Wednesday, 2 July 2025

चकरोड विस्थापन की साजिश पर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा

चकरोड विस्थापन की साजिश पर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा 

प्रशासन और भूमाफियाओं की साठगांठ का आरोप

बार-बार नापी कराए जाने से नाराज़ ग्रामीणों ने दी जिला कार्यालय घेराव की चेतावनी, मुख्यमंत्री से निष्पक्ष जांच की मांग

पीड़ित की तहरीर पर मुख्यमंत्री पहले दे चुके है जांच का निर्देश

वाराणसी. पिंडरा तहसील क्षेत्र में 2011 में नापी कर बनाए गए चकरोड को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि मनरेगा से दो बार काम होने के बावजूद प्रशासन बार-बार नापी कराकर चकरोड को विस्थापित करने का प्रयास कर रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि कॉलोनाइजर और भूमाफियाओं के दबाव में तहसील प्रशासन बार-बार मापी कराकर उन्हें परेशान कर रहा है। आरोप यह भी है कि मुख्यमंत्री प्रमुख सचिव के जांच आदेश पर तहसील प्रशासन ने अपनी जांच रिपोर्ट में आश्वस्त किया है कि चकरोड का विस्थापन नहीं किया जायेगा, इसके बावजूद बार-बार नापी का बहाना बनाकर चकरोड़ के वस्थापन की साजिष रची जा रही है.

ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से 100 नंबर पर शिकायत करते हुए चेतावनी दी है कि यदि जल्द निष्पक्ष जांच नहीं कराई गई तो वे जिला प्रशासन कार्यालय का घेराव कर धरना-प्रदर्शन करेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि मुख्यमंत्री इस प्रकरण की जांच के आदेश पहले ही दे चुके हैं, इसके बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में है। पीड़ित रमेश पाल पुत्र स्व. अलगु पाल निवासी बाबतपुर ने कहा कितहसील के अधिकारी भूमाफियाओं के दबाव में काम कर रहे हैं। जब तक निष्पक्ष जांच नहीं होगी, हम ग्रामीण चैन से नहीं बैठेंगे।ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारियों ने भू-माफियाओं के पक्ष में 2011 में निर्मित चकरोड की जगह बदल दी है। चौथी बार मापी कराए जाने से ग्रामीणों का गुस्सा अब उबाल पर है। उनका कहना है कि यदि प्रशासन ने ग्रामीणों की आवाज़ नहीं सुनी तो मजबूर होकर बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

मुख्यमंत्री को सौंपे गए पत्र में रमेश पाल का आरोप है कि वाराणसी के तहसील पिंडरा स्थित ग्रामसभा बाबतपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग से सटे सरकारी चकरोड का स्थान परिवर्तन कर तहसील कर्मियों द्वारा भू माफियाओं को लाभ पहुंचाने अवैध कराने की नियत से पुराने अभिलेखों नक्शे में हेरफेर किया है। आरोप है कि तहसील अफसरों ने भूमाफियाओं की मिलीभगत से ग्रामसभा बाबतपुर के आराजी संख्या 614, रकबा 0.045 हेक्टेयर की पक्की पैमाइश वर्ष 2011 में दर्ज चकरोड को 20 मीटर दूर खिसकाकर बदल दिया है। जबकि तत्कालीन जिलाधिकारी वाराणसी के आदेश के उपरांत ग्रामसभावासियों के आने-जाने हेतु राजस्व की टीम द्वारा इस चकरोड़ का निर्माण कराया गया था। खास यह है कि मनरेगा योजना के तहत इस चकरोड का दो दो बार मरम्मत भी कराया गया है। बावजूद इसके वर्तमान तहसील अफसरों द्वारा स्थानीय भूमाफियाओं प्रॉपर्टी डीलरों से लेनदेन करके सालों पुरानी चकरोड की जमीन को हड़पने अवैध कब्जे की नीयत से चकरोड का स्थान परिवर्तन किया जा रहा है।

आरोप है कि पूर्व में जौनपुर वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के अंतर्गत चकरोड़ के किनारे के खातेदारों को केंद्र सरकार द्वारा उनके रकबे के हिसाब से मुआवजा भी दिया गया है। जिसमें नक्शा सहित चकरोड सभी खातेदारों का रकबा स्पष्ट किया जा चुका है। वर्तमान समय में तहसील कर्मियों द्वारा उच्च अधिकारियों को गलत भ्रामक सूचना देकर अवैध तरीके से रुपए लेकर पुनः मापी कराई गई और चकरोड का स्थान बदलकर दूसरे खातेदारों के जमीन में चकरोड का हिस्सा बढ़ा दिया गया है। आरोप है कि अफसरों के साथ क्षेत्रीय प्रधान की भी इस मामले में भूमिका संदिग्ध है। 15 वर्ष पुराने चकरोड की दशा एवं दिशा को बदलने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे ग्रामसभावासियों एवं खातेदारों में रोष व्याप्त है। रमेश पाल ने प्रकरण की जांच कराकर मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाया है।  

ग्रामीणों की मुख्य मांगः

चकरोड को पूर्व निर्धारित स्थान पर ही रहने दिया जाए।

स्वतंत्र एजेंसी से निष्पक्ष जांच कराई जाए।

भूमाफियाओं और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।

रमेश पाल, पीड़ित ग्रामीण

भूमाफियाओं के दबाव में बार-बार नापी कराई जा रही है। तहसील अफसरों की नीयत साफ नहीं है। हम जल्द ही जिला कार्यालय का घेराव करेंगे।

रामकुमार, स्थानीय ग्रामीण

हम लोग वर्षों से इस चकरोड का इस्तेमाल कर रहे हैं, मनरेगा से भी काम हुआ है, फिर क्यों हटाया जा रहा है? प्रशासन जवाब दे।

शिवनाथ सिंह, वरिष्ठ ग्रामीण

मुख्यमंत्री जांच के आदेश दे चुके हैं, फिर भी अधिकारी भूमाफियाओं के इशारे पर काम कर रहे हैं। अब आर-पार की लड़ाई होगी।


किसानों का ऐलान- ‘जेल भरेंगे लेकिन निजीकरण नहीं स्वीकारेंगे’

किसानों का ऐलान- ‘जेल भरेंगे लेकिन निजीकरण नहीं स्वीकारेंगे’ 

बिजलीकर्मियों का निजीकरण के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन

सुरेश गांधी

वाराणसी. देशभर में बिजली के निजीकरण के खिलाफ चल रहे आंदोलन के तहत बुधवार को बनारस के बिजलीकर्मियों ने भिखारीपुर स्थित प्रबंध निदेशक कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। इस विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर परिषद के पदाधिकारी भी शामिल हुए। किसानों ने ऐलान  किया कि जिस दिन बिजलीकर्मीजेल भरो आंदोलनशुरू करेंगे, उसी दिन प्रदेश भर के किसान भी जेलों को भरना शुरू कर देंगे, लेकिन बिजली का निजीकरण किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। प्रदर्शन के दौरान बिजलीकर्मियों, किसानों, रेलवे कर्मचारियों, एलआईसी समेत विभिन्न संगठनों की यूनियनों ने घोषणा की कि वे 9 जुलाई को बिजली के निजीकरण के खिलाफ एक दिन की देशव्यापी हड़ताल करेंगे। 

किसानों का ऐलान - उड़ीसा जैसा आंदोलन करेंगे

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता अफलातून और किसान मजदूर परिषद के अध्यक्ष चौधरी राजेंद्र सिंह ने कहा कि जैसे उड़ीसा में टाटा पावर के कार्यालय के बाहर किसानों ने अपने स्मार्ट मीटर उखाड़कर विरोध दर्ज कराया था, वैसे ही उत्तर प्रदेश के किसान भी निजीकरण के खिलाफ पूरी ताकत से मैदान में उतरेंगे। उन्होंने कहा कि यदि निजीकरण का टेंडर निकला, तो बिना किसी नोटिस के बिजलीकर्मