काशी में गंगा मईया का तांडव
कोनिया सीवेज पंप स्टेशन पर मिली खामिया, अनुपस्थित कर्मचारियों से मांगा गया स्पष्टीकरण
सुरेश गांधी
वाराणसी। गंगा का
जलस्तार तेजी से
बढ़ रहा है।
या यूं कहे
खतरे की निशान
को गंगा ने
छू लिया है।
हाल यह है
कि कछार के
कई गांवों में
पानी घूस गया
है। काशी में
बाढ़ की स्थिति
को देखते हुए
बाढ़ कंट्रोल रूम
एक्टिवेट हो गया
है। प्रशासन के
मुताबिक वाराणसी में चेतावनी
बिंदु 70.26 मी. और
खतरे का निशान
71.26 मीटर है। जिलाधिकारी
सुरेन्द्र सिंह ने बाढ़ प्रभावित गांवों
का दौरा कर
लोगों का हाल
जाना। साथ ही
उन्हें भरपूर सहयोग का
आश्वासन दिया। डीएम ने
प्रभावित लोगों की सहायता
के लिए आपातकाल
में फोन नंबर
जारी किया हैं।
बाढ़ से प्रभावित
लोग इस आपातकालीन
नंबर पर फोन
कर सकते हैं।
इस दौरान उन्होंने
वाराणसी की सभी
तहसील के तहसीलदार
और उपजिलाधिकारी के
नंबर जारी किए।
जिससे में बाढ़
प्रभावित लोगों के यहां
राहत और बचाव
कार्य के लिए
प्रशासन की टीम
पहुंच जाएगी। इसी
दौरान जिलाधिकारी सुरेंद्र
सिंह ने कोनिया
सीवेज पंप स्टेशन
का निरीक्षण किया।
अनुपस्थित कर्मचारियों से स्पष्टीकरण
मांगा है। चेताया
भी है कि
समय पर जवाब
नहीं देने पर
कार्रवाई होगी।
बता दें,
जिस वक्त डीएम
कोनिया पंप स्टेशन
पहुंचे कई कर्मचारी
नदारद थे। मौके
पर उपस्थित कर्मचारियों
से पूछताछ के
दौरान पता चला
कई प्लांट बंद
है। कारण पूछा
तो बताया गया
कि बाढ़ का
जल स्तर बढ़ने
के कारण बंद
है। तीन कर्मचारी
सुरेश सिंह (रनर),
गोपेश कुमार व
राजनाथ चौकीदार अनुपस्थित पाए
गए। डीएम के
निरीक्षण के बाद
उम्मीद है कि
शहर का सीवेज
सिस्टम में कुछ
सुधार होगा। इसके
अलावा जिलाधिकारी ने
क्षेत्र प्रभारी नगर मजिस्ट्रेट
को निर्देश दिए
कि अभी से
बाढ़ प्रभावितों को
राहत कैंपों में
सुरक्षित पहुंचाने के लिए
नाव सहित राहत
सामग्री की व्यवस्था
करा लें। साथ
ही उन्होंने नगर
मजिस्ट्रेट, सीओ कोतवाली
और क्षेत्रीय
सभासद, जनप्रतिनिधियों से कहा
कि आपस में
समन्वय स्थापित करते हुए
व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराएं। कोनिया
घाट पर जाकर
पानी में डूबे
हुए मकानों को
खाली करा कर
बाढ़ राहत कैंपों
में ले जाने
के निर्देश दिए।
साथ ही मौके
पर एनडीआरएफ की
टीम से बाढ़
से प्रभावित लोगों
की जानकारी ली
और राहत कार्यों
के बारे में
पूछा और अलर्ट
रहने के निर्देश
दिए। प्राथमिक विद्यालय
कोनिया पंचायत भवन आदमपुर
जोन, में चल
रहे स्कूल का
निरीक्षण किया और
नगर निगम से
एक स्थायी शौचालय,
सांसद निधि से
एक शौचालय निर्माण
कराने के साथ
ही पेयजल हेतु
पानी टैंकर लगाने
का निर्देश दिया।
प्राथमिक विद्यालय कोनिया
पंचायत भवन आदमपुर
जोन, में चल
रहे स्कूल का
निरीक्षण किया तथा
नगर निगम से
एक स्थायी शौचालय
तथा सांसद निधि
से एक शौचालय
निर्माण कराने के साथ
ही पेयजल हेतु
पानी टैंकर लगाने
का निर्देश दिया।
बाढ़ की वजह
से घाटों से
पहले ही पर्यटकों
को लौटाया जा
रहा है। दुकानें
ने भी हटा
दी गईं है
और नौकायन भी
बंद करा दिया
गया है। मारुति
नगर कालोनी के
अंतिम छोर पर
पानी घुस गया
है। धौरहरा, मठिया,
भगवानपुर, टेकुरी, राजवारी, बर्थरा
खुर्द, अजांव आदि गांवों
में की सैकड़ों
फसल जलमग्न हो
गई है। सैकड़ों
घर बाढ़ की
चपेट में आ
गए। पाले हुए
गाय और मवेशियों
के लिए भी
संकट बन गया
है। घरों के
सामने पानी डूबने
से काफी समस्या
हो गई है।
रमना गांव
में गंगा किनारे
40 एकड़ से अधिक
फसल डूब गई।
सामनेघाट पुराना पुल, सरैया
शैल पुत्री, नखी
घाट आदि इलाकों
में पानी घुसने
से परेशानी बढ़
गई। चौबेपुर का
पिपरी गांव चतुर्दिक
पानी से घिर
गया है, जिसके
कारण अवागमन भी
बाधित हो गया
है। गांव का
संपर्क पूरी तरह
टूट गया है।
गंगा के साथ
ही वरुणा नदी
में बढ़ाव से
तिल्ली, बजड़ा, उतैला, चरी
व धान की
फसलें पानी में
डूब गईं हैं।
रामेश्वर, लक्षीपुर, हिरमपुर, चक्का,
रसूलपुर, औसानपुर, जगापट्टी, खंडा,
नेवादा, भगतुपुर, कोइराजपुर, पांडेयपुर,भतसार सहित कई
तटीय गांव के
किसान प्रभावित हुए
हैं। गंगा के
पलट प्रवाह से
वरुणा ने भी
असर दिखाना शुरू
कर दिया है।
वरुणा किनारे के
रसूलगढ़, सलारपुर और खालिसपुर
के दर्जनों घरों
को बाढ़ ने
अपनी चपेट में
ले लिया है।
खालिसपुर के घुरे,
सलारपुरके बचई, लालबाबू,
छोटे लाल, रज्जू,
गुलजारी, गोविंद, रजिंदर, छेदी,
पिंटू, राजनाथ सहित दर्जनों
लोगों के घरों
में बाढ़ का
पानी घुस गया
है।
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