बाबा विश्वनाथ धाम के बहाने मोदी ने यूपी जितने का खींचा खाका
यूपी विधानसभा चुनाव हर हाल में फतह के लिए बीजेपी कोई मौका गवाना नहीं चाहता। यही वजह है मौका तो था बाबा विश्वनाथ धाम के लोकापर्ण का, लेकिन पीएम मोदी ने इसके जरिए एक बार लोगों में आस्था, विश्वास और सांस्कृतिक विरासत सहेजने की जिक्र कर यूपी की सियासी एजेंडा भी तय कर दिया। मतलब साफ है मोदी ने औरंगजेब की आताताई हरकतों को कुरेदते हुए शिवाजी के साहस का बखान जिस अंदाज में किया वह बताने के लिए काफी है बीजेपी हिन्दुत्व, मंदिर, राष्ट्रवाद के बीच विकास के मुद्दे पर यूपी की जंग जीतना चाहती है। और यही वजह है कि काशी के सांस्कृतिक विरासत की पिच पर मोदी ने धुंआधार बैटिंग की। खासकर काशी वासियों से स्वच्छता, आत्मनिर्भर भारत और सृजन का संकल्प लेने की बात कहकर सिर्फ काशीवासियों ही नहीं पूरे देश को रिझाने की भरपूर कोशिश कीसुरेश गांधी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा विश्वनाथ
धाम लोकापर्ण से यूपी में
भाजपा के लिए सियासी
जमीन तैयार कर दी। यूपी
में नाम लिए बगैर सपा और बसपा के
साथ कांग्रेस की जमकर खिंचाई
की। कहा, उनकी सरकार को गरीबों के
आवास की चिंता है
जबकि उन्हें (विपक्ष) अपने विकास की। इस दौरान उन्होंने
इतिहास की गर्त में
समा चुके आतताइयों का भी जिक्र
करते हुए कहा कि काशी में
अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी
भी उठ खड़ा होते
है। आज का भारत
अपनी खोई हुई विरासत को फिर से
संजो रहा है। काशी तो काशी है!
काशी तो अविनाशी है
और काशी में एक ही सरकार
है, जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है। पहले यहां जो मंदिर क्षेत्र
केवल तीन हजार वर्ग फीट में था, वो अब करीब
5 लाख वर्ग फीट का हो गया
है। अब मंदिर और
मंदिर परिसर में 50 से 75 हजार श्रद्धालु आ सकते हैं।
काशी विश्वनाथ के लोकार्पण के
जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदुत्व के
सांस्कृतिक सरोकारों पर अपनी सरकार
के समर्पण और आस्था से
संकल्पों को सिद्धि तक
पहुंचाने का भी संदेश
दिया।
प्रतीकों के सहारे राजनीतिक
मुद्दों को परवान चढ़ाकर
भाजपा के पक्ष में
माहौल बनाने के माहिर मोदी
इस काम के जरिये भी
भविष्य के समीकरण को
साध गए। साथ ही सभी को
एहसास कराने की कोशिश भी
की कि कोई उनपर
कितना भी कड़ा और
बड़ा हमला करे लेकिन वे संस्कृति पर
हुए आक्रमण से हुए बदलावों
को बदलने के लिए कृत
संकल्पित हैं। इस बहाने उनके
निशाने पर गैर भाजपा
सरकारों के चाल, चरित्र
और चिंतन भी रहा। काशी
विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के
बाद अपने संबोधन में विरोधियों पर निशाना साधा।
बिना किसी का नाम लिए
कहा कि जब मैं
बनारस आया तो एक विश्वास
लेकर आया था। विश्वास अपने से ज्यादा बनारस
के लोगों का था। तब
कुछ लोग जो बनारस के
लोगों पर संदेह करते
थे। वह लोग कहते
थे कि कैसे होगा?
