अयोध्या : ‘जो राम को लाएं है, हम उनको लायेंगे...’
राम जी करेंगे बेड़ा पार, उदासी मन काहे को करे? अयोध्या में लोग कभी अपनी हताशा से उबरने के लिए तो कभी यूं ही यह भजन गुनगुनाया करते हैं. उनका विश्वास है कि सच्चे मन से इसे गुनगुनाकर गम्भीर से गम्भीर अवसाद से निजात पाई जा सकती है. लेकिन अब तो पांच सौ बरस के इंतजार के बाद खुद रामलला टेंट से निकलकर अपने जन्मभूमि स्थल पर निर्मित भव्य एवं दिव्य श्रीराम मंदिर में न सिर्फ विराजमान हो गए है, बल्कि रामराज्य का सपना भी धीरे-धीरे ही सही साकार होने लगा है। चारों तरफ भगवान श्रीराम के नाम का अंकन वाले वाले लहराते भगवा, श्रद्धालुओं का रैला के बीच अयोध्या में जिसे पूछो वहीं कहता है, यहां की तकदीर के साथ सियासी हवा बदल गयी है, विकास के साथ-साथ कमाई भी बढ़ गयी है। हनुमानगगढ़ी रोड पर मिठाई विक्रेता श्याम यादव कहते है, जो राम के लाएं है, हम उनका लायेंगे। बाजी किसके हाथ लगेगी, ये तो चुनाव परिणाम बतायेंगे, लेकिन भव्य राम मंदिर के निर्माण के बाद यहां के माहौल में बहुत कुछ बदलाव महसूस कि या जा सकता है. यहां पर महौल पूरी तरह से राममय हो गया है जिसका असर पूरी तरह से लोकसभा चुनाव पर दिखेगा. धार्मिक पर्यटन व उमड़ते श्रद्धालुओं के जरिए युवाओं को बेहतर रोजगार मिलने की संभावनाओं के मद्देनजर श्री त्रिदण्दिदेव प्रतिवादि भयंकराचार्य रामानुजाचार्य श्रीराघवपुरम धाम, आश्रम के ब्रह्मचारी संत रंगनाथ स्वामी कहते है ‘नवस्थापित रामराज्य’ की उस पर ऐसी छाया नजर आएगी कि परंपरागत जातीय, धार्मिक व सांप्रदायिक समीकरणों व जोड़-गांठों की कोई जगह नहीं रह जाएगीं। पिछली बार की तरह इस बार भी भगवारुपी राम पताका फहरेगासुरेश गांधी
भगवान श्रीराम, राममनोहर लोहिया, कुंवर नारायण के साथ ही राम प्रकाश द्विवेदी का यह जन्मस्थान है. फैजाबाद लोकसभा सीट में 5 विधानसभा सीट हैं। इनमें अयोध्या, रुदौली, गोसाईगंज, बीकापुर व मिल्कीपुर शामिल हैं. जहां के तीन सीट पर बीजेपी तो वहीं दो पर सपा का कब्जा है। बात लोकसभा चुनाव के तहत फैजाबाद सीट की जाएं तो भाजपा ने दो बार के सांसद लल्लू सिंह को ही तीसरी बार भी मैदान में उतारा है। 2014 व 2019 के चुनाव में लल्लू सिंह को जीत मिली थी. साल 1991 से 2007 तक लगातार पांच बार लल्लू सिंह अयोध्या विधानसभा से विधायकी जीतते रहे. लल्लू सिंह ने एम.ए., एल.एल.बी. साकेत पीजी कॉलेज, अयोध्या के साथ ही डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या से अपनी शिक्षा पूरी की है. जबकि सपा ने भाजपा का विजय रथ रोकने के लिए आनंदसेन की जगह अवधेश प्रसाद पर दांव लगाया है।
अवधेश प्रसाद अयोध्या जिले की मिल्कीपुर सीट से विधायक हैं। वे 9 बार विधायक और कई बार मंत्री रह चुके हैं। गठबंधन होने के बाद कांग्रेस भी सपा के साथ हो गई है। 2019 के चुनाव में लल्लू सिंह को 529,021 वोट मिले, जबकि सपा के आनंदसेन को 463,544 वोट आए. लल्लू सिंह ने 65,477 मतों के अंतर से यह कड़ा मुकाबला जीत लिया. इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच बीजेपी ने यह सीट भी अपने नाम कर लिया था. लल्लू सिंह ने सपा के प्रत्याशी मित्रसेन यादव को 2,82,775 मतों के अंतर से हराया था. सलीम अंसारी कहते है दोनों दलों की प्रतिष्ठा से जुड़ी फैजाबाद सीट पर इस बार भी रोचक मुकाबला होना तय है। लेकिन रामलहर में भाजपा का विजयी रथ रोकना विपक्ष के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकती है। दूसरे शब्दों में कहें, तो भव्य राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा ने अयोध्या में चुनावी मुकाबले की गर्मी उसके शुरू होने से पहले ही खत्म कर दी है.
बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
रखने के बावजूद अयोध्या
अरसे से उपेक्षित-तिरस्कृत
ही थी। सात वर्षों
में योगी आदित्यनाथ सरकार
ने जहां 31 हजार करोड़ रुपये
खर्च कर भव्य-दिव्य-नव्य अयोध्या बनाई
है वहीं सदियों की
लंबी लड़ाई के बाद
रामलला अब अपने भव्य
मंदिर में विराजमान हैं।
ऐतिहासिक प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान योगी
सरकार ने चौतरफा राममय
माहौल बनाने के लिए 100 करोड़
रुपये खर्च किए। ऐसे
में देश-दुनिया के
रामभक्त अब रामलला के
दर्शन को अयोध्या की
ओर रुख किए हैं।
न केवल लाखों आम
श्रद्धालु बल्कि केंद्रीय मंत्री, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री अपने
मंत्रिपरिषद के सहयोगियों के
साथ अयोध्या पहुंच रहे हैं। बड़ी
संख्या में अयोध्या पहुंचने
वालों का अंदाजा इस
बात से लगाया जा
सकता है कि प्राण
प्रतिष्ठा से सिर्फ एक
माह में ही रिकार्ड
62 लाख श्रद्धालुओं ने रामलला के
दर्शन किए। दो माह
गुजरने को हैं, लेकिन
आज भी औसतन सवा
लाख श्रद्धालु अलौकिक नगरी अयोध्या पहुंच
रहे हैं। जम्मू-कश्मीर
से लेकर बंगाल, कर्नाटक,
बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान,
गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड आदि राज्यों के
हजारों रामभक्त अयोध्या की सड़कों, गलियों
और फुटपाथ पर देखे जा
सकते हैं। श्री त्रिदण्दिदेव
प्रतिवादि भयंकराचार्य रामानुजाचार्य श्री राघवपुरम धाम,
आश्रम के ब्रह्मचारी संत
रंगनाथ स्वामी ने कहा कि
सीएम योगी आदित्यनाथ ने
विकास ही नहीं फैजाबाद
मंडल और जिले का
ही नहीं, नगर और रेलवे
स्टेशन तक का नाम
अयोध्या कर डाला है.
अब रामभक्तों को यह बताने
की ‘शर्म’ से पूरी तरह
छुटकारा मिल गया है
कि ‘उनकी’ अयोध्या फैजाबाद मंडल, जिले, नगर या रेलवे
स्टेशन में अथवा उसके
पास स्थित है. जहां तक
भाजपा की बात है,
इस लोकसभा सीट की पांच
विधानसभा सीटों में से अयोध्या
पर निस्संदेह उसका ‘राज’ है. हाल
के दशकों में एक 2012 के
विधानसभा चुनाव को छोड़ दें
तो वह कभी यह
सीट नहीं हारी. लेकिन
गोसाईंगंज, बीकापुर, मिल्कीपुर और रुदौली विधानसभा
सीटों के मतदाता उसके
प्रति ऐसी वफादारी या
इतना बड़ा दिल नहीं
रखते. गुस्सा जाएं तो वे
उसकी अयोध्या सीट की बढ़त
को अजेय नहीं होने
देते.
2024 का समीकरण
फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र के विधानसभा पांच
सीट में से एक
मिल्कीपुर सीट अनुसूचित जाति
के लिए आरक्षित है
और फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र की आबादी में
हिंदू 84 प्रतिशत और मुस्लिम 14 प्रतिशत
की संख्या में हैं. अयोध्या
में मतदान से करीब दो-तीन दिन पहले
ही माहौल बहुत तेजी से
पलट जाता है. पिछले
दो दशक से इसी
तरह के बदलाव देखे
जा रहे हैं. यहीं
नहीं, मतदान से एक-दो
दिन पहले ही अयोध्या
के घरों में प्रसाद
के तौर पर लड्डू
भी पहुंचा दिए जाते हैं.
अयोध्या के महत्व को
बीजेपी तो महसूस हमेशा
से करती रही है
लेकिन यहां पर कांग्रेस
नेतृत्व भी सक्रिय हो
जाता है. हालांकि, भव्य
राम मंदिर के निर्माण के
बाद यहां के माहौल
में बहुत कुछ बदलाव
महसूस किया जा सकता
है. यहां पर माहौल
पूरी तरह से राममय
हो गया है जिसका
असर पूरी तरह से
लोकसभा चुनाव पर दिखेगा. फैजाबाद
लोकसभा सीट राम मंदिर
और बाबरी मस्जिद विवाद के कारण हमेशा
चर्चा में रही है.
