मोदी ने काशी से पूरे पूर्वांचल सहित पड़ोसी राज्यों को साधा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एकबार फिर अपने संसदीय क्षेत्र में तकरीबन 5200 करोड़ की सौगात दी है। इन योजनाओं से पूर्वांचल सहित पास-पड़ोस के राज्यों समेत नेपाल को भी इसका लाभ मिलेगा। फिरहाल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने दो टर्म के कार्यकाल में अब तक 28वीं बार काशी पहुंवे है। इन सात सालों में बाबतपुर वाराणसी रोड, रिंग रोड-1, लहरतारा-चौकाघाट फ्लाईओवर, बीएचयू की सुपर स्पेशियलिटी, एमसीएच विंग, कैंसर अस्पताल, पैरिसेबल कारगो, जलपरिवहन सहित कई सौगातें सहित कुल तकरीबन 45 हजार करोड़ से भी अधिक की विकास योजनाओं से काशी को जिस तरह संवारा है, वह काबिलेतारीफ तो है ही, दुसरे जनप्रतिनिधि के लिए नसीहत भी है। काशी विश्वनाथ कारीडोर पीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट है। आने वाले वर्षो में अयोध्या में श्री राम का मंदिर बनने के बाद काशी विश्वनाथ, गंगा आरती, सुबह ए बनारस धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक पर्यटन की दिशा में मिल का पत्थर साबित होगासुरेश गांधी
फिरहाल, काशी अपनी सांस्कृतिक पहचान वापस पाकर विकास की नई गाथा लिख रही है। नई सड़कें, नए अस्पताल, नई ट्रेनों व बढ़ती उड़ान सेवाओं के बाद चारो तरफ रिंग रोड़ के साथ-साथ पूरे देश से जुड़ कर पौराणिक नगरी काशी विश्व पटल पर अपनी नई पहचान गढ़ रही है। यह ’आदि’ को ’आधुनिकता’ का प्रणाम है। एक-एक कर जिस तरह मोदी अपनी काशी को योजनाओं की सौगात दे रहे, उसका इंतजार काशी वासियों को लंबे समय से था। अपने सात साल के कार्यकाल में उन्होंने काशी से मिले स्नेह को भर भरपूर रिटर्न गिफ्ट देकर नेह की डोर कभी कमजोर नहीं होने दी। उनका वाराणसी का हर दौरा किसी न किसी रूप में खास रहा है। उसी कड़ी में एक बार फिर मोदी ने 25 अक्टूबर को 5189 करोड़ रुपए लागत की पूर्ण हो चुकी 28 परियोजनाओं का लोकार्पण कर सौगात दी। मतलब साफ है देश और दुनिया में सात वर्षों में पीएम नरेन्द्र मोदी ने कई कीर्तिमान बनाएं हैं। बदलते हुए एक भारत और श्रेष्ठ भारत के स्वरूप को देश और दुनिया को परिचित कराने और कोरोना का सामना करने के उनका प्रयास विश्व में काफी शानदार रहा है। यूपी में गरीबों और जरूरतमंदों में फ्री में राशन और देश में 100 करोड़ टीकाकरण यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। काशी की विकास श्रृंखला में तमाम परियोजनाएं जीवन को नया आधार... व्यवसाय को नई रफ्तार एवं स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत कवच प्रदान कर रही है। मतलब साफ है यह सब धर्म जाति, संपद्राय एवं क्षेत्रवाद से उपर उठकर किया जा रहा है। सात साल पहले बाबतपुर एयरपोर्ट से बनारस शहर तक आने में तीन घंटे लग जाते थे, आज महज 20 मिनट में लोग बनारस (कचहरी) पहुंच जाते हैं। इसके पहले जो सरकारें थी उन्हाने कभी इस दिशा में नहीं सोचा। जबकि देश का विरला ही कोई ऐसा पीएम व गृहमंत्री सहित सीएम होगा, जिसके कदम यहां ना पड़ी हो। मगर सबके सब सिवाय सब्जबाग दिखाने के कुछ भी नहीं।
