अलविदा सुषमा स्वराज : भूलकर भी नहीं भूलेगा हिन्दुस्तान, करेगा हमेशा याद
तेजतर्रार नेता
की छवि
रखने वाली
सुषमा स्वराज
अटल-आडवाणी
युग के
दिग्गज नेताओं
में से
एक थीं।
उन्होंने अपने
राजनीतिक जीवन
की शुरुआत
छात्र राजनीति
से की।
साल 1970 में
सुषमा स्वराज
अखिल भारतीय
विद्यार्थी परिषद से लेकर उन्होंने
देश की
विदेश मंत्री
तक का
सफर तय
किया। वो
न सिर्फ
दिलदार शख्सियत
थी बल्कि,
दमदार नेता
के रुप
में प्रखर
वक्ता थी।
सुषमा स्वराज
इकलौती महिला
थीं। जिसके
जरिए दुनिया
ने भारत
की महिला
शक्ति का
दम देखा
था। कई
मौकों पर
अपनी जबरदस्त
भाषण शैली
से विरोधियों
को भी
मुरीद बना
दिया था।
कठिन से
कठिन बात
भी वह
बड़े ही
शालीन शब्दों
में कह
देती थी।
उनकी इस
कार्यशैली पर अमेरिका के अखबार
वॉशिंगटन पोस्ट
ने उन्हें
’भारत की
सुपरमॉम’ कहा था।
धारा 370 पर
था सुषमा
स्वराज का
आखिरी ट्वीट-
जीवन में
इसी दिन
का इंतजार
था
सुरेश गांधी
पूर्व विदेश
मंत्री सुषमा
स्वराज का
6 अगस्त की
रात एम्स,
नयी दिल्ली
में निधन
हो गया।
वह 67 साल
की थीं।
सुषमा को
दिल का
दौरा पड़ने
के बाद
एम्स में
भर्ती कराया
गया था,
लेकिन कुछ
ही देर
बार उनका
निधन हो
गया। उनके
निधन से
पूरा देश
शोक में
डूब गया।
उनके यूं
ही चले
जाने से
हर को
स्तब्ध है।
क्योंकि वो
भारतीय राजनीति
की सशक्त
हस्ताक्षर थीं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म
ट्विटर पर
उनका साम्राज्य
था, 1 करोड़
13 लाख लोग
उन्हें फॉलो
करते थे।
ट्विटर पर
उनकी हाजिरजवाबी,
बतौर विदेश
मंत्री संकट
में फंसे
लोगों को
तत्काल मदद
पहुंचाने की
उनकी तत्परता
से वो
सैकड़ों लोगों
की दिल
जीत लेती
थीं। इसी
सोशल मीडिया
प्लेटफॉर्म पर कुछ लोग उनसे
बदजुबानी भी
कर लेते
थे लेकिन
सुषमा ने
कभी धैर्य
नहीं खोया।
बता दें,
बता दें
कि 6 अगस्त
की शाम
तक सुषमा
स्वराज की
तबीयत ठीक
थी। लोकसभा
से जम्मू-कश्मीर राज्य
पुनर्गठन विधेयक
पास होने
के बाद
उन्होंने एक
ट्वीट कर
खुशी भी
जताई थी,
लेकिन कुछ
देर बाद
उन्हें दिल
का दौरा
पड़ा। इसके
बाद उन्हें
एम्स में
भर्ती कराया
गया। लेकिन
कुछ ही
देर बार
उनका निधन
हो गया।
इसके पहले
उन्होंने हरीश
साल्वे से
कहा था
था कल
आकर एक
रुपये फीस
ले जाना।
बताते है
कि निधन
से एक
घंटे पहले
सुषमा स्वराज
ने पाकिस्तान
की जेल
में बंद
भारतीय नागरिक
कुलभूषण जाधव
मामले में
भारतीय वकील
हरीश साल्वे
को उनकी
1 रुपये की
फीस देने
के लिए
बुलाया था।
उनके निधन
के बाद
प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर लिखा
है, “एक