होगा ही नहीं। कहते
थे कि यहां तो
ऐसा ही चलता है।
मोदी जैसे बहुत आकर चले गए। मुझे आश्चर्य होता था कि बनारस
के लिए कैसे इस तरह की
धारणाएं बना दी गई थीं।
काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण को भले ही
कोई इसे भाजपा के सांस्कृतिक पर्यटन
को बढ़ाने के अभियान का
हिस्सा माने लेकिन देश की सांस्कृतिक राजधानी
मानी जाने वाली काशी में तैयार विश्वनाथ धाम का कॉरिडोर कई
संदेश छिपाए है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि
इतिहास में काशी पर आतताइयों की
नजर रही। “आतताइयों ने इस नगरी
पर आक्रमण किए। औरंगजेब ने सभ्यता को
तलवार के दम पर
कुचलने की कोशिश की।
लेकिन इस देश की
मिट्टी पूरी दुनिया से अलग है।
अगर यहां औरंगबेज आता है तो शिवाजी
भी उठ खड़े होते
हैं। अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा
सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का
अहसास करा देते हैं। अंग्रेजों के दौर में
भी, वारेन हेस्टिंग का क्या हश्र
काशी के लोगों ने
किया था, ये तो काशी
के लोग जानते ही हैं। मोदी
यहीं नहीं थमें उन्होंने संतकबीर, गुरुनानक देव और गुरु गोरक्षनाथ
के साथ कबीर के आदर्श राजा
राम के साथ ही
संत रैदास, महात्मा ज्योतिबका फूले, महात्मा गांधी, और
बाबा साहेब आंबेडकर, बिस्मिल्लाह खान का जिक्र करते
हुए दलितों, वंचितों, शोषितों और महिलाओं के
साथ नौजवानों को लुभाने में
कोई कसर नहीं छोड़ी। या यूं कहे
उत्तर से दक्षिण और
पूरब से पश्चिम तक
सामाजिक समता और रुढ़ियों को
तोड़ने वाले संतों का जिक्र करते
हुए अपनी सरकार के विकास को
इन संतों के दर्शन से
जोड़ा दूसरी तरफ विध्वंस के खिलाफ निर्माण
का, संहार के खिलाफ सृजन
का। चूंकि शिव के भीतर एक
साथ संहार और सृजन का
तत्व एक साथ समाहित
माना जाता है, तो जाहिर है
कि इस कॉरिडोर के
लोकार्पण के सहारे किसी
न किसी रूप में प्रधानमंत्री ने तुष्टीकरण की
नीति पर प्रहार कर
विरोधी राजनीतिक दलों की शक्ति कमजोर
करने की भी कोशिश
की।
पीएम ने कहा, ’’विनाश
करने वालों की शक्ति, भारत
की शक्ति से बड़ी नहीं
हो सकती. सदियों की गुलामी ने
हम पर जो प्रभाव
डाला था, जिस हीन भावना से भारत को
भर दिया गया था, ये भारत उससे
बाहर निकल चुका है. आज का भारत
अयोध्या में सिर्फ प्रभु श्री राम का मंदिर ही
नहीं बना रहा बल्कि देश के हर जिले
में मेडिकल कॉलेज भी बना रहा
है. नए भारत में
विरासत भी है और
विकास भी है. आज
का भारत अपनी खोई हुई विरासत को फिर से
संजो रहा है. यहां काशी में तो माता अन्नपूर्णा
स्वयं विराजित हैं. यहां से चुराई गई
माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा 1000 वर्ष
बाद यहां फिर स्थापित कर दी गई
है.’’मजदूरों के दिल भी
जीतने की मोदी ने
पूरी कोशिश की। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के
बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्माण कार्य
को पूरा करने वाले इंजीनियर और मजदूरों का
अभिवादन किया। पीएम मोदी ने मजमजदूरों पर
फूलों की बारिश की।
यह वही मजदूर हैं, जिनके अथक प्रयास काशी विश्वनाथ धाम बनकर पूरा हुआ है। इन्होंने न गर्मी की
परवाह की, न ठंड और
बारिश कीयहां तक की कोरोना
काल में भी काम अनवरत
चलता रहा। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मजदूरों के
साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण किया। इस दौरान प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने कहा, ’काशी
विश्वनाथ धाम का लोकार्पण, भारत
को एक निर्णायक दिशा
देगा, एक उज्जवल भविष्य
की तरफ ले जाएगा, ये
परिसर, साक्षी है हमारे सामर्थ्य
का, हमारे कर्तव्य का, अगर सोच लिया जाए, ठान लिया जाए, तो असंभव कुछ
भी नहीं, हर भारतवासी की
भुजाओं में वो बल है,
जो अकल्पनीय को साकार कर
देता हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ’आज
का भारत अपनी खोई हुई विरासत को फिर से
संजो रहा है. मेरे लिए
जनता जनार्दन ईश्वर का ही रूप
है, हर भारतवासी ईश्वर
का ही अंश है,
इसलिए मैं कुछ मांगना चाहता हूं. मैं आपसे अपने लिए नहीं, हमारे देश के लिए तीन
संकसंकल्प चाहता हूं- स्वच्छता, सृजन और आत्मनिर्भर भारत
के लिए निरंतर प्रयास.’
’काशी अविनाशी है, यहां एक ही सरकार’
पीएम मोदी ने कहा कि
हमारे पुराणों में कहा गया है कि जैसे
ही कोई काशी में प्रवेश करता है, सारेबंधनों से मुक्त हो
जाता है. भगवान विश्वेश्वर का आशीर्वाद, एक
अलौकिक ऊर्जा यहां आते ही हमारी अंतर-आत्मा को जागृत कर
देती है. पीएम मोदी ने आगे कहा,
“काशशी तो काशी है!
काशी तो अविनाशी है.
काशी में एक ही सरकार
है, जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है. जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हों, उस काशी को
भलाकौन रोक सकता है?“
देशवासियों से तीन संकल्प
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि
मेरे लिए जनता जनार्दन ईश्वर का ही रूप
है, हर भारतवासी ईश्वर
का ही अंश है,
इसलिए वह कुछ ममांगना
चाहते हैं. वे अपने लिए
नहीं, देश के लिए तीन
संकल्प चाहते हैं- स्वच्छता, सृजन और आत्मनिर्भर भारत
के लिए निरंतर प्रयास. अपनी बातों को समझाते हुएपीएम
मोदी ने कहा कि
गुलामी के लंबे कालखंड
ने भारतीयों का आत्मविश्वास ऐसा
तोड़ा कि हम अपने
ही सृजन पर विश्वास खो
बैठे. हजारों वर्ष पुरानी इस काशी से,
, वे हर देशवासी का
आह्वान करते हैं कि पूरे आत्मविश्वास
से सृजन किया जाए। दरअसल, काशी का इतिहास भारतीय संस्कृति
के समृद्धि की जानकारी देने
वाला इतिहास है। यह 11वीं शताब्दी से 17वीं शताब्दी के बीच भारतीय
संस्कृति के प्रतीक चिह्नों
के विध्वंस और पुनर्निर्माण के
संघर्ष की कहानी है।
मान्यता के अनुसार, खुद
भगवान शिव के मां पार्वती
के साथ पृथ्वी पर सर्वप्रथम यहीं
प्रकट हुए थे। इसी कारण इसे द्वादश ज्योतिर्लिंगों में आदि यानी प्रथम शिवलिंग का महत्व दिया
गया है। आदि शंकराचार्य, अहिल्याबाई होल्कर, संत रविदास, संत कबीर, भगवान बुद्ध के कृतित्व व
व्यक्तित्व से प्रेरित काशी
प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में
कहे तो सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास
के जीवंत प्रमाण है। इसमें यदि सोमनाथ के विध्वंस और
उसके पुनर्निर्माण के साथ काशी
विश्वनाथ के विध्वंस और
पुर्निर्माण की गाथा जोड़
दी जाए तो अपने आप
पूरे देश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का संदेश चला
जाता है।
नया इतहिस रच रही काशी
प्रधानमंत्री ने कहा कि
आज भगवान शिव का प्रिय दिन
सोमवार है। विक्रम संवत 2078 मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष दशमी तिथि एक नया इतिहास
रच रही है। हमारा सौभाग्य है कि हम
इस तिथि के साक्षी बन
रहे हैं। आज विश्वनाथ धाम
अकल्पनीय आनंद, ऊर्जा से भरा है।
उसका वैभव विस्तार ले रहा है।
इसकी विशेषता आसमान छू रही हैं।
आसपास जो प्राचीन मंदिर
लुप्त प्राय थे, उन्हें पुनर्स्थापित किया जा चुका है।
बाबा अपने भक्तों की सदियों की
सेवा से प्रसन्न हुए
हैं। बाबा विश्वनाथ धाम का ये पूरा
नया परिसर एक भव्य भवन
भर नहीं है, यह प्रतीक है,
हमारे भारत की सनातन संस्कृति
का। यह प्रतीक है,
हमारी आध्यात्मिक आत्मा का। यह प्रतीक है,
भारत की प्राचीनता का,
परंपराओं का। भारत की ऊर्जा का,
गतिशीलता का। आप यहां जब
आएंगे तो केवल आस्था
के दर्शन नहीं करेंगे। आपको यहां अपने अतीत के गौरव का
अहसास भी होगा। कैसे
प्राचीनता और नवीनता एक
साथ सजीव हो रही हैं,
कैसे पुरातन की प्रेरणाएं भविष्य
को दिशा दे रही हैं।
पीएम ने कहा कि
हम इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथ धाम परिसर में कर रहे हैं।
प्राचीनता व नवीनता सजीव
हो रही है। जो मां गंगा
उत्तरवाहिनी होकर बाबा के पांव पखारने
काशी आती हैं। वह मां गंगा
भी आज बहुत प्रसन्न
हुई हैं। अब हम जब
बाबा के चरणों में
प्रणाम करेंगे तो मां गंगा
को स्पर्श करती हवा स्नेह देगी। गंग तरंगों की कल-कल
का दैवीय अनुभव भी कर सकेंगे।
बाबा विश्वनाथ सबके हैं। मां गंगा सबकी हैं। उनका आशीर्वाद सबके लिए है, लेकिन समय व परिस्थितियों के
चलते बाबा व मां गंगा
की यह सेवा मुश्किल
हो चली थी। रास्ता व जगह की
कमी हो चली थी।
बुजुर्गों व दिव्यांगों को
आने में दिक्कत होती थी। विश्वनाथ धाम परियोजना से यह सुलभ
हो गया है। अब दिव्यांग भाई-बहन, बुजुर्गजन बोट से जेटी तक
आएंगे। स्वचालित सीढ़ी से मंदिर तक
आ पाएंगे। संकरे रास्तों से परेशानी होती
थी जो कम होगी।
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