काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत कुलपति तिवारी नहीं रहे
प्रधानमंत्री नरेन्द्र
मोदी
व
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
ने
जताया
शोक
उनके निधन
से
वाराणसी
का
बुद्धिजीवियो
से
लेकर
समाजसेवियों
में
शोक
की
लहर,
लोगों
ने
दी
भावभीनी
श्रद्धांजलि
सुरेश गांधी
वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी का बुधवार की शाम को निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। रवींद्रपुरी स्थित एक निजी अस्पताला में उन्होंने इलाज के दौरान अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा। उनकी अंतिम यात्रा टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास से निकलेगी। इसकी खबर जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लगी तो उन्होंने फेसबुक, ट्वीटर के जरिए शोक संदेश भेजवाया। उन्होंने कहा कि वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत श्री कुलपति तिवारी जी का गोलोकगमन अत्यंत दुःखद है। मेरी ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। बाबा श्री विश्वनाथ जी पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान और शोक संतप्त परिजनों को यह अथाह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें, यही प्रार्थना है। 75 वर्षीय कुलपति तिवारी न्यूरो की बीमारी से जूझ रहे थे। 1954 में वाराणसी में ही उनका जन्म हुआ था। उधर, उनके शव को अस्पताल से टेढ़ी नीम स्थित उनके निजी आवास पर ले जाया गया। 1993 में पिता कैलाशपति तिवारी के निधन के बाद से ही वे काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत बनाए गए। तभी से विश्वनाथ मंदिर की परंपराओं का निर्वहन कर रहे थे।
पूर्व महंत बाबा विश्वनाथ
मंदिर की पूजा पद्धति
पर इकलौता शोध करने वाले
विद्यार्थी थे. महंत परिवार
में वे सबसे बड़े
थे. इसलिए विश्वनाथ मंदिर में अधिग्रहण से
पहले पूजा संबंधित सारी
कवायत उन्हीं के निगरानी में
पूरी होती थी. पंडित
कुलपति तिवारी को यह नाम
उनके दादा ने दिया
था. बीकॉम और एमकॉम करने
के बाद सामाजिक सूत्रों
को समझने के लिए कुलपति
तिवारी ने समाजशास्त्री विषय
से एमए किया. इसके
बाद उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय
में धर्मशास्त्र के विद्वान प्रोफेसर
सत्येंद्र त्रिपाठी के देखरेख में
काशी विश्वनाथ मंदिर की संरचना और
प्रकार विषय पर शोध
किया. यह अपने आप
में इकलौता शोध था. जो
पंडित कुलपति तिवारी के द्वारा ही
किया गया था. डॉ.
कुलपति तिवारी विश्वनाथ मंदिर के महंत की
गद्दी पर अपने पिता
की मृत्यु के बाद बैठे
थे.
महंत की गद्दी
पर बैठने के बाद विश्वनाथ
मंदिर से जुड़ी लोक
परंपराओं पर आधारित वार्षिक
आयोजनों की भव्यता सावन
महीने में पूर्णिमा तिथि
पर काशी विश्वनाथ का
झूलन उत्सव, दीपावली के अगले दिन
अन्नकूट, बसंत पंचमी पर
बाबा विश्वनाथ का तिलक, महाशिवरात्रि
पर विवाह उत्सव और अमला एकादशी
पर माता पार्वती के
गवने की रस्म को
स्वर्ण रजत प्रतिमा और
स्वर्ण रजत पालकी के
साथ निभाने की परंपरा इन्हीं
के सानिध्य में पूरी की
जा रही थी. काशी
विश्वनाथ मंदिर के अधिग्रहण के
बाद मंदिर पूरी तरह से
सरकारी व्यवस्था के अधीन होने
के बाद भी मंदिर
प्रशासन पूर्व महंत कुलपति तिवारी
के साथ मिलकर पूजा
पाठ और अन्य विधि
विधान को आगे बढ़ता
था. पूर्व महंत कुलपति तिवारी
ने ज्ञानवापी मामले में भी एक
याचिका दायर की थी.
जिस पर उन्होंने शिवलिंग
के पूजन और पाठ
के साथ उसे पर
अपना दावा किया था,
जो कमीशन कार्रवाई के दौरान वजूखाने
में एक आकृति के
रूप में मिली थी.
इसके अलावा 10 जून 2022 को ज्ञानवापी प्रकरण में काशी विश्वनाथ के पूर्व महंत पंडित कुलपति तिवारी ने कार्य सेवा का भी ऐलान किया था. हालांकि बाद में प्रशासन की शक्ति के बाद वह आगे नहीं बढ़ पाए थे. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा की आज काशी के लिये बहुत पीड़ादायक खबर है. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महन्त डॉ कुलपति तिवारी जी का निधन काशी की अपूरणीय क्षति है. श्री कुलपति तिवारी जी ने विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी लोक परंपराओं पर आधारित वार्षिक आयोजनों को और भव्यता प्रदान की. सावन मास में पूर्णिमा तिथि पर काशी विश्वनाथ के झूलनोत्सव, दीपावली के अगले दिन होने अन्नकूट पर्व, बसंत पंचमी पर बाबा विश्वनाथ के तिलकोत्सव, महाशिवरात्रि पर विवाहोत्सव और अमला एकादशी पर बाबा के गवना के उत्सव पर काशी विश्वनाथ मंदिर में निभाई जाने वाली परंपराओं का निर्वाहन तब से अनवरत करते आ रहे थे उन्होंने काशी की परंपरा को सदैव जीवंत रखा आज उनका हम काशीवासियों को छोड़कर जाना बहुत दुःखद है. बाबा विश्वनाथ जी उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करे शोकाकुल परिजनों व उनके शुभचिंतको के प्रति कांग्रेस पार्टी अपनी संवेदना व्यक्त करती है।
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