बेशक, चुनावी काल में पीएम मोदी ने 47 मिनट के भाषण में जिस तरीके से पिछले सात सालों की उपलब्धियां गिनाई, वो विपक्ष की नींद हराम करने के लिए काफी है। खास यह है कि उपलब्धियों की फेहरिस्त एक बार भी विपक्ष का नाम लिए बगैर बता दिया कि घपले-घोटाले करने वाली सरकारें व बाहुबलियों, गुंडे-माफियाओं के दिन लद चुके है, केन्द्र व प्रदेश में अब गरीबों की सरकार है और उन्हीं के लिए काम करती है। मतलब साफ है यूपी में योगी ही भाजपा के न सिर्फ चेहरे होंगे, बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव में विकास के साथ-साथ हिन्दुत्व व राष्ट्रवाद और पिछली सरकारों की घपले-घोटाले ही चुनावी मुद्दा होंगे। खासतौर से तब जब सारा विपक्ष सत्ता रुपी गेद अपने पाले में लाने के लिए दिन-रात एक कर दी हो। जहां तक रैली में भीड़ जुटान का सवाल है तो एक ही दिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूर्वांचल में दो बड़ी रैलियों के जरिए उमड़ी भीड़ से बता दिया कि उनकी लहर अब भी कमतर नहीं है। 10 अक्टूबर को मोदी के ही संसदीय क्षेत्र रोहनिया में प्रियंका बांड्री की जनसभा में उमड़ने वाली भीड़ से कहीं ज्यादा प्रधानमंत्री की 25 अक्टूबर को मेहदीगंज में संपंन रैली में दिखी। सिर्फ भीड़ ही नहीं पीएम ने पिछले सात साल की अपनी सरकार के विकास गाथा को बताने के साथ ही लोगों को पुरानी समस्याओं के जरिए विपक्ष की नाकामियों की याद दिलाई। मोदी जनसभा स्थल से आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन की सौगात के साथ ही पिछली सरकारों के भ्रष्टाचार की याद दिलाने से नहीं चूके। भले ही पूरे भाषण में उन्होंने खुलकर किसी भी सियासी दल का नाम नहीं लिया लेकिन, स्वास्थ्य सुविधाओं के बहाने ही पहले की अव्यवस्थाओं के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया। बताया कि किस तरह गर्भवती महिलाओं के प्रसव से लेकर इलाज में घपले-घोटाले किए गए, नियुक्तियों में धांधली की गयी। पात्र लाभार्थियों को न सिर्फ योजनाओं से वंचित रखा गया, बल्कि उनके नाम पर मिलने वाली करोड़ो-अरबों की राशि डकार ली गयी। लेकिन नए भारत का नया हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर लोगों के लिए वरदान साबित साबित हो रहा है। आयुष्मान कार्ड का सबसे अधिक लाभ उन गरीबों को मिल रहा है, जिनकी कमाई छोटी सी बीमारी में न सिर्फ चट हो जाया करती थी, बल्कि साहूकारों के कर्जदार हो जाते थे। एक झटकेमें देश के लिए 64 हजार करोड़ की स्वास्थ्य परियोजना लांच कर मोदी ने बता दिया कि आगे ओर भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलने वाली है।
वैसे भी कोरोना की
पहली और दूसरी लहर
में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र
काशी ने पूरे देश
में सेवा की मिसाल पेश
की। इसके बाद इस महामारी पर
काबू में भी वाराणसी मॉडल
पूरे देश में चर्चा का विषय रहा।
काशी के सेवाभाव और
जिजीविषा को ध्यान में
रखते हुए ही देशभर के
लिए शुरू होने वाली आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना का केंद्र यहां
