कोरोना को मात देने में कारगर होगी ‘‘जनता कर्फ्यू’’

सुरेश गांधी
बेशक,
चाहे वो जापान
हो या ताइवान
और दक्षिण कोरिया
वहां कोरोना पूरी
तरह नियंत्रण में
है। ऐसा सिर्फ
इसलिए हो पाया
क्योंकि वे इस
वायरस को लेकर
पहले से ही
सजग हो गए
थे। फरवरी के
पहले सप्ताह से
ही लोग सर्जिकल
मास्क उपयोग में
लाने के साथ
ही स्वच्छता पर
विशेष ध्यान देने
लग गए थे।
हर दो घंटे
पर हाथ धोने,
मिलने पर हाथ
मिलाने के बजाय
नमस्कार, चीन या
बाहर देशों से
यात्रा कर रहे
लोगों की एंट्री
पर पाबंदी लगा
दी गयी थी।
खास बात यह
है कि लोग
स्वतः 14 दिनों तक एकांत
या अपने अपने
घरों में कैद
रहे। तमाम सार्वजनिक
इमारतों में हैंड
सैनिटाइजर और फीवर
चेक अनिवार्य कर
दिया गया। नियमित
तौर पर लोगों
को एसएमएस अलर्ट
भेजे गए। मतलब
साफ है भारत
में भी बढ़ते
कोरोना के संक्रमण
को रोका जा
सकता है बशर्ते
सावधानी बरतनी होगह। बता
दें, भारत में
कोरोना वायरस से अब
तक कुल संक्रमित
लोगों की संख्या
209 हो चुकी है।
जबकि, 5 लोगों की मौत
हो चुकी है।
देश
अभी कोरोना वायरस
के संक्रमण के
दूसरे स्टेज पर
है। अगर हालात
संभाले नहीं गए
तो यह तीसरे
स्टेज यानी कम्यूनिटी
ट्रांसमिशन में चला
जाएगा। यह तीसरा
स्टेज 22 मार्च से ही
शुरु होने वाला
है। तीसरे दौर
में संक्रमण के
पहुंच जाने के
बाद इसे संभालना
मुश्किल होगा। विश्व स्वास्थ्य
संगठन की रिपोर्ट
के मुताबिक भारत
में कोरोना का
संक्रमण स्थानीय स्तर पर
पहुंच चुका है।
संक्रमण के स्थानीय
स्तर (लोकल ट्रांसमिशन)
पर पहुंचने का
मतलब ये हैं
कि जब यह
खबर आए कि
फलां व्यक्ति कोरोना
पीड़ित है और
वह इस भौगोलिक
लोकेशन पर है।
जब उस लोकेशन
पर पहुंचे तो
वह व्यक्ति उसी
जगह मिले। इसके
बाद की स्थिति
आती है कम्यूनिटी
ट्रांसमिशन की यानी
जब सामुदायिक स्तर
पर कोई संक्रमण
फैलने लगे। यह
बेहद खतरनाक स्टेज
है। कुछ दिन
पहले ही आईसएमआर
के निदेशक डॉ.
बलराम भार्गव ने
इस बारे में
चेतावनी दी थी
कि 30 दिन में
कम्यूनिटी ट्रांसमिशन वाला तीसरा
स्टेज आ सकता
है। अभी तक
13,486 लोगों के 14,378 कोरोना वायरस
सैंपल जांचे गए
है। इनमें से
209 ही कोरोना पॉजिटिव सैंपल
मिले हैं। इन
सभी का इलाज
देश के विभिन्न
अस्पतालों में चल
रहा है।
बढ़ते
मामलों देखकर अनुमान लगाया
जा सकता है
भारत कोरोना वायरस
का अगला सबसे
प्रमुख केंद्र होगा। यानी
चीन, इटली, ईरान
के बाद भारत
में यह संक्रमण
बहुत ज्यादा प्रभावी
होगा। क्योंकि भारत
में जो तैयारियां
हैं इसे लेकर
वह बाकी एशियाई
देशों की तुलना
में कम और
अपर्याप्त हैं? शायद
यही वजह है
कि प्रधानमंत्री ने
‘‘जनता कर्फ्यू’’ की अपील
देशवासियों से की
है। गौरतलब है
कि जापान में
इस वायरस के
संक्रमण के महज
924 मामले व इससे
मरने वालों की
संख्या 29 है। जबकि
जापान के पड़ोसी
चीन में अब
तक के 81 हजार
मामले सामने आ
चुके हैं। नौ
हजार से अधिक
लोगों की मौत
हो चुकी है।
इसकी बड़ी वजह
यह है कि
जापान में लोग
जागरुक रहकर भारतीय
कल्चर को अपना
रहे है। जापान
का पूरा ध्यान
कम्युनिटी संक्रमण रोकने पर
है। बता दें,
जापान की आबादी
12.6 करोड़ है। बीते
महीनों में वहां
32,125 टेस्ट ही हुए
हैं। दूसरी तरफ
दक्षिण कोरिया की आबादी
महज पांच करोड़
है। वहां संक्रमण
के दो लाख
70 हजार लोगों के टेस्ट
किए गए हैं।
मतलब
साफ है दक्षिण
कोरिया में हर
185वें व्यक्ति में से
एक का टेस्ट
किया गया है।
दक्षिण कोरिया ने बहुत
सुनियोजित तरीके से टेस्ट
को अंजाम दिया
है। जापान ने
एक फरवरी को
ही चीन के
हूबे प्रांत के
लोगों की एंट्री
अपने यहां बंद
कर दी थी।
13 फरवरी को शिनजियांग
प्रांत के लोगों
की एंट्री बंद
की। इसके बाद
जापान में स्कूल
बंद किए गए
ताकि सड़क पर
भीड़ कम की
जा सके। अब
भी टोक्यो में
