Tuesday, 21 September 2021

महंत नरेंद्र गिरि की मौत कहीं कोई बड़ी साजिश तो नहीं?

महंत नरेंद्र गिरि की मौत कहीं कोई बड़ी साजिश तो नहीं?

महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत ने संत समाज ही नहीं बल्कि हर किसी को हैरान कर दिया है। क्योंकि जिस कमरे में महंत गिरि ने सुसाइड की, उस कमरे में वो सोते ही नहीं थे। और तो और जो सख्श लिखना नहीं जानते वो सात पन्ने का सुसाइड नोट लिखे तो लिखे कैसे? और गिरि के पास कहां से आई रस्सी और सल्फास। ये वो सवाल है जो किसी के गले के नीचे ही नहीं उतर रहा कि निरंजनी अखाड़े के महंत और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि आत्महत्या की होगी। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है महंत नरेंद्र गिरि की मौत कहीं कोई बड़ी साजिश तो नहीं?

सुरेश गांधी

       फिरहाल, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरि यूपी में चाहे सपा की सरकार रही हो या फिर बीजेपी सरकार, महंत नरेंद्र गिरि का राजनीतिक रसूख हमेशा कायम रहा। मुलायम सिंह यादव से लेकर अखिलेश यादव और अब योगी आदित्यनाथ से महंत गिरि का लगाव रहा है। नरेंद्र गिरि प्रयागराज के बाघंबरी मठ के महंत थे और संगम किनारे प्रसिद्ध बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी भी थे। सनातन धर्म से लगाव और राजनीतिक गलियारों से जुड़ाव के चलते नरेंद्र गिरि द्वारा समय-समय पर दिए गए बयान सुर्खियां बनते रहे हैं। महंत नरेंद्र गिरी प्रयागराज जिले के अंतर्गत पड़ने वाली फूलपुर तहसील के रहने वाले थे। लेकिन संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मौत के बाद मामला लगातार उलझता ही जा रहा है। पुलिसिया जांच की सुई अब तक तीन लोगों पर ही अटकी है। इनमें से एक उनका शिष्य आनंद गिरि है जिसे पुलिस ने उठा लिया है तो दुसरा लेटे हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी और उनके बेटे है, जिनसे पूछताछ की जा रही है।

इन सबके बीच पुलिस पहली नजर में यह खुदकुशी का ही मामला है। क्योंकि मठ में रहने वाले उनके शिष्यों ने बताया था कि दरवाजा अंदर से बंद था। जबकि अयोध्या, वाराणसी और मथुरा से लेकर देश में उनके जानने वाले किसी भी संत के गले के नीचे नहीं उतर रहा है मंहत ने आत्महत्या की होगी। शायद यही वजह है नरेंद्र गिरी जी के अंतिम दर्शन पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश देते हुए कहा है किइस मामले में जो भी दोषी होगा बक्शा नहीं जाएगा।जहां तक जांच एजेंसियों का सवाल है तो उनकी जांच में अब तक जो सामने आया है वह है नरेंद्र गिरि को एक वीडियो के जरिए ब्लैकमेल किया जा रहा था। उनके किसी वीडियो की सीडी तैयार की गई थी। पुलिस ने यह सीडी भी बरामद की है। इस ब्लैकमेलिंग में पूर्व की सपा सरकार में एक दर्जा प्राप्त मंत्री का भी नाम रहा है, जिनका बाघंबरी मठ में लगातार आना जाना था। खास यह है कि वो पूर्व राज्यमंत्री, हरिद्वार से हिरासत में लिए गए आनंद गिरि का भी करीबी है।

