बांग्लादेश में 49 साल बाद फिर तख्ता पलट, देश छोड़कर भागीं शेख हसीना, सेना ने संभाला मोर्चा
सेना बनाएगी
अंतरिम
सरकार,
प्रदर्शनकारियों
पर
गोली
नहीं
चलाने
की
अपील
सुरेश गांधी
बांग्लादेश में एक बार फिर तख्तापलट हो गया है. चुनी हुई प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है. वहां से जान बचाकर वो भारत आ गई है. यहां से वो लंदन जाने की तैयारी कर रही हैं. छात्रों और लोगों के जोरदार प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश में बड़ा बवाल छिड़ गया है. आगजनी और भीषण हिंसा हो रही है. हालात बेकाबू हो चुके हैं. देशव्यापी कर्फ्यू को दरकिनार करते हुए प्रदर्शनारी सोमवार को बांग्लादेश के कई इलाकों में मार्च के लिए इकठ्ठा हुए थे. प्रदर्शनकारी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे थे. इस दौरान प्रदर्शनकारियों और सत्तत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों के बीच झड़पें शुरू हुईं जिसने देखते ही देखते भीषण हिंसा का रूप ले लिया. इन दंगों की वजह से 300 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में शेख हसीना पर इस्तीफा देने का दबाव बनाया जा रहा था और आज बांग्लादेश के आर्मी चीफ वकार-उज़-ज़मान ने भी शेख हसीना को पीएम पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया। हालात बेकाबू देख शेख हसीना पीएम पद से इस्तीफा देकर अपनी बहन शेख रेहाना के साथ देश छोड़कर भाग गई।
जारी हिंसा और प्रदर्शन के बीच सेना प्रमुख ने कहा, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पद से इस्तीफा दे दिया है और अब अंतरिम सरकार कार्यभार संभालेगी. बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने सोमवार को यह घोषणा की. शेख हसीना के ढाका छोड़कर चले जाने के बीच सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने टेलीविजन पर दिए गए अपने संबोधन में कहा, मैं देश की सारी जिम्मेदारी ले रहा हूं. कृपया सहयोग करें. सेना प्रमुख ने कहा कि उन्होंने राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की और उन्हें बताया कि सेना कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालेगी.
पीएम आवास में घूसे उपद्रवी, पलंग पर लेटे, खाया चिकन...
शेख हसीना के
ढाका छोड़ने की खबर फैलते
ही, उनके इस्तीफे की
मांग कर रहे प्रदर्शनकारी
प्रधानमंत्री निवास गानोभाबोन में घुस गए.
दोपहर करीब तीन बजे,
गोनोभा भवन के दरवाजे
खुलते ही प्रदर्शनकारियों ने
परिसर में प्रवेश किया
और जश्न मनाया. हसीना
और उनकी बहन पहले
ही वहां से निकल
चुकी थीं. इस दौरान,
बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी ढाका
पैलेस में घुसकर शेख
मुजीब की मूर्ति तोड़ने
में सफल रहे. देश
में तनाव के माहौल
के बीच, आर्मी चीफजनरल
वकार-उज-जमान ने
जल्द ही अंतरिम सरकार
के गठन की घोषणा
की.
जमात-ए-इस्लामी को बैन करना शेख हसीना को पड़ा भारी
शेख हसीना सरकार ने हाल ही में जमात-ए-इस्लामी, इसकी छात्र शाखा औ इससे जुड़े अन्य संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह कदम बांग्लादेश में कई सप्ताह तक चले हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद उठाया गया था. कहा जा रहा है कि सरकार की इस कार्रवाई के बाद ये संगठन शेख हसीना सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं. माना जा रहा है कि बीते दिनों बांग्लादेश सरकार की ओर से कट्टरपंथी दल जमात-ए-इस्लामी पर लगाए गए बैन के कारण ही छात्रों का यह प्रदर्शन हिंसा में बदल गया. प्रदर्शनकारी इतने उग्र हो गए कि उन्होंने सरकारी संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया और पीएम हाउस के भीतर घुस गए. वीडियो में प्रदर्शनकारियों को पीएम हाउस के भीतर घुसकर मौज-मस्ती करते हुए देखा जा रहा है.
