नीरज चोपड़ा व बजरंग पुनिया से देश गौरवान्वित
टोक्यो
ओलंपिक
में
7 अगस्त
का
दिन
भारत
के
लिए
ऐतिहासिक
रहा।
पहले
कुश्ती
में
बजरंग
पुनिया
ने
ब्रॉन्ज
मेडल
दिलवाया,
तो
कुछ
देर
बाद
ही
जेलविन
थ्रो
में
भारत
के
नीरज
चोपड़ा
ने
गोल्ड
मेडल
जीतकर
इतिहास
रच
दिया।
दोनों
के
गोल्ड
जीतने
के
बाद
पूरा
देश
जश्न
में
डूबा
है।
हो
भी
भला
क्यों
नहीं?
यह
दोनों
की
अभूतपूर्व
जीत
है।
पहले
ओलंपिक
में
भारत
को
ट्रैक
एंड
फील्ड
का
पहला
मेडल
मिला
है।
इससे
युवाओं
को
प्रेरणा
मिलेगी।
आपके
उल्लेखनीय
जुनून
व
अद्वितीय
धैर्य
को
देश
हमेशा
याद
करेगा
सुरेश गांधी
फिरहाल, ओलंपिक के एथलेटिक्स में
पहला मेडल और वो भी
गोल्ड! भारत के लिए तो
ऐतिहासिक है ही। भारत
के लिए खेल में इससे बड़ा दिन नहीं हो सकता है।
ओलंपिक की व्यक्तिगत स्पर्धा
में भारत को 13 साल बाद दूसरा गोल्ड मिला है। बीजिंग ओलंपिक 2008 में पहली बार स्वर्ण पदक जीतने का कारनामा दिग्गज
शूटर अभिनव बिंद्रा ने किया था।
हालांकि, अभिनव ने यह स्वर्ण
निशानेबाजी में जीता था। यहां टोक्यो में नीरज ने जो किया
है, वह ऐतिहासिक है
क्योंकि इससे पहले भारत को ओलंपिक में
एथलेटिक्स इवेंट्स में कभी कोई पदक नहीं मिला था। मतलब साफ है भारत के
स्टार जैवलिन थ्रोअर नीजर चोपड़ा ने इतिहास रचा
है। उन्होंने वो कारनामा किया
है जो देश के
कई दिग्गज एथलीट नहीं कर पाए थे।
बता दें, नीरज ने फाइनल मुकाबले
की शुरुआत शानदार की थी। उन्होंने
पहले प्रयास में 87.03 मीटर का थ्रो किया
था। उनका ये फॉर्म जारी
रहा। नीरज चोपड़ा ने दूसरे प्रयास
में 87.58 मीटर का थ्रो किया।
कोई भी एथलीट इससे
ज्यादा का थ्रो नहीं
फेंक पाया। चेक रिपब्लिक के श्रांनइटंकसमरबी 86.67 मीटर के
थ्रो के साथ दूसरे
स्थान पर रहे। उन्होंने
सिल्वर मेडल पर कब्जा किया।
कांस्य पदक चेक रिपब्लिक के विटदेस्लाव वेसेली
ने जीता. उनका थ्रो 85.44 मीटर का था।
नीरज चोपड़ा ने पिछले साल
साउथ अफ्रीका में आयोजित हुए सेंट्रल नॉर्थ ईस्ट मीटिंग एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के जरिए ओलंपिक
का टिकट हासिल किया था। उन्होंने 87.86 मीटर जैवलिन थ्रो कर 85 मीटर के अनिवार्य क्वालिफिकेशन
मार्क को पार कर
यह उपलब्धि हासिल की। हरियाणा के पानीपत में
जन्मे नीरज किसी विश्व स्तरीय एथललेटिक्स चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय एथलीट है। उन्होंने 2016 में पोलैंड में हुए आईएएएफ 20 विश्व चैंपियनशिप में 86.48 मीटर के जजूनियर रिकॉर्ड
के साथ स्वर्ण पदक जीतकर यह उपलब्धि हासिल
की थी। उसी साल नीरज चोपड़ा ने दक्षिण एशियाई
खेलों में 82.23 मीटर के थ्रो के
साथ एक और स्वर्ण
पदक अपने नाम किया। इसके बाद 2017 में नीरज ने 85.23 मीटर तक जैवलिन थ्रो
कर एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप का गोल्ड मेडल
हासिल किया। फिर 2018 के एशियन और
कॉमनवेल्थ गेम्स में भी वह पीला
तमगा हासिल करने में सफल रहे। ये ओलंपिक में
भारत का कुल दूसरा
व्यक्तिगत गोल्ड है। इससे पहले भारत ने हॉकी में
8 गोल्ड मेडल जीते हैं।
नीरज चोपड़ा से पूरे देश
को आज गोल्ड मेडल
की उम्मीद थी और वो
सबकी उम्मीदों पर खरे उतरे।
ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने
क्वालिफिकेशन राउंड में 86.65 की दूरी तय
करते हुए पहला नंबर हासिल किया था। नीरज भारत को टोक्यो में
पहला गोल्ड मेडल जितवाने के सबसे बड़े
दावेदार थे। टोक्यो ओलंपिक में भारत अब 1 गोल्ड 2 सिल्वर और 4 कांस्य सहित कुल 6 मेडल जीत चुका है। नीरज चोपड़ा के अलावा भारत
की ओर से मीराबाई
चानू (वेट लिफ्टिंग) और रवि दहिया
(कुश्ती) ने सिल्वर मेडल
जीता है। वहीं पीवी सिंधु, बजरंग पूनिया, लवलीना और भारतीय हॉकी
टीम ने भारत के
लिए ब्रॉन्ज जीता। बजरंग पुनिया का जन्म 26 फरवरी
1994 को झज्जर जिले के खुखुड्डन गांव
में हुआ था। बजरंग को कुश्ती विरासत
में मिली, क्योंकि इनके पिता भी पहलवान रह
चुके हैं। उन्होंने भारत को एक और
