Thursday, 8 May 2025

ऑपरेशन सिंदूर : अधर्म के विरुद्ध धर्मयुद्ध का आह्वानयोगिनी गुरु मां राधा सरस्वती 

सुरेश गांधी

वाराणसी. "ऑपरेशन सिंदूर" केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं है, यह उस सनातन चेतना की पुकार है जो अन्याय, अधर्म और स्त्री अपमान के विरुद्ध उठ खड़ी होती है। यह अभियान प्रतीक है उस धर्मयुद्ध का, जो केवल प्रतिशोध नहीं बल्कि धर्म, सम्मान और मानवता की विजय का उद्घोष करता है। यह बाते महामंडलेश्वर योगिनी गुरु मां राधा सरस्वती जी महाराज जी ने कही. वे गुरुवार को पत्रकारों से बात कर रही थी.

सनातन परंपरा में सिंदूर केवल एक वैवाहिक चिह्न नहीं है। यह देवी शक्ति की उपस्थिति, स्त्रीत्व की दिव्यता और जीवन के सृजन की शक्ति का प्रतीक है। 

जब किसी नारी के सिंदूर को मिटाया जाता है, तो वह केवल एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि समस्त सृष्टि के संतुलन पर प्रहार होता है। ऑपरेशन सिंदूर उसी संतुलन को पुनर्स्थापित करने का प्रयास है।२८ वीरांगनाओं की शहादत का यह अपमान केवल सैनिक परिवारों की वेदना नहीं, यह सम्पूर्ण भारतवर्ष की आत्मा पर चोट है। इतिहास साक्षी हैयह वही भूमि है जहाँ स्त्री सम्मान के लिए महाभारत जैसे महासंग्राम हुए।

हमने द्रौपदी के अपमान पर कुरुक्षेत्र रचा था, आज भी यदि कोईसिंदूरको मिटाने का दुस्साहस करता है, तो उसे प्रतिकार का उत्तर उसी परंपरा से मिलेगा। यह युद्ध आतंक के विरुद्ध न्याय का स्वरूप है। यह माँ दुर्गा के उस रूप से प्रेरित है, जो असुरों के विनाश के लिए उदित होती हैं। यह रण केवल गोली और बारूद का नहीं, यह मूल्य, मर्यादा और मानवता की रक्षा का रण है। 

हर सैनिक जो इस ऑपरेशन का हिस्सा है, वह केवल वर्दीधारी योद्धा नहीं, वह राष्ट्रधर्म का रक्षक, मातृशक्ति का पूजक और सनातन संस्कृति का प्रहरी है। ऑपरेशन सिंदूर एक संदेश है उन सबके लिए जो स्त्री को अबला समझने की भूल करते हैंयह धरती "शक्ति" की उपासक है, यहाँ की नारी "दुर्गा" है। जय हिन्द की सेनायह नारा अब सिर्फ गर्व नहीं, बल्कि संकल्प है कि हम हर उस अंधकार का अंत करेंगे, जो हमारे देश, संस्कृति और नारी सम्मान को ललकारेगा।

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