बेहतरीन प्रशासक,
सुषमा जी
ने जितने
भी मंत्रालय
संभाले सभी
में बेहतरीन
काम किया
और पैमाने
तय किए,
कई राष्ट्रों
के साथ
भारत के
बेहतर संबंध
स्थापित करने
की दिशा
में उन्होंने
शानदार काम
किया, एक
मंत्री के
तौर पर
हमने उनकी
भावुक छवि
और मददगार
छवि भी
देखी। उन्होंने
विश्व के
किसी भी
कोने में
मुश्किल में
फंसे भारतीय
लोगों की
मदद की।“ या यूं कहें
सुषमा स्वराज
एक प्रखर
वक्ता, ओजस्वी
एवं कुशल
नेत्री के
साथ-साथ
विलक्षण प्रतिभा
की धनी
थी। देश
हित एवं
लोक-कल्याण
के क्षेत्र
में उनके
द्वारा किये
गए कार्यों
को देश
हमेशा याद
रखेगा। सुषमा
जी का
व्यक्तित्व काफी शानदार था। सुषमा
स्वराज पढ़ाई
के साथ
एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी में बहुत
आगे रहीं।
वह शास्त्रीय
संगीत के
अलावा ललित
कला और
नाटक देखने
आदि में
काफी रुचि
लेती थीं।
सुषमा स्वराज
लंबे समय
से किडनी
की समस्या
से परेशान
चल रही
थीं। कुछ
दिनों पहले
उनका किडनी
ट्रांसप्लांट भी हुआ था। मोदी
सरकार 2.0 में शामिल न हो पाने की
वजह भी
यही थी।
उन्होंने न
तो 2019 का
लोकसभा चुनाव
लड़ा और
न ही
कैबिनेट में
कोई पद
लिया था।
महिला राजनेताओं
में इंदिरा
गांधी के
बाद उनका
नाम हमेशा
आदर से
लिया जाएगा।
विशुद्ध भारतीय
लिबास और
बड़ी लाल
बिंदी में
उनकी एक
छवि सभी
के दिमाग
में दर्ज
है। संसद
के छठे
सत्र में
सांसद के
तौर पर
15वीं लोक
सभा में
वह विपक्ष
का सबसे
मजबूत चेहरा
थीं। सन
1977-1982 और 1987-1909 के दौरान
दो बार
हरियाणा से
और 1998 में
एक बार
दिल्ली से
विधायक बनीं।
अक्टूबर 1998 में उन्होंने दिल्ली की
पहली महिला
मुख्यमंत्री का पद संभाला। सुषमा
स्वराज मौजूदा
समय में
केंद्र में
सत्ताधारी भाजपा और विपक्ष की
सदस्य दोनों
ही भूमिकाओं
में अपनी
मजबूत पहचान
दर्ज करा
चुकी हैं।
हिंदी में
दिए गए
अपने भाषण
में सुषमा
स्वराज ने
संयुक्त राष्ट्र
में कहा
था कि
’कश्मीर भारत
का हिस्सा
था, भारत
का हिस्सा
है और
भारत का
हिस्सा रहेगा।’ आतंकवाद के मुद्दे
पर भी
सुषमा स्वराज
ने कहा
था कि,
’दुनिया के
कुछ देशों
का आतंकवादियों
को पालने
का शौक
हो गया
है। ऐसे
देशों को
अलग-थलग
करने का
समय आ
गया है।
अगर आतंकवाद
खत्म नहीं
किया गया
तो आने
वाली पीढ़ी
हमें माफ
नहीं करेगी।
अपने लम्बे
राजनीतिक करियर
में सुषमा
स्वराज कश्मीर
के मुद्दे
पर पाकिस्तान
को आड़े
हाथों लेती
रहीं।
सफरनामा
बीजेपी की
कद्दावर नेता
और एक
मुखर वक्ता
के अलावा
सुषमा स्वराज
का राजनीतिक
जीवन शानदार
रहा। जो
हरियाणा लिंगानुपात
के लिए
बदनाम रहा,
उसकी माटी
