Thursday, 26 September 2024

थमेगा ’रेल जिहाद’ या मौत के तांडव का इंतजार?

थमेगारेल जिहादया मौत के तांडव का इंतजार?  

ट्रेन को डिरेल कर मौत का तांडव करने की साजिश का अंतःहीन सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। माहभर से तकरीबन हर दसरे-तीसरे दिन देश के किसी किसी हिस्से मेंरेल जिहादका घिनौना रुप सामने रहा है। यूपी, राजस्थान, महाराष्ट्र के बाद अब गुजरात में ट्रेन डिरेल की एक और साजिश सामने आयी है। सूरत के बाद बोटाद में ओखा-भावनगर एक्सप्रेस को डिरेल करने की कोशिश की गयी है। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है, क्या सरकारेंरेल जिहादको रोकने में नाकाम हो रही है या मौत के तांडव का इंतजार है? दुसरा बड़ा सवाल रेल से मौत के खेल की यह कैसी साजिश, भारत की लाइफ लाइन पर किसकी नजर है? तीसरा बड़ा सवाल आखिर कौन रच रहा है ट्रेन हादसे की साजिश? कहीं आतंकी वारदात तो नहीं 

                                                     सुरेश गांधी

फिरहाल, देश में लव जेहाद के बाद इन दिनोंरेल जिहादलोगों की जुबान पर है। हर दुसरे तीसरे दिन देश के किसी किसी हिस्से में रेल से मौत के खेल की लगातार साजिशें हो रही हैं। गुजरात में सूरत के बाद बोटाद में ट्रेन को डिरेल करने की कोशिश की गई है. भावनगर पैसेंजर ट्रेन को बेपटरी करने का प्रयास हुआ है. रेलवे ट्रैक पर रखे 4 फीट लंबा लोहे का एंगल से ट्रेन टकरा गयी। इंजन बंद होने के कारण ट्रेन बेपटरी होने से बच गयी। जबकि 24 घंटे पहले यूपी के कानपुर में दुसरी बार महाराजपुर के प्रेमपुर रेलवे स्टेशन के पास ट्रैक पर एलपीजी का एक गैस सिलेंडर रखा पाया गया। चार दिन पहले गुजरात के सूरत के पास वडोदरा में रेलवे ट्रैक से छेड़छाड़ की गई थी। अराजक तत्वों ने पटरी के बीच फिश प्लेट खोल दिए थे। रेलवे की मानें तो हाल के सप्ताह में 2 पत्थरबाजी की घटनाएं और 4 रेलवे ट्रैक को डिरेल करने की कोशिशें हुईं. देखा जाएं तो भारतीय रेल करोड़ों भारतीयों की लाइफ लाइन है. हर दिन करोड़ों लोग अलग-अलग ट्रेनों से सफर करते हैं. ट्रेनों से सफर को अन्य की तुलना में काफी सेफ सफर माना जाता है. मगर भारत की लाइफ लाइन को अब किसी की नजर लग गई है. पर्दे के पीछे कोई दुश्मन है, जो ट्रेनों को बार-बार टारगेट कर रहा है. कोई तो है जो रेल से मौत के खेल की साजिश रच रहा है.

