नए जोश, उमंग के साथ ऊर्जा
व उल्लास लाएं नया साल
सुरेश गांधी
नए साल की शुरुवात को लेकर शायर मिर्जा गालिब ने भी कभी कहा था... भूख के मारे कोई बच्चा नहीं रोएगा, चैन की नींद हर इक शख्स यहां सोएगा। आंधी नफरत की चलेगी न कहीं अबके बरस, प्यार की फसल उगाएंगी, जमीं अबके बरस। हैं यकीं अब ना कोई शोर शराबा होगा, जुल्म होगा न कहीं खून खराबा होगा... । नए साल के खुशनुमा होने की ऐसी ही रोशन उम्मीद के बीच यकीन है कि देश, प्रदेश व अपना शहर नंबर वन होगा और इसी जज्बे से लबरेज देशवचासी 2025 को नया आयाम देंगे। नए साल में संकल्प लें, गुज़रे दिनों की ओर देखने के बजाए आगे बढ़ने का रास्तार तलाशे। फिरहाल, सच तो यही है हर नया साल लोगों के लिए एक नया जोश और उमंग लेकर आता है।
नया साल पुरानी गलतियों से सबक लेकर अपने जीवन में बदलाव करने की प्रेरणा लेकर आता है। बीत रहे वर्ष में लिए गए संकल्पों को पूरा करने के साथ ही नए संकल्प लेने का अवसर लेकर आता है। जो काम वर्ष 2024 में नहीं कर सके, उसे 2025 में हासिल करने के संकल्प का भी दिन होता है। साथ अपने देश, प्रदेश, शहर के लिए जिम्मेदारी निभाने की कल्पना लेकर आता है। सोचिए आप सुबह उठते हैं और खिड़की से आती हुई 2025 के सूर्योदय की पहली किरण आपके चेहरे पर पड़ती है, तो मानो आपको कोई संदेश दे रही हो। आप स्वयं में एक नई ऊर्जा का संचार महसूस करते हैं। क्योंकि यह न्यू ईयर की पहली किरण है। यह पहली किरण हमें संदेश देती है कि व्यक्तिगत विकास और पारस्परिक संबंधों में मजबूती लाएं। मतलब साफ है रिश्तों में प्रगाढ़ता की संभावनाएं लिए खड़े नए साल को अपने समग्र विकास के अतिरिक्त अवसर के तौर पर देखने की जरुरत है। यह साल अपने व्यक्तिगत भावनात्मक सामाजिक एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में शुद्धता लाने की एक पल हो सकता है। स्वयं में खुशी आशावादी दृष्टिकोण पैदा करें। सभी के प्रति कृतज्ञता का भाव रखें। रचनात्मक कार्यों में रुझान पैदा करें।
मेडिटेशन एवं माइंडफूलनेस के जरिए दुसरों की मदद कर सकते हैं। सार्थक जीवन जीने का प्रयास करें। कुछ ऐसा भी अवश्य करें जिसमें आपको अलग खुशी एवं संपूर्णता का एहसास हो। जैसे किसी की मदद करना, सामाजिक कार्यों के प्रति जवाबदेही लेना, घर के कामों में हाथ बटाना, खुद के लिए रचनात्मक कार्यों के लिए समय निकालना, जिसमें आपको संतुष्टि मिले। स्वयं के लिए लक्ष्य निर्धारित करें। क्योंकि लक्ष्य हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं और हमें अपनी क्षमताओं का एहसास एवं उसमें वृद्धि की संभावनाओं की जगह देते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि हम परिजनों यहां तक की दोस्तों के साथ पारस्परिक संबंध बनाए रखें। सोशल नेटवर्किंग के जरिए अपने संबंधों के दायरे को आगे बढाए। विभिन्न विचार एवं व्यक्तित्व के लोगों से मिलकर अपना बौद्धिक विकास करने के साथ ही नए परिप्रेक्ष्य की जानकारी भी प्राप्त करे, जो आपके बहुमुखी विकास में आवश्यक है।हर महीने एक नया लक्ष्य बनाकर उसे पूरा करने का प्रयास करें। क्योंकि सकारात्मक सोंच की शक्ति इंसान को जीवन के सबसे मुश्किल हालात से लड़ने की ताकत देती हैं। यह कहावत पूरी तरह सच है कि ‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत‘। अगर कोई इंसान लड़ाई शुरु होने से पहले ही हार मान लें तो उसके लिए जीतना असंभव है, लेकिन जीत हासिल करने का जज्बा रखने वाले लोगों को कामयाबी जरुर मिलती है।