पुलिस के मुताबिक, सुसाइड नोट करीब 7 पन्नों का है। जिसमें शिष्य आनंद गिरि समेत आद्या तिवारी और संदीप तिवारी का जिक्र है। इस सुसाइड नोट में लिखा है वह काफी परेशानी से गुजर रहे थे, इसलिए अपने जीवन को खत्म कर रहे हैं। उनके एक शिष्य ने बताया कि महंत ने 2 दिन पहले यह कहकर नायलॉन की नई रस्सी मंगाई थी कि कपड़े टांगने में समस्या रही है। शिष्य ने नायलान की रस्सी लाकर दी थी। इसी रस्सी से महंत ने फांसी लगाई। महंत नरेंद्र गिरि ने गेहूं में रखने के लिए सल्फास की गोलियां मंगाई थीं। हालांकि, कमरे में मिली सल्फास की डिब्बी खुली नहीं थी। प्रत्यक्षदर्शी सर्वेश ने बताया, ’मैंने और एक अन्य शिष्य सुमित ने महंत जी को फंदे से उतारा था। उसके मुताबिक जब महंत ने फोन नहीं उठाया तो शिष्यों ने दरवाजा तोड़ा, देखा वे पंखे पर लटके हुए थे। हालांकि महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि पर खुदकुशी के लिए उकसाने का मुकदमा थाना जार्ज टाउन में दर्ज किया गया। आईपीसी की धारा-306 में यह मुकदमा शिष्य अमन गिरी पवन महाराज ने दर्ज कराया है। इसमें लिखा है कि महंत ने चाय पीने के लिए मना कर दिया था और यह कहा था कि जब चाय पीना होगा, स्वयं सूचित करेंगे। शाम 5 बजे फोन स्विच ऑफ आने पर धक्का देकर दरवाजा खोला गया। महाराज पंखे में रस्सी से लटकते हुए पाए गए। खास यह है कि महंत नरेंद्र गिरि के 7 पन्नों के सुसाइड नोट पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि वे ज्यादा लिखते-पढ़ते नहीं थे।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक घटनास्थल से मिले सुसाइड नोट को देखकर ऐसा लग रहा है, जैसे सब कुछ पहले से तय हो और कई दिनों से इसको लेकर मंथन चल रहा हो। यदि खुद महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा तो उस वक्त उनकी मनोदशा क्या थी? जबकि सूत्रों के मुताबिक, ’महंत नरेंद्र गिरि को वीडियो के दम पर ब्लैकमेल किया जा रहा था। वो ब्लैकमेकर कोई और नहीं बल्कि वो प्रयागराज का ही सपा नेता है। और उसी के बयान पर महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि सहित आठ लोगों का लाई डिटेक्टर टेस्ट करने की बात कहीं जा रही है। गौरतलब है कि महंत नरेंद्र गिरि का शव प्रयागराज में बाघंबरी मठ में उनके आवास पर मिला, नरेंद्र गिरि का शव फांसी से लटका हुआ था। जब पुलिस ने कमरे की तलाशी ली, तो वहां पर एक सुसाइड नोट भी मिला। पुलिस के मुताबिक, ये सुसाइड नोट करीब 7 पन्नों का था। शव के पास मिले सुसाइड नोट में आनंद गिरि समेत आद्या तिवारी और संदीप तिवारी का जिक्र है। दरअसल इस मामले में जिस सुसाइड नोट की चर्चा चल रही है उसे लेकर संतो ने सवाल उठाए हैं। इसके बाद अब ये सवाल भी उठ रहा है कि क्या पुलिस की जांच से ध्यान भटकाने के लिए वहां एक सुसाइड लेटर रखा गया। अब उस लेटर की जांच की मांग हो रही है। जबकि महंत नरेन्द्र गिरी के चेले आनंद गिरी का कहना है किमेरे और महंत जी में कोई विवाद नहीं था। ये मठ की जमीन से पैसा कमाने वालों की साजिश है। कुछ लोगों ने पैसों के लिए महंत जी को ब्लैकमेल किया। गुरुजी सुसाइड नहीं कर सकते, उनकी हत्या हुई है। गुरुजी ने जिंदगी में कभी पत्र नहीं लिखा। गुरुजी की हैंड राइटिंग की जांच की जानी चाहिए। मुझे यकीन है ये हत्या है वो सुसाइड नहीं कर सकते। जब हमारा समझौता हुआ, तब वहां पुलिस अधिकारी भी थे। संपत्ति के लिए उनकी हत्या हुई।

