दुल्हा बने बाबा विश्वनाथ, भूत-पिशाच, संग देवता भी हुए बारात में शामिल
हर हर
महादेव
व
डमरूओं
की
थाप
पर
झूमे
भक्त
लाखों भक्तों
का
हुजूम
शोभायात्रा
के
साथ
चला,
मंत्री
रवीन्द्र
जायसवाल
भी
वीआईपी
के
बजाए
मैदागिन
से
बाबा
धाम
तक
पैदल
ही
चले
त्रिनेत्र से
उगले
आग
के
गोले,
बरसा
महाकुंभ
का
पवित्र
जल
सुरेश गांधी
वाराणसी। महाशिवरात्रि पर पूरी काशी बाबा विश्वनाथ के रंग में रंगकर बम-बम करती नजर आयी। एक ओर जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए लंबी लाइनों में इंतजार कर रहते रहे तो दूसरी तरफ बड़ी संख्या में लोग भगवान शिव की बारात में भी शामिल रहे.
बुधवार को भगवान शिव की परंपरागत बारात तिलभांडेश्वर से निकाली गई, जिसमें भूत, प्रेत, पिशाच नर, किन्नर, गंधर्व के साथ महादेव दूल्हा बनकर बनारस की सड़कों पर निकले. बारात में अड़भंगी शिव दूल्हा रुप में घोड़े पर सवार दिखे तो दूसरी तरफ उनके बारात में शामिल भूत, पिशाच, असुर, दानव, साधु-सन्यासी का अद्भुत रूप शिवभक्तों के आकर्षण का केंद्र रहा. खास यह है कि सूबे के स्टांप शुल्क पजीयन राज्य मंत्री रवीन्द्र जायसवाल आज के दिनप वीआईपी के बजाए मैदागिन से बाबा विश्वनाथ धाम तक पैदल ही गए और लाइन में लगकर बाबा का विधि-विधान से दर्शन-पूजन किया।
इस मौके पर उनका परिछावन किया गया. दूल्हे की तरह सजाकर उन्हें मां पार्वती से विवाह करने के लिए विदा किया गया. महादेव की बारात में उनके प्रिय गणों के साथ देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भी बाराती बने. इस मौके पर बनारस की सड़कें बिल्कुल एक अलग स्वरूप में नजर आ रही थीं. हर-हर महादेव का उद्घोष और बाराती बने लोग इसे और भी ज्यादा खूबसूरत बना रहे थे. बाबा की बारात में शामिल होने के लिए दुबई, न्यूजीलैंड, असम से लोग बनारस पहुंचे. बता दें, बनारस में महाशिवरात्रि के मौके पर दो परंपरागत बारात निकाली जाती है. एक तिलभांडेश्वर जो बीते लगभग 5 दशकों से निकाली जाती है तो दूसरी महामृत्युंजय मंदिर से रात में निकाली जाती है, जो बीते 4 दशकों से जारी है. तिलभांडेश्वर से निकलने वाली शिव बारात शहर के अलग-अलग क्षेत्रों से होते हुए 4 किमी का सफर तय करके वापस तिलभांडेश्वर मंदिर पर समाप्त होती है, जहां बाबा का विवाह होता है. वहीं मैदागिन महामृत्युंजय से निकलने वाली रात की शिव बारात शहर के अलग-अलग हिस्सों से होते हुए विश्वनाथ धाम जाकर समाप्त होती है, जहां बाबा विश्वनाथ का मां गौरा के साथ विवाह होता है.
भोले बाबा की
इस अनूठी बारात में विशाल नंदी
पर विराजमान भोलेनाथ और माता पार्वती
मुख्य आकर्षण का केंद्र रहे.
बारात में करीब 40 झांकियां
शामिल हुईं. इसके अलावा 10 से
ज्यादा बैंड भी उपलब्ध
रहा.
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