यह दृष्किण फर्क है कि कोई आधे ग्लास पानी को देखकर उसे खाली बताता है तो कोई यह देखकर खुश होता है कि अभी गिलास पूरी तरह खाली नहीं हैं। इसलिए वर्तमान में अपनी पिछली गलतियों को न दोहराने का संकल्प लेते हुए हमें निरंतर आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। अगर वर्तमान सार्थक होगा तो निश्चित रुप से भविष्य उज्जवल होगा, हमें यह बात हमेसा याद रखनी चाहिए। गौर करने वाली बात यह है कि कोई भी एक्सपर्ट बनकर पैदा नहीं होता हैं। सभी शून्य से शुरुवात करते हैं। मुश्किलों से डरने वाले ही हारते हैं। इसलिए जीवन में आने वाली हर कठिनाई का डट कर सामना करना चाहिए। इसे कोई उपलब्धि मत समझिएं कि मैं दो मंजिला भवन बनवाना चाहता था, नए मॉडल की कार खरीदना चाहता था, फ्रिज-कूलर-एसी खरीदना चाहता था और मैंने वह ले ली।
दरअसल, यह तो होना
ही था, क्योंकि बाजार
आपको जीरों फीसदी ब्याज दर पर यह
सब करने के लिए
कर्ज जो दे रहा
है और वह आप
से आने वाले दस
सालों में वापस वसूल
लेगा। तो सोचे कि
अब तो कोई भी
यह सब खरीद सकता
है। यानी यह सब
खरीदना कोई बड़ी चींज
नहीं है। सवाल यह
है कि यह सब
भोग-विलासता प्राप्त कर आप करेंगे
क्या? हो सकता है
आपका यह सब ठाठबांट
देखकर कोई ईर्ष्या करें,
खासकर पड़ोसी, तब तो आपकों
अच्छा लगेगा, लेकिन अगर उसके पास
आप से भी अधिक
भोग-विलासिता वाली चीजें हुई
तो फिर आप बुरा
महसूस करने लगेंगे। लेकिन
एक इंसान के तौर पर
एक जीवन के तौर
पर आप खुद को
बड़ा बनाते है तो आप
चाहे किसी शहर में
हो यरा किसी पहाड़
पर अकेले बैठे हो, आप
सकून महसूस करेंगे। यानी नए साल
में जीवन को आगे
ले जाने के लिए
आपका यही नजरिया होना
चाहिए। कहा जा सकता
है इस दुनिया में
असली बदलाव तभी आयेगा जब
आप खुद को बदलने
को तैयार हो। ये आपके
भीतरी गुण ही है,
जिसे आप देश-दुनियां
व समाज में बांटते
है। आप इसे मानें
या ना मानें पर
सच तो यही है
कि आप जो है
वही सब जगह फैलायेंगे।
अगर आप को देश-दुनिया, समाज की चिंता
है तो सबसे पहले
आपको खुद में बदलाव
लाने को तैयार रहना
चाहिए। खुद को बदले
बिना यदि आप कहतें
है कि मैं चाहता
हूं कि दुसरे सभी
लोग बदलें, तो इस हालत
में सिवाय टकराव के कुछ भी
नहीं होने वाला।
फिरहाल,
जीएं तो ऐसे जैसे
वह आखिरी पल हो और
सीखें तो ऐसे जैसे
बरसों जीना हो, राष्ट्रपिता
महात्मा गांधी के ये विचार
सिखाते है कि हर
एक पल को उसकी
सार्थकता में जीना चाहिए,
क्योंकि समय किसी का
इंतजार नहीं करता। जो
लोग इसकी कीमत पहचानते
है समय उनकी कद्र
करता है। जो नहीं
पहचान पाते समय उनके
हाथ से रेत की
तरह फिसल जाता है
और पीछे छोड़ जाता
है पछतावा। ठीक उसी तरह
जैसे नदी बहती है
तो वह लौटकर नहीं
आती, दिन-रात बीत
जाते है, जुबान से
निकली शब्द और कमान
से निकले तीर वापस नहीं
लौटते, उसी तरह गया
वक्त भी कभी नहीं
लौटता। अच्छा होता है तो
यादों में बसा रहता
है, बुरा हो तो
दर्द बनकर सीने में
सुलगता है। कहते है
अतीत कभी लौटता नहीं
और भविष्य को किसी ने
देखा नहीं, मगर वर्तमान हमारे
हाथ में है, जिसे
हम जैसा चाहें बना
सकते है। अक्सर लोग
चिंता में डूबे रहते
है कि कल क्या
होगा? सच तो यह
है कि चिंता से
किसी समस्या का हल नहीं
होता। वक्त का सही
इस्तेमाल करने से ही
कुछ हासिल होता है। कल
क्या हुआ और कल
क्या होगा इसके बजाए
यह सोचे कि आज
क्या कर रहे है।
आत्ममुग्ध होना गलत है
मगर खुद को दुसरों
के पैमाने से नापना भी
गलत है। इसलिए दुसरों
की चिंता किए बगैर आप
क्या सोचते है और आपकी
धारणा क्या है इस
पर विचार करें तो बेहतर
होगा।
