माघी पूर्णिमा : लाखों आस्थावानों ने गंगा में लगाई डुबकी
श्रद्धालुओं ने
बाबा
विश्वनाथ
धाम
में
दर्शन
पूजन
किए।
भोर से
ही
गंगा
घाटों
पर
श्रद्धालुओं
के
पहुंचने
का
सिलसिला
शुरू
हो
गया
था,
जो
दिनभर
चलता
रहा
गंगा में
आस्था
की
डुबकी
लगाने
के
बाद
हाथ
में
प्रसाद
लिए
भक्त
बाबा
विश्वनाथ
की
एक
झलक
पाने
के
लिए
कतार
में
लगे
रहे
मंदिर की
ओर
से
जाने
वाली
गलियां
हर
हर
महादेव
के
जयकारे
से
गूंजती
रहीं
दर्शन पूजन
के
दौरान
लोगों
ने
सुख
और
समृद्धि
की
कामना
की
श्रद्धालुओं की
भारी
भीड़
को
देखते
हुए
सुरक्षा
के
पुख्ता
इंतजाम
किए
गए
थे
सुरेश गांधी
वाराणसी। माघी पूर्णिमा पर
बुधवार को गंगा के
तट पर आस्थावानों का
रेला उमड़ पड़ा। काशी
के सभी घाटों पर
जुटे पांच लाख लोगों
ने पुण्य की डुबकी लगाई।
जबकि इससे अधिक श्रद्धालुओं
ने बाबा विश्वनाथ धाम
में दर्शन पूजन किए।
भोर से ही
गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं के
पहुंचने का सिलसिला शुरू
हो गया था, जो
दिनभर चलता रहा। गंगा
में आस्था की डुबकी लगाने
के बाद हाथ में
प्रसाद लिए भक्त बाबा
विश्वनाथ की एक झलक
पाने के लिए कतार
में लगे रहे। मंदिर
की ओर से जाने
वाली गलियां हर हर महादेव
के जयकारे से गूंजती रहीं।
दर्शन पूजन के दौरान
लोगों ने सुख और
समृद्धि की कामना की।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़
को देखते हुए सुरक्षा के
पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
गंगा स्नान को लेकर मान्यता
है कि इस दिन
भगवान विष्णु गंगा जल में
निवास करते हैं। खासकर
आश्लेषा नक्षत्र और आयुष्मान व
सौभाग्य योग का संयोग
होने से गंगा में
पांच डुबकी लगाने का विशेष महत्व
है। इसका संबंध पंच
तत्वों से है। गंगा
में पांच डुबकी लगाने
से पुण्य फलदायी की प्राप्ति होती
है।
मान्यता है कि माघी
पूर्णिमा के दिन गंगा
नदी में स्नान करने
से व्यक्ति के सभी पाप
धुल जाते हैं। पवित्रता
और मोक्ष की प्राप्ति होती
है। माघी पूर्णिमा के
दिन गंगा स्नान करने
से अश्वमेध यज्ञ के समान
फल मिलता है। धर्मग्रंथों और
पुराणों के अनुसार सतयुग
से लेकर कलियुग तक
सभी युगों में माघ मास
की पूर्णिमा का महत्व रहा
है। क्योंकि, माघ मास में
श्रीहरि जल में निवास
करते हैं। इस मास
की पूर्णिमा के दिन देवलोक
से देवता भी पृथ्वी पर
आकर पवित्र नदियों और संगम में
स्नान करते हैं। माघी
पूर्णिमा के दिन गंगा
में पांच डुबकी लगाने
का विशेष महत्व है। गंगा में
पहली डुबकी लगाने से शरीर की
शुद्धि होती है। दूसरी
से मन की शुद्धि,
तीसरी से कर्मों की
शुद्धि, चौथी से विचारों
की शुद्धि और पांचवीं डुबकी
लगाने से आत्मा की
शुद्धि होती है। इसका
संबंध पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु
और आकाश यानी पंच
तत्वों हैं।
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