कारपेट एक्स्पों की अच्छी पहल के बावजूद
खामियां बनी किरकिरी की वजह
एक-दो
नहीं
कई
सीनियर
कालीन
निर्यातकों
को
पवेलियन
से
किया
बाहर
सीईपीसी सदस्यों
को
एक्स्पों
का
पास
न
देना
आयोजकों
की
सबसे
बड़ी
खामियां
: हाजी
शौकत
अली
अंसारी
नाराज सदस्य
चुनाव
में
दिखायेंगे
उम्मींदवारों
को
ठेंगा
: फहद
अंसारी
कहा, निर्यातक
हो
या
बुनकर
उनका
सम्मान
के
बजाय
पुलिस
से
कराया
गया
बेइज्ज्त
सुरेश गांधी
वाराणसी। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के तत्वावधान में
भदोही में पहली बार आयोजित चार दिवसीय इंडिया कारपेट एक्सपो : 2022 की सफलता के
लिए हर तरफ आयोजकों
की सराहना हो रही है।
लेकिन उसकी कुछ खामियां न सिर्फ उसके
मूल उद्देश्य पर बट्टा लगा
रही है, बल्कि मोदी-योगी के प्रयासों पर
पलीता लगाने के लिए काफी
है। बता दें, सीईपीसी मेले का मकसद है
न सिर्फ विदेशों से आने वाले
खरीदारों में भारतीय कालीनों और अन्य फ्लोर
कवरिंग की सांस्कृतिक विरासत
व बुनाई कौशल को बढ़ावा देना
है, बल्कि छोटे-मझोले निर्यातकों को इस मेले
के जरिए प्रोत्साहित करना और बुनकरों का
सम्मान दिलाना है। जबकि सरकार की मंशा है
छोटे-छोटे निर्यातकों व बुनकरों को
इस मेले के जरिए रोजगार
मुहैया कराना है। लेकिन अफसोस है कि सीईपीसी
की लापरवाहियां व सोच का
अभाव दोनों मंसूबों पर पानी फेर
दिया। हद तो तब
हो गयी जब इस चार
दिवसीय एक्स्पों में 14 सौ से अधिक
निर्यातकों का प्रतिनिधित्व करने
वाली सीईपीसी ने अपने सदस्यों
को पास देना तो दूर मेले
में पहुंचे कई निर्यातकों को
पुलिसिया बेइज्जती कराकर बैरंग लौटा दिया।
एकमा के पूर्व अध्यक्ष
एवं सीनियर कालीन निर्यातक हाजी शौकत अली अंसारी ने भदोही में
पहली बार हो रहे कारपेट
एक्स्पों की सफलता पर
आयोजकों को बधाई देते
हुए कहा है कि यह
मेला निर्यातकों का है और
उनके बढ़ावा के लिए सरकार
करोड़ों-अरबों खर्च कर रही है।
ऐसे में अपने ही सदस्यों का
पुलिसिया बेइज्ज्ती कराना कहीं से भी न्याय
संगत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री में
हर तबके के कारोबारी है
और इस तरह के
आयोजनों से जानने-सुनने
व समझने का मौका होता
है। लेकिन उन्हें कापी करने के नाम पर
बेइज्ज्त किया जाना गलत है। उन्होंने आयोजकों को दुबारा इस
तरह की गलती न
करने का नसीहत देते
हुए कहा कि सीईपीसी में
1500 से अधिक सदस्य है, जबकि स्टाल लगाने 300 ही हैं। ऐसे
में जो निर्यातक किसी
कारणवश इसमें भागदारी नहीं कर सके है
और मात्र देखने की इच्छा लेकर
जाना चाहते है तो ऐसे
निर्यातकों को शर्तो के
साथ पास दिया जाना चाहिए। उहोंने एक्स्पों में कई निर्यातकों के
साथ हुए दुर्व्यहार की निंदा करते
हुए कहा है कि भविष्य
में इस तरह की
गलतियां दुबारा ना हो इस
पर सीईपीसी को पुर्नविचार करना
चाहिए। खासकर एक्स्पों में पुलिस तैनात किए जाने का विरोध करते
हुए कहा कि इसकी आवश्यकता
ही नहीं थी। निर्यातक हो या बुनकर
सबका अपना सम्मान है, उनके साथ इस तरह की
बदसलूकी क्षम्य नहीं है। व्यवस्था संचालन के सिक्योरिटी जवान
ही काफी है।
कलीन निर्यातक फहद अंसारी ने सात समुंदर
पार से आने वाले
सभी विदेशी मेहमानों, बायर एजेंटों व भारतीय कालीन
निर्यातकों व बुनकरों का
कारपेट एक्स्पों में स्वागत करते हुए कहा है कि सीईपीसी
ने जिस तरह से कुछ सम्मानित
निर्यातकों की अंदर जाने
से रोका जाना और उनकी पुलिसिया
बेइज्जती कराना आयोजकों की तानाशाही का
परिचय देता है। चुनाव के वक्त ऐसे
निर्यातक सीईपीसी प्रत्याश्यिं को जरुर सबक
सिखाने का काम करेंगे।
काका ओवरसीज ग्रूप डायरेक्टर के योगेन्द्र राय
काका ने कारपे एक्स्पों
कीहत्र सफलता एवं कुशल संचालन के लिए बधाई
देते हुए कहा है कि इस
तरह के भदोही आयोजन
से निर्यात दर में जरुर
वृद्धि होगी। वर्तमान में इक्सपोर्ट बढ़ने की पूरी संभावना
है। क्योंकि विदेशी बाजार में मशीनमेड कालीनों की डिमांड घटा
है। जबकि हाथ से बनी कालीनों
की डिमांड बढ़ी है। यह एक्स्पों पूरे
देश के लाखों समर्पित
हस्तशिल्प कारीगरों के लिये बड़ी
उम्मीद और अवसर प्रदान
करता है। भारत हस्तशिल्प कालीन का सबसे अच्छा
केन्द्र माना जाता है। यहां की बलबूटेदार कलात्मक
कालीनें पूरी दुनिया में पसंद की जाती है।
ये आधुनिक भारत की विरासत के
भाग हैं। ये कलाएं हजारों
सालों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी पोषित होती रही हैं और लाखों हस्तशिल्पकारों
को रोजगार प्रदान करती हैं। इस प्रकार देखा
जा सकता है भारतीय शिल्पकार
किस तरह अपने जादुई स्पर्श से अपने देश
की ऑन बान शान
को कलाकृति में बदलकर भारतीय हस्तशिल्प को अन्तरराष्ट्रीय स्तर
पर पहचान दिलाते हैं।
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