Sunday, 25 September 2022

खरीदारो को सेम्पल नहीं, गोदाम खंगालने का मिलेगा गोल्डेन चांस

15 अक्टूबर से चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कालीन मेले का होगा आगाज 

खरीदारो को सेम्पल नहीं, गोदाम खंगालने का मिलेगा गोल्डेन चांस

भदोही, मिर्जापुर, आगरा, दिल्ली, पानीपत, जयपुर, जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों के 300 से अधिक निर्यातक एक्सपो मार्ट भदोही में पहली बार लगायेंगे उत्कृष्ट कालीनों की प्रदर्शनी

400 से अधिक विदेशी खरीदारों के आने की संभावना, 500 करोड़ के कारोबार होने के आसार 

सुरेश गांधी

वाराणसी। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के तत्वावधान में भदोही मार्ट में आयोजित इंडिया कारपेट एक्स्पों से पूर्वांचल के कालीन निर्यातकों को काफी उम्मींदे है। भला क्यों नहीं? कोरोनाकाल के दो साल से ठप पड़े कारोबार को पंख जो लगने है। खास बात यह है कि पहली बार यह एक्स्पों कालीनों के घर भदोही में होने जा रहा है। ऐसे में एक-दो नहीं कई निर्यातकों ने भदोही मार्ट में स्टाल बुकिंग के बजाय अपने शोरु मको ही स्टॉल बना दिया है, तो कईयों ने मार्ट में भी बुकिंग करायी है और शोरुम को भी आकर्षक तरीके से सजाया है। इसमें उत्कृष्ट कालीनों की हर वेराईटी का संग्रह होगा। कालीन निर्यातकों का दावा है कि उनके शोरुम में कालीनों के इतने कलेक्शन है कि यदि खरीदार उनके शोरुम में घुसा तो कुछ ना कुछ लेकर ही जायेगा।

कालीन कारोबारियों का कहना है कि अभी तक वाराणसी, दिल्ली या जर्मनी सहित अन्य शहरों में आयोजित होने वाले एक्स्पों में सिर्फ कालीनों के सेम्पल से ही खरीदारों को आकर्षित करना पड़ता था, जबकि इस बार उनके पास सिर्फ हर तरह के डिजाइनयुक्त कालीनों का संग्रह होगा, बल्कि पूरी विदेशियों को पूरी की पूरी गोदाम ही खंगालने का मौका मिलेगा। यही वजह है कि इस बार मार्ट के अलावा घर के शोरुम को भी सजाया संवारा गया है। एक्स्पों आयोजक सीईपीसी का दावा है कि इस मेले से निर्यात में वृद्धि के आसार है और जब निर्यात बढेगा तो निर्यातको बुनकारों को लाभ होगा।

सीईपीसी चेयरमैन हामिद अंसारी का कहना है कि हस्तनिर्मित कालीनों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए इस बार कालीनों के घर भदोही में एक्स्पों का आयोजन किया जा रहा है। इस तरह की प्रदर्शनियां निर्यातकों के लिए रामबाण साबित होगा। इस बार मेले में निर्यातकों द्वारा नए-नए डिजाइन कलर कॉम्बिनेशन युक्त स्टाल लगाने की तैयारी है। उन्होंने बताया कि एक्सपो मार्ट भदोही में पहली बार 15 से 18 अक्टूबर तक चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कालीन मेला का आयोजन किया जा रहा है। व्यापार के लिहाज से यह एक्स्पों उद्योग को मजबूती देगा। सीइपीसी के इस पहल का उद्देश्य भारत के बुनकरों और कारीगरों की हस्तशिप कला के लिए बाजार मुहैया कराना है. अब तक मेलों में तीन से चार सौ करोड़ का ही व्यापार होता था, लेकिन इस बार पांच सौ करोड़ से ज्यादा का कालीन कारोबार होने की उम्मीद है। क्योंकि 60 से अधिक देशों के 300 आयातकों ने मेले में आने को अपना पंजीकरण करा लिया। इसमें अमेरिका के सबसे ज्यादा 40 आयातक हैं।
सीईपीसी के पूर्व प्रशासनिक सदस्य उमेश गुप्ता का कहना है कि इस बार स्टाल पर लगे बुनकरों की हाड़तोड़ मेहनत कारीगरी से तैयार रंग-बिरंगी कालीनों की पूरी खेप होगी। खास यह है कि भदोही के निर्यातकों को स्टॉल के अलावा अपने घर के शोरुम में भी विदेशी खरीदारों को आकर्षित कर ले जाने का मौका मिलेगा। इसके लिए निर्यातकों ने आकर्षक बलबूटेदार कालीनों की नक्काशी वाली कालीनों का संग्रह तैयार किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वोकल फार लोकल की परिकल्पनाओं से निर्यात को बढ़ावा मिल रहा है। भदोही शिल्पकारों के हुनर के लिए विश्व में पहचान बना चुकी है। कालीन उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। विदेशी मेहमानों के लिए गेस्ट हाउस, फाइव स्टार होटल रेस्टोरेंट की व्यवस्था की जाएगी। आस्ट्रेलिया के 27, यूके के दस, रसिया के 27 आयातकों समेत तीन सौ का पंजीकरण होने से कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) उत्साहित है। अभी यह संख्या और बढ़ेगी। इससे मेले को भव्य रूप देने के लिए तैयारी शुरू हो गई है। यह माना जा रहा कि अब तक के मेलों की अपेक्षा यह कारपेट मेला देश का सबसे बड़ा मेला होगा।