कुछ
ऐसी ही तस्वीरें कुछ
साल पहले श्रीलंका से
सामने आई थीं. इतना
ही नहीं कुछ लोगों
को बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे
जाने वाले शेख मुजीब
की मूर्ति परपर चढ़कर हथौड़ा
चलाते भी देखा गया.
दरअसल शेख हसीना सरकार
ने हाल ही में
जमात-ए-इस्लामी, इसकी
छात्र शाखा और इससे
जुड़े अन्य संगठनों पर
प्रतिबंध लगा दिया था.
यह कदम बांग्लादेश में
कई सप्ताह तक चले हिंसक
विरोध प्रदर्शनों के बाद उठाया
गया था. कहा जा
रहा है कि सरकार
की इस कार्रवाई के
बाद ये संगठन शेख
हसीना सरकार के खिलाफ सड़कों
पर उतर आएं। सरकार
ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत जमात-ए-इस्लामी पर
बैन लगाते हुए कट्टरपंथी पार्टी
पर आंदोलन का फायदा उठाने
और लोगों को हिंसा के
लिए बरगलाने का आरोप लगाया
था. जमात-ए-इस्लामी
पर प्रतिबंध लगाने का फैसला शेख
हसीना की पार्टी अवामी
लीग के नेतृत्व वाले
14 पार्टियों के गठबंधन की
मीटिंग में लिया गया
था. इस मीटिंग के
दौरान कथित रूप से
सहयोगी पार्टियों ने भी कट्टर
पार्टी पर बैन लगाने
की अपील की थी.
जमात-ए-इस्लामी क्या है?
जमात-ए-इस्लामी
एक राजनीतिक पार्टी है, जिसे बांग्लादेश
में कट्टरपंथी माना जाता है.
यह राजनीतिक पार्टी पूर्व पीएम खालिदा जिया
की समर्थक पार्टियों में शामिल है.
जमात पर प्रतिबंध लगाने
का हालिया निर्णय 1972 में ’राजनीतिक उद्देश्यों
के लिए धर्म का
दुरुपयोग’ के लिए प्रारंभिक
प्रतिबंध के 50 साल बाद लिया
गया है। जमात-ए-इस्लामी की स्थापना 1941 में
ब्रिटिश शासन के तहत
अविभाजित भारत में हुई
थी. 2018 में बांग्लादेश हाई
कोर्ट के फैले का
पालन करते हुए चुनाव
आयोग ने जमात का
पंजीकरण रद्द कर दिया
था. इसके बाद जमात
चुनाव लड़ने से अयोग्य
हो गई थी.
हिन्दुओं पर हमले में शामिल जमात-ए- इस्लामी
जमात-ए- इस्लामी
का बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं
पर हमला करने में
भी नाम आता रहा
है. मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल नेअपनी एक रिपोर्ट में
कहा है कि जमात-ए-इस्लामी और
छात्र शिविर लगातार बांग्लादेश में हिन्दुओं को
निशाना बनाते रहे हैं. बांग्लादेश
में काम कर रहे
गैर सरकारी संगठनों का आकलन है
कि साल 2013 से 2022 तक बांग्लादेश में
हिन्दुओं पर 3600 हमले हुए हैं.
इसमें जमात-ए-इस्लामी
का कई घटनाओं में
रोल रहा है.
खत्म हुआ शेख हसीना का 15 साल का राज
आज इस्तीफे के
साथ ही शेख हसीना
का 15 साल का राज
भी खत्म हो गया
है। 76 वर्षीय शेख हसीना 6 जनवरी,
2009 को पहली बार बांग्लादेश
की पीएम बनी थी।
आज, 5 अगस्त, 2024 को इस्तीफे के
साथ ही उनका पीएम
पद का 15 साल का लंबा
कार्यकाल खत्म हो गया
है। शेख हसीना अपनी
जान बचाने के लिए अपनी
बहन के साथ देश
छोड़कर भारत आ गई
है। बांग्लादेश एक समय पर
पाकिस्तान का हिस्सा था।
भारत की मदद से
ही बांग्लादेश एक आज़ाद देश
बना था। अब हालात
ऐसे हो गए हैं
कि पिछले 15 साल से बांग्लादेश
की पीएम रही शेख
हसीना को आज जान
बचाने के लिए भारत
में ही शरण लेनी
पड़ी है। पहले खबर
आई थी कि (ज्तपचनतं)
की राजधानी अगरतला (।हंतजंसं) में उनका हेलीकॉप्टर
लैंड हो चुका है।
लेकिन यह सिर्फ अफवाह
थी। शेख हसीना को
उनकी बहन के साथ
ग़ाज़ियाबाद (ळीं्रपंइंक) लाया गया है।
गाज़ियाबाद के हिंडन एयरबेस
(भ्पदकवद ।पतइेंम) पर शेख हसीना
का विमान लैंड कर गया
है। हिंडन एयरबेस से शेख हसीना
को दिल्ली (क्मसीप) लाया जाएगा।
1975 में हुई थी पिता और भाइयों की हत्या
पाकिस्तान की तरह बांग्लादेश
में भी तख्ता पलट
नई बात नहीं है.