में साल
1952 को वैलेंटाइन्स
डे (14 फरवरी)
के दिन
एक लड़की
ने जन्म
लिया। शायद
ही किसी
ने सोचा
होगा कि
वह लड़की
एक दिन
भारत ही
नहीं दुनिया
भर में
भी नाम
कमाएगी। यूं
तो माता-पिता का
संबंध पाकिस्तान
के लाहौर
से था,
जो बाद
में हरियाणा
के अंबाला
में रहने
लगे। उनके
पिता हरदेव
शर्मा राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ के अहम सदस्यों
में शुमार
थे। उनके
माता-पिता
का संबंध
पाकिस्तान के लाहौर स्थित धर्मपुरा
इलाके से
था। अंबाला
कैंट के
सनातन धर्म
कॉलेज से
उन्होंने संस्कृत
और राजनीतिक
विज्ञान की
शिक्षा हासिल
की। इसके
बाद उन्होंने
चंडीगढ़ की
पंजाब यूनिवर्सिटी
से कानून
की पढ़ाई
की। युवावस्था
से ही
सुषमा स्वराज
एक अच्छी
वक्ता रहीं।
हरियाणा के
लैंग्वेज डिपार्टमेंट
द्वारा आयोजित
राजकीय प्रतियोगिता
में उन्होंने
लगातार तीन
बार बेस्ट
हिंदी स्पीकर
का अवॉर्ड
अपने नाम
किया। साल
1970 में सुषमा
स्वराज ने
अखिल भारतीय
विद्यार्थी परिषद से अपना राजनीतिक
करियर शुरू
किया। उनके
पति स्वराज
कौशल सोशलिस्ट
लीडर जॉर्ज
फर्नांडिस से जुड़े हुए थे
और सुषमा
स्वराज साल
1975 में फर्नांडिस
की लीगल
डिफेंस टीम
का हिस्सा
बन गईं।
इससे पहले
1973 में उन्होंने
सुप्रीम कोर्ट
में बतौर
वकील प्रैक्टिस
शुरू की
थी। जयप्रकाश
नारायण के
आंदोलन में
भी उन्होंने
बढ़ चढ़कर
हिस्सा लिया।
आपातकाल के
बाद वह
भारतीय जनता
पार्टी में
शामिल हो
गईं और
धीरे-धीरे
पार्टी में
उनका कद
बढ़ता चला
गया। जुलाई
1977 में वह
देवी लाल
की अगुवाई
वाली जनता
पार्टी सरकार
में कैबिनेट
मंत्री बनीं।
उस वक्त
उनकी उम्र
महज 25 साल
थी। इस
लिहाज से
वह विधानसभा
की सबसे
युवा सदस्य
थीं। इसके
बाद वह
1987 से 1990 तक हरियाणा की शिक्षा
मंत्री भी
रहीं। 27 साल
की उम्र
में सुषमा
स्वराज को
जनता पार्टी
(हरियाणा) का प्रदेश अध्यक्ष बनाया
गया। सुषमा
स्वराज ने
अप्रैल 1990 को राष्ट्रीय राजनीति में
कदम रखा।
उन्हें राज्यसभा
सदस्य बनाया
गया। इसके
बाद 1996 में
वह दक्षिणी
दिल्ली क्षेत्र
से सांसद
चुनी गईं।
उन्हें अटल
बिहारी वाजपेयी
की 13 दिन
की सरकार
में सूचना
एवं प्रसारण
मंत्री बनाया
गया। अक्टूबर
1998 में उन्होंने
केंद्रीय कैबिनेट
से इस्तीफा
दे दिया
और दिल्ली
की पहली
महिला मुख्यमंत्री
बनीं। लेकिन
बढ़ती महंगाई
के कारण
बीजेपी विधानसभा
चुनाव हार
गई और
सुषमा स्वराज
ने दोबारा
राष्ट्रीय राजनीति में वापसी की।
साल 1990 में
सुषमा स्वराज
हरियाणा की
राजनीति से
निकल दिल्ली
पहुंचीं। अप्रैल
1990 में उन्हें
राज्यसभा के
लिए चुना
