18 साल बाद पीड़ितों को मिला न्याय, 14 लोगों की हुई थी मौत
श्रमजीवी एक्सप्रेस बम विस्फोटकांड : 2 आतंकियों को फांसी की सजा
कोर्ट ने
दोनों
के
ऊपर
5 -5 लाख
रुपये
का
जुर्माना
भी
लगाया
है
दो आंतकियों
को
दोषी
पाए
जाने
पर
पहले
ही
सजा
सुनाई
जा
चुकी
है
सुरेश गांधी
जौनपुर। श्रमजीवी एक्सप्रेस बम विस्फोट कांड
मामले में जौनपुर की अपर जिला
अदालत ने बुधवार को
बड़ा और ऐतिहासिक सजा
सुनाया. आरोपी आतंकी नाफिकुल विस्वास और हिलाल को
कोर्ट ने फांसी की
सजा सुनाई. कोर्ट ने दोनों के
ऊपर 5 -5 लाख रुपये का जुर्माना भी
लगाया है. आधे घंटे चली सुनवाई के बाद कोर्ट
ने अपना फैसला सुनाया. बता दें कि 28 जुलाई 2005 की शाम हरपालगंज
और कोइरीपुर के बीच हुए
बम ब्लास्ट कांड में कुल 14 रेल यात्री की मौत हो
गई थी, जबकि 62 यात्री ब्लास्ट में घायल हुए थे.
इस केस से
जुड़े आरोपी याहिया को एनकाउंटर में
मारा जा चुका है.
जबकि आतंकी डॉ सईद का
पता नहीं चला सका है. आतंकी शरीफ उर्फ़ कंचन फ़रार चल रहा है।
इस दौरान न्यायालय परिसर में सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था
रही। सजा सुनाए जाने के बाद दोषी
दोषियों को कड़ी सुरक्षा
व्यवस्था में जिला जेल ले जाया गया।
अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम की अदालत में
मंगलवार को सजा के
बिंदु पर बहस हुई
थी।
जौनपुर अपर जिला जज की कोर्ट
ने चारों आतंकियों में से रोनी को
30 जुलाई 2016 को औक औबेदुर्रहमान
को 31 सितंबर 2016 को फांसी की
सजा सुनाई थी. दो आतंकी हीलाल
और नफीकुल विश्वास को अब बुधवार
को मृत्युदंड की सजा सुनाई
गई है. कोर्ट ने बांग्लादेशी आतंकी
हिलालुद्दीन और पश्चिम बंगाल
के रहने वाले नफीकुल विश्वास को दोषी पाते
हुए 5-5 लाख का जुर्माना लगाया
है. इस केस से
जुड़े दो आंतकियों को
दोषी पाए जाने पर पहले ही
सजा सुनाई जा चुकी है.
18 साल पहले पटना से दिल्ली जा
रही श्रमजीवी एक्सप्रेस में बम ब्लास्ट की
चौकाने वाली वजह थी.