कई बार यहां लोकतंत्र
के खिलाफ जाकर सैनिकों ने
तख्तापलट की कोशिश की
है. 15 अगस्त 1975 को शेख हसीना
के पिता और भाइयों
की तख्ता पलट के दौरान
हत्या कर दी गई
थी. बता दें, साल
1975 में अगस्त के महीने में
ही बांग्लादेश में बलवा हुआ
था. इसमें कई लोगों को
जान चली गई थी.
खुद शेख हसीना के
पिता और भाइयों की
जान चली गई थी.
उनके पिता शेख मुजीबुर
रहमान जब देश के
पीएम थे उस समय
भी सेना ने तख्तापलट
कर दिया था. तख्ता
पलट के दौरान शेख
हसीना के लगभग पूरे
परिवार को खत्म कर
दिया था. किसी तरह
किसी तरह शेख हसीना
और उनकी बहन की
जान बच पाई थी.
तख्तापलट में गई थी शेख मुजीब की जान
49 साल पहले अगस्त
महीने में ही बांग्लादेश
में तख्तापलट हुआ था. 15 अगस्त
1975 को शेख मुजीबुर रहमान
समेत उनके परिवार की
तख्ता पलट के दौरान
हत्या कर दी गई
थी. उस समय बड़ी
मुश्किल से शेख हसीना
और उनकी बहन की
जान बच पाई थी.
भारत ने हसीना को
राजनीतिक शरण दी थी.
शेख हसीना 1981 तक दिल्ली में
रही थीं. इसके बाद
वापस बांग्लादेश जाकर हसीना ने
अपने पिता की राजनीतिक
विरासत को संभाला था.
तख्तापलट में उनके पिता,
मां और 3 भाई मारे
गए थे.
मेजर जनरल जिया उल रहमान ने संभाली सत्ता
15 अगस्त 1975 को शेख मुजीबुर्रहमान
की हत्या और उनकी सरकार
का तख्तापलट कर दिया गया
था. बांग्लादेश में सेना की
बगावत के बाद कुछ
हथियारबंद लड़ाके शेख हसीना के
घर में घुसे और
उनके माता-पिता और
भाईयों की क्रूरता से
हत्या कर दी. शेख
हसीना के परिवार को
खत्म करने के बाद
मेजर जनरल जियाउर रहमान
ने सत्ता की बागडोर अपने
हाथ में ले ली.
उन्होंने सैन्य शासन की तरह
देश को संभाला. हालांकि,
इस हमले में शेख
हसीना और उनकी बहन
बच गईं.
1981 में भी किया गया था प्रयास
बांग्लादेश में अपने कार्यकाल
के दौरान जियाउर रहमान की 30 मई 1981 को हत्या कर
दी. उनके छह बॉडीगार्ड
और दो सहयोगी की
बी सेना की एक
टुकड़ी ने हत्या कर
दी. इसके बाद सेना
के कुछ अधिकारियों ने
सत्ता पर कब्जा जमाने
की कोशिश की. हालांकि उनकी
कोशिश सफल नहीं हो
सकी. बांग्लादेश में चुनावों के
जरिए एक बार फिर
लोकतांत्रिक व्यवस्था को कायम किया
गया.