गया, इसके
बाद साल
1996 में उन्होंने
दक्षिणी दिल्ली
लोकसभा सीट
से चुनाव
जीता। 1996 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल
बिहारी वाजपेयी
की 13 दिन
की सरकार
में सूचना
प्रसारण मंत्री
रहीं। मार्च
1998 में 12वीं लोकसभा के लिए
हुए चुनाव
में एक
बार फिर
दक्षिणी दिल्ली
से जीत
कर संसद
भवन पहुंची।
वाजपेयी सरकार
के दूसरे
कार्यकाल में
सुषमा एक
बार फिर
सूचना प्रसारण
मंत्री बनीं।
सूचना प्रसारण
मंत्री के
तौर पर
फिल्म निर्माण
को व्यवसाय
का दर्जा
दिलाना उनका
अहम फैसला
था। इस
फैसले से
इंडियन फिल्म
इंडस्ट्री बैंक कर्ज लेने के
योग्य बनी।
इसके बाद
सुषमा स्वराज
ने अक्टूबर
1998 में मंत्री
मंडल से
इस्तीफा दे
दिया और
12 अक्टूबर 1998 को दिल्ली की पहली
महिला मुख्यमंत्री
बनीं। इस
पद पर
वे ज्यादा
दिन तक
नहीं रहीं,
तीन दिसंबर
1998 को ही
उन्होंने विधानसभा
सीट से
इस्तीफा दे
दिया। इसके
बाद अप्रैल
2000 में वे
एक बार
फिर उत्तर
प्रदेश से
राज्यसभा सदस्य
बनकर दिल्ली
पहुंचीं। लेकिन
जब उत्तर
प्रदेश का
बंटवारा हुआ
और उत्तराखंड
बना तो
उन्हें उत्तराखंड
भेज दिया
गया। उन्हें
एक बार
फिर सूचना
प्रसारण मंत्रालय
की जिम्मेदारी
दी गई
जिसे उन्होंने
जनवरी 2003 तक निभाया। इसके बाद
उन्हें स्वास्थ्य,
परिवार कल्याण
और संसदीय
मामलों में
मंत्री बनाया
गया और
साल 2004 में
एनडीए की
सरकार जाने
तक इस
पद पर
बनी रहीं।
अप्रैल 2006 में उन्हें तीसरे कार्यकाल
के लिए
मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए
चुना गया.
2009 के लोकसभा
चुनाव में
उन्होंने मध्य
प्रदेश के
विदिशा से
किस्मत आजमाई
और उन्हें
सफलता भी
मिली। इसके
बाद उन्हें
लोकसभा में
विपक्ष की
नेता की
जिम्मेदारी दी गई, 2014 में चुनाव
तक वे
इस पद
पर बनी
रहीं। 2014 में हुए ऐतिहासिक चुनाव
में उन्होंने
एक बार
फिर विदिशा
से जीत
दर्ज की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार
में उन्हें
भारत की
पहली महिला
विदेश मंत्री
बनाया गया।
मोदी
सरकार में
बनीं विदेश
मंत्री
नरेंद्र
मोदी सरकार
के पहले
कार्यकाल में
सुषमा स्वराज
को विदेश
मंत्री बनाया
गया। पीएम
मोदी की
विदेश नीति
को लागू
कराने में
उनकी अहम
भूमिका रही।
संयुक्त राष्ट्र
में उनके
भाषण की
काफी तारीफ
हुई थी,
जिसमें उन्होंने
पाकिस्तान को जमकर खरी-खरी
सुनाई थी।
सुषमा स्वराज
7 बार सांसद
और तीन
बार विधायक
रहीं।
स्वराज
कौशल से
की शादी
13 जुलाई
1975 को स्वराज
कौशल से
सुषमा स्वराज
ने शादी
की। दोनों
को करीब
लाने में
आपातकाल का
बड़ा हाथ
