कोरोना की क्षति से इंडस्ट्री को उबारेगा ‘वर्चुअल कारपेट फेयर’
कालीन निर्यातक कर सकेंगे कालीनों की ऑनलाइन बिक्री एवं विदेशी ग्राहकों से बुकिंग वेबसाइट एजेंसी का दावा : नहीं भंग होगी किसी भी प्रतिभागी की गोपनीयता
कोरोना के संकट में वर्चुअल फेयर उद्यमियों को देगा नया आयाम : सिद्धनाथ सिंह
सुरेश
गांधी
वाराणसी।
कोविड-19 के कहर
से कराह रहे
कारपेट इंडस्ट्री को उबारने
के लिए ‘वर्चुअल
फेयर’ के जरिए
सरकार ने नई
संभावनाओं की किरण
दिखाई है। इसके
लिए कालीन कालीन
निर्यात संवर्धन परिषद सीईपीसी
एक बड़ा प्लेटफार्म
बनेगा। रविवार को वीडियों
कांफ्रेसिंग के जरिए
देशभर के निर्यातकों
की हुई बैठक
में सर्वसम्मति से
मंजूरी भी दे
दी गयी। परिषद
के चेयरमैन सिद्धनाथ
सिंह का दावा
है कि देश-दुनिया में आयोजित
होने वाले कारपेट
फेयर में भाग
लेने वाले एक
हजार से अधिक
निर्यातकों को ‘वर्चुअल
कारपेट फेयर‘ इस संकट
में संजीवनी साबित
होगा। श्री सिंह
के मुताबिक सरकार
की पहल पर
सीईपीसी अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कालीन
से जुड़े खरीदारों
के संपर्क में
है। उन्हीं की
डिमांड पर वर्चुअल
फेयर का निर्णय
लिया गया है।
इसके अंतर्गत निर्यातक
अपने उत्पादों की
सीईपीसी के वेबसाइट
पर ऑनलाइन स्टाल
या प्रदर्शनी लगायेंगे।
यह कार्यक्रम 15 से
20 दिन का होगा।
इसमें भाग लेने
वाले निर्यातक को
वेबसाइट पर वर्चुअल
स्टाल लगाने वाले
निर्यातकों को पंजीकरण
कराना होगा। इसका
चार्ज समय के
हिसाब से होगा।
इसमें निर्यातक कंपनी
की विवरणिका, उत्पाद
वीडियो और उच्च-रिज़ॉल्यूशन उत्पाद चित्र
अपलोड कर सकते
हैं। यह सब
कुछ मोबाइल, लैपटॉप
व टैबलेट में
दिखेगा। यह वेबसाइट
जीडीपीआर द्वारा अनुपालित है।
इसमें प्रदर्शक के
उत्पाद डेटा, खरीदारों की
बातचीत से संबंधित
सभी सुरक्षा उपाय,
बूथों पर जाने
वाले खरीदारों का
विवरण पूरी तरह
से इन्क्रिप्टेड और
सुरक्षित होगा। खास बसत
यह है कि
इसे केवल प्रदर्शक
व उसके खरीदार
को ही दिखाई
देगा।
सीईपीसी चेयरमैन सिद्धनाथ
सिंह ने समय
के साथ-साथ
भौतिक मेलों और
आभासी मेलों के
बीच का अंतर
धीरे-धीरे धुंधला
हो जाएगा। आने
वाले समय में
आभासी मेले भी
आपको भौतिक मेले
के समान ही
परिणाम देंगे। इस प्लेटफॉर्म
को तीन प्रमुख
मॉड्यूल प्री-इवेंट
रजिस्ट्रेशन, इवेंट, पोस्ट इवेंट
में विभाजित किया
गया है। सीईपीसी
खरीदारों के पंजीकरण
की निगरानी करेगा
और केवल अनुमोदित
खरीदारों को मंच
के लिए एक
लॉगिन प्रदान किया
जाएगा। प्रदर्शक बूथ लेआउट