ट्रेन और रेस्तरां
बंद ही हैं।
जापान में कोरोना
वायरस का संक्रमण
इसलिए भी कम
है क्योंकि वहां
कि संस्कृति भारत
की तरह है।
जापान के लोग
सालों से बीमार
होने या एलर्जी
के मामले में
मास्क पहनते हैं।
जापनियों के लिए
मास्क उनकी दैनिक
ज़रूरतों का हिस्सा
है। यही वजह
है कि जापान
में कोरोना का
संक्रमण बाकी देशों
की तुलना में
कम फैला है।
कोरोना वायरस को रोकने
में ताइवान की
भी सराहना की
जा रही है।
चीन में करीब
850,000 ताइवानीज रहते हैं
और काम करते
हैं, ऐसे में
ताइवान चीन के
बाद कोरोना से
सबसे बुरी तरह
प्रभावित हो सकता
था लेकिन ऐसा
नहीं हुआ। डब्ल्यूएचओं
से संकेत मिलने
का इंतजार करने
के बजाय उसने
अतीत में मिले
अनुभवों पर भरोसा
जताते हुए काम
करना शुरू कर
दिया था, जिससे
वह सफल है।
अब
देश के सामने
इस वक्त कोरोना
वायरस की बड़ी
चुनौती है। भारत
अपने संयम और
संकल्प से ही
इस बड़ी लड़ाई
को जीत सकती
है। इसीलिए मोदी
ने अपील की
है कि जिनकी
उम्र 60 वर्ष से
ज़्यादा है, उन्हें
फिलहाल घर के
अंदर ही रहना
चाहिए। 22 मार्च को सुबह
7 बजे से रात
9 बजे तक पूरा
देश जनता कर्फ्यू
का पालन करे।
पूरा देश उन
लोगों को सलाम
करे, जो कोरोना
से देश को
बचाने में जुटे
हैं, जैसे डॉक्टर,
नर्स, सैनिक, एयरपोर्ट
स्टाफ और दूसरे
सरकारी कर्मचारी। अस्पतालों में
किसी भी जरह
की जांच के
लिए जाने से
बचना चाहिए। अगर
सर्जरी की डेट
है तो उसे
आगे बढ़ाने की
कोशिश करनी चाहिए।
आर्थिक नुकसान की चिंता
छोड़नी होगी। जनता
कर्फ्यू का मतलब
लोग खुद पर
संयम रखें यानी
किसी सरकार या
सिस्टम की सख्ती
की जरूरत ना
पड़े। कहा जा
सकता है प्रधानमंत्री
ने देशवासियों को
इस मुश्किल वक्त
में बड़े मंत्र
दिए हैं। व्यापारी
वर्ग को चाहिए
कि बिना किसी
नफा नुकसान की
आकलन किए सरकार
का साथ दे।
संकट की इस
घड़ी में सशक्त
लोगों को अपने
से कमजोर लोगों
की मदद करनी
होगी। खासकर जरूरत
से ज्यादा सामान
जमा ना करें।
जितने की जरूरत
है उतनी ही
वस्तुओं का संचय
करें। ताकि जरूरतमंदों
को दवाइयों और
दूसरी जरूरी चीजों
की कोई कमी
ना हो।
सबसे
जरूरी बात ये
है कि आप
संकट की इस
घड़ी में अनुशासन
का एक ऐसा
पाठ सीख पाएंगे
जो आपको ना
सिर्फ एक बेहतर
नागरिक बनाएगा बल्कि आपको
संकल्प और संयम
की शक्ति से
अपना और दूसरों
का जीवन बदलने
की प्रेरणा भी
देगा। 22 मार्च से 28 मार्च
के बीच एक
हफ्ते तक विदेश
से भारत आने
वाली सभी जहाजों
पर रोक लगा
दी गई है
और इस दौरान
भारत से भी
कोई फ्लाइट बाहर
भी नहीं जा
सकती है। रेल
और हवाई यात्रा
पर मिलने वाली
ज्यादातर छूट को
खत्म कर दिया
गया है, ताकि
लोग बिना वजह
यात्रा करने से
बचें और रेलवे
ने करीब 200 ट्रेनों
को भी रद्द
कर दिया है।
65 वर्ष से अधिक
उम्र के लोगों
और 10 साल से
कम उम्र के
बच्चों को घर
में ही रहने
की सलाह दी
गई है। कुल
मिलाकर ये आने
वाले कुछ दिन
देश की जनता
का इम्तिहान लेंगे।
और आपको किसी
भी कीमत पर
इस परीक्षा में
फेल नहीं होना
है। देश की
जनता द्वारा देश
की जनता के
ऊपर लगाया गया
ये कर्फ्यू आपके
संयम और संकल्प
की मिसाल बनेंगे।
प्रधानमंत्री के संबोधन
की सबसे बड़ी
बात ये है
कि एक परिवार
के मुखिया की
तरह उन्होंने देशवासियों
को इस मुश्किल
वक्त में बड़े
मंत्र दिए हैं।
उन्होंने संकल्प और संयम
की बात की।
ये बात इसलिए
कि बहुत लोग
कोरोना वायरस के खतरे
को बहुत बड़ा
नहीं मानते। उनको
कोई चिंता और
कोई डर नहीं
है। इसलिए पीएम
ने ये बात
करना बहुत ज़रूरी
समझा। ताकि कोई
लापरवाही ना करे।
मतलब साफ है
कोरोना वायरस को फैलने
से रोकना है
तो भीड़ से
बचना होगा। विपक्ष
और सत्ता पक्ष
के लिए ये
समय, आपस में
मिलकर कोरोना के
खिलाफ लड़ने का
समय है।
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