ब्रॉन्ज मेडल दिलवाया है। कुश्ती में पुनिया ने कजाकिस्तान के
रेसलर डाउलेट नियाजबेकोव को 8-0 से पराजित किया।
इस तरह भारत को टोक्यो ओलंपिक
में अब तक कुल
छह मेडल मिल चुके हैं।
बजरंग ने महज सात
साल की उम्र में
कुश्ती शुरू कर दी थी,
जिसमें उन्हें अपने पिता का पूरा सहयोग
मिला। बजरंग के सपने को
साकार करने के लिए उनके
पिता बस का किराया
बचाकर साइकिल से अपने काम
पर जाते थे। साल 2015 में बजरंग का परिवार सोनीपत
में शिफ्ट हो गया, ताकि
वह भारतीय खेल प्राधिकरण के सेंटर में
ट्रेनिंग कर सकें। बजरंग
पुनिया की मेहनत उस
समय रंग लाई, जब उन्होंने 2013 में
दिल्ली में हुए एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता। इसके बाद में बजरंग ने बुडापेसस्ट में
हुई विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप के 60 किलो भारवर्ग वर्ग में कांस्य पदक अपने नाम किया। फिर बजरंग ने शानदार प्रदर्शन
करते हुए 2014 के राष्ट्रमंडल और
एशियाई खेलों में सिल्वर मेडल जीता। उसी साल बजरंग एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप में भी रजत पदक
जीतने में कामयाब रहे थे।
नीरज चोपड़ा हरियाणा के पानीपत जिले
के खांद्रा गांव से आते हैं।
उनका जन्म 24 दिसंबर 1997 को हुआ था.। उनके पिता
सतीश कुमार किसान हैं। खेतीबाड़ी से घर परिवार
का खर्च चलता था. नीरज ने स्कूली शिक्षा
चंडीगढ़ से पूरी की
है। इन्हें पढ़ाई के साथ पिता
और चाचा के साथ खेत
पर जाकर उनके साथ काम करना पसंद था। नीरज चोपड़ा के मौजूदा कोच
ओऊ हॉन हैं। नीरज चोपड़ा हफ्ते में छह दिन छह
घंटे ट्रेनिंग करते हैं। उन्होंने 2016 में पोलैंड में हुए वर्ल्ड 20 चैम्पियनशिप में 86.48 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड जीता था, जिसके बाद उन्हें आर्मी में जूनियर कमिशन्ड ऑफिसर के तौर पर
नौकरी मिल गई। दरअसल नीरज (छममतंर ब्ीवचतं) को पहले जैवलिन
थ्रो का शौक नहीं
था। वो बचपन में
काफी मोटे हुआ करते थे और 11 साल
की उम्र में घरवालों ने मोटापे को
कम करने के लिए उन्हें
खेलने के लिए कहा।
पानीपत के शिवाजी स्टेडियम
में नीरज खेलने के लिए जाने
लगे। वहां उन्होंने स्टेडियम में जेवलिन थ्रो की प्रैक्टिस करते
हुए खिलाड़ियों को देखा। जिसके
बाद उनका मन इस खेल
में आ गया. यहीं
से नीरज चोपड़ा के जीवन में
जेवलिन थ्रो की एंट्री हुई।
चोपड़ा की पहली यादगार
जीत 2012 में लखनऊ में नेशनल जूनियर चैंपियनशिप में आई थी। उस
टूर्नामेंट में चोपड़ा ने अंडर-16 स्पर्धा
में 68.46 मीटर भाला फेंककर राष्ट्रीय उम्र-समूह रिकॉर्ड बनाया था और स्वर्ण
पदक जीता। 2013 नेशनल यूथ चैंपियनशिप में नीरज ने एक बार
फिर शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने दूसरा स्थान हासिल करते हुए उस वर्ष यूक्रेन
में होने वाली आईएएएफ वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में जगह पक्की की।
ऑल-इंडिया इंटर-यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में नीरज ने साल 2015 में 81.04 भाला फेंककर इस एज ग्रुप का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया. नीरज चोपड़ा साल 2016 में उस वक्त हाईलाइट हुए थे, जब उन्होंने जूनियर विश्व चैंपियनशिप में 86.48 मीटर भाला फेंककर विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा किया था. 2018 गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ खेलों में नीरज ने 86.47 मीटर भाला फेंका और गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इसके अलावा एशियन गेम्स 2018 में नीरज ने अपना बेस्ट प्रदर्शन करते हुए 88.06 मीटर भाला फेंका और जेवलिन थ्रो में पहला गोल्ड भारत को दिलाया। टोक्यो ओलंपिक में जैवलिन थ्रो यानी भाला फेंक के क्वालिफिकेशन राउंड में भी नीरज चोपड़ा पहले नंबर पर रहे थे. उन्हें जैवलिन थ्रो में गोल्ड का दावेदार जरूर माना जा रहा था. जिस तरह इस खिलाड़ी ने प्रदर्शन किया, आज पूरा देश उनका मुरीद हो गया है।
No comments:
Post a Comment