सूत्रों की मानें तो
आतंकियों नें भारत को तबाह करने
और जेहाद फ़ैलाने के लिए जगह-जगह ब्लास्ट करने की योजना बनाई
थी. इस केस में
कुल 53 लोगों ने गवाही की
जिसमें 13 निजी गवाह थे. साक्ष्यों और गवाहों के
आधार पर दोषी पाये
जाने पर कोर्ट में
आरोपियों को सजा सुनाई
है. इस दौरान कोर्ट
में दोषियों के अधिवक्ता न्याय
मित्र ताजुल हसन तथा अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता एडीजीसी
वीरेंद्र मौर्य मौजूद रहे। इसके पूर्व मंगलवार को सजा के
बिंदु पर हुई बहस
में अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता एडीजीसी
वीरेंद्र मौर्य ने अपना पक्ष
रखते हुए विस्फोट की घटना को
विरल से विरलतम बताया
था। उन्होंने दिल्ली राज्य बनाम नवजोत संधू 2005 सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का
हवाला दिया। उन्होंने कहा था कि इसमें
संसद भवन पर आतंकियों द्वारा
किए गए हमले में
नौ लोग आतंकियों की गोली से
मारे गए थे और
16 व्यक्ति घायल हुए थे, जबकि श्रमजीवी विस्फोट कांड में हुए बम विस्फोट में
14 लोग मारे गए व 62 लोग
घायल हुए।
पद्मा नदी पार करके भारत की सीमा में पहुंचे थे आतंकी
बांग्लादेश से आतंकी सीमावर्ती
गांव बिसरौली से होते हुए
पद्मा नदी को पार करके
भारत की सीमा में
दाखिल हुए थे. आतंकियों ने पश्चिम बंगाल
निवासी नफीकुल विश्वास और उसके साथी
से मुलाकात की थी.नफीकुल
विश्वास और उसके साथी
की मदद से सभी बंगलादेशी
आतंकी पटना पहुंचे. पटना के खुसरूपुर स्टेशन
के पास स्थित मियांटोला में हकीम मियां के घर पर
आतंकियों ने ब्लास्ट करने
का सामान एकत्रित किया था.
पटना से खरीदा गया बम बनाने का सामान
बांग्लादेशी आतंकियों ने पटना के
मियांटोला पहुंचकर वहां से बम बनाने
के लिए आरडीएक्स, अटैची, घड़ी, टाइमर, विस्फोटक व आतंक फ़ैलाने
के लिए अन्य जरूरी सामान खरीदा था. इसके बाद दो आतंकी वापस
बांग्लादेश चले गए. पटना से आतंक का
सामान ख़रीदने के बाद भारत
को दहलाने के लिए आतंकियों
नें पटना से दिल्ली जाने
वाली श्रमजीवी एक्सप्रेस को चुना. ट्रेन
में विस्फोट करने के लिए आतंकियों
को अलग अलग जिम्मेदारी मिली थी. इस कांड को
अन्जाम देने में रोनी, नफीकुल विश्वास, हिलाल और शरीफ उर्फ़
कंचन पटना स्टेशन पहुंचे. आतंकियों ने पटना स्टेशन
पहुंचकर पटना से दिल्ली जाने
वाली श्रमजीवी एक्सप्रेस में इंजन के पास दूसरी
जनरल बोगी को चुना. 28 जुलाई
2005 को जौनपुर के सिंगरामऊ थाना
क्षेत्र के हरिहरपुर रेलवे
स्टेशन के क्रासिंग पर
पहुंचते ही शाम 5 बजकर
20 मिनट पर श्रमजीवी एक्सप्रेस
की जनरल बोगी में ब्लास्ट हुआ था. ब्लास्ट के बाद अफरा-तफरी मच गई थी.
हादसे में 14 यात्री मारे गए थे जिसमे
2 जौनपुर के रहने वाले
थे, जबकि 62 यात्री घायल हुए थे. श्रमजीवी एक्सप्रेस में बम ब्लास्ट करने
के बाद आतंकियों नें सबूत मिटाने के लिए पटना
के खुशरूपुर रेलवे स्टेशन के पास मियाटोला
स्थित हमीद मियां के उस घर
को भी ब्लास्ट करके
उड़ा दिया था जहाँ पर
सब सामान एकत्रित करके बम बनाया गया
था. पटना में हुए ब्लास्ट के बाद फोरेंसिक
जांच में जो विस्फोटक के
अवशेष मिले थे वो श्रमजीवी
एक्सप्रेस में विस्फोट से मिल रहे
थे.
ट्रेन के गार्ड ने दर्ज कराया था केस
ट्रेन में हुए बम ब्लास्ट के
बाद ट्रेन के गार्ड मो.
जफर अली ने केस दर्ज
कराया था. घटना के बाद पुलिस
ने घायल यात्रियों की मदद से
आरोपी का स्केच जारी
किया था. यात्रियों द्वारा बताये गए हुलिये से
बने स्केच के आधार पर
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल
ने आलमगीर उर्फ़ रोनी ने गिरफ्तार किया
था.
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