वक्फ बोर्ड के अधिकारों में कटौती, गैर मुस्लिमों की एंट्री
केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड संशोधन बिल आज लोकसभा में पेश होने जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक वक़्फ़ बोर्ड पर लगाम लगाने के लिए बिल में 40 संशोधन किए गए हैं। दरअसल, देश में कुल 32 वक्फ बोर्ड हैं। इनके बीच तालमेल के लिए केंद्र सरकार के अल्पसंयख्क मामलों के मंत्रालय की ओर से सेंट्रल वक्फ काउंसिल बनाया गया। यह वक्फ बोर्डों के कामकाज के मामलों में केंद्र सरकार को सलाह देती है। वर्ष 1995 में वक्फ एक्ट में बदलाव भी किया गया और हर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की मंजूरी दी गई
सुरेश गांधी
देश
के कुल वक्फ बोर्ड
के पास फिलहाल आठ
लाख एकड़ जमीन है।
साल 2009 में यह संपत्ति
चार लाख एकड़ हुआ
करती थी। इन जमीनों
में ज्यादातर हिस्सों में मस्जिद, मदरसा
और कब्रिस्तान हैं। दिसंबर 2022 तक
वक्फ बोर्ड के पास कुल
8,65,644 अचल संपत्तियां थीं। अचल सपंत्ति
के लिहाज से देखा जाए
तो वक्फ बोर्ड देश
में रेल व सेना
के बाद तीसरे सबसे
बड़े जमीन के मालिक
हैं। बिल का मकसद
वक्फ संपत्तियों को अवैध कब्जे
से निजात दिलाना है. अभी वक्फ
बोर्ड डिफेंस और भारतीय रेलवे
के बाद देश में
तीसरा सबसे बड़ा भूस्वामी
(चल-अचल संपत्ति) है.
यह बिल मोदी सरकार के तीसरे टर्म का पहला
शक्ति परीक्षण होगा। जहां एक ओर विपक्ष इसे स्थायी समिति के पास भेजने की अपनी मांग
पर खड़ा दिखेगा, वहीं देखना होगा कि एनडीए सरकार में बीजेपी के दो प्रमुख घटक दल जेडीयू
व टीडीपी सदन के भीतर इस बिल पर अपना क्या रुख अपनाते हैं। इन दोनों ही दलों को मुस्लिम
समुदाय में अपना वोट आधार है। ऐसे में उनके सरोकारों की अनदेखी कर क्या ये दोनों दल
बीजेपी के साथ खड़े होना चाहेंगे? दरअसल, लोकसभा व राज्यसभा दोनों ही जगह बीजेपी के
पास इतना संख्याबल नहीं है कि वह अपने दम पर बिल पास करा ले जाए। बिल को पास कराने
के लिए उसे लोकसभा में जेडीयू व टीडीपी की जरूरत पड़ेगी, वहीं राज्यसभा में भी उसे
एनडीए के घटक दलों का साथ चाहिए होगा।हालांकि, रेलवे और
डिफेंस सरकारी संपत्ति हैं.
सरकार वक्फ से जुड़े
दो बिल संसद में
ला रही है. एक
बिल के जरिए मुसलमान
वक्फ कानून 1923 को समाप्त किया
जाएगा. दूसरे बिल के जरिए
वक्फ कानून 1995 में महत्वपूर्ण संशोधन
होंगे. अब तक वक्फ
अधिनियम, 1995 नाम था. अब
संशोधन विधेयक को नया नाम
दिया गया. इसे 'एकीकृत
वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम,
1995' नाम दिया गया है. वक्फ
कानून 1995 का नाम बदल
कर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण,
दक्षता और विकास अधिनियम,
1995 होगा.
अब तक अधिनियम
में 'वक्फ' में मुस्लिम कानून
द्वारा मान्यता प्राप्त विभिन्न प्रकार के वक्फ शामिल
हैं, लेकिन संशोधन विधेयक में जो व्यक्ति
कम से कम पांच
साल से मुस्लिम धर्म
का पालन कर रहा
है वही अपनी चल
अचल संपत्ति को वक्फ को
दान कर सकता है.
इसमें यह भी सुनिश्चित
किया गया है कि
वक्फ-अलल-औलाद महिलाओं
के विरासत
अधिकारों से इनकार नहीं
कर सकता है.
