ऑस्ट्रिया के बेहतर संबधों से भारत में निवेश की संभावना बढ़ी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऑस्ट्रिया यात्रा से वहां की कंपनियां और इन्वेस्टर्स ने भारत में अपनी रुचि दिखाई है, जो काबिलेतारीफ है। हालांकि भारत के अलग-अलग सेक्टर में 150 से अधिक ऑस्ट्रियन कंपनियां पहले से ही काम कर रही हैं। लेकिन पीएम मोदी के दौरे के दौरान वहां के लोगों में जो उत्साह दिखा उससे उम्मीद है कि आने वाले समय में वहां की कंपनियां भारत में अपना विस्तार करेंगी। मोदी की पॉपुलारिटी का जलवा ऑस्ट्रियाई चांसलर कार्ल नेहमर ने भी स्वाद चखा और सेल्फी लेते ही पूरी दुनिया में छा गए।बता दें, भौगोलिक दृष्टि से भारत और ऑस्ट्रिया भले ही दो अलग-अलग छोर पर हैं, लेकिन दोनों के बीच अनेक समानताएं हैं। विएना में हर 10वां यूनिकॉर्न भारत का है. इससे भारत की अभूतपूर्व ग्रोथ का फायदा ऑस्ट्रिया को भी हुआ है. भारत आज 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. पिछले वर्ष (जनवरी-दिसंबर 2023) दोनों देशों का परस्पर व्यापार 2.49 अरब डॉलर रहा था. ऑस्ट्रिया के समाज में भारतीयों का योगदान प्रशंसनीय है. खासतौर पर वहां के हेल्थकेयर सेक्टर मे भारतीयों की बहुत प्रशंसा होती है। या यूं कहे भारतीय की पहचान ही केयर के लिए होती है। जहां तक यात्रा का सवाल है रूस से लेकर ऑस्ट्रिया तक मोदी ने अपने दौरे के क्रम में इस बात पर जोर देते नजर आए कि यह युद्ध का नहीं, बल्कि शांति का समय है
सुरेश गांधी
फिरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी मास्को
से ऑस्ट्रिया की दो दिवसीय
यात्रा के बाद भारत
पहुंच गए है। मोदी
की दोनों यात्राएं भारत के लिए
काफी महत्वपूर्ण, ऐतिहासिक और बेहद सार्थक
रही। दोनों देशों के बीच मित्रता
में नयी ऊर्जा का
संचार हुआ है. रुस
को छोड़ दे ंतो
बीते 41 साल में पहली
बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री
ने ऑस्ट्रिया की यात्रा की
है. वर्ष 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री
इंदिरा गांधी वहां गयी थीं.
बाद में 1999 में तत्कालीन राष्ट्रपति
केआर नारायणन और 2011 में राष्ट्रपति प्रतिभा
पाटिल ने ऑस्ट्रिया का
दौरा किया था. वहां
के राष्ट्रपति एवं चांसलर भी
भारत आते रहे हैं.
मंत्रियों, अधिकारियों तथा सांसदों की
आवाजाही भी होती रही
है. लेकिन जिस तरह पीएम
मोदी का वहां भव्य
व दिव्य स्वागत किया गया है
उससे उम्मींद की किरण जगी
है। माना जा रहा
है आने वाले दिनों
में आस्ट्रिया के बेहतर संबंधों
से भारत में निवेश
की संभावना बढ़ी है।
इस बीच विदेश
मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर
जायसवाल के मुताबिक पीएम
मोदी ने वियना में
भारतीय समुदाय के सदस्यों से
बातचीत की. इस दौरान
भारतीय समुदाय ने प्रधानमंत्री का
बहुत खुशी और उत्साह
के साथ स्वागत किया.
इस दौरान जहां पीएम ने
पिछले 10 सालों में भारत में
हुए विकास और भविष्य के
लिए अपना नजरिया साझा
किया, वहीं आस्ट्रियाई निवेशकों
को भी आमंत्रित किया।
मोदी ने भारत के
’विश्वबंधु’ होने और वैश्विक
प्रगति और कल्याण में
योगदान देने पर भी
जोर देते हुए भारत-ऑस्ट्रिया साझेदारी को मजबूत करने
में अपनी भूमिका के
लिए भारतीय समुदाय को धन्यवाद दिया.