कानपुर से लेकर अजमेर गुजरात तक में ट्रेन को बेपटरी करने की बड़ी साजिश सामने आई है. कानपुर में रेलवे ट्रैक पर सिलेंडर मिलने के बाद अब राजस्थान के अजमेर जिले में रेलवे ट्रैक पर अलग-अलग जगहों पर करीब एक क्विंटल के सीमेंट ब्लॉक मिले हैं. दिल्ली-हावड़ा रेल खंड को ही सबसे अधिक टारगेट किया जा रहा है. यहां गौर करने वाली बात है कि माहभर में दर्जनभर से अधिक भारतीय रेलवे के साथ 14 अप्रिय घटनाएं हो चुकी हैं. इसमें 2 पत्थरबाज़ी की घटनाएं और 12 रेलवे ट्रैक को डिरेल करने की कोशिशें हुई हैं. हालांकि, अब तक दुश्मन अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए हैं. मगर यह भी हकीकत है कि कोई तो है जो रेल से मौत का खेल खेलना चाह रहा है. खास यह है कि इनघटनाओं के अलावा, रेलवे में इस साल ऐसे कई हादसे हुए हैं, जहां ट्रैक पर कुछ रखे होने की वजह से ड्राइवर को इमरजेंसी ब्रेक लगानी पड़ी है या फिर कई बार ट्रेन बेपटरी हुई है. केवल राजस्थान में एक महीने में तीसरी बार ट्रेन को बेपटरी करने की साजिश हुई है. इससे पहले 28 अगस्त को बारां के छबड़ा में मालगाड़ी के ट्रैक पर बाइक का स्क्रैप फेंका गया था, जिसमें इंजन बाइक के कबाड़ से टकरा गया. हालांकि, अब इन साजिशों से पर्दा उठाने के लिए जांच तेज हो चुकी है. ऐसे मामले इस कदर बढ़ रहे हैं कि रेलवे अब एनआईए की मदद लेने पर विचार कर रहा है।


रेल रिकार्ड के मुताबिक 4 सितंबर, को वाराणसी स्टेशन से रवाना होने के कुछ देर बाद ही लखनऊ से पटना जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस पर हमला हुआ. वंदे भारत ट्रेन पर पत्थर फेंके गए थे. इससे ट्रेन की खिड़कियों को काफी नुकसान पहुंचा. गनीमत रही कि यात्रियों या कर्मचारियों में से कोई भी घायल नहीं हुआ. 5 सितंबर, को रांची से पटना जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस को झारखंड के हजारीबाग में इसी तरह से निशाना बनाया गया. ट्रेन पर पत्थर फेंके गए, जिससे कई खिड़कियों को नुकसान पहुंचा. इसी दिन सायंकाल कुरडुवाड़ी रेलवे स्टेशन के पास एक बड़ा हादसा होते-होते बचा. एक सिग्नल पॉइंट के पास ट्रैक पर जानबूझकर एक फाउलिंग मार्क स्लैब रखा गया था. सतर्क लोको पायलट ने समय रहते ट्रेन को रोक लिया और हादसा होने से बचा लिया. इसके बाद उसने तुरंत अधिकारियों को सूचित किया औरअधिकारियों ने जल्दी से अवरोध को हटा दिया. इस घटना की भी जांच चल रही है. 7 सितंबर को इंदौर-जबलपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस के दो कोच संदिग्ध परिस्थितियों में जबलपुर स्टेशन के पास डिरेल हो गए. डिरेलमेंट की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया है, क्योंकि घटना की असामान्यता रेलवे संचालन पर प्रभाव डालने वाले हाल के अन्य व्यवधानों के बीच संभावित गड़बड़ी की चिंता पैदा करती है.