वक्फ कानून 1995 के
सेक्शन 40 को हटाया जा
रहा है. इस कानून
के तहत वक्फ बोर्ड
को किसी भी संपत्ति
को वक्फ की संपत्ति
घोषित करने का अधिकार
था. लेकिन अब संपत्ति को
लेकर अधिकारों पर कैंची चला
दी गई है. दरअसल,
वक्फ अधिनियम की धारा 40 पर
सबसे ज्यादा विवाद है. धारा 40 में
प्रावधान है कि अगर
वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति को
वक्फ संपत्ति समझता है तो वो
उसे नोटिस देकर और फिर
जांच करके तय कर
सकता है कि वो
वक्फ की जमीन है.
वो यह भी तय
कर सकता है कि
ये शिया वक्फ है
या फिर सुन्नी. वक्फ
बोर्ड के फैसले के
खिलाफ सिर्फ ट्रिब्यूनल में ही जाने
का अधिकार है.
मूल अधिनियम में
वक्फ संपत्तियों के सर्वे के
लिए सर्वे कमिश्नरों की नियुक्ति का
प्रावधान है.लेकिन संशोधन
विधेयक में कलेक्टर या
डिप्टी कलेक्टर ही सर्वेकमिश्नर होगा.
इससे नीचे पद वाले
अधिकारी को जिम्मेदारी नहीं
दी जा सकती है.
संशोधन विधेयक में वक्फ संपत्तियों
के रजिस्ट्रेशन और मैनेजमेंट, ट्रांसपेरेंसी
और एफिसियंसी का ख्याल रखा
गया है. इसके लिए
एक सेंट्रल पोर्टल और डेटाबेस का
प्रावधान है. अब किसी
भी संपत्ति को वक्फ के
रूप में दर्ज करने
से पहले सभी संबंधितों
को उचित नोटिस दिया
जाएगा और राजस्व कानूनों
के अनुसार एक विस्तृतप्रक्रिया से
गुजरना होगा.
नए बिल में
केंद्रीय वक्फ परिषद और
राज्य वक्फ बोर्डों की
भूमिका में भी बदलाव
किया गया है.
इन निकायों में मुस्लिम महिलाओं
और गैर-मुसलमानों का
प्रतिनिधित्व भी होगा. केंद्रीय
वक्फ परिषद और राज्य वक्फ
बोर्ड में मुस्लिम और
गैर मुस्लिम का उचित प्रतिनिधित्व
होगा. महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व
दिया जाएगा. केंद्रीय परिषद और राज्य वक्फ
बोर्ड में दो महिलाओं
को रखना अनिवार्य होगा.
एक केंद्रीय परिषद और राज्य वक्फ
बोर्ड में दो महिलाओं
को रखना अनिवार्य होगा.
एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के
जरिए वक्फ के रजिस्ट्रेशन
के तरीके को सुव्यवस्थित किया
जाएगा.
नए बिल में
आगाखानी और बोहरा वक्फ
को परिभाषित किया गया है.
इस विधेयक में बोहरा और
आगाखानियों के लिए एक
अलग औकाफ बोर्ड बनाए
जाने का प्रस्ताव है.
मसौदे में मुस्लिम समुदायों
में अन्य पिछड़ा वर्ग,
शिया, सुन्नी, बोहरा, आगाखानी को प्रतिनिधित्व दिए
जाने का प्रावधान है.
वक्फ परिषद में केंद्रीय मंत्री,
तीन सांसद, मुस्लिम संगठनों के तीन नुमाइंदे,
मुस्लिम कानून के तीन जानकार,
सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट
के दो पूर्व जज,
एकप्रसिद्ध वकील, राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चार लोग, भारत
सरकार के अतिरिक्त या
संयुक्त सचिव आदि होंगे.
इनमें से कम से
कम दो महिलाओं का
होना जरूरी है. मूल अधिनियम
में अपील के लिए
कुछ पावर और प्रावधानों
के साथ वक्फ ट्रिब्यूनल
की स्थापना की गई थी.
लेकिन संशोधन विधेयक में ट्रिब्यूनल स्ट्रक्चर
में सुधार किया गया है.
अब दो सदस्यीय ट्रिब्यूनल
होगा. ट्रिब्यूनल के आदेशों के
खिलाफ हाईकोर्ट में अपील के
लिए 90 दिनों की समय-सीमा
दी जाएगी.
