मई तक खींच सकता है लॉकडाउन?
अमेरिका ने भी कोरोना
के
आगे
घुटने
टेके,
बनारस
में
अब
तक
65 संदिग्ध
मरीज
सुरेश गांधी
वाराणसी।
दुनियाभर में
तबाही मचा
देने वाले
कोरोना वायरस
ने भारत
में भी
अपने पैर
पसार लिए
हैं। भारत
में मरीज
की संख्या
सप्ताहभर में
51 से 565 और मृतकों की संख्या
3 से 13 हो
गयी है।
सरकारी आंकड़ों
के मुताबिक
भारत में
अबतक 562 लोग
कोरोना से
संक्रमित हैं
और 11 लोगों
की मौत
हो गई
है। कोरोना
की कड़ी
तोड़ने के
लिए पीएम
मोदी ने
21 दिनों तक
पूरे देश
की जनता
को घर
पर ही
रहने के
लिए कहा
है। अमेरिका
की अर्थव्यस्था
भारत के
मुकाबले 8 गुना बड़ी है। लेकिन
केरोना के
आगे उसने
भी घुटने
टेक दिया
है। ब्रिटेन
में भी
हालात अच्छे
नहीं हैं।
ब्रिटेन में
8 हज़ार से
ज्यादा लोग
संक्रमित हो
चुके हैं
और 400 से
ज्यादा लोगों
की मौत
हो गई
है। ब्रिटेन
के राजकुमार
प्रिंस चार्ल्स
भी संक्रमित
हो गए
हैं। उनकी
उम्र 71 साल
है। ज़ाहिर
है कोरोना
ना तो
राजा महाराजाओं
से डरता
है और
ना ही
गरीबों पर
रहम करता
है। इसके
आगे राजा
और रंक
बराबर हैं।
इसलिए आपको
स्थिति की
गंभीरता को
समझना चाहिए।
आइएमएस-बीएचयू
स्थित माइक्रोबायोलॉजी
विभाग के
लैब में
अब तक
65 संदिग्ध व्यक्तियों के नमूने भेजे
जा चुके
हैं। अभी
एक कोरोना
पाजीटिव मिला
है, जिसका
इलाज जिला
अस्पताल के
आइसोलेशन वार्ड
में चल
रहा है।
कुल 176 व्यक्तियों
को होम
क्वारंटाइन किया गया है। इधर,
लॉकडाउन के
चलते घरों
में कैद
हुई जनता
परेशान को
राहत पहुंचाने
के लिए
सरकार ने
1.70 लाख करोड़
रुपये के
राहत पैकेज
का ऐलान
किया है।
महिलाओं के
खाते में
राशि, मुफ्त
गैस सिलेंडर,
किसानों को
आर्थिक मदद,
कर्मचारियों के ईपीएफ में मदद
जैसे बड़े
ऐलान किए,
लेकिन इनमें
सिर्फ एक
ही चीज
कॉमन थी
वो ये
कि हर
चीज की
तैयारी 3 महीने
के लिए
की गई
है। मतलब
साफ है
लॉकडाउन लंबा
खीचेगी। हालांकि,
केंद्र सरकार
ने इस
बात की
पुष्टि नहीं
की है।
लेकिन सवाल
यह है
कि अगर
कोरोना के
हालात नहीं
सुधरते हैं
तो क्या
लॉकडाउन को
21 दिन से
बढ़ाकर अप्रैल-मई और
जून तक
जारी किया
जा सकता
है?