अनुकूलित किया जा
सकता है और
सभी सुविधाओं को
जोड़ा जा सकता
है। ई-कॉमर्स
सुविधा भी उपलब्ध
है।
श्री सिंह
ने बताया कि
एजेंसी प्रदर्शकों को ऑनलाइन
और ऑफलाइन दोनों
तरह की तकनीकी
सहायता प्रदान करेगी। खरीदार
वर्चुअल हेल्प डेस्क या
फ़्लोर मैप्स के
माध्यम से बूथों
पर जा सकते
हैं। प्रदर्शक और
खरीदार मीटिंगों को शेड्यूल
कर सकते हैं
और चैट बॉक्स
के माध्यम से
बातचीत कर सकते
हैं। बातचीत के
सभी विवरण चैट
इतिहास के रूप
में उपलब्ध होंगे
और बातचीत को
सी लेवल सिक्योरिटी
के माध्यम से
संरक्षित किया जाएगा।
बता दें,
भारत से तकरीबन
12 हजार करोड़ का
कालीन इक्सपोर्ट होता
है। माहभर से
अधिक लॉकडाउन के
कारण अधिकांश हथकरघे
व कंपनियां बंद
हो गए हैं।
पांच लाख से
ज्यादा बुनकरों के ताना-बाना पर
भी लॉक लग
गया है। इससे
जुड़े तकरीबन छह
लाख परिवारों के
सामने काम बंद
होने से संकट
के बादल मंडरा
रहे हैं। कारोबारियों
की मानें तो
दो हजार करोड़
रुपये का कारोबार
प्रभावित हुआ है।
लगभग दो हजार
करोड़ के तैयार
कालीन गोदामों में
डप है। दुनिया
का सबसे बड़ा
मार्केट अमेरिका, जर्मनी सहित
पूरा यूरोप भी
कोरोना के संक्रमण
से प्रभावित है।
संक्रमण के चलते
ही दिल्ली, एटलांटा,
जर्मनी सहित कई
अन्य देशों में
आयोति होने वाले
डोमोटेक्स वइंडिया कारपेट एक्स्पों
निरस्त कर दिए
गए थे। इसके
चलते निर्यात भी
ठप है। बताया
जा रहा है
कि लॉकडाउन के
बाद भी उद्योग
को पटरी पर
आने में काफी
वक्त लगेगा। ऐसे
में संकट से
उबरने के लिए
सीईपीसी की पहल
सरकार ने वर्चुअल
फेयर आयोजित करने
के लिए हरी
झंडी दिखाई है।
चेयरमैन सिद्धनाथ सिंह
ने कहा कि
वर्चुअल फेयर भारतीय
कालीन निर्यातकों के
लिए काफी कारगर
साबित होगा। इससे
निर्यातक आपदा से
पैदा हुईं चुनौतियों
को अवसर में
बदल सकते हैं।
कोविड -19 को देखते
हुए हमें नए
मार्केट ढूंढ़ने के साथ
पुराने ग्रहकों में अपने
उत्पादों के साथ
बने रह सकते
है। इससे कोरोना
से कम प्रभावित
हुए देश जैसे
अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, कनाडा
आदि हमारे लिए
मददगार हो सकते
हैं। अमेरिका और
यूरोप के ग्राहकों
में चीन के
निर्यातकों के साथ
बिजनेस नहीं करने
के रुझान को
हमें विभिन्न तरीकों
का इस्तेमाल करके
भुनाना होगा। श्री सिंह
ने वर्चुअल फेयर
को बहुत महत्वपूर्ण
बताते हुए इसका
ज्यादा से ज्यादा
लाभ उठाने पर
जोर दिया। इसके
लिए निर्यातकों को
सीईपीसी के वर्चुअल
क्लस्टर का हिस्सा
बन कर अपनी
राह आसान कर
सकते हैं। इस
