बाबा विश्वनाथ धाम में कारगिल योद्धा नायक दीपचंद सम्मानित किए गए
आपरेशन कारगिल
में
तोलोलिंग
हिल
के
ऊपर
सबसे
पहला
गोला
दीपचंद
की
तोप
से
ही
हिट
हुआ
था
दीपचंद देश
की
रक्षा
करते
हुए
अपने
दोनों
पैर
और
एक
हाथ
गवा
चुके
है
सुरेश गांधी
वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम में गरुवार को कारगिल योद्धा नायक दीपचंद ने सपरिवार मत्था टेका। दर्शन पूजन के उपरांत श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक आधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने एक विशेष मुलाकात के दौरान उन्हें अंगवस्त्रम भेंट कर सम्मानित किया। नायक दीपचंद ने श्री मिश्रा से कारगिल युद्ध तथा अपने जीवन के पलों को सांझा किया। नायक दीपचंद ने कहा कि अगर भगवान ने मुझे पुनर्जन्म दिया तो मैं देश की सेवा के लिए खुद को बलिदान कर दूंगा।
नायक दीपचंद पाबड़ा हिसार, हरियाणा निवासी है। इनकी पहली तैनाती फिरोजपुर में तीन साल के लिए हुई थी। फरवरी 1998 में नायक दीपचंद को श्रीनगर में तैनात किया गया। इसके बाद वे कारगिल युद्ध में लड़ने चले गए। क्षात्रावस्था के दौरान भारतीय सेना में शामिल होने के उपरांत इन्होने तीन पराक्रम में भाग लिया। (1) ऑपरेशन रक्षक जम्मू एंड कश्मीर (2) ऑपरेशन विजय कारगिल (3) ऑपरेशन पराक्रम। नायक दीपचंद खुफिया विभाग में काम करते हुए कश्मीरी लैंग्वेज कोर्स करने के बाद ड्यूटी ज्वाइन की थी। आपरेशन कारगिल में तोलोलिंग हिल के ऊपर सबसे पहला गोला दीपचंद की तोप से ही हिट हुआ था।
दीपचंद ही वह जाबाज सैनिक हैं जिन्होंने तोलोलिग पर बोला था कि हमें राशन नहीं, गोला बारूद ज्यादा से ज्यादा चाहिए। कारगिल लड़ाई में नायक दीपचंद की यूनिट ने 8 गन पोजीशन को चेंज किया और लगभग 10,000 गोले दुश्मन पर दागे जो अपने आप में एक रिकार्ड है। इस अच्छे कार्य की वजह से इनकी यूनिट को 12 गैलंट्री अवार्ड से सम्मानित किया गया। उसके बाद आपरेशन पराक्रम के दौरान रियर लोकेशन जो कि सिकंदराबाद में था वहां स्टोर अनलोडिंग में बम धमाके से हाथ उड़ गया और रात भर चले ऑपरेशन में डाक्टरों को जिंदगी बचाने के लिए दोनों टांगे काटनी पड़ी।
सेना में अपने
वीरता व् पराक्रम का
परिचय देते हुए श्री
दीपचंद नायक के गंभीर
रूप से घायल होने
के कारण सेना से
समय से पूर्व सेवानिवृत्त
होने के उपरांत इन्होने
अपना जीवन वीर शहीदों
को सम्मान दिलाने हेतु समर्पित कर
दिया है। वर्तमान समय
में नायक दीपचंद एक
आदर्श सैनिक फाउंडेशन का संचालन कर
रहे है, जो शहीद
स्मारक बनाने व तिरंगा लगाने
के साथ-साथ युद्ध
में घायल, शहीद, दिव्यांग सैनिकों हेतु भी कार्य
करते है। कारगिल विजय
दिवस की रजत जयंती
के उपलक्ष में देशभर में
अमर शहीदों को नमन और
वीर परिवारों के सम्मान के
साथ भारतीय सेवा की प्रतिष्ठित
यूनिट्स का सम्मान जिन्होंने
कारगिल विजय में महत्वपूर्ण
योगदान दिया। कारगिल वॉर हीरो नायक
दीपचंद जिन्होंने देश की रक्षा
करते हुए अपने दोनों
पैर और एक हाथ
गवा दिऐ. वह खुद
इस यात्रा का हिस्सा है
और स्वयं एक कार ड्राइव
करके इस यात्रा को
सफल बना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मुंबई
से शुरू हुआ सफ़र
द्रास वॉर मेमोरियल होते
हुए सियाचिन गंलवान के शहीदों को
नमन कर, संपूर्ण देश
के वीर परिवारों देश
के लिए समर्पित समस्त
वीरों के सम्मान के
लिए यह यात्रा जारी
रहेगी। इस यात्रा का
मुख्या उद्देश्य कारगिल मे सम्मिलित यूनिट्स
को एक मोमेंटो उपहार
स्वरुप प्रदान करना तथा यात्रा
के दौरान जितने भी शहीद परिवार
से भेट होनी है
उनके घर मे शाहिद
की स्मृति में एक दीपक
जलाकर देश के खातिर
शहीद हुए वीरों को
नमन करना।
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