बता दें,
भारत से
पहले कोरोना
वायरस दुनिया
के कई
देशों में
अपना भयानक
रूप दिखा
चुका है।
चीन, स्पेन,
ईरान, इटली
और अमेरिका
अबतक की
सबसे भयावह
बीमारी का
सामना कर
रहे हैं।
भारत से
पहले इन
देशों ने
भी अपने
यहां लॉकडाउन
का ऐलान
किया था,
जिसका कुछ
हद तक
असर भी
दिखा है।
हालांकि, अगर
इटली की
बात करें
तो वहां
पर कोरोना
वायरस चौथी
स्टेज में
चल रहा
है। इटली
ने 4 मार्च
को सभी
स्कूल बंद
किए थे,
9 मार्च को
पूरे देश
में लॉकडाउन
का ऐलान
कर दिया
था। लेकिन
अब जब
वहां दो
हफ्ते से
अधिक लॉकडाउन
को हो
गए हैं,
कोरोना के
खतरे में
कमी नहीं
आई है।
इटली में
रोजाना 600 से अधिक मौत होने
का आंकड़ा
सामने आ
रहा है।
इटली की
तरह की
अमेरिका ने
भी अपने
देश में
नेशनल इमरजेंसी
लगाई और
लोगों को
घरों में
रहने को
कहा। लेकिन
पिछले दो
हफ्तों में
अमेरिका में
कोरोना वायरस
ने भयानक
रूप ले
लिया और
अब वहां
पॉजिटिव केस
की संख्या
67 हजार के
पार पहुंच
चुकी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति
डोनाल्ड ट्रंप
ने भी
अपने एक
बयान में
कहा था
कि दुनिया
पर कोरोना
वायरस का
असर अगस्त
तक फैल
सकता है।
फिरहाल, भारत
के 135 करोड़
लोग ही
नहीं दुनिया
के 230 करोड़
लोग अपने
घरों में
कैद हैं।
क्योंकि कोरोना
ऐसा वायरस
है जिससे
हथियारों या
यूं कहे
दवाओं से
नहीं, बल्कि
नई आदतों
और अनुशासन
के बूते
लड़ रहे
है। हालांकि
वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में कोरोना को
खत्म करने
के लिए
लगातार प्रयासरत
है। जब
तब ऐसा
नहीं होता,
तब तक
नई आदतें
और अनुशासन
ही हमारे
अस्त्र काम
आएगा। इसका
पालन भी
उस देखने
को मिला
जब किराना,
सब्ज़ी, फल
और दूध
की दुकानों
के बाहर
लोग दूरी
बना कर
खड़े थे।
दुकान के
बाहर एक-एक मीटर
की दूरी
पर गोला
की गई
थी, जिससे
लोग एक
दूसरे के
संपर्क में
ना आएं।
दुनिया भर
के लोग
उम्मीद कर
रहे है
कि गर्मी
बढ़ने के
साथ साथ
कोरोना का
प्रकोप कम
हो जाएं।
लेकिन ये
पूरी तरह
रुकेगा नहीं।
गर्मी से
आम तौर
पर ज्यादातर
वायरस मारे
जाते हैं।
जिन देशों
में ये
महामारी बहुत
तेज़ी से
फैली वहां
शुरुआत में
तापमान कम
था। जैसे
दक्षिण कोरिया,
जापान और
ईरान और
सिंगापुर, मलेशिया और थाईलैंड जैसे
गर्म और
उमस भरे
देशों में
कोरोना उतनी
तेज़ी से
नहीं फैला।
एक रिसर्च
में पाया
गया कि
कोरोना उन
देशों में
सबसे ज्यादा
तेज़ी से
फैला जहां
तापमान 5 से
11 डिग्री सेल्सियस के बीच था।
इनमें चीन,
दक्षिण कोरिया,
जापान, ईरान,
इटली, फ्रांस
और अमेरिका
के कुछ
हिस्से शामिल
थे। इस
स्टडी में
कहा गया
है कि
ये कोरोना
एक मौसमी
बीमारी बन
जाएगा..जिससे
हर साल
लोग संक्रमित
होंगे। इसलिए
भारतीयों को
लापरवाह होने
की ज़रूरत
नहीं है।
अगर आप
लॉकडाएन के
नियमों का
पालन नहीं
करेंगे तो
सरकार को
इसे बढ़ाना
पड़ेगा। अगर
ऐसा हुआ
तो रोजमर्रा
की जरुरतों
वाली सेवाएं
सबको नहीं
मिल पाएंगी।
सबकुछ महंगा
हो जाएगा
और सिर्फ
कुछ ही
लोग इसका
इस्तेमाल कर
पाएंगे। भारत
अर्थव्यवस्था के मामले में भी
21 साल पीछे
जा सकता
है। इसलिए
अगर आप
पाषाण युग
में नहीं
जाना चाहते
तो लॉकडाउन
के नियमों
का पालन
कीजिए। ताकि
सबको सस्ता
और तेज़
गति वाला
इंटरनेट मिलता
रहे।
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