शिव भक्तों को मां अन्नपूर्णा विशेष रुप में देंगी दर्शन, मनेगा 5 दिनी उत्सव
29 अक्तूबर से 2 नवंबर
तक
लुटाएंगी
खजाना
धनतेरस पर
घंटे
भर
पहले
ही
खुल
जायेंगे
मंदिर
के
कपाट
सुरेश गांधी
वाराणसी। साल के सबसे
बड़े त्योहार दीपावली को लेकर शहर
भर में तैयारियां शुरु
हो गयी है। खासकर
शहर के महालक्ष्मी मंदिरों
में तैयारियां अंतिम दौर में है।
जबकि श्री काशी विश्वनाथ
को भिक्षा देने वाली मां
अन्नपूर्णा मंदिर इस बार खास
तैयारियां की गयी है।
इस बार स्वर्णमयी अन्नपूर्णा
मंदिर के कपाट धनतेरस
के दिन घंटे भर
पहले खुलेंगे और अंतिम दिन
अन्नकूट को महाआरती के
बाद आधे घंटे की
देरी से वर्ष भर
के लिए बंद हो
जाएंगे। 29 अक्तूबर से दो नवंबर
तक देश भर के
श्रद्धालु माता के दर्शन
करेंगे।
मंदिर को फूल और
रंगीन झालरों से सजाया जा
रहा है। इस बार
स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा अपने
भक्तों को 95 घंटे तक दर्शन
देंगी और 25 घंटे विश्राम करेंगी।
इसके साथ ही अन्न-धन का खजाना
भी बरसाएंगी। पांच दिनों तक
श्रद्धालु माता के स्वर्णमयी
विग्रह मां अन्नपूर्णा, मां
भूमि देवी, लक्ष्मी और रजत महादेव
के दर्शन कर सकेंगे। 29 अक्तूबर
को धनतेरस के दिन मां
अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट अपने
निर्धारित समय से एक
घंटा पहले ही तीन
बजे खुल जाएंगे। भोर
में पांच बजे से
रात्रि 11 बजे तक भक्तों
को माता के दर्शन
होंगे।
30, 31 अक्तूबर और एक नवंबर
को भक्तों को माता के
स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन चार
बजे भोर से रात्रि
11 बजे तक होंगे। दो
नवंबर को अन्नकूट के
दिन लड्डुओं की झांकी सजेगी
और रात्रि 11.30 बजे माता की
महाआरती होगी। इसके बाद एक
वर्ष के लिए स्वर्णमयी
अन्नपूर्णा का कपाट बंद
कर दिया जाएगा। अन्नपूर्णा
मंदिर के महंत शंकर
पुरी ने बताया कि
काशीपुरी में शुक्रेश्वर के
पश्चित भवानी अन्नपूर्णा और भगवान शंकर
विराजमान हैं। भगवान शंकर
मां अन्नपूर्णा से कहते हैं
कि अन्नपूर्णे सदा पूर्णे शंकरप्राणवल्लभे,
ज्ञानवैराग्यसिद्धयर्थं
भिक्षां देहि च पार्वति...
अर्थात हे अन्नपूर्णे तुम
सदा पूर्ण हो, तुम शंकर
की प्राण प्रिया हो, तुम मुझे
ज्ञान, वैराग्य की सिद्धि के
लिए भिक्षा दो। ढुंढिराज के
दक्षिण भाग में असमान
भवानीतीर्थ है, वहां पर
विधिपूर्वक स्नान करके भवानी की
पूजा करनी चाहिए।
प्रसाद में मिलता है खजाने का सिक्का
देश में एकलौता
ऐसा मां अन्नपूर्णा का
मंदिर है जो सिर्फ
साल में एक बार
ही खुलता है, इस दौरान
लोगों को प्रसाद के
रूप में खजाने के
सिक्के मिलते हैं. जी हां,
प्रकाश पर्व दीपावली के
दौरान काशी का भरण
पोषण करने वाली मां
अन्नपूर्णा के मंदिर से
खजाना वितरण होने की परंपरा
है. इस बार भी
मां अन्नपूर्णा के मंदिर में
धनतेरस से खजाना बटेगा,
जिससे भक्तों को पूरे साल
धन वैभव समृद्धि की
प्राप्ति होगी.
साल में एक बार खुलता है मंदिर
कहते है मां
के आर्शीवाद का प्रतिफल है
कि काशी में कोई
भी भूख नहीं सोता.
पूरे साल में सिर्फ
दीपोत्सव पर्व के दौरान
निर्धारित दिन तक मां
अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी प्रतिमा
का दिव्य दर्शन भक्तों को प्राप्त होता
है. दर्शन करने वाले भक्तों
को आशीर्वाद के रूप में
माता रानी के दरबार
से लावा और सिक्का
खजाना के रूप में
प्राप्त होता है. मान्यता
है कि प्रसाद के
रूप में इस सिक्के
और लावा को अपने
घर में रखने से
पूरे साल सुख - समृद्धि,
धन की प्राप्ति होती
है.
धनतेरस पर लगती है भक्तों की भीड़
काशी और देश
दुनिया से आने वाले
श्रद्धालु मां अन्नपूर्णा मंदिर
के दरबार में दर्शन करने
के लिए पहुंचते हैं
और विशेष तौर पर प्रकाश
पर्व के दौरान खजाना
वितरण के अवसर पर
मंदिर में श्रद्धालुओं की
भारी भीड़ होती है.
No comments:
Post a Comment