रखा गया है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दौरे
को राजनीतिक समीकरणों की नजर से
भी देखा जा रहा है।
विपक्ष की बढ़ती सक्रियता
के बीच पूर्वांचल को साधने के
लिए पीएम मोदी का यह दौरा
भाजपा के लिए भी
काफी अहम साबित हो रहा है।
पीएम मोदी ने कहा, ’जिस
पूर्वांचल की छवि पिछली
सरकारों ने खराब कर
दी थी, जिस पूर्वांचल को दिमागी बुखार
से हुई दुखद मौतों की वजह से
बदनाम कर दिया गया
था, वही पूर्वांचल, वही उत्तर प्रदेश, पूर्वी भारत को सेहत का
नया उजाला देने वाला है। यूपी के भाई-बहन
भूल नहीं सकते कि कैसे योगी
जी ने संसद में
यूपी की बदहाल मेडिकल
व्यवस्था की व्यथा सुनाई
थी। योगी जी तब मुख्यमंत्री
नहीं थे, सांसद थे। जब योगी आदित्यनाथ
जी को जनता-जनार्दन
ने सेवा का मौका दिया
तो कैसे उन्होंने दिमागी बुखार को बढ़ने से
रोक दिया, इस क्षेत्र के
हजारों बच्चों का जीवन बचा
लिया। सरकार जब संवेदनशील हो,
गरीब का दर्द समझने
के लिए मन में करुणा
का भाव हो तो इसी
तरह काम होता है। यह मोदी के
संकल्पों की ही झलक
है स्वास्थ्य के क्षेत्र में
बनारस मेडिकल हब बन चुका
है। टाटा कैंसर संस्थान हो या बीएचयू
में नए आधुनिक मेडिकल
संसाधन को विकसित करना।
परिणाम यह है कि
यूपी ही नहीं, एमपी,
बिहार से झारखंड तक
के हजारों लोगो को नया जीवनदान
काशी में मिल रहा। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से हजारों-हजार
मरीज न सिर्फ ठीक
हो रहे है, बल्कि मुंबई, दिल्ली का चक्कर लगाने
से भी बचते हुए
कम बजटमें अपना इलाज करा रहे है।
जब भी आएं देकर ही गए मोदी
हर बार सजाया-सवारा
सात साल में बदली बनारस की सूरत
मोदी ने काशी के
लोगो से किया वादा
निभाया। विकास के एजेंडे पर
नजर डाले तो बनारस में
गंगा निर्मलीकरण के लिए कई
स्थानों पर एसटीपी बन
गए। किसानों के लिए पेरिसेबल
कार्गो समेत गंगा में मालवाहक जहाज का संचालन भी
हुआ। कभी किसी ने सोचा भी
नही था गंगा में
माल ढुलाई भी होगी। या
यूं कहे गंगा की निर्मलता एवं
अविरलता को बनाए रखने
के साथ ही व्यवसाय से
जोडने की अनूठी पहल
की। बनारस समेत आसपास के जिले फोरलेन
से जुड चुके हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेस फर्राटा भरने को तैयार है।
गंगा एक्सप्रेस वे की येजना को अमली जामा
पहनाने को सरकार कमर
कस चुकी है। बनारस का रिंग रोड
एक तरह से नई “आर्थिक
जीवन रेखा“ के रूप में
स्थापित होगा। इस रिंग रोड
के आसपास इंडस्ट्रीज लगेगी। नए बाजार बसेंगे।
बनारस शहर का विस्तार भी
तेज होगा। नई कालोनियां विकसित
होंगी। मल्टीस्टोरी बिल्डिंगे बनेगी। तय
है इससे हजारों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष
रोजगार आने वाले दिनों में मिलेंगे। अंडर ग्राउंड, मल्टीस्टोरी पार्किंग के साथ ही
चैराहों को तकनीकी आधुनिकीकरण
से जाम से निजात मिलने
की पूरी संभावना है। इसलिए भी अगले साल
तक फुलवरिया फोर लेन बनकर तैयार हो जाएगा। पूर्वांचल
के किसान अब दुबई से
लगायत यूरोप देशों में सब्जी और फल निर्यात
कर रहे। यह सब बीते
सात सालों में ही हुआ। यह
एक नई ऊर्जा, नई
शक्ति एवं नया विश्वास जनता के बीच मोदी
के प्रति पैदा करता है।