8 सितंबर को राजस्थान के अजमेर के फुलेरा-अहमदाबाद ट्रैक पर सरधना और बांगड़ स्टेशनों के बीच पटरियों पर सीमेंट के ब्लॉक डालकर एक मालगाड़ी को पटरी से उतारने की कोशिश की गई. हालांकि, कोई अप्रिय घटना नहीं घटी. 9 सितंबर को कानपुर में प्रयागराज से भिवानी जा रही कालिंदी एक्सप्रेस के साथ मौत का खेल खेलने की साजिश रची गई. कालिंदी एक्सप्रेस ट्रैक पर रखे एलपीजी सिलेंडर से उड़ाने की साजिश थी. मगर सिलेंडर से ट्रेन टकराई मगर गनीमत रही कि कोई हादसा नहीं हुआ. ट्रेन से टकराने के बाद सिलेंडर ट्रैक से बाहर चला गया और लोको पायलट ने समय पर आपातकालीन ब्रेक लगा दिए. पुलिस को घटनास्थल से पेट्रोल और माचिस मिलीं, जो स्पष्ट रूप से आपराधिक इरादे को दर्शाती हैं. 24 सितम्बर को सूरत में भी रेल को डिरेल करने की कोशिश की गयी। 18 सितंबर को मध्य प्रदेश में एक आर्मी स्पेशल ट्रेन के रूट पर 10 डेटोनेटर रखे गए थे। ये डेटोनेटर ट्रेन के आने से पहले फट गए। इसके अलावा यूपी के रामपुर में अराजक तत्वों ने रेल की पटरी पर टेलीफोन का खंभा रख दिया था। 26 सितम्बर की सुबह बोटाद में ट्रेन की पटरियों से छेड़छाड़ की गई। रेल जेहादियों ने रात में ओखा-भावनगर पैसेंजर ट्रेन के रास्ते में ट्रैक पर 4 फीट लंबा लोहे का टुकड़ा रख दिया। बुधवार तड़के बोटाद से गुजरने के दौरान ओखा-भावनगर पैसेंजर ट्रेन इस टुकड़े से टकरा गई। टक्कर लगते ही इंजन बंद हो गया। इस कारण ट्रेन करीब 3 घंटे तक खड़ी रही। घटना की जानकारी मिलते ही रेलवे के अधिकारी आरपीएफ और राणपुर पुलिस के साथ मौके पर पहुंची।

हद तो तब हो गयी जब कानपुर में दूसरी बार रेलवे ट्रैक पर गैस सिलेंडर रखकर सैकड़ों लोगों की जान लेने की साजिश हुई, जिसे नाकाम कर निर्दोष लोगों की जान बचाई गई है. शुरू की एक-दो घटनाओं से लगा कि स्थानीय स्तर के किसी सिरफिरे ने गंभीरता को सही तरीके से भांपे बिना ऐसा कर दिया होगा. पर एक के बाद एक हो रही घटना ने यह साफ कर दिया है कि देश में जगह ट्रेन पलटाने की साजिश केवल किसी सिरफिरे की करतूत नहीं हो सकती है. मामला गंभीर है, रेलवे को एक्शन के साथ उच्चस्तरीय जांच की भी मदद लेनी ही पड़ेगी। क्योंकि सूरत में फिश प्लेट खोलने और रामपुर में भी पटरी पर खंभा रखकर निर्दोष लोगों की जान लेने के षड्यंत्र में एक खास तरह का पैटर्न दिख रहा है. इसकी सच्चाई इनफोर्समेंट एजेंसियों की जांच के बाद ही सामने आएगी. परंतु इसके पीछे जनमानस को गहरा घाव देने की कोशिश जरूर है. किसी बड़े नेटवर्क का हाथ होने की आशंका है. यह नेटवर्क अपराधियों का होना तो संभव नहीं लग रहा है. क्योंकि, अपराधी कोई भी वारदात ज्यादातर आर्थिक लाभ को ध्यान में रखकर करते हैं. किसी ट्रेन हादसे में लोगों की जान जाने से किसी अपराधी गिरोह का कोई हित नहीं सधने वाला है.