सबसे महत्वपूर्ण यह है कि अपने अंतर्मन की आवाज पर चलने का साहस दिखाएं। वहीं से सच्ची सलाह मिल सकती है बाकि तो बात की बाते हैं। इसके लिए प्रकृति सबसे सटीक उदाहरण है। हर दिन नीत समय पर सुबह होती है। दरवाजों-खिड़कियों से आती धूप की लकीर बताती है कि दिन का शुभारंभ हो चुका है। पंछी चहचहाते हुए घोसले से बाहर भोजना का प्रबंध करने निकल पड़ते है। पूरी कायनात अपने इशारों से इंसान को समय का मूल्य समझाती है। यदि समय का तालमेल थोड़ा भी गड़बड़ हो जाएं तो पृथ्वी पर हलचल मच जाती है और लोग अनहोनी की आशंका से डर जाते है। प्रकृति का यह अनुशासन इंसान सीख जाएं तो उसका जीवन सार्थक हो जाय। यानी वक्त का सम्मान तभी हो सकता है जब जीवन में अनुशासन हों। क्या वर्ष के एक दिन के कुछ घंटे भी हम मानवता की खातिर अपने समाज के वंचितों, उपेक्षितों व शोषितों के लिए समर्पित नहीं कर सकते? दुसरे के प्रति द्वेष की भावना का अंत कर शांति-सद्भाव और आगे बढ़ने का एक सकारात्मक माहौल का निर्माण करें।
सबसे बड़ी और अच्छी बात यह सभी भारतीय पुरुषों की कोशिश महिलाओं को मानसिक एवं शारीरिक सुरक्षा देने की होनी चाहिए। बीतें कुछ सालों में हमारे समाज की मां-बहनें विभिन्न कारणों से खून के आंसू रोने को मजबूर है। कहीं न कहीं इसके कसूरवार हम भी है।
आज आसपास घटित किसी दुर्घटना
को देख आंखे बंद
करने की हमारी घटिया
प्रवृत्ति पर रोक लगाने
की दरकार है। सामाजिक व्यवस्था
में हाशिएं पर चले गए
लोगों को जीवन जीने
का उचित आधार मिलें,
गरीबों, वंचितों एवं शोषितों की
जीवन दशा में सुधार
हो और उनकी संख्या
घटे, कोई भूखा ना
सोए, गरीबी मिटें, उग्रवाद-आतंकवाद का खात्मा हो,
सुरक्षा व्यवस्था ऐसी कि युवतियां
सड़कों पर विश्वास के
साथ आ-जा सके,
हम इसकी भी आशा
रखते है। देश में
ऐसी प्रतिभाएं निकलें, जो दुनिया में
राज करें। ये सारे सपने
पूरे हो सकते है
अगर लोग अपनी जिम्मेदारी
को बखूबी समझे और सार्थक
भूमिका निभाएं।
युवाओं के लिए बेहतर होगा नया साल
बेशक, युवाओं के लिए नया
साल खास उम्मीद लेकर
आने वाला है। यानी
कैरियर बनाने का वक्त है।
अगर छात्र है, युवा है
तो आपके पास परीक्षाओं
में बेहतर करने व अच्छी
नौकरी पाने का साल
है। पूर्व की असफलताओं पर
गौर करने से बेहतर
है नए साल में
कड़ी मेहनत और ईमानदारी से
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना।
निराश होने से काम
नहीं चलने वाला। इस
डर से तो कत्तई
नहीं कि सीटे कम
होती है और नेताओं-अफसरों के बेटो-रिश्तेदारों
को वह नौकरी मिलेंगी।
अगर आप पारीक्षा में
नहीं उतरेंगे तो नुकसान आपका
ही होगा, इसलिए परिणाम की चिंता किए
बगैर इस नए साल
में युद्धस्तार की तैयारी में
जुटने की जरुरत है।
क्योंकि यह वक्त है
आगे बढ़ने के लिए
कुछ नया सोचने का।
नया संकल्प लेने का दिन
नववर्ष का पहला दिन यानी संकल्प लेने का दिन। संभव हो, पिछले साल भी आपने कुछ संकल्प लिया हो और उसे पूरा न किया हो। इससे विचलित और निराश होने से कुछ नहीं होने वाला. रोने-गाने या पछताने से और कमियां निकालने, दूसरों पर दोषारोपण करने से कुछ फायदा नहीं होगा, रास्ता नहीं निकलेगा। आगे देखिए, आने वाली चुनौतियों को देखिए और उससे उबरने का रास्ता खुद बताइए-बनाइए। इसके लिए स्वर्ग से कोई देवता उतर कर आपकी समस्याओं को नहीं सुलझाएंगे।
आपको
खुद अपने कर्म के
जरिये समस्याओं का समाधान खोजना
होगा। नये वर्ष में
आप चाहें
तो अपनी धरती को
ही स्वर्ग बना सकते हैं,
लेकिन इसके लिए हर
व्यक्ति को
अपनी जिम्मेवारी निभानी होगी। इस बात का
मूल्यांकन करना होगा कि
अगर अभी हालात
खराब हैं, जीवन खतरे
में है, तो इसके
लिए हम कितने दोषी
हैं? अगर संकल्प
लेना है, तो प्रकृति
से खिलवाड़ नहीं करने का
संकल्प लें, पानी नहीं बर्बाद
करने का संकल्प लें,
नदी-नाले को प्रदूषित
नहीं करने और उन
पर कब्जा नहीं
करने का संकल्प लें,
पहाड़ों को नष्ट नहीं
करने का संकल्प लें, जंगलों
को बचाने का संकल्प लें।
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