थोड़ा बदले नजर रहे है। यहां के कालीन उद्योगपतियों और कारोबारियों का एक समूह जहां बीजेपी के साथ खड़ा दिखाई देता है तो वहीं दूसरा समूह गठबंधन साथ दिख रहा है। कालीन कारोबारी राजीव ने कहा, “मोदी जी बेहतर पीएम है। अन्य प्रधानमंत्रियो की तुलना में बेहतर व्यक्ति हैं। इसलिए उनका वोट तो उन्हीं को जोगा। जबकि साहिद हुसैन का कहना है कि बीजेपी के कांग्रेस प्रत्याशी राष्ट्रीय परिदृश्य में फिट नहीं बैठते। सपा-बसपा गठबंधन ही है जो केन्द्र में बीजेपी को चुनौती दे सकता है। हमारे पास गठबंधन को समर्थन देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। 
बीजेपी स्थानीय नेताओं और प्रभावशाली लोगो के साथ बैठक करके क्षत्रिय और ब्राह्मण वोटरों को बीजेपी के पक्ष में लाने का काम कर रहे है। वही ओबीसी और अनुसूचित जाति के वोटरों के बीच जाकर सपा के वोटरों में सेंध लगा रहे है। जबकि यादव वोटरों में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस ने दो बार सांसद रहे रमाकांत को मैदान में उतारा है। क्योंकि गठबधन के पास सिवाय मोदी हटाओं से उन्हें कोई रोक नहीं सकता। जैसा कि उनके नामाकंन जुलूस में भी देखने को मिला। अफसोस है कि जाति धु्रवीकरण की आंस लगाए बैठे नेताओं को जानना होगा कि अब वोट मुद्दों पर नहीं देश की आन बान शान से तिरंगा फहराने से बरसते हैं। कहा जा सकता है भदोही लोकसभा सीट पर इस बार कड़ी टक्कर होने के आसार दिखाई दे रहे हैं। चुनाव में यहां बीजेपी और बीएसपी के बीच सीधी टक्कर होने के आसार हैं। वैसे भी पिछली बार के सपा और बसपा के वोट को अगर मिला दिया जाए, तो यह आंकड़ा वीरेंद्र सिंह को मिले वोट से काफी अधिक हो जाता है। लेकिन भाजपा ने यहां से रमेश बिंद को मैदान में उतारकर एक बार फिर से भगवा परचम लहराने की जुगत में है। बेरोजगारी यहां का सबसे बड़ा मुद्दा है। लेकिन चुनावों में वोटिंग जाति के आधार पर होती रही है।   
            औराई के फर्नीचर कारोबारी जावेद ने चुनावी चर्चा के दौरान कहा कि केंद्र में फिर से नरेंद्र मोदी की सरकार बनेगी, लेकिन यहां तो गठबंधन चुनाव जीत रहा है। सपा-बसपा गठबंधन ने यहां रंगनाथ मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है। मिश्रा स्थानीय नेता हैं। भाजपा प्रत्याशी मिर्जापुर के हैं। सुरियावा के इलेक्ट्रिक दुकानदार नजर अहमद ने भी चुनाव बाद मोदी की सरकार बनने के दावे किए। इन्होंने कहा कि केंद्र में मोदी की सरकार बने इसके लिए मतदान के दौरान लोग पलट भी सकते हैं। चाय विक्रेता बीरेंद्र प्रजापति ने कहा कि इस चुनाव में भाजपा मैदान में डटी हुई है। गोपीगंज के कमालुद्दीन बोलें -मोदी-योगी ने लोगों को परेशान कर दिया है। छुट्टा पशुओं से खेती-किसानी बर्बाद हो गई है। वहीं पर बैठे हरिराम वर्मा की राय जुदा थी। हरिराम के मुताबिक कुर्मी मत एकजुट भाजपा के साथ हैं। दलित भी भाजपा के साथ रहे हैं। युवा अनुभव भी इनकी बातें सुन रहा था, उसने सबकी बातें काटते हुए कहा कि चुनाव में सिर्फ मोदी का नाम चल रहा है। भाजपा ही जितेगी। जोशीले अनुभव ने कहा कि पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक मोदी जैसा व्यक्ति ही करा सकता है। केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद बिजली और सड़कें अच्छी हो गई हैं। जंगीगंज के राजबहादुर वर्मा बोले - यहां मुकाबला कांटे का है। कुर्मी के साथ यादव भी भाजपा के साथ जा सकते हैं, ऐसी चर्चाएं अब चल रही हैं। लोग यह जानते हैं कि सरकार दिल्ली की बनानी है इसलिए भाजपा को वोट देंगे। इन्होंने कहा कि अंदर ही अंदर मोदी के नाम की लहर जनता में चल रही है।