1996 में तख्तापलट की नाकाम कोशिश
बांग्लादेश में 1996 में भी तख्तापलट
की कोशिश की गई थी,
हालांकि यह भी सफल
नहीं हुई थी. लेफ्टिनेंट
जनरल अबू सालेह मोहम्मद
नसीम ने 1996 में बांग्लादेश के
कार्यवाहक सरकार के खिलाफ एक
असफल तख्तापलट किया था. 19 मई
1996 को कार्यवाहक सरकार के दौरान राष्ट्रपति
अब्दुर रहमान बिस्वास ने लेफ्टिनेंट जनरल
अबू सालेह मोहम्मद नसीम को दो
वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्त
करने का आदेश दिया
था. लेफ्टिनेंट जनरल नसीम ने
आदेश मानने से इनकार कर
दिया था. इसके बाद
राष्ट्रपति बिस्वास ने उसे बर्खास्त
कर दिया. इससे नाराज होकर
जनरल नसीम ने सैनिकों
को ढाका की ओर
कूच करने का आदेश
दिया. हालांकि यह तख्तापलट की
कोशिश कामयाब नहीं हो सकी.
बाद में जनरल नसीम
को गिरफ्तार कर लिया गया.
2007 में भी हुई थी कोशिश
साल 2007 में भी सेना
प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मोईन अहमद
ने 11 जनवरी 2007 को सैन्य तख्तापलट
की कोशिश की थी. सैन्य
समर्थित कार्यवाहक सरकार का गठन संवैधानिक
प्रावधानों से अलग किया
गया था. सैन्य सरकार
की ओर से दिसंबर
2008 में चुनाव आयोजित करने और सत्ता
का हस्तांतरण अवामी लीग को सौंपे
जाने के बाद यह
तख्तापलट 2008 में खत्म हुआ.
इसके अलावा भी बांग्लादेश में
कई और बार विद्रोह
करने और तख्तापलट करने
की कोशिश की. 2009 में इसी तरह
बांग्लादेश राइफल्स ने विद्रोह किया
था. इसके बाद 2011 में
भी तख्तापलट की कोशिश की
गई थी. हालांकि यह
भी सफल नहीं हो
सकी थी.
भारत पर पड़ेगा असर
भारत बांग्लादेश से
विभिन्न सामानों का आयात करता
है। बांग्लादेश से भारत में
आयात किए जाने वाले
उत्पादों में तैयार वस्त्र,
वस्त्र, जूट और जूट
के सामान, चमड़े के सामान
और कृषि उत्पाद जैसे
फल, सब्जियां और प्रसंस्कृत खाद्य
पदार्थ शामिल हैं। कपड़ा और
परिधानः बांग्लादेश के कपड़ा और
परिधान उद्योग दुनिया भर में प्रसिद्ध
हैं। भारत प्रतिस्पर्धी मूल्य
निर्धारण और गुणवत्ता के
कारण बांग्लादेश से तैयार वस्त्र,
वस्त्र और बुना हुआ
कपड़ा का एक महत्वपूर्ण
मात्रा में आयात करता
है। बांग्लादेश जेनेरिक दवाओं और फार्मास्यूटिकल उत्पादों
का एक प्रमुख निर्यातक
बन गया है। भारत
बांग्लादेश से विभिन्न फार्मास्यूटिकल
फॉर्मूलेशन और कच्चे माल
का आयात करता है,
जो भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के
विकास में योगदान देता
है। चमड़ा और चमड़े
के सामानः बांग्लादेशी निर्माता उच्च गुणवत्ता वाले
चमड़े के सामान का
उत्पादन करते हैं। भारत
बांग्लादेश से चमड़े के
जूते, बैग और पर्स
आयात करता है, जो
बांग्लादेशी निर्माताओं द्वारा पेश किए जाने
वाले शिल्प कौशल की सराहना
करता है। जानकारों का
कहना है कि भारत
में आरजकता फैलने का फौरी असर
तो भारतीय कारोबारियों पर कुछ नहीं
होगा। हालांकि, अगर यह मामला
लंबा चलता है तो
जरूर असर देखने को
मिलेगा। बांग्लादेश से आने वाली
आयातित सामान महंगे हो जाएंगे। पिछले
दो महीने से बांग्लादेश के
हालात खराब होने से
कारोबारियों को हजारों करोड़
का नुकसान हो चुका है।
वित्त वर्ष 23 में बांग्लादेश को
भारत का निर्यात 10.63 बिलियन
डॉलर रहा, जो भारत
के कुल निर्यात का
2.6 प्रतिशत है। इसके विपरीत,
इसी अवधि के दौरानभारत
से बांग्लादेश का आयात कुल
1.86 बिलियन डॉलर रहा, जो
भारत के कुल आयात
का 0.28 प्रतिशत है।
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