नहीं रहे काशी के मर्मज्ञ प्रो. कौशल किशोर मिश्रा
खांटी “बनारसियत“
के
“पद्मविभूषण“
थे
कौशल
गुरू
: अरुण
मिश्रा
डिजिटल चाय
की
अड़ी
सूनी
हो
गई
: अरविन्द
मिश्र
पूरे दिन
सोशल
मीडिया
पर
ट्रेड
होता
रहा,
नहीं
रहे
कौशल
मिश्र
शोशल मीडिया
फेसबुक
पर
27 सितंबर
को
ही
पोस्ट
कर
कहा,
एकाएक
तबियत
बिगड़
गयी
है,
सबको
राम-राम!
सुरेश गांधी
वाराणसी।
काशी के अक्खड़-फक्कड़-खांटी बनारसीपन के पर्याय... काशी
को पूर्णतः समर्पित... राजनीति शास्त्र और सामाजिक विज्ञान
के मूर्धन्य विद्वान बनारस को बनारसी अंदाज
में जीने वाले, काशी
हिंदू विश्वविद्यालय के राजनीतिक शास्त्र
के प्रो. पं. कौशल मिश्र
का गुरुवार को निधन हो
गया। वे 67 वर्ष के थे।
वे अपने पीछे पत्नी
सहित एक पुत्र एवं
दो पुत्रियों का भरा पूरा
परिवार छोड़ गए। मुखाग्नि
उनके सुपुत्र कृतार्थ मिश्रा ने दी। परिजनों
के मुताबिक वे बीते एक
पखवारे से बीमार थे।
हालांकि वे कोरोना सहित
कई बीमरियों को मात दे
चुके थे, लेकिन इस
बार लंग्स रोग ने ऐसा
जकड़ा की उनकी एक
न चली। उन्हें मौत
का आभास हो चुका
था। शोशल मीडिया फेसबुक
पर 27 सितंबर को ही पोस्ट
कर कहा, एकाएक तबियत
बिगड़ गयी है, सबको
राम-राम।
सुबह जब उनके
निधन की खबर मिली
तो उनको हर चाहने
वालों ने सोशल मीडिया
से लेकर काशी के
अड़ियों तक यही पोस्ट
चस्पा व चर्चा करते
हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करता दिखा। भोजपुरी
गायिका मालिनी अवस्थी से लेकर काशी
के मंत्री, विधायक, पत्रकार, बद्धजीवी व आम जनमानस
तक उनके इस असामयिक
निधन से दुखी नजर
आया। लंका स्थित उनके
आवास से पार्थिव शरीर
जब हरिश्चंद के लिए निकला
तो रास्ते से लेकर घाट
तक नम आंखों से
श्रद्धाजंलि व्यक्त करने वालों का
तांता लगा रहा। हर
सख्श उनके साथ बीताएं
लमहों, कार्यो व उनकी बेबाकी
की आपस में बातें
करता रहा। वरिष्ठ पत्रकार
अरुण मिश्रा ने अपने फेसबुक
पर उनकी यादों को
शेयर करते हुए कहा,
गुरुजी का यूं जाना
खल गया. जब दुनिया
करोना काल में घरों
में दुबकी पड़ी थी उस
वक्त आप ने ठेठ
बनारसी रंग में हम
सबको जीने का भरोसा
दिलाते रहे. सोशल मीडिया
पर आप को चाहने
वाले लाखों लोग पोस्ट का
इंतजार करते. बेबाकी से जो ठीक
लगता बोलते रहे. असल में
वह खांटी “बनारसियत“ के “पद्मविभूषण“ थे।
या यूं कहें तो
अब कोई दूसरा “कौशल
गुरू“ नही होगा।
उनके बड़े भाई
अरविंद मिश्रा ने भी उन्हें
भावीभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुए कहा,
बनारस का “होना“ और
बनारस को “जीना“ दोनो
ही मामले में गुरूजी
पूरक थे। रिटायरमेंट के
बाद भी उनमें अल्हड़पन
था। मिजाजी थे। कुछ भी
कहने में कही कोई
हिचक नहीं। मस्तमौला और जिंदादिली कोई
