Friday, 30 May 2025

हिंदू समाज की शक्ति जागरण से संभव होगा ’हिंदू राष्ट्र’ का निर्माण : अजित सिंह बग्गा

हिंदू समाज की शक्ति जागरण से संभव होगा

हिंदू राष्ट्रका निर्माण : अजित सिंह बग्गा 

डॉ. आठवले जी के 83वें जन्मोत्सव पर हुआ ऐतिहासिक आयोजन

सुरेश गांधी

मुंबई। जब तक हिंदू समाज शक्ति संपन्न नहीं होगा, तब तक हिंदू राष्ट्र का सपना अधूरा रहेगा,“. यह उद्घोष वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजित सिंह बग्गा ने उस वक्त किया, जब वे पूज्य डॉ. जयंत बालाजी आठवले जी के 83वें जन्मोत्सव पर विशेष रूप से आयोजित समारोह में श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे। गोवा की पवित्र भूमि पर आयोजित इस विराट आयोजन में 25000 से अधिक साधकों की उपस्थिति ने एक प्रकार से आधुनिककुंभका दृश्य प्रस्तुत किया। सभास्थल घोषणाओं, नारों और धर्मभक्ति के रंग में रंगा हुआ था।

डॉ. आठवले को श्रद्धा और राष्ट्रधर्म का संकल्प

कार्यक्रम की शुरुआत में श्री बग्गा ने सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बालाजी आठवले को सादर नमन करते हुए कहा कि उनके द्वारा दिखाया गया मार्ग केवल साधना और आत्मशुद्धि का है, बल्कि राष्ट्र सेवा और सनातन धर्म रक्षा का भी है। उन्होंने काशी के ५६ कोटी देवताओं से प्रार्थना की कि डॉ. आठवले जी का आशीर्वाद समस्त साधकों और राष्ट्रसेवकों पर बना रहे।

उत्सव में उत्साह और उद्घोष

सभा को संबोधित करते हुए श्री बग्गा ने कहा, “मैं चाहता हूँ कि जब भी घोषणा हो, तब केवल ताली बजे दृ वह उद्घोष आत्मा से निकले। यही शक्ति जागरण का मार्ग है।उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे केवल विचार करें, अब संकल्प करें दृ सनातन राष्ट्र की स्थापना का संकल्प।

राजा ठाकुरबनने का आह्वानः हर व्यक्ति एक योद्धा

उन्होंने बलपूर्वक कहा कि अब समय गया है कि हर युवा, हर माँ, हर बहन दृ सभी में वह तेज जागे जो किसी राजा ठाकुर में होता है।चाहे वृद्ध हों या तरुण, सभी को सनातन धर्म की रक्षा में सक्रिय होना होगा,“ उन्होंने कहा यह संदेश इस बात पर बल देता है कि धर्म रक्षकों की आवश्यकता केवल सीमाओं पर नहीं, घर-घर में है।

51 सनातनी प्रतिनिधियों की सहायता समिति का प्रस्ताव

श्री बग्गा ने मंच से एक व्यावहारिक और संगठनात्मक सुझाव प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा किजो लोग सनातन धर्म के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिन्हें प्रशासनिक या सामाजिक अड़चनें झेलनी पड़ रही हैं, उनके लिए एक 51 सदस्यीय समर्पित समिति बनाई जाए।यह समिति तन, मन, धन से उनका सहयोग करेगी। यह प्रस्ताव सभागार में उपस्थित जनसमुदाय द्वारा जोरदार समर्थन के साथ स्वीकृत हुआ।

धार्मिक उद्घोषों से गूंज उठा सभास्थल

कार्यक्रम के अंत में जब श्री बग्गा ने धर्मप्रेमियों से उद्घोष करवाए, तो पूरा सभागार घोषणाओं से गूंज उठाः

हिंदुस्थान हिंदू राष्ट्र बनाना है!“

जो मंदिर को मस्जिद बनाया है, उसे मंदिर बनाना है!“

घर-घर सोना नहीं, शस्त्र चाहिए दृ हिंदू राष्ट्र बनाना है!“

सनातन हिंदू धर्म की जय!“

भगवान परशुराम की जय!“

इन नारों में कहीं आत्मबल था, तो कहीं प्रतीकात्मक प्रतिकार की चेतना। कुछ नारों में राजनीतिक संदेश भी स्पष्ट था, जिन पर समाज में विमर्श अपेक्षित है।

रघुपति राघवका संशोधित स्वरूप : नई वैचारिक दिशा

कार्यक्रम में सबसे उल्लेखनीय क्षण तब आया, जब बग्गा जी ने महात्मा गांधी द्वारा लोकप्रिय भजनरघुपति राघव राजारामका एक नया रूप प्रस्तुत कियाः

रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम

नानक कृष्ण तुलसी श्री गंगाधाम,

जय बाबा विश्वनाथ धाम!“

उन्होंने स्पष्ट कहा किअब समय गया है किईश्वर अल्लाह तेरे नामजैसे सर्वधर्म समभाव के प्रतीकों के स्थान पर सनातन संस्कृति के मूल प्रतीकों को स्थान दिया जाए।

एक ऐतिहासिक क्षण  : और एक आंदोलन का संकेत

यह आयोजन केवल एक जन्मोत्सव था, बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की झलक भी। श्री अजित सिंह बग्गा का संबोधन, उनके विचार और उनकी संगठनात्मक दृष्टि इस ओर संकेत करते हैं कि आने वाले समय मेंहिंदू राष्ट्रकी अवधारणा केवल विचार नहीं, एक जनांदोलन का रूप ले सकती है।

 

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