श्रद्धा, उमंग, उल्लास से मनाया गया भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी में दिवाली
झिलमिलाई काशी, मां लक्ष्मी ने
दिया सुख समृद्धि का आशीर्वाद
घरों प्रतिष्ठानों
से
लेकर
मंदिरों
में
हुआ
लक्ष्मी-कुबेर
पूजन
जमीन से
लेकर
अंबर
तक
जगमगाया
शहर,
जमकर
हुई
आतिशबाजी,
उत्साह
हुआ
दुगुना
विश्वनाथ धाम
में
पहली
बार
लक्ष्मी
पूजा,
घाट
और
गलियों
तक
दिखी
रौनक
लक्ष्मी मंदिर
में
उमड़े
भक्त,
बाहर
तक
लगी
कतारें
जगह-जगह
दीपों
की
रोशनी
और
रंगोली
सजाकर
किया
गसा
मां
लक्ष्मी
का
स्वागत
खेल मैदानों
में
भी
भव्य
सजावट
सुरेश गांधी
वाराणसी। शहर से लेकर
देहात तक में दीपावली
का त्योहार गुरुवार को हर्षोल्लास के
साथ मनाया गया। पूरा शहर
रोशनी से नहा उठा,
जिससे जमीन से लेकर
आसमान तक में उजास
फैला रहा। शुभ मुहूर्त
में महालक्ष्मी पूजन के बाद
लोगों ने एक दूसरे
को दीपावली की बधाइयां दी
और बच्चों ने पटाखे चलाकर
त्यौहार का आनंद उठाया।
इस बार अमावस्या तिथि
2 दिन होने से शुक्रवार
को भी लोगों ने
दिवाली धूमधाम से मनायी। शहर
के घर, प्रतिष्ठान, दुकानें
दीयों व रंग बिरंगी
लाइटों से रोशन हो
रहे थे, तो बाबा
विश्वनाथ का आंगन भी
सांझ ढलते ही दीपों
से रोशन हो उठा।
गंगा के घाट हो
गंगा पार रेती का
नजारा दोनों तरफ झिलमिलाते दीप
अपनी रोशनी से अमावस की
रात को मात दे
रहे थे।
रात में शुभ
मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन
कर लोगों ने मंदिरों व
सूने पड़े घरों के
बाहर भी दिए प्रज्वलित
किए। घरों के बाहर
बच्चों की टोलियां पटाखों
से धूम धड़ाका करने
में व्यस्त दिखी, तो बड़े एक
दूसरे को दिवाली की
शुभकामनाएं देने और मुंह
मीठा करने-कराने व्यस्त
थे। शहर के सभी
मोहल्लों व ग्रामीण अंचलों
में दिव्य एवं भव्य सजावट
और रोशनी की गई थी,
जिसे देखने लोग उमड़ पड़े।
भीड़ को देखते हुए
यातायात पुलिस ने चौक चौबंद
व्यवस्था की थी। दिनभर
बाजारों में मिठाईयों, पटाखें
की दुकानों पर काफी भीड़
रही। रात होते ही
घरों में और प्रतिष्ठानों
में दीये जगमगा उठे।
आकाश में आतिशबाजी के
नजारे भी एक अलग
ही छटा बिखेर रहे
थे।
ग्रामीण अंचलों में भी शाम ढलते ही दीप को और झालरों की रंग बिरंगी लड़ियों से हर गली मोहल्ले रोशनी में डूब गए। घरों में मां लक्ष्मी के पूजन के बाद पारंपरिक परिधानों में लोगों ने खूब आतिशबाजी की। एक दूसरे को दीपावली की शुभकामनाएं के साथ मुंह मीठा करवाया। लक्ष्मी मंदिर में पूरे दिन दर्शन के लिए भक्तों की कतारें लगी रहीं मंदिरों में मां लक्ष्मी संग अन्य भगवान का आकर्षक श्रंगार किया गया था। दीपावली पर सुबह से दोपहर तक उद्योगों, दुकानों, ऑफिस व व्यावसायिक संस्थानों में मुहूर्त के अनुसार मां लक्ष्मी का विधि विधान से पूजन किया गया।
कर्मचारियों को उपहार और मिठाइयों का वितरण किया गया। घर में पूजन के पहले महिलाओं ने आकर्षक रंगोली बनाई। अन्नपूर्णा मंदिर में भव्य श्रृंगार किया गया। शुक्रवार को भी लोगों ने उदया तिथि अनुसार अमावस्या का स्नान किया। स्नान और दान के बाद पितरों के निमित्त तर्पण भी किया। कालोनियों में लोगों ने इको फ्रेंडली दिवाली मनाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। पारंपरिक परिधान में पूरा परिवार मां लक्ष्मी की अगवानी करते उत्साहित नजर आया। खास बात यह है गांवों में जैसे-जैसे शाम ढलती गई बच्चों और युवाओं की टोली विभिन्न प्रकार के पारंपरिक परिधान में पटाखे, अनार, रॉकेट, सुतली बम और फुलझडियों का आनंद उठाते नजर आई।निभाई बही-खाता पूजन की परंपरा
दिवाली पर व्यापार में भी पूजा-अर्चना का खास महत्व रहता है। मान्यता है कि इस दिन बही-खाता की पूजा करने पर पूरे साल धन की आवक बनी रहती है। ऐसे में शहर के व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठानों पर बही-खाता, दवातख् कलम, लक्ष्मी-गणे, कुबेर आदि का पूजन किया। इसके अलावा व्यापारियों ने व्यापारिक कार्य में उपयोगी लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल आदि की भी पूजा की।
बाबा विश्वनाथ धाम बना लोगों
के आकर्षण का केन्द्र
दीपावली पर श्री काशी विश्वनाथ धाम में दीप सज्जा और सनातन शास्त्रीय नवाचार हुआ। ब्रह्मांड में ज्योति से प्रकाश की उत्पत्ति स्वयं महादेव ने ज्योतिर्लिंग स्वरूप में प्रकाश स्तंभ के रूप में की है।
शिवपुराण में इसका जिक्र है। ऐसे में ज्योति पर्व का अनुष्ठान ज्योतिर्लिंग धाम में समारोह का आयोजन शास्त्रों के हिसाब से किया जाता है। इसी सनातन विचार के क्रम में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने विशिष्ट सज्जा के साथ शास्त्रीय आराधना कराई। पहली बार उत्सव में मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने सपरिवार पूजा की। मंदिर प्रांगण में श्री सत्यनारायण भगवान के मंदिर में महालक्ष्मी और गणपति की आराधना की गई।सनातन
समाज, राष्ट्र और विश्व के
सुखी होने की कामना
की गई। दीपावली में
भगवान विश्वनाथ की षोडशोपचार आराधना
के बाद मां अन्नपूर्णा
की पूजा की गई।
इसके बाद प्रसाद का
वितरण किया गया।
No comments:
Post a Comment