सीईपीसी के प्रशासनिक सदस्य रोहित गुप्ता ने कहा कि यह एक्स्पों कालीन उद्योग के लिए मील का पत्थर साबित होगा। फेयर में अधिक से अधिक आयातकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए परिषद ने योजना तैयार की है। इसके अलावा इस बार जितने भी निर्यातक चाहेंगे उन्हें उत्पाद प्रदर्शित करने का पूरा अवसर दिया जाएगा, ताकि कालीन उद्योग का भला हो। उनका दावा है कि यह फेयर बड़े पैमाने पर होगा। विश्व के 400 आयातकों की भागीदारी सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि 300 से अधिक निर्यातकों को स्टाल लगाने की सुविधा प्रदान की जाएगी। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण कालीन उद्योग पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। पारंपरिक कालीन मेलों का आयोजन रद्द होनेसे निर्यातकों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था, लेकिन इस एक्स्पों से भरपाई होने की उम्मींद है। इस बार अफगानिस्तान, बंगलादेश, बेल्जियम, ब्राजील, इजिप्ट, कनाड़ा, बुलगारिया, फिनलैंड, ग्रीस, इरान, हंगरी आदि देशों के व्यापारी यहां आएंगे। वैसे जिन देशों से कालीन का कारोबार चल रहा है उनकी भागीदारी ज्यादा हो रही है। कालीन के खरीदार देशों में अमेरिका का शीर्ष स्थान है। यहां अन्य देशों की अपेक्षा 40 फीसद व्यापार होता है। जर्मन, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, इटली आदि देश भी भारतीय कालीनों के शौकीन हैं। इससे यहां अच्छा खासा व्यापार होता है।

बेजोड़ है भदोही की कालीनें

घर के फर्शो की कालीनें शान होती है। भारतीय हस्तनिर्मित कालीन अपनी उत्कृष्ट बुनाई सुंदरता के कारण आज भी अपना स्थान बनाए रखने में सफल है। क्वालिटी, खूबसूरती तथा टिकाऊपन के मामले में हैंडमेड कार्पेट का कोई सानी नहीं है। इन दिनों हैंडमेड पर्सियन, टफटेड, सैगी, नॉटेड दरी कालीन के अलावा इंडो-नेपाल कार्पेट विदेशी भारतीय ग्राहकों को कुछ ज्यादा ही भा रहा है। पांच अलग-अलग रंगों में निर्मित इस कालीन की पूछ अमेरिका, यूरोप ब्राजील देशों में ज्यादा है। यह सस्ता बढ़िया आइटम है। यह ऊल बेंबो सिल्क से निर्मित किया जाता है। जबकि डिजाइन ही नहीं रंगों की विविधता के चलते हस्तनिर्मित पर्सियन कालीनों की पूछ हमेशा से विदेशों में रही है। ऊल सिल्क के निर्मित पर्सियन कालीन रसिया, चाइना, जर्मनी, अमेरिका के लोग ज्यादा पसंद करते हैं। कहा जा सकता है भदोही-मिर्जापुर क्षेत्र बुनकरों का घर है, जहाँ तकरीब हर किसी किसी रुप में कालीन कारोबार से जुड़ा है। बेलबूटेदार कलात्मक रंगों का इन्द्रधनुषी वैभव लिए हुए बेहद लुभावने यहां के गलीचे दुनिया के बाजारों में अपनी धाक आज भी बरकरार रखे हुए हैं। यहां की कालीने भारत सरकार को सिर्फ करोड़ों रुपये विदेशी मुद्रा अर्जित कराती है बल्कि लाखों लोगों के रोजी-रोटी का साधन भी है। देखा जाएं तो भदोही अंचल की अभिव्यक्ति कालीनों के माध्यम से ही होती है। आकर्षक कालीनों से ही भदोही को विश्व मानचित्र एवं हस्त कला के क्षेत्र में सर्वोच्च स्थान मिला हुआ है। इसकी वजह है कि पीछे की बिनावट और उसमें लगी गांठ ही इसकी हस्तनिर्मित होने का प्रमाण है। जितनी ज्यादा गांठ कालीन में होगी वह उतनी ही मजबूत टिकाऊ होती है। फर्नीचर, दीवारों के रंग फ्लोर से मैच करती कालीनों की डिमांड ज्यादा है।

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