Wednesday, 17 July 2024

बाढ़ से काशी के कई घाट गंगा में समाएं

बाढ़ से काशी के कई घाट गंगा में समाएं

रत्नेश्वर महादेव समेत कई मंदिर भी डूबेअस्सी घाट के आरती स्थल तक पहुंचीं गंगातीर्थ पुरोहितों ने हटाईं चौकियांखोले झंडे

गंगा पार नावों के जाने पर लगा प्रतिबंधनहीं चलेंगी छोटी नावेंबढ़ रहे जलस्तर को लेकर अलर्ट. 62.74 मीटर पहुंचा पानी  

गंगा का जलस्तर बढ़ने से आसपास के लोगों में दहशत

घाट किनारे लोगों को एहतियात बरतने को कहा गया

सुरेश गांधी

वाराणसी। गंगा के जलस्तर में धीरे ही धीरे सही लेकिन बढ़ाव जारी है। इसके चलते काशी के कई घाटों की सीढ़ियां डूब चुकी है, तो कई डूबने के कगार पर है। एक तरह से काशी के घाटों का आमजनों के लिए संपर्क टूटा चुका है। मणिकर्णिका घाट पर रत्नेश्वर महादेव मंदिर प्रयागघाट स्थित जुगल रुक्मिणी मंदिर पर बना गंगा आरती का प्लेटफार्म डूब गया। अस्सी घाट के आरती स्थल तक पहुंच चुकी हैं। अस्सी से राजघाट के बीच घाट किनारे के छोटे-छोटे मंदिर भी पानी में डूब चुके हैं। घाटों का संपर्क पहले ही टूट चुका था. केंद्रीय जल आयोग के अनुसार जलस्तर 62.75 मीटर पहुंच गया है। गंगा के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए नावों के गंगा पार जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। छोटी नावों का भी संचालन नहीं होगा। बड़ी नावें चलेंगी जरूर लेकिन उन पर क्षमता से आधी सवारी को बैठाने की अनुमति होगी। नावों की सवारी करने वाले हर किसी को लाइफ जैकेट पहनना अनिवार्य होगा।

गंगा के जलस्तर में वृद्धि की दर भले कम हो गई लेकिन घाटों का संपर्क टूटने का क्रम जारी रहा। शिवाला से हनुमानघाट की ओर जाने का मार्ग बंद हो गया। लोग पानी में से होकर -जा रहे हैं। इसमें गिर भी जा रहे हैं। हरिश्चंद्र घाट पर चरणपादुका चारो ओर से तो मसाननाथ बाबा मंदिर तीन तरफ से पानी से घिर गया है। केदारघाट समेत अनेक घाटों का संपर्क भी टूटने के कगार पर है। किनारों पर स्थित कई मंदिर पानी में डूब गए हैं, कुछ में पानी प्रवेश कर गया है। पानी बढ़ने से अहिल्याबाई घाट समेत कई घाटों पर मंदिर जलाजल हो चुके हैं। दशाश्वमेध घाट का प्लेटफार्म नमो घाट का रैंप जलमग्न हो चुका है। केदारघाट की तीन सीढ़ियां बची हैं, ये भी डूबीं तो इस घाट पर भी अन्य घाटों से पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। मणिकर्णिका घाट पर रत्नेश्वर महादेव मंदिर, ललिता घाट पर बनी जेटी, दशाश्वमेध घाट पर बना गंगा आरती का प्लेटफार्म आदि पानी में डूब चुके थे। बढ़ते पानी का प्रवाह और गति देख आशंकित मान मंदिर पर तीर्थ पुरोहित अपनी चौकियां हटा चुके हैं तो दशाश्वमेध पर लगी झंडियां भी आरती समिति के स्वयंसेवकों ने उतार लिए हैं।

एसीपी दशाश्वमेध प्रज्ञा पाठक के अनुसार गंगा का जलस्तर बढ़ने के साथ बहाव भी तेज हो गया है। इसे देखते हुए छोटी नावों के संचालन पर रोक लगा दी गई है। स्नान और घूमने के लिए नावों में बिठाकर लोगों को गंगा पार ले जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। अभी बड़ी नावें चल सकेंगी लेकिन उन पर क्षमता से आधी सवारी बैठाने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही लाइफ जैकेट समेत अन्य सुरक्षा उपकरण का उपयोग करना अनिवार्य किया गया है। नावों की सबसे अधिक भीड़ गंगा आरती के दौरान होती है। पानी के तेज बहाव को देखते हुए इस पर भी रोक लगाई गई है। दशाश्वमेध शीतला घाट पर गंगा आरती के दौरान दूसरे घाटों से आने वाली नावों को वहां रुकने पर रोक लगाई गई है। आरती खत्म होने के बाद किसी को नाव चलाने की अनुमति नही होगी। नियमों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यह अलग बात है कि तमाम सख्ती के बावजूद इसका पालन नहीं हो रहा है। नाविक गंगा में छोटी नावें चला रहे हैं। नावों पर क्षमता से अधिक सवारी भी बैठा रहे हैं। नावों पर सवार कई लोग बिना लाइफ जैकेट के भी नजर रहे हैं।

सिंचाई विभाग हुआ सतर्क

केंद्रीय जल आयोग के मध्य गंगा खंड कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार शनिवार की सुबह राजघाट पर गंगा का जलस्तर 58.87 मीटर था जो 24 घंटे में रविवार सुबह आठ बजे तक 1.14 मीटर बढ़कर 60.1 मीटर पहुंच गया। सुबह आठ बजे के बाद वृद्ध दर में थोड़ी कमी आई और जलस्तर 10 सेमी के बजाय नौ सेमी प्रति घंटा की गति से बढ़ने लगा।  इस गति से बढ़ता पानी शाम छह बजे तक 10 घंटे में 98 सेमी बढ़कर 60.98 मीटर तक पहुंच गया। उधर, मीरजापुर, चंदौली, गाजीपुर बलिया में गंगा के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। बढ़ रहे पानी को देखकर सिंचाई विभाग सतर्क हो गया है।  केंद्रीय जल आयोग के अनुसार सुबह आठ बजे गंगा के जलस्तर में दो सेंमी प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ़ाव दर्ज किया गया। फ्लड बुलेटिन के अनुसार सुबह आठ बजे जलस्तर 62.64 मीटर था। हालांकि दिन में बढ़ाव की रफ्तार धीमी पड़ी और यह प्रति दो घंटे एक सेंटीमीटर तक पहुंच गई थी।

 





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