देखा जाएं तो इन वारदातों के पहले भी शवों के सौदागरों ने ट्रेनों को निशाना बनाकर सैकड़ों निर्दोषों की जान ले ली है. समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट से लेकर मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए विस्फोट तक इसके उदाहरण हैं. हालांकि, अभी तक की जांच में कोई ऐसे तथ्य सामने नहीं आए हैं, जिससे शक की सुई किसी खास ओर जाती दिखे. फिर भी एक के बाद एक हो रही घटनाओं से इतना तो साफ हो गया है कि रेलवे प्रणाली को लेकर काफी सतर्कता की जरूरत है. सुरक्षा एजेंसियों के स्तर पर भी और नागरिकों के स्तर पर भी। कालिंदी एक्सप्रेस की जांच में जहां रेलवे की कमेटी की रिपोर्ट अभी तक नहीं सकी है। वहीं, साबरमती एक्सप्रेस को बेपटरी करने की कोशिश के मामले में चल रही जांच फॉरेंसिक लैब से रिपोर्ट आने की वजह से अटकी हुई है। अब पुलिस ने सैंपलों को लखनऊ की फॉरेंसिक लैब से वापस लाकर चंडीगढ़ स्थित सेंट्रल फॉरेंसिक लैब भेजा है। हालांकि इस रिपोर्ट से इतर भी पुलिस के पास कोई खास सुराग हाथ नहीं लगा है। पुलिस अबतक सौ से ज्यादा लोगों से पूछताछ कर चुकी है। साथ ही सैकड़ों सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को देखने के बाद भी पुलिस को कोई जानकारी हाथ नहीं लगी है। अब इस नई घटना के सामने आने के बाद पुलिस के सामने सभी घटनाओं को किसी निष्कर्ष तक पहुंचाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। मुजफ्फरनगर, मेरठ और दिल्ली तक की दौड़ भी लगाई, लेकिन अभी तक पुलिस खाली हाथ ही है। अब चूंकि केन्द्र सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है तो यह उम्मीद की जानी चाहिए की बहुत जल्द साजिशकर्ताओं का पता लगेगा और उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। बहरहाल जब तक साजिशकर्ताओं की पतासाजी नहीं हो जाती तब तक रेलवे प्रशासन को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए और खासतौर पर रेल चालकों को विशेष सावधानी रखनी चाहिए।

यूपी की घटनाएं

8 सितंबर को, कानपुर नगर जिले में भिवानी जाने वाली कालिंदी एक्सप्रेस (14117) का इंजन कानपुर-कासगंज मार्ग पर बर्राजपुर और उतरीपुरा के बीच रेल पटरी पर रखे एलपीजी से भरे गैस सिलेंडर से टकरा गया था. 16 सितंबर को, दिल्ली जाने वाली स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस (12561) का इंजन गाजीपुर घाट और गाजीपुर सिटी रेलवे स्टेशन के बीच रेल पटरी पर पड़े लकड़ी के लट्ठे से टकरा गया था. 10 सितंबर को तीन लोगों ने गाजीपुर घाट और गाजीपुर सिटी रेलवे स्टेशन ट्रैक के बीच बजरी रखी थी और प्रयागराज-बलिया पैसेंजर ट्रेन पर पथराव किया था. अगले दिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. इसी तरह की एक अन्य घटना में, फर्रुखाबाद में एक किसान नेता के बेटे सहित दो लोगों को 24 अगस्त को भटासा और शमशाबाद रेलवे स्टेशनों के बीच कानपुर-कासगंज मार्ग पर लकड़ी का लट्ठा रखकर कासगंज-फर्रुखाबाद पैसेंजर ट्रेन (05389) को पटरी से उतारने की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. 17 अगस्त को, वाराणसी से अहमदाबाद जा रही 22 कोच वाली साबरमती एक्सप्रेस कानपुर के पास पटरी से उतर गई थी, जब इंजन एक मीटर लंबी पुरानी जंग लगी लोहे की पटरी से टकरा गया था.16 अगस्त को कानपुर-झांसी रेलखंड पर गोविंदपुरी रेलवे स्टेशन के निकट साबरमती एक्सप्रेस बोल्डर से टकरा गई. इससे इंजन सहित 22 कोच पटरी से उतरे. 24 अगस्त : फर्रुखाबाद-कासगंज रेल ट्रैक पर लकड़ी का बड़ा टुकड़ा पाया गया. फर्रुखाबाद पैसेंजर की स्पीड कम होने से हादसा टल गया.

 

 

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