पीएम ने कहा कि
करीब 200 साल पहले वियना
में संस्कृत पढ़ाई जाती थी।
1880 में इंडोलॉजी के लिए एक
स्वतंत्र पीठ की स्थापना
के साथ ही इसे
और बढ़ावा मिला। उन्होंने कहा, ’’मुझे आज कुछ
प्रख्यात इंडोलॉजिस्ट से मिलने का
मौका मिला, उनकी चर्चाओं से
यह स्पष्ट था कि उन्हें
भारत में बहुत रुचि
थी। भारत आज दुनिया
की पांचवी अर्थव्यवस्था है। हम टॉप
तीन में पहुंचेंगे। 2014 में
भारत की इकॉनोमी 10वें
नंबर की थी। 2047 तक
विकसित भारत बनाएंगे। भारत
में हर दिन दो
नए कॉलेज खुले हैं।
वैसे भी दोनों
देशों के बीच कूटनीतिक
संबंध नवंबर 1949 में स्थापित हुए
थे. बीते 75 वर्षों में द्विपक्षीय संबंध
उत्तरोत्तर गहरे होते गये
हैं. पिछले वर्ष (जनवरी-दिसंबर 2023) दोनों देशों का परस्पर व्यापार
2.49 अरब डॉलर रहा था.
यह व्यापार लगातार बढ़ता रहा है
तथा व्यापार संतुलन भारत के पक्ष
में है. भारत द्वारा
निर्यात होने वाली वस्तुओं
में इलेक्ट्रॉनिक चीजें, कपड़े, जूते, रबर उत्पाद, वाहन
एवं रेल कल-पुर्जे,
इलेक्ट्रिक मशीनें और मैकेनिकल चीजें
प्रमुख हैं. ऑस्ट्रिया से
भारत मशीनरी, मैकेनिकल चीजें, रेल के कल-पुर्जे, लोहा एवं इस्पात
आदि आयातित करता है. ऑस्ट्रिया
यूरोपीय संघ का सदस्य
है. भारत और यूरोपीय
संघ मुक्त व्यापार समझौते के लिए प्रयासरत
हैं. इस समझौते के
बाद दोनों देशों के कारोबार में
उल्लेखनीय बढ़ोतरी की आशा है.
प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित
किया है कि भारत
और ऑस्ट्रिया के परस्पर संबंधों
का आधार दोनों देशों
के साझा मूल्य हैं.
गुरुदेव रबींद्रनाथ ठाकुर ने 1921 और 1926 में ऑस्ट्रिया की
राजधानी वियना की यात्रा की
थी. उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ
से ही वहां इंडोलॉजी
का अध्ययन किया जाता है.
वर्ष 1845 में ही वियना
विश्वविद्यालय में संस्कृत की
पढ़ाई शुरू हो चुकी
थी. भारतीय साहित्य, संगीत एवं रंगकर्म के
अलावा हाल के वर्षों
में ऑस्ट्रिया के लोगों की
रुचि आयुर्वेद और योग में
बढ़ी है.
मतलब साफ है
आर्थिक और कूटनीतिक तत्वों
के साथ-साथ सांस्कृतिक
निकटता भी परस्पर संबंधों
का महत्वपूर्ण आधार है. आकलनों
के अनुसार, ऑस्ट्रिया में 31 हजार से अधिक
भारतीय मूल के लोग
और प्रवासी भारतीय हैं. वहां 450 से
अधिक भारतीय छात्र उच्च शिक्षा हासिल
कर रहे हैं. यूरोप
में ऑस्ट्रिया को उसके पूर्वी
और पश्चिमी भाग के बीच
एक पुल माना जाता
है. इसी प्रकार वह
भारत के लिए भी
यूरोप में संबंधों को
प्रगाढ़ करने का महत्वपूर्ण
माध्यम बन सकता है.