वक्फ संपत्तियों के
सर्वेक्षण के लिए सर्वे
कमिश्नर का अधिकार कलेक्टर
या कलेक्टर द्वारा नामित डिप्टी कलेक्टर को होगा. मूल
अधिनियम में स्पष्ट रूप
से विविध प्रतिनिधित्व को अनिवार्य नहीं
किया गया है. जबकि
संशोधन विधेयक में केंद्रीय वक्फ
परिषद और राज्य वक्फ
बोर्डों में शिया, सुन्नी,
बोहरा, आगाखानी, अन्य पिछड़े वर्गों,
मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों
का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का प्रावधान
रखा गया है. मूल
अधिनियम में मुतवल्लियों (वक्फ
के प्रबंधकों) को शुद्ध वार्षिक
आय का सात प्रतिशत
वार्षिक योगदान देना जरूरी है.
लेकिन संशोधन विधेयक में कम से
कम पांच हजार रुपये
की शुद्ध वार्षिक आय वाले वक्फ
के लिए वार्षिक योगदान
को घटाकर पांच प्रतिशत कर
दिया गया है.
वक्फ संपत्तियों को
विशेष दर्जा दिया गया है,
जो किसी ट्रस्ट आदि
से ऊपर है. यह
अधिनियम 'औकाफ' को रेगुलेट करने
के लिए लाया गया
था. एक वकीफ द्वारा
दान की .गई और
वक्फ के रूप में
नामित संपत्ति को 'औकाफ' कहते
हैं. वकीफ उस व्यक्ति
को कहते हैं, जो
मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के
रूप में मान्यता प्राप्त
उद्देश्यों के लिए संपत्ति
दान करता है. संशोधित
वक्फ एक्ट 1995 का सेक्शन 3(R) कहता
है कि अगर कोई
संपत्ति किसी उद्देश्य के
लिए पवित्र, धार्मिक या चेरिटेबल परोपरकारी
मान ली जाए तो
वो वक्फ की संपत्ति
हो जाएगी. अधिनियम में आखिरी बार
2013 में संशोधन किया गया था.
कुछ मुस्लिम संगठन कर रहे विरोध
इस बात की
प्रबल संभावना है कि सरकार
इस बिल को संसदीय
समिति के पास भेजने
पर सहमत हो सकती
है। इस विधेयक का
कुछ मुस्लिम संगठन विरोध कर रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि
सरकार के एजेंडे का
समर्थन करने वाले कुछ
दलों ने भी प्रस्तावित
कानून पर अपनी आपत्ति
व्यक्त की है। संसदीय
कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने समिति की
बैठक में कहा कि
सरकार बृहस्पतिवार को इस बात
पर विचार करेगी कि विधेयक को
संसदीय जांच के लिए
भेजा जाए या नहीं।
लोकसभा में कांग्रेस के
उप नेता गौरव गोगोई
और तृणमूल कांग्रेस सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय उन विपक्षी सदस्यों
में शामिल हैं, जिन्होंने बिल
पेश होने के बाद
इसे संसद की स्थायी
समिति को भेजने की
मांग की। संयोग से
अभी लोकसभा की विभाग-संबंधित
स्थायी समितियों का गठन नहीं
हुआ है। यदि सरकार
इस तरह की कार्रवाई
पर निर्णय लेती है तो
सदन बिल पर विचार
के लिए स्थायी समिति
की अनुपस्थिति में एक अलग
समिति बना सकता है।
कई दूरगामी बदलावों का प्रस्ताव
वक्फ बोर्डों को
नियंत्रित करने वाले कानून
में संशोधन से जुड़े विधेयक
में वर्तमान अधिनियम में दूरगामी बदलावों
का प्रस्ताव दिया गया है,
जिसमें वक्फ निकायों में
मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों
का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी शामिल
है। वक्फ (संशोधन) बिल में वक्फ
अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर
‘एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण,
दक्षता और विकास अधिनियम,
1995’ करने का भी प्रावधान
है। विधेयक को पेश किए
जाने से पहले मंगलवार
रात लोकसभा सदस्यों के बीच वितरित
किया गया। विधेयक के
उद्देश्यों और कारणों के
विवरण के अनुसार, विधेयक
में यह तय करने
की बोर्ड की शक्तियों से
संबंधित मौजूदा कानून की धारा 40 को
हटाने का प्रावधान है
कि कोई संपत्ति वक्फ
संपत्ति है या नहीं।
यह केंद्रीय वक्फ परिषद और
राज्य वक्फ बोर्डों की
व्यापक आधार वाली संरचना
प्रदान करता है और
ऐसे निकायों में मुस्लिम महिलाओं
तथा गैर-मुसलमानों का
प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।
No comments:
Post a Comment