Friday, 7 February 2025

काशी में लगने लगा है नागा सहित साधु-संतो व धर्माचार्यो का जमघट

काशी में लगने लगा है नागा सहित साधु-संतो धर्माचार्यो का जमघट 

गंगा किनारे साधना में हुए लीन, महाशिवरात्रि तक करेंगे स्नान

पुलिस आयुक्त एवं जिलाधिकारी ने महाकुम्भ के दृष्टिगत अखाड़ों के साधु-सन्तों धर्माचार्यों के वाराणसी में आगामी कार्यक्रमों के बाबत जूना अखाड़ा के श्री महन्त हरि गिरी जी महाराज से ली कार्यक्रमों की जानकारी

सुरेश गांधी

वाराणसी। महाकुंभ में तीनों प्रमुख अमृत स्नान के बाद अब देवों के देव महादेव की नगरी काशी में साधु-संतों धर्माचार्यो का जमघट होने लगा है। इसमें नागा साधुओं से लेकर अखाड़ा से जुड़े साधु-संत धर्माचार्य शामिल हैं। काशीवासी भी उनके स्वागत में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे। ये साधु संत गंगा किनारे शिविर लगाकर जप-तप में लीन होने लगे है। उनकी सुरक्षा कार्ययोजनाओं के बाबत शुक्रवार को पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने महाकुंभ से लौटकर काशी पहुंचने वाले विभिन्न अखाड़ों के साधु संतों के अलावा जूना अखाड़ा के महन्त श्रीहरि गिरी जी महाराज से मुलाकात कर कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी प्राप्त की। साधु-सन्त, नागा धर्माचार्य का वाराणसी में होने वाले आगमन, प्रवास शोभायात्रा के दौरान सुरक्षा यातायात व्यवस्था के दृष्टिगत उनसे वार्ता की। 

पुलिस आयुक्त द्वारा साधु-सन्तों के आगमन, प्रवास शोभायात्रा के दौरान सुरक्षा यातायात व्यवस्था हेतु सम्बन्धित को विशेष प्रबन्ध किये जाने हेतु निर्देशित किया गया। इस दौरान अपर पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) एस. चन्नप्पा, अपर पुलिस उपायुक्त काशी जोन टी. सरवणन, अपर जिलाधिकारी नगर आलोक वर्मा, अपर पुलिस उपायुक्त यातायात राजेश पाण्डेय सम्बन्धित सहायक पुलिस आयुक्त थाना प्रभारी उपस्थित रहें। बता दें, महाकुंभ से अब काशी में नागा साधुओं का जुटान होने लगा है। सनातन परंपरा के तेरह अखाड़ों में करीब छह अखाड़े के संन्यासियों का भी काशी आगमन शुरू हो गया है। यहां गंगा किनारे मिनी कुंभ की झलक दिखने लगी है। गंगा के प्रमुख घाटों पर टेंट लग रहे हैं। कुछ बंनकर तैयार हो गए हैं। सात्विक भोजन बनाकर नागा साधु अपनी भक्ति में लीन हैं। महाकुंभ में अब तक तीन अमृत स्नान पूरे हो गए हैं जिनमें मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और वसंत पंचमी थे। प्रयागनगरी के त्रिवेणी तट से साधु-संन्यासियों के शिविर खुलने शुरू हो गए हैं, अब उनका समूह काशी की ओर अग्रसर हो चला है। विभिन्न अखाड़ों और संप्रदाय के नागा साधु गंगा की रेती पर भी अपने टेंट बनाते हैं।

नागा साधुओं के दर्शन-पूजन के लिए दक्षिण और आसपास के भक्त भी आने लगे हैं। घाटों पर सैर-सपाटा करने वाले पर्यटक भी इनका आशीर्वाद ले रहे हैं। शरीर में भभूत लगाकर साधना में लीन नागा साधुओं से विदेशी पर्यटक भी काफी आकर्षित होते हैं। इनके साथ शिविर में समय भी व्यतीत करते हैं। आदि शंकराचार्य द्वारा धर्म रक्षा के लिए चार पीठों की स्थापना की थी। वे चारों स्थान ज्योतिष्पीठ बद्रिकाश्रम (विद्यामठ), श्रृंगेरी पीठ (लहुराबीर), द्वारिका शारदा पीठ (विद्यामठ) और पुरी गोवर्धन (अस्सी) पीठ हैं। 13 अखाड़ों में नागा साधुओं के सबसे बड़े अखाड़ों में शामिल श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा सहित चार प्रमुख शैव संन्यासी अखाड़ों का मुख्यालय धर्म और संस्कृति की नगरी काशी में ही है। इनमें हनुमान घाट पर श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा, दशाश्वमेध घाट पर श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा, हनुमान चौक कपिलधारा में श्री पंच अटल अखाड़ा, शिवाला घाट पर महानिरंजनी अखाड़ा के मुख्यालय हैं। इनके अतिरिक्त राजघाट पर श्रीअग्नि अखाड़ा, कपिलधारा पर आनंद अखाड़ा, पद्मश्री सिनेमा के पास कुरुक्षेत्र पोखरा पर वैष्णव संप्रदाय के बड़ा उदासीन अखाड़ा, निर्मल अखाड़ा निर्मोही अखाड़ा, अनी अखाड़ा आदि सभी 13 अखाड़ों की शाखाएं हैं। काशी साधु-संन्यासियों की भी नगरी है। सनातन धर्म के चारों पीठ और 13 अखाड़ों के हजारों संन्यासियों का गुजर-बसर इनके मठों और धर्मशालाओं में होता है। गंगा किनारे बने टेंट में नेपाल से भी संन्यासियों का जुटा हुआ है। रामकीन

बाबा ने बताया किया काशी और यहां के लोग काफी अच्छे हैं। काशी के बारे जितना जुना था, उससे भी आकर्षक नगरी है। वहीं, स्वामी पद्म गिरी ने कहा कि यहां हम लोग जप-तप कर रहे हैं। काफी शांति मिल रही हैं। यात्रा भी काफी सुगम और सहज थी। काफी सम्मान के साथ हमें नेपाल से प्रयागराज उसके बाद काशी पहुंचाया गया। काशी में आए हैं तो बाबा विश्वनाथ का दर्शन मेरे लिए अतिआवश्यक है।

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