रहा। दोनों
उसी दौरान
एक-दूजे
के करीब
आए। दोनों
की एक
बेटी बांसुरी
है, जिसने
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की
है।
जब
संघाई में
ललकारा
सुषमा
स्वराज 2014 से 2019 तक देश की
विदेश मंत्री
रहीं और
इस दौरान
उन्होंने दुनियाभर
का दौरा
किया। सुषमा
ने कई
कॉन्फ्रेंस में हिस्सा भी लिया।
इन्हीं में
से एक
रही 2018 में
हुई शंघाई
सहयोग संगठन
की बैठक
थी। जिसमें
चीन, कजाकिस्तान,
रूस, तजाकिस्तान
जैसे कुल
10 देशों के
विदेश मंत्री
शामिल हुए
थे, लेकिन
इनमें सिर्फ
सुषमा स्वराज
इकलौती मंत्री
थीं जो
कि महिला
थीं। बता
दें कि
पूर्व प्रधानमंत्री
इंदिरा गांधी
के बाद
सुषमा स्वराज
विदेश मंत्री
बनने वाली
देश की
दूसरी महिला
थीं। जब
उनकी 10 देशों
के विदेश
मंत्रियों के बीच खड़ी फोटो
वायरल हुआ
तो भारत
की नारी
सशक्तिकरण को दुनिया ने सलाम
किया था।
2018 के बाद
2019 में भी
समिट में
ऐसा ही
हुआ था,
जब अन्य
पुरुष विदेश
मंत्रियों के साथ सुषमा स्वराज
इकलौती महिला
थीं। बतौर
विदेश मंत्री
सुषमा स्वराज
की ऐसी
कई तस्वीरें
रहीं जो
इतिहास में
दर्ज हो
गईं। जिनमें
गीता और
उज्मा का
पाकिस्तान से वापस लौटना हो,
भूटान के
राजा के
1 साल के
बेटे का
स्वागत हो
या फिर
अमेरिका के
पूर्व राष्ट्रपति
बराक ओबामा
के साथ
मुलाकात हो।
हरीश
साल्वे की
जुबानी
एक
टीवी चैनल
से बातचीत
में साल्वे
ने बताया
कि निधन
से करीब
एक घंटे
पहले उन्होंने
सुषमा स्वराज
से बात
की थी।
उन्होंने कहा,
’मैंने रात
8ः50 बजे
उनसे बात
की। यह
एक बहुत
ही भावनात्मक
बातचीत थी।
उन्होंने कहा,
आओ और
मुझसे मिलो।
जो केस
आपने जीता
उसके लिए
मुझे आपको
आपका एक
रुपया देना
है। मैंने
कहा कि
बेशक मुझे
वह कीमती
फीस लेने
के लिए
आना है।
उन्होंने कहा
कि कल
6 बजे आना।’ दरअसल, पाकिस्तान ने
जाधव को
मार्च 2016 में जासूसी के आरोप
में गिरफ्तार
किया था
और तब
से वह
लगातार भारतीय
अधिकारियों को उनसे मिलने की
अनुमति नहीं
दे रहा
था। इसके
बाद पाकिस्तान
एक सैन्य
अदालत द्वारा
जाधव को
मौत की
सजा सुनाने
के बाद
भारत ने
आईसीजे में
मामले को
उठाया था।
उनके
लिए विदेशी
महिला ने
गाया था
’इचक दाना
बीचक दाना...’
2018 में सुषमा स्वराज मध्य
एशिया के
तीन देशों
कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान के
दौरे पर
थीं। उज्बेकिस्तान
में सुषमा
की मुलाकात
एक स्थानीय
महिला से
हुई थी।
महिला ने
सुषमा स्वराज
के लिए
खास गाना
’इचक दाना
बीचक दाना...’गाया था।
उस वक्त
भी ये
वीडियो काफी
वायरल हुआ
था। वीडियो
में महिला
फिल्म श्री
420 का ’इचक