उनसे सीखे। उनकी उम्र से
आधे लोग उनके बाल
सखा जैसे थे। एशिया
के सबसे बड़े संस्थान
के राजनीतिक विज्ञान विभाग में प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष
होने के बावजूद कभी
कोई गुमान नही था। राजनीतिक,
सामाजिक विषयों पर गहरी पकड़
थी। बीते सात दशक
बाद भी अपनी बातो
में, मिजाज में, अल्हड़पन, चुहलबाज़ी,
पहनावा, बोलचाल, अड़ीबाजी में, होली दिवाली
में गुरुजी की रगो में
अंत तक “बनारसियत“ जिंदा
रहा। तभी तो बीते
27 सितंबर को उन्होंने तबियत
खराब होने पर फेसबुक
पर लिखा, सबको
राम राम...। कुछ भी
हो गुरूजी, आपके
बिना “अस्सी की अड़ी“ में अब
वह “तासीर“ नही रहेगी। गुरुजी
का जाना काशी की
राजनीतिक, सामाजिक बौद्धिक रूप से अपूरणीय
क्षति है।
बीएचयू के प्रोफेसर एवं संकट मोचन मंदिर के महंत पं. विश्वंभरनाथ मिश्र व डॉक्टर विजयनाथ मिश्र ने कहा, कौशल जी जैसा बहुआयामी व्यक्तित्व बहुत कम ही लोगों को मिल पाता है। उनके अलमस्त और अद्भुत ठेठ व्यक्तित्व में जैसे बनारस जीता था। वे विद्यार्थियों के प्रिय थे। अध्यापकों और कर्मचारियों के हक के लिए लड़ने वाले थे. सबको प्रसन्न रखने वाले गुरु प्रो. कौशल किशोर मिश्रा जी का असमय जाना मन को द्रवित और अभिव्यक्तियों को निःशब्द कर दिया। प्रोफेसर मिश्र ताउम्र बनारसी अंदाज को जिए और उनके उन्मुक्त ठहाकों ने बनारस को जीवंतता प्रदान की। उनके असामयिक निधन से काशीवासी मर्माहत हैं।
खास यह है कि तुलसी घाट पर होने वाले रामलीला में वह प्रभु श्री राम की भूमिका बखूबी निभाते थे। रामलीला में उनके द्वारा किए गए अतुलनीय योगदान को कोई कैसे भुल सकता है। रामलीला के दौरान मानस की चौपाइयों का वाचन आज भी लोगों के जेहन में है। बीएचयू में रहने और सेवानिवृत्ति के बाद भी वह लोगों को प्रकृति से जुड़े रहने के लिए प्रेरित करते रहे। राजनीतिक विशेषज्ञ होने के साथ ही सामाजिक व धार्मिक कार्यों में उनकी रुचि बेजोड़ थी। लोगे उन्हें मुन्ना भैया के नाम से जानते थे। बिरले ही कोई दिन ऐसा होता था जब वे पप्पू की अड़ी पर नहीं पहुंचते थे। यही वजह है कि उनके निधन के शोक में पप्पू चाय वाले की अड़ी पूरे दिन बंद रही।
प्रो. मिश्र के निधन पर
शोक संवेदना व्यक्त करने वालों में
राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डा. दयाशंकर मिश्र
दयालु ने कहा उनके
असामयिक निधन से बीजेपी
को अपूरणीय क्षति हुई है। भाजपा
क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल ने कहा
कि बनारसीपन का पर्याय रहे
कौशल किशोर अपने शब्दों के
बाणों से विपक्षियों को
भेद डालते थे। उनका असमय
चले जाना पार्टी के
लिए बहुत बड़ी क्षति
है। मेयर अशोक तिवारी
ने कहा कि प्रो.