            बता दें, भदोही लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभाएं शामिल हैं। इनमें तीन विधानसभाएं भदोही जिले में हैं, जबकि दो प्रयागराज में हैं। भदोही जिले की ज्ञानपुर, औराई और भदोही विधानसभाएं और इलाहाबाद की हंडिया और प्रतापपुर विधानसभाओं को मिलाकर भदोही लोकसभा सीट बनी है। ब्राह्मण बहुल भदोही जिले की तीनों विधान सभाओं में बिंद और अन्य अति पिछड़ी जातियों की तादाद भी अच्छी-खासी है। इस समय भदोही जिले की दो विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। वहीं ज्ञानपुर विधानसभा सीट से बाहुबली विधायक विजय मिश्र ने चौथी बार निर्दलीय चुनाव जीता है। वह तीन बार समाजवादी पार्टी से विधायक रह चुके हैं। नए परिसीमन के बाद 2009 में पहली बार भदोही संसदीय सीट अस्तित्व में आई थी। इस सीट पर अब तक दो बार लोकसभा चुनाव हुए हैं। 
वर्ष 2014 में वीरेंद्र सिंह मस्त ने 4,03,695 वोट हासिल कर सफलता का स्वाद चखा था। दूसरे नंबर पर बीएसपी के राकेश धर त्रिपाठी थे। उन्हें कुल 2,45,554 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार और विजय मिश्रा की पुत्री सीमा मिश्रा थीं। उन्हें 2,38,712 वोट मिले थे। जबकि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने यहां से बाजी मारी थी। लेकिन उसकी जीत का अंतर काफी कम था। सपा के प्रत्याशी से उसे कड़ी टक्कर मिली थी। विधानसभावार वोट मिलने की बात की जाए तो भदोही संसदीय क्षेत्र के पांच विधानसभा में तीन पर बीएसपी प्रत्याशी को अधिक वोट मिले थे जबकि दो विधानसभा क्षेत्रों में एसपी का दबदबा रहा था। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में स्थितियां भिन्न हैं। इस बार एसपी और बीएसपी के बीच गठबंधन के कारण बीजेपी को कड़ी टक्कर मिलने के पूरे आसार हैं। 
2014 के आंकड़ों के मुताबिक यहां पर कुल 18,34,598 मतदाता हैं। जिसमें 10,16,000 पुरुष और 8,18,442 महिला मतदाता हैं। अपनी आकर्षक कालीनों के लिए पुरे विश्व में मशहूर भदोही हस्तकला के क्षेत्र में एक अलग ही मुकाम रखता है। भदोही में करीब 32 लाख लोग बुनाई के काम से जुड़े हुए है। भदोहीकारपेट सिटीके रुप में भी जाना जाता है। जहां तक औराई विधानसभा सीट की बात है तो यह सुरक्षित सीट (अनुसूचित जाति) है और यहां से बीजेपी के दीनानाथ भास्कर विधायक हैं। दीनानाथ ने 2017 के चुनाव में सपा उम्मीदवार मधुबाला को 19,979 मतों से हराया था। भदोही राज्य के बेहद पिछड़े जिलों में आता है और यहां करीब 2 साल पहले हुए विधानसभा चुनाव के आधार पर देखा जाए तो किसी भी राजनीतिक दल की पकड़ मजबूत नहीं है। 5 विधानसभा क्षेत्रों में से 3 जगहों पर हार-जीत का अंतर 10 हजार से कम का रहा जिसमें 2 जगहों पर 3 हजार से भी कम है। वहीं 2 जगहों पर यह जीत का अंतर करीब 20 हजार का रहा है। ज्ञानपुर विधानसभा क्षेत्र में निशाद पार्टी का कब्जा है। इस पार्टी के विजय मिश्रा ने भाजपा के महेंद्र कुमार बिंड को 20,230 मतों के अंतर से हराया था। जबकि भदोही विधानसभा भाजपा के पास है। यहां से रविंद्रनाथ त्रिपाठी विधायक हैं। उन्होंने सपा के जाहिद बेग को 1,105 वोटों के अंतर से पराजित किया था। हांडिया में बसपा की पकड़ है। उसके प्रत्याशी हकीम लाल ने अपना दल (सोनेलाल) की प्रमिला देवी को 8,526 मतों के अंतर से हराया था। 

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