क्लस्टर पर रजिस्ट्रेशन
कराने के बाद
आपको न केवल
ऑनलाइन बिजनेस का मौका
मिलेगा, बल्कि आप अपनी
ही तरह के
कारोबारियों से जुड़कर
अपनी कारोबार संबंधी
जानकारी बढ़ा सकते
हैं।
क्या है वर्चुअल क्लस्टर
एक ही
तरह का काम
करने वाले कारोबारियों
का समूह बनाने
की प्रक्रिया को
क्लस्टर कहा जाता
है। सरकार के
प्रयास से सीइपसी
अपना अलग क्लस्टर
यानी वर्चुअल पोर्टल
बनायेगी। इसके प्रमोशन
के लिए कई
योजनाएं भी चल
रही हैं। जिसमें
कारोबारी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने
के बाद अपने
उत्पादों की बेहतरीन
फोटो व वीडियों
स्टाल के रुप
में अपलोड कर
सकते है। इस
पोर्टल कालीन से जुड़े
सभी विदेशी ग्राहक
भी होंगे।
ऐसे बढ़ता है कारोबार
वर्चुअल क्लस्टर एक
ऑनलाइन प्लेटफार्म की तरह
काम करता है।
रजिस्ट्रेशन करने के
बाद आप क्लस्टर
में शामिल अन्य
कारोबारियों के साथ
बिजनेस कर सकते
हैं। क्लस्टर में
शामिल कारोबारियों की
लिस्ट ऑनलाइन उपलब्ध
हो जाएगी, जिनसे
सीधे भी संपर्क
किया जा सकता
है।
नॉलेज शेयरिंग का मिलेगा फायदा
इस क्लस्टर
में शामिल होने
के बाद कारोबारियों
को नॉलेज शेयरिंग
का बड़ा फायदा
मिलता है। एक
ही तरह का
कारोबारियों का ग्रुप
होने के कारण
कारोबारी एक दूसरे
को अपनी दिक्कतें
बता सकते हैं
या दिक्कतों का
समाधान कर सकते
हैं। जानकार भी
मानते हैं कि
वर्चुअल प्लेटफॉर्म बाजार की
उतार-चढ़ाव भरी
दुनिया में उतरने
के पहले अपनी
तैयारी जांचने का बढिय़ा
माध्यम है।
सौ से अधिक निर्यातकों की सहमति
सीईपीसी के तत्वावधान
में देशभर के
कालीन निर्यातकों की
आयोजित वीडियों कांफ्रेसिंग में
वर्चुअल कारपेट फेयर के
लिए सहमति बनी।
इस बैठक में
सीईपीसी के प्रशासनिक
सदस्य उमेश गुप्ता, ओंकारनाथ मिश्रा उर्फ बच्चा' राजेन्द्र प्रसाद मिश्र, संजय
गुप्ता, रवि पाटौदिया,
काका राय, रुपेश
बरनवाल, हाजी रियाजुल
हसनैन अंसारी, इश्तियाक
अंसारी, आलोक बरनवाल,
ओपी गुप्ता, धरम
प्रकाश गुप्ता, वेद गुप्ता,
मनोज जायसवाल, सारिक
अंसारी, वासिफ अंसारी, अब्दुल
रब अंसारी, श्याम
नारायण यादव, रामचंद्र यादव,
विधान चंद्र यादव,
कुंअर शमीम अंसारी,
निशांत बरनवाल, शाहिद हुसैन
अंसारी, सादाब हुसैन अंसारी,
सुजीत मौर्या सहित
सौ से कालीन
निर्यातकों ने सीइपीसी
चेरमैन सिद्धनाथ सिंह के
प्रयासों की सराहना
की। कार्यक्रम की
सफलता के लिए
सीईपीसी के निदेशक
संजय कुमार ने
निर्यातकों का धन्यवाद
ज्ञापित किया।
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