दाना बीचक
दाना’ का गाना
गा रही
हैं। वीडियो
में सुषमा
स्वराज उनके
साथ खड़ी
हुई दिख
रही हैं।
सुषमा स्वराज
ने ब्लैक
शेड्स भी
लगाए हुए
हैं. उन्होंने
महिला के
कंधे पर
भी हाथ
रखा हुआ
है।
कॉलेज
में हुई
थी पति
से मुलाकात
सुषमा
स्वराज की
लॉ की
पढ़ाई के
दौरान स्वराज
कौशल से
मुलाकात हुई
थी। दोनों
की प्रेम
कहानी कॉलेज
से शुरू
हुई। सुषमा
स्वराज सुप्रीम
कोर्ट की
वकील भी
रह चुकी
हैं। यह
उस दौर
की बात
है, जब
हरियाणा में
किसी लड़की
के लिए
प्रेम विवाह
करना तो
दूर सोचना
भी बड़ी
बात मानी
जाती थी।
लेकिन कमाल
की बात
यह थी
कि सुषमा
स्वराज आरएसएस
से जुड़ी
थीं और
स्वराज कौशल
सोशलिस्ट विचारधारा
को मानते
थे।
आपातकाल
में की
थी शादी
साल
1975 में सुषमा
स्वराज सोशलिस्ट
नेता जॉर्ज
फर्नांडिस की लीगल डिफेंस टीम
का हिस्सा
बन गईं,
जिसमें स्वराज
कौशल भी
थे। उन्होंने
और स्वराज
कौशल ने
आपातकाल के
दौरान जयप्रकाश
नारायण के
आंदोलन में
बढ़-चढ़कर
हिस्सा लिया।
यहां से
दोनों की
नजदीकियां और बढ़ीं और उन्होंने
शादी करने
का फैसला
कर लिया।
लेकिन यह
इतना भी
आसान नहीं
था। दोनों
को अपने
परिवारों को
मनाने के
लिए काफी
मशक्कत करनी
पड़ी। इसके
बाद 13 जुलाई
1975 को दोनों
ने शादी
कर ली।
शादी के
बाद सुषमा
स्वराज ने
अपने पति
के नाम
को सरनेम
बनाया।
विदेशों
में बसे
भारतीयों की
भी खूब
मदद की
चाहे
इराक में
फंसी हुई
नर्सों को
सुरक्षित निकालना
हो, कुवैत
और दुबई
में काम
दिलाने के
बहाने धोखा
खाने वाले
मजदूर हों
या पाकिस्तान
में फंसीं
उज्मा और
गीता की
सकुशल वापसी,
सुषमा स्वराज
के मानवता
के कई
ऐसे किस्से
हैं जिसकी
चर्चा देश
ही नहीं
दुनिया में
होती है।
सुषमा ने
अपने मजबूत
इरादों का
हर मोर्चे
पर सशक्त
परिचय दिया।
मोदी सरकार
के पहले
कार्यकाल में
बतौर विदेश
मंत्री रहते
हुए उन्होंने
विदेश में
फंसे कई
भारतीयों को
बचाया। सुषमा
ने पाकिस्तान
में जबरन
शादी का
शिकार हुईं
भारतीय नागरिक
उज्मा अहमद
को वापस
वतन लाने
में मदद
की थी.
इस बात
के लिए
सुषमा की
खूब सराहना
की गई
थी। गीता
की भारत
वापसी में
सुषमा स्वराज
की मदद
को कौन
भूल सकता
है। 26 अक्टूबर
2015 को सुषमा
स्वराज के
प्रयासों की
वजह से
ही मूक-बधिर लड़की
गीता की
एक दशक
के बाद
पाकिस्तान से स्वदेश वापसी हो
सकी। गीता
भटककर पाकिस्तान
जा पहुंची
थी. गीता
के परिवार
की तलाश
में विदेश
मंत्रालय ने
खूब प्रयास
किए। विदेश
मंत्री रहते
हुए एक
बार सुषमा
स्वराज ने
कहा था
कि मैं
जब भी
गीता से
मिलती हूं
वह शिकायत
करती है
और कहती
है कि
मैडम किसी
तरह मेरे
माता-पिता