योगी आदित्यनाथ की सरकार के
द्वारा एक बड़ा कदम
उठाते हुए फैजाबाद जिले
को साल 2018 में छोटी दीपावली
के दिन अयोध्या नाम
दे दिया गया. जर्नादन
गिरी कहते है अयोध्या
में जो माहौल है,
उसे देखने के लिए 500 वर्ष
इंतजार किया। कई पीढ़ियों के
संघर्ष के बाद विवाद
पूरी तरह खत्म करने
में सफलता मिली है। ऐसे
में यहां किसी चुनावी
मुद्दे की बात करने
का औचित्य नहीं है। परिक्रमा
मार्ग के कामिल ने
कहा, लंबे समय तक
अयोध्या ने उपेक्षा का
दंश झेला है। अब
अयोध्या मुख्य धारा की ओर
तेजी से बढ़ रहा
है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
होने के बाद यहां
रोज बड़ी संख्या में
श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। यहां
रोजगार के अवसर बढऩे
से पलायन भी रुकेगा। मिल्कीपुर
के जमुना यादव ने कहा
कि अयोध्या के अलावा गोण्डा,
बस्ती और बाराबंकी के
भी कुछ हिस्सों में
रोजगार के अवसर बढ़ें
हैं। उम्मीद की जा रही
है कि यहां बड़े
अस्पताल और अन्य सुविधा
केन्द्र भी खुलेंगे। ट्रेनों
की संख्या बढ़ेगी। हवाई सेवा से
अयोध्या जुड़ ही चुका
है। ऐसे में विकास
को पंख तो लगने
ही हैं। राम मंदिर
इस बार प्रमुख मुद्दा
है। रामलहर में भाजपा का
विजयी रथ रोकना विपक्ष
के लिए टेढ़ी खीर
साबित हो सकती है।
कब कौन जीता
फैजाबाद लोकसभा सीट 1957 में अस्तित्व में
आया। इस सीट से
कांग्रेस सात बार, बीजेपी
चार बार और सपा,
बसपा, भाकपा के अलावा भारतीय
लोकदल एक-एक दफा
जीती. साल 1957 के चुनाव में
इस सीट से राजाराम
मिश्र ने जीत हासिल
की और फिर कांग्रेस
1971 तक चार दफा जीती.
साल 1977 में भारतीय लोकदल
के अनंतराम जायसवाल जीते और साल
1980 और 1984 में कांग्रेस के
पाले में जीत रही.
कम्युनिस्ट पार्टी के मित्रसेन साल
1989 में सांसद रहे. 1991 में बीजेपी के
विनय कटियार यहां से सांसद
रहे और वही साल
1996 व 1998 में भी जीतते
रहे. वैसे, 1998 में सपा के
हाथों उन्होंने हार हासिल की.
साल 2004 में बीएसपी से
मित्रसेन यादव ने जीत
अपने नाम की थी.
साल 2009 में कांग्रेस से
निर्मल खत्री की जीत हालिस
की. 2014 व 2019 के चुनाव में
भी बीजेपी के लल्लू सिंह
विजयी हुए। 2019 में अकेले दम
पर 49 प्रतिशत वोट हासिल कर
चुकी बीजेपी के पास इस
बार भव्य राममंदिर व
राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे भी
है।
क्या कहता है विधानसभा की गणित
पिछले विधानसभा चुनाव में राम मंदिर
वाली अयोध्या सीट से भाजपा
के वेद प्रकाश गुप्ता
मात्र 20 हजार वोटों से
ही जीते पाएं थे।
हालांकि रुदौली विधानसभा पर बीजेपी के
रामचंद्र यादव ने जीत
की हैट्रिक लगाई थी। लेकिन
गोसाईगंज विधानसभा बीजेपी को हार को
सामना करना पड़ा। इस
सीट पर सपा के
बाहुबली नेता अभय सिंह
ने परचम लहराया है.
मिल्कीपुर विधानसभा (आरक्षित सीट) पर सपा
प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने जीत हासिल
की है. उन्होंने 11630 वोटों
से बीजेपी के प्रत्याशी बाबा
गोरखनाथ को शिकस्त दी
थी। बीकापुर विधानसभा सीट पर बीजेपी
के डॉ अमित सिंह
चौहान ने जीत हासिल
की है. उन्होंने सपा
के फिरोज खान को हराया
है। फैजाबाद की 84 प्रतिशत आबादी हिंदू और 14 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिम है, साल 2014 के
चुनाव में 1738701 वोटरों ने हिस्सा लिया
था, जिसमें 53 प्रतिशत पुरुष और 46 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं, उस साल
यहां पर नंबर 2 पर
सपा, नंबर 3 पर बसपा और
नंबर 4 पर कांग्रेस थी,
यहां की औसत साक्षरता
दर 68.73 फीसदी है। हिंदुओं की
आस्था से जुड़ी सांस्कृतिक
नगरी अयोध्या का इस बार
बहुत विकास किया गया है।
सरयू नदी के घाटों
से लेकर सड़कों का
जाल बिछ गया है।
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले दिनों
यहां लगभग सात हजार
करोड़ रुपये की अनेक परियोजनाओं
की शुरुआत की थी।
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