वैश्विक भू-राजनीतिक चुनौतियां,
जलवायु संकट तथा अंतरराष्ट्रीय
सहकार बढ़ाना प्रधानमंत्री मोदी तथा ऑस्ट्रियाई
नेतृत्व की भेंट के
मुख्य मुद्दे हैं. दोनों देशों
के कारोबारी प्रतिनिधियों के साथ उनकी
बैठक से व्यापारिक संबंधों
को नयी गति मिलने
की आशा है. अविश्वास
से भरी अंतरराष्ट्रीय राजनीति
में भारत की विश्वसनीयता
निरंतर बढ़ रही है.
प्रधानमंत्री मोदी की ऑस्ट्रिया
यात्रा उसका एक उदाहरण
है.
देखा जाएं तो
पीएम मोदी का ऑस्ट्रिया
की राजधानी विएना पहुंचने पर शानदार स्वागत
किया गया। पीएम मोदी
के स्वागत में एयरपोर्ट पर
रेड कारपेट बिछाया गया। पीएम मोदी
के स्वागत में ऑस्ट्रिया के
विदेश मंत्री एलेक्डज़ेंडर शालेनबर्ग एयरपोर्ट पर पहुंचे थे।
पीएम मोदी को ‘गार्ड
ऑफ ऑनर’ देकर भी
सम्मानित किया गया। पीएम
मोदी की ऑस्ट्रिया के
चांसलर कार्ल नेहमर से भी मुलाकात
की, जिन्होंने पीएम मोदी का
स्वागत किया और उनके
लिए रात्रिभोज का भी आयोजन
किया। तो दूसरी तरफ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वियना
में सोफ़िएन्सेल में भारतीय समुदाय
के सदस्यों का अभिवादन किया।
इस दौरान भारतीय समुदाय के सदस्यों ने
’मोदी, मोदी’ के नारे लगाए।
मोदी की पॉपुलारिटी का
जलवा ऑस्ट्रियाई चांसलर कार्ल नेहमर ने भी स्वाद
चखा और सेल्फी लेते
ही पूरी दुनिया में
छा गए।
नेहमर ने पीएम मोदी
के साथ सेल्फी ली
जो सोशल मीडिया पर
वायरल हो गई. ऐसे
में दुनिया के देशों में
पीएम मोदी का दम
तो दिखा ही आभासी
दुनिया में भी कार्ल
नेहमर और पीएम मोदी
की सेल्फी ने हंगामा मचा
दिया. ऐसा ही कुछ
पीएम मोदी और इटली
की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की सेल्फी ने
सोशल मीडिया पर हंगामा मचाया
था. पीएम मोदी के
साथ ऑस्ट्रियाई चांसलर नेहमर द्वारा ली गई सेल्फी
वाली तस्वीर ने सोशल मीडिया
पर ऐसा हंगामा मचाया
कि कार्ल नेहमर के इस तस्वीर
वाली ट्वीट को 3,500 रीट्वीट, लगभग 36,000 लाइक और 1.3 मिलियन
से अधिक बार देखा
गया. जबकि पीएम मोदी
को टैग करते हुए
और ऑस्ट्रिया में उनका स्वागत
करते हुए उनके दूसरे
ट्वीट को लगभग 2,600 रीट्वीट,
23,000 लाइक और 2.5 मिलियन से अधिक बार
देखा गया. कार्ल नहमर
के इन दोनों ट्वीट्स
को सोशल मीडिया पर
आशा से ज्यादा लोकप्रियता
मिली. अगर हम इनकी
तुलना उनके सामान्य ट्वीट्स
से करें, तो इनमें औसतन
100 से कम रीट्वीट, 300 लाइक
और लगभग 25,000 व्यूज नजर आएंगे. इन
दो एक्स पोस्ट और
उनके अन्य एक्स पोस्ट
के बीच मुख्य अंतर
यह था कि इन
दोनों पोस्ट के केंद्र में
पीएम मोदी थे जिसकी
वजह से सोशल मीडिया
पर उनकी पोस्ट ने
इतना हंगामा मचाया.
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