मिश्र के निधन से
हम सभी मर्माहत हैं।
प्रो. मिश्र के व्यक्तित्व और
कृतित्व के लिए उन्हें
सदैव याद किया जाएगा।
विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी ने कहा कि प्रो. कौशल मिश्र के निधन से पार्टी कार्यकर्ताओं में गहरा दुःख व्याप्त है। विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने कहा कि प्रो. मिश्र के निधन से हम सभी मर्माहत हैं और हमारी संवेदनाएं उनके परिवारजनों के साथ हैं। शोक व्यक्त करने वालों में भाजपा जिलाध्यक्ष एवं एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा, महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय, एमएलसी धर्मेन्द्र राय, प्रदेश प्रवक्ता अशोक पाण्डेय, संसदीय कार्यालय प्रभारी शिवशरण पाठक, पूर्व एमएलसी केदार सिंह, क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी नवरतन राठी, संतोष सोलापुरकर, जगदीश त्रिपाठी, सुरेश सिंह, पद्मश्री राजेश्वर आचार्य, पद्मश्री डॉ. के.के. त्रिपाठी, प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र, सुधीर मिश्रा, नंदजी पाण्डेय, गौरव राठी, डॉ हरदत्त शुक्ला, शैलेन्द्र मिश्रा, रवि मिश्रा, अजय सिंह मुन्ना, देवेंद्र सिंह, सुनील मिश्रा, अनूप मिश्रा, दिनेश मिश्रा, पवन शर्मा सहित अनेकों कार्यकर्ता व प्रबुद्धजन शामिल है। इसके अलावा पत्रकारों में शोक व्यक्त करने वालों में काशी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ तिवारी, महामंत्री अखिलेश मिश्रा एके लारी, आर संजय, विक्रांत दुबे व डीएवी कालेज के प्रो एवं चीफ प्राक्टर सत्यजीत, एडवोकेट आनद शर्मा आदि प्रमुख रहे।
पीएम ने जताया दु:ख, पत्नी के नाम भेजा संदेश
कौशल किशोर मिश्र
के निधन पर प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने दु:ख जताया
है और घर पर
पत्र भेजकर संवेदना प्रकट की है। काशी
को जीने वाले कौशल
भले ही आज हम
सबके बीच नहीं रहे
लेकिन उनके योगदान को
आज हर कोई याद
कर रहा है। प्रधानमंत्री
द्वारा भेजा गया पत्र
सोशल मीडिया पर वायरल हो
रहा है। प्रो. मिश्रा के निधन के
दो दिन बाद पीएम
मोदी ने लिखा, कौशल
किशोर मिश्रा के निधन के
बारे में जानकर गहरा
दुःख हुआ। इस कठिन
घड़ी में मेरी संवेदनाएं
परिवार के साथ हैं।
शेक पत्र में लिखा कि
मिलनसार व्यक्तित्व के धनी कौशल
किशोर मिश्रा जी ने सार्वजनिक
जीवन में सभी दायित्वों
का सफलतापूर्वक निर्वहन किया। वह एक प्रबुद्ध
विचारक थे जिनकी धार्मिक,
राजनीतिक व सामाजिक विषयों
पर गहरी पकड़ थी।
लिखा है कि एक
कुशल शिक्षक के रूप में
उन्होंने अनेक युवाओं का
मार्गदर्शन किया। उत्तर प्रदेश में पार्टी को
मजबूत करने में उन्होंने
महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका निधन समाज
के लिए एक अपूरणीय
क्षति है। कौशल किशोर
मिश्रा के निधन से
आपके जीवन में आए
सूनेपन की पीड़ा को
शब्दों में व्यक्त नहीं
किया जा सकता। आज
वह सशरीर हमारे साथ नहीं हैं,
लेकिन उनकी शिक्षाएं और
जीवन मूल्य परिवार के साथ बने
रहेंगे। ईश्वर आपके परिवार व
शुभचिंतकों को यह दुःख
सहन करने का धैर्य
और साहस प्रदान करें।
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