इन आरोप-प्रत्यारोपो के बीच पुलिस सीसीटीवी फुटेज भी खंगाल रही है। यह अलग बात है कि नोएडा में ब्रह्मचारी कुटि के स्वामी ओम भारती ने आनंद गिरि के क्रियाकलापों को संदिग्ध बताते हुए कहा ि कवह एक हिस्ट्रीशीटर है, लॉकडाउन के दौरान उसने नोएडा की सेक्टर 82 में मौजूद ब्रह्मचारी कुटि पर कब्जा करने की कोशिश की थी। स्वामी ओम भारती के मुताबिक, तब आनंद गिरि ने खुद को प्रथम महंत बताया था। उन्होंने इस मामले में एफआईआर कराने की कोशिश की थी। इसके बाद स्वामी ओम भारती ने अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरि से संपर्क किया था और तब जाकर आनंद गिरि ने अपना दावा वापस लिया था। बता दें, उत्तराखंड के रहने वाले आनंद गिरी निरंजनी अखाड़ा का सदस्य थे। कुछ माह पहले ही उनपर संत परंपरा का निर्वहन ठीक से करने और अपने परिवार से संबंध बनाए रखने का आरोप लगा था। हालांकि वह विवाद आनंद गिरी के माफी मांगने के बाद खत्म हो गया था, लेकिन मठ और मंदिर में आनंद का प्रवेश नहीं हो पाया था। आनंद गिरी पर आरोप इसलिए भी लग रहे हैं, क्योंकि आनंद गिरी का उनसे विवाद काफी पुराना था। महंत नरेंद्र गिरी और आनंद गिरी के बीच लंबे वक्त से विवाद चल रहा था। लग्जरी कारों के शौकीन, यौन उत्पीड़न के आरोपी, खुद को घुमंतू योगी बताते हैं आनंद गिरी। माना जा रहा था कि इस विवाद की जड़ बाघंबरी पीठ की गद्दी थी। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने आनंद गिरी को इस साल 14 मई को अखाड़े और बाघंबरी गद्दी से बाहर कर दिया था। उनके गुरू नरेंद्र गिरी ने कहा था कि बड़े हनुमान मंदिर पर आने वाले दान-चढ़ावे का धन को आनंद गिरी अपने परिवार पर खर्च कर रहे हैं।

जानकारी के अनुसार, बाघंबरी गद्दी की जमीन पर आनंद गिरी के नाम से पेट्रोल पंप खोलने की योजना थी। महंत नरेंद्र गिरी ने बताया था कि आनंद गिरी के नाम से ही 1200 वर्ग गज जमीन का एग्रीमेंट किया गया था और एनओसी भी मिल गई थी। मुझे जब इस बात का पता चला कि इस जगह पेट्रोल पंप नहीं चल पाएगा, तो मैंने उसे निरस्त करा दिया। इससे आनंद गिरी नाराज हो गए। दो साल पहले आनंद गिरी ऑस्ट्रेलिया गए हुए थे। ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया निवासी एक महिला ने उनपर अमर्यादित आचरण का आरोप लगाया थौ। पांच साल पहले जब योग गुरु नए साल के मौके पर रूटी हिल क्षेत्र स्थित एक घर में आयोजित प्रार्थना में शामिल होने गए थे तो वहां वे 29 वर्षीय महिला से मिले और उससे अमर्यादित आचरण किया। उस वक्त गुरु महंत नरेंद्र गिरी ने अपने शिष्य आनंद गिरी का बचाव किया था। आनंद गिरि राजस्थान के भीलवाड़ा में आसींद क्षेत्र के सरेरी गांव के निवासी हैं। उनका असली नाम अशोक है और उनके पिता का नाम रामेश्वर लाल चोटिया है। वो अपने चार भाइयों में सबसे छोटे हैं। दरअसल साल 1997 में आनंद 12 साल की उम्र में अपना घर छोड़कर हरिद्वार चले गए थे। हरिद्वार में उन्हें नरेंद्र गिरी मिले। मुलाकात होने पर नरेंद्र गिरि ने आनंद से पूछा कि तुम क्या चाहते हो? तो जवाब में आनंद ने कहा था कि वो पढ़ना चाहता है। इसलिए नरेंद्र गिरी ने आनंद को पढ़ाई करवाई और दीक्षा भी दी। टीवी चैनल संस्कार पर आनंद गिरि का प्रवचन आता था, उसी पर उसके घरवालों ने उन्हें देखा और पहचान लिया। 2012 में महंत नरेंद्र गिरि के साथ अपने गांव भी आए थे। नरेंद्र गिरि ने उनको परिवार के सामने दीक्षा दिलाई और वह अशोक से आनंद गिरि बन गए। आनंद गिरि शक के दायरे में इसलिए हैं, क्योंकि नरेंद्र गिरि से उनका विवाद काफी पुराना था। इसकी वजह बाघंबरी गद्दी की 300 साल पुरानी वसीयत है, जिसे नरेंद्र गिरि संभाल रहे थे। कुछ साल पहले आनंद गिरि ने नरेंद्र गिरि पर गद्दी की 8 बीघा जमीन 40 करोड़ में बेचने का आरोप लगाया था। इसके बाद विवाद गहरा गया था। आनंद ने नरेंद्र पर अखाड़े के सचिव की हत्या करवाने का आरोप भी लगाया था।

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