को तलाशिये।
जब
मनमोहन को
दिया शायराना
जवाब
साल
2013 में संसद
में कांग्रेस
नेता पूर्व
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सुषमा
स्वराज के
बीच हुई
शायराना जुगलबंदी
आज भी
लोगों के
चेहरों पर
मुस्कान ला
देने के
लिए काफी
है। कहते
है एक
प्रखर वक्ता
सुषमा स्वराज
ने जब
शायराना अंदाज
में तत्कालीन
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से सवाल
पूछा तो
उन्हें भी
उसी अंदाज
में जवाब
मिला था
और पूरी
संसद हंसी
के ठहाकों
से गूंज
उठी थी।
उस वक्त
भाजपा पर
प्रहार करते
हुए प्रधानमंत्री
ने शेर
पढ़ा कि
हमें है
उनसे वफा
की उम्मीद
जो नहीं
जानते वफा
क्या है।
इसका जवाब
देते हुए
सुषमा ने
कहा कि
उनकी एक
शायरी का
जवाब वह
दो से
देंगी और
उनका कर्ज
नहीं रखेंगी।
इस पर
लोकसभा अध्यक्ष
मीरा कुमार
ने भी
चुटकी ली
कि फिर
तो उन
पर उधार
हो जाएगा।
सुषमा ने
दो शेर
पढ़े कि
कुछ तो
मजबूरियां रही होंगी, यूं ही
कोई बेवफा
नहीं होता
और कहा
कि वह
देश के
साथ बेवफाई
कर रहे
हैं। इसी
शायरी में
सुष्मा ने
आगे कहा
कि तुम्हें
वफा याद
नहीं हमें
जफा याद
नहीं जिंदगी
और मौत
के दो
ही तराने
हैं एक
तुम्हें याद
नहीं, एक
हमें याद
नहीं।
15 दिनों
में सीखी
कन्नड़ भाषा
बेहद
कम उम्र
में ही
सक्रिय राजनीति
में पदार्पण
करने वाली
सुषमा स्वराज
का सबसे
मशहूर मुकाबला
कांग्रेस नेता
सोनिया गांधी
के खिलाफ
रहा। 1990 के दशक में सोनिया
गांधी के
विदेशी मूल
का मुद्दा
भारतीय राजनीति
के केंद्र
में था।
उसी दौर
में कांग्रेस
की कमान
संभालने के
बाद सोनिया
गांधी ने
कर्नाटक के
बेल्लारी से
लोकसभा चुनाव
लड़ा। बेल्लारी
सीट को
कांग्रेस का
गढ़ माना
जाता था।
सोनिया गांधी
की चुनावी
मुहिम के
लिए उसको
सबसे सुरक्षित
सीट माना
गया। बीजेपी
ने सोनिया
को टक्कर
देने के
लिए अपनी
करिश्माई नेता
सुषमा स्वराज
को बेल्लारी
से मैदान
में उतार
दिया। वह
उस दौर
में सोनिया
के विदेशी
मूल के
मुद्दे पर
काफी मुखर
भी थीं।
हालांकि कर्नाटक
में उस
वक्त बीजेपी
की बहुत
उर्वर जमीन
नहीं थी
लेकिन सुषमा
ने उस
चुनौती को
स्वीकार करते
हुए महज
15 दिनों में
कन्नड़ भाषा
सीखकर सोनिया
को जबर्दस्त
टक्कर दी।
सुषमा की
लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात
से लगाया
जा सकता
है कि
भले ही
उनको वहां
प्रचार के
लिए महज
दो हफ्ते
का समय
मिला लेकिन
आम जनता
की आवाज
में अपनी
बात रखकर
उन्होंने बेल्लारी
वासियों का
दिल जीत
लिया। हालांकि
चुनावी नतीजा
भले ही
सोनिया गांधी
के पक्ष
में रहा
लेकिन सुषमा
ने उनको
टक्कर दी.
सुषमा स्वराज
को 3, 58,000 वोट मिले और हार-जीत का
अंतर महज
7 फीसदी रहा।
उनके
चर्चित काम
1- कुलभूषण
जाधव का
मामला अंतरराष्ट्रीय
कोर्ट में
ले गईं।
सुषमा के
बात करने
पर प्रसिद्ध
वकील हरीश
साल्वे ने
महज एक
रुपए की
फीस लेकर
इस केस
की पैरवी
की। साथ
ही भारत
को इसमें
जीत भी
मिली। कुलभूषण
जाधव की
फांसी पर
प्ब्श्र ने
रोक लगा
दी।
2- मसूद
अजहर को
अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कराया। उनके
प्रयासों का
ही नतीजा
था कि
बार-बार
चीन के
अड़ंगा अड़ाने
के बावजूद
1 मई, 2019 को मसूद को संयुक्त
राष्ट्र सुरक्षा
परिषद ने
अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया
गया।
3- यमन
से निकाले
4000 भारतीय। यमन में जब हूथी
विद्रोहियों और सरकार के बीच
जंग छिड़ी
थी तो
हजारों भारतीय
वहां फंसे
थे। वर्ष
2015 में सऊदी
अरब की
मदद से
यमन में
फंसे भारतीयों
और विदेशियों
को निकालने
में सफलता
हासिल की।
उस दौरान
यमन से
4000 से ज्यादा
भारतीयों व
विदेशियों को निकालने के लिए
भारतीय सशस्त्र
बलों ने
’ऑपरेशन राहत’ शुरू किया था।
4- सूडान
से 150 और
लीबिया से
29 भारतीयों को निकाला। दक्षिण सूडान
में छिड़े
गृह युद्ध
के दौरान
वहां फंसे
भारतीयों की
सुरक्षित वतन
वापसी में
बड़ी भूमिका
निभाई। ’ऑपरेशन
संकटमोचन’ के जरिए
सूडान से
150 भारतीयों को निकाला। इसमें 56 लोग
केरल के
रहने वाले
थे। इसके
बाद लीबिया
में सरकार
और विद्रोहियों
के बीच
छिड़ी जंग
के दौरान
29 भारतीयों को वहां से सुरक्षित
भारत लेकर
आईं।
5- पाकिस्तान
से भारत
लाई गईं
गीता।
6- जब
सुषमा ने
जीता पाकिस्तानियों
का दिल।
पाकिस्तान के लाहौर के उस
नवजात शिशु
को मेडिकल
वीजा देना
का भरोसा
दिया, जो
दिल की
बीमारी से
पीड़ित था।
दरअसल, उस
बच्चे रोहान
की मां
ने सुषमा
स्वराज से
हस्तक्षेप करने का आग्रह किया
था। इस
पर सुषमा
स्वराज ने
ट्वीट कर
कहा था
कि हम
भारत में
रोहान के
इलाज के
लिए मेडिकल
वीजा देंगे।
7- इराक
में फंसे
नर्सों वतन
वापसी। उनके
प्रयास से
इराक से
46 भारतीय नर्सो सहित एयर इंडिया
का विशेष
विमान 5 जुलाई,
2014 की सुबह
मुंबई पहुंचा।
इसके बाद
विमान कोच्चि
पहुंचा, जहां
सभी नर्सें
अपने परिजनों
से मिलीं।
संस्कृत
पर थी
खास पकड़
दरअसल,
यह वाकया
2012 का है,
जब साउथ
इंडिया एजुकेशन
सोसाइटी की
तरफ से
उन्हें एक
अवॉर्ड दिया
गया था।
मुंबई में
यह आयोजन
किया गया
था जिसमें
देश ही
नहीं विदेश
से भी
संस्कृत के
विद्वानों का जमावड़ा था। सुषमा
स्वराज के
अलावा यह
अवार्ड अभिनेता
अमिताभ बच्च्चन
और कांग्रेस
नेता सैम
पित्रोदा को
भी दिया
गया था।
अवार्ड लेने
के बाद
सुषमा स्वराज
ने संस्कृत
पर भाषण
दिया था।
उन्होंने यह
बताया था
कि संस्कृत
दुनिया की
सबसे वैज्ञानिक
भाषा है।
उन्होंने यह
भी कहा
कि कई
सौ साल
पहले भारत
के कई
हिस्सों में
संस्कृत भाषा
ही बोली
जाती थी।
उन्होंने कहा
कि यह
संस्कृत भाषा
ही है
जिसने पूरे
विश्व को
वसुधैव कुटुम्बकम
बताया। सुषमा
स्वराज ने
इस दौरान
वहां उपस्थित
संस्कृत के
जानकारों से
आह्वान भी
किया था
कि संस्कृत
को समृद्ध
करें और
संस्कृत को
आधुनिकता से
जोड़ें। यहां
तक कि
सुषमा स्वराज
को अवार्ड
में जो
राशि मिली
थी, उन्होंने
उसी संस्था
को यह
राशि देते
हुए कहा
कि इसे
संस्कृत को
समृद्ध करने
में लगाएं।
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