Tuesday, 16 July 2019

गुरुओं से आशीष ले भक्त हुए निहाल


गुरुओं से आशीष ले भक्त हुए निहाल
मठ से लेकर मंदिरों तक में उमड़ी आस्थावानों का हुजूम, भजन पर झूमें शिष्य, कराया गया गरीबों को भोजन 
गुरु भगवंत वो प्रसाद जिसे मिले वह सौभाग्य शाली, जीवन में जागरण और आचरण देते हैं गुरु : स्वामी सरनानंद
सुरेश गांधी
वाराणसी। समाज में आदि काल से ही गुरु की महत्ता रही है। तब से ही हम गुरु की पूजा करते चले रहे है। गुरु के बिना ज्ञान पाना संभव नहीं है। मंगलवार को गुरु पूर्णिमा पर्व पर विभिन्न संस्थाओं ने अपने- अपने तरीके से गुरुओं को सम्मान दिया। किसी ने गुरु को सम्मानित कर अपने धर्म का पालन किया, तो किसी ने पौधा लगाया। शहर से लेकर देहात तक पूरे दिन पूर्णिमा की धूम रही।
अलसुबह से ही लोग अपने-अपने गुरुजनों के दरबार पहुंचना शुरु हो गए, तो सिलसिला देर रात तक चला। आश्रमों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अपने अपने गुरुओं की पाद पूजा वंदना के साथ की। गुरु के मस्तक पर तिलकार्चन किया। इसके बाद गुरु को माला पहनाने, दक्षिणा देने के बाद शीश झुकाकर जीवन में आगे बढ़ने और सफलता का आर्शीवाद लिया।
गढ़वाघाट आश्रम में स्वामी सरनानंद जी महराज के दर्शन के लिए मानों रेला उमड पड़ा था। सुबह से ही मेले जैसा माहौल रहा। इसी तरह शहर के अन्य सभी धार्मिक स्थलों पर लोगों के पहुंचने का दौर जारी रहा। सभी लोगों में इस बात की होड़ लगी थी कि चन्द्र ग्रहण का सूतक शुरू होने से पूर्व अपने गुरुजनों की पूजा कर उनसे आशिर्वाद प्राप्त कर लिया जाएं। यहीं कारण रहा कि सभी धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा संत मत अनुयायी आश्रम मठ गड़वाघाट में पीठाधीश्वर सद्गुरु स्वामी सरनानंद महाराज ने प्रातःकाल पूर्व पीठाधीशों की समाधि स्थलों पर आरती की। इसके बाद शिष्यों ने सद्गुरुदेव की पादुका पूजन आरती उतारी। और दर्शन-पूजन के लिए रेला उमड़ पड़ा जो जो शाम तक जारी रहा। रात में पुनः पूजा -आरती बाद परिसर भजनों से गूंज उठा। आश्रम में श्रद्धा, आस्था भक्ति का अनूठा संगम दिखा। देश-विदेश से आएं हजारों साधकों, अनुयायियों एवं आस्थावानों ने श्री स्वामी सरनानंद जी महराज को आदरांजलि अर्पित की। अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के शिष्यों ने तुलसीघाट पर तुलसी मंदिर समेत देव विग्रहों का पूजन-अर्चन और महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र की पूजा आराधना की।
फिरहाल, धर्म एवं आस्था की नगरी काशी में पूर्णिमा का दिन गुरुजनों, संतो स्वामियों के नाम रहा। देवालयों, विद्यालयों से लेकर संत आश्रमों तक शिष्य अपने गुरुओं के पांव पखार उनकी पूजा कर आरती उतारी। जगह-जगह गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित गीत-संगीत के अलावागुरु देवेभ्यो नमःतस्मै श्री गुरुवे नमःआदि मंत्रोच्चार जयकारों के बीच जाने-माने संतों आचार्यों के आश्रमों में गुरु पूजा की धूम रही। पूजा, वंदना, सम्मान और दीक्षा संस्कार का सिलसिला शाम तक चलता रहा। इसके बाद शीश नवाकर आर्शीवाद लिया। मणिकर्णिकाघाट स्थिय सतुआ बाबा आश्रम में सतुआबाबा रणछोड़ दास षष्ठपीठाधीश्वर यमुनाचार्य महाराज की चरण पादुका पूजन के बाद संतोष दास महाराज का भक्तों ने दर्शन किया। बाबा कीनाराम स्थली क्रींकुंड शिवाला में सुबह आरती, श्रमदान के बाद अघोरेश्वर की समाधियों का पूजन का विधान किया गया। पड़ाव स्थित अवधूत भगवान राम आश्रम में पीठाधीश्वर गुरु पद संभव राम का पूजन अर्चन किया गया। धर्म संघ, अष्टदशभुजा मंदिर, अन्नपूर्णा मठ, पातालपुरी, श्री विद्या मठ, राम जानकी मठ समेत मंदिरों मठों में भक्तों की कतार सुबह से ही लगी रही।

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