‘कोरोना’ की डंक से ‘कारपेट इंडस्ट्री’ को 100 करोड़ का ‘फटका’
निर्यातकों ने सीईपीसी को पत्र भेजकर दिल्ली में 28 से 31 मार्च तक आयोजित इंडिया कारपेट एक्स्पों को निरस्त करने की मांग
शत् प्रतिशत है निर्यातपरक कालीन उद्योग कालीन
सुरेश गांधी
भदोही।
चीन में
जानलेवा बना
कोरोना वायरस
का खौफ
अब कारपेट
इंडस्ट्री पर भी मंडराने लगा
है। एक
अनुमान के
मुताबिक न
सिर्फ सौ
करोड़ का
निर्यात प्रभावित
हुआ है,
बल्कि कालीनों
की खरीदारी
के लिए
विदेशों से
आने वाले
आयातकों ने
भी अपना
दौरा रद्द
कर दिया
है। खासतौर
से चीन
से कच्चे
माल यानी
सिल्क, धागा
व अन्य
की सप्लाई
ठप होने
से उत्पादन
पर भी
खासा प्रभाव
पड़ा है।
मतलब साफ
है कोरोना
के आतंक
से निर्यात
और घरेलू
उद्योग दोनों
पर विपरीत
असर होगा।
कालीन निर्यातकों
के मुताबिक
विदेशी ग्राहकों
ने नए
आर्डरों को
देना बंद
तो किया
ही है,
पुराने आर्डरों
को भी
लेने से
भी इंकार
कर दिया
है। इसे
लेकर निर्यातकों
में हड़कंप
मच गया
है। यूपी के
भदोही-मिर्जापुर,
आगरा, राजस्थान
के जयपुर,
पानीपत, दिल्ली,
जम्मू-कश्मीर
में बनने
वाली कालीनें
शत् प्रतिशत
निर्यातपरक है। कालीन निर्यात संवर्धन
परिषद की
मानें तो
कारपेट इंडस्ट्री
को अब
तक 100 करोड़
रुपए से
ज्यादा का
नुकसान हो
चुका है।
बड़ी संख्या
में न
सिर्फ आर्डर
कैंसिल हो
रहे हैं
बल्कि खरीदारों
ने भी
भारत आने
से मना
कर दिया
है।
यही
वजह है
कि सीईपीसी
के प्रशासनिक
सदस्य एवं
ग्लोबल ओवरसीज
के कर्ताधर्ता
संजय गुप्ता
ने सीईपीसी
को पत्र
भेजकर दिल्ली
में 28 से
31 मार्च तक
आयोजित इंडिया
कारपेट एक्स्पों
को निरस्त
करने की
मांग की
है। उनके
मुताबिक भारत
सरकार ने
कई देशों
के खरीदारों
का बीजा
तो रद्द
किया ही
है, आयातकों
ने भी
भारत आने
से मना
कर दिया
है। प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी
के संसदीय
क्षेत्र वाराणसी
का साड़ी
उद्योग पर
भी कोरोना
वायरस का
प्रभाव देखने
को मिल
रहा है।
पहले के
मुकाबले टूरिज्म
भी कम
हुआ है।
बता दें,
विभिन्न रिपोर्ट
के अनुसार
चीन में
फैले कोरोना
वायरस से
अबतक 2,200 लोगों की मौत हुई
है। वहीं
पूरी दुनिया
में इससे
करीब 77,000 लोग प्रभावित हुए हैं।
कोरोना वायरस
के फैलने
से वैश्विक
वृद्धि पर
0.3 प्रतिशत यानी 250 अरब डॉलर तक
का असर
पड़ सकता
है। पूरी
दुनिया के
लिए खतरा
बना कोरोना
वायरस के
भारत में
भी नये
मामले बढ़ने
की फिक्र
में शेयर
व सेंसेक्स
पर भी
खासा प्रभाव
देखने को
मिल रहा
है। अबतक
लगभग 74 देशों
में 92 हजार
से ज्यादा
लोग इस
वायरस से
पीड़ित हैं।
वैश्विक आपूर्ति
के बाधित
होने से
न केवल
चीन का
निर्यात प्रभावित
होगा बल्कि
आयातक देशों
के निर्यात
भी प्रभावित
होंगे। इसका
कारण कच्चे
माल और
मध्यवर्ती वस्तुओं का बड़ा हिस्सा
चीन से
आयात होता
है और
उससे अंतिम
वस्तु तैयार
कर दूसरे
देशों को
निर्यात किया
जाता है।
इस समय
हमें घरेलू
खपत मांग
और क्षमता
बढ़ाने की
जरूरत है
ताकि वैश्विक
व्यापार पर
कोरोना वायरस
के संभावित
प्रभाव को
कम किया
जा सके।
गौरतलब है
कि कोरोना
वायरस के
कहर से
बड़े पैमाने
पर भारतीय
कारोबारियों की कार्यशील पूजी ब्लॉक
हो गई
है। चीन
से कच्चे
माल का
आयात रुकने
से यहां
की रिटेल
इंडस्ट्री मानों थम सी गई
है। प्लास्टिक,
दवाएं, इलेक्ट्रॉनिक्स
आदि का
आयात थमने
से भारतीय
उद्योगों को
हजारों करोड़
का फटका
लग चुका
है। ज्वेलरी
इंडस्ट्री की तो कमर ही
टूटी चुकी
है। हांगकांग
शो और
ब्राजील शो
स्थगित होने
से ज्वेलरी
इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा
है। ज्वेलर्स
कारोबारियों का माल कारखानों में
ठप पड़ा
है। आने
वाले दिनों
में मंदी
और गहरा
सकती है।
कुछ ऐसा
ही प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप
से 20 लाख
से अधिक
लोगो की
आय का
जरिया बना
कारपेट इंडस्ट्री,
हैंडीक्राफ्ट व कपड़ा उद्योगों की
है।
कारोबारियों का
कहना है
कि कोरोना
के दहशत
के चलते
लोग अभी
लक्जरियस सामानों
की खरीदारी
के बजाय
अपने जानमाल
की रक्षा
में जुटे
है। इसके
चलते खिलौना,
फर्नीचर, बिल्डर,
हार्डवेयर, फुटवियर, कपड़े, मोबाइल, आयरन
और स्टील
के उत्पाद
भी प्रभावित
हो रहे
है। कोरोना
वायरस के
प्रकोप के
चलते भारत
से चीन
को रूई
और धागे
का निर्यात
ठप पड़
गया है।
कपड़ा उद्योग
में इस्तेमाल
होने वाला
रासायनिक पदार्थ
व एसेसरीज
आइटम का
आयात नहीं
हो रहा
है, जिससे
घरेलू कपड़ा
उद्योग पर
असर पड़ा
है। चीन
से केमिकल्स
और एसेसरीज
आइटम का
आयात नहीं
होने से
घरेलू कपड़ा
उद्योग की
लागत बढ़
गई है,
जिससे आने
वाले दिनों
कपड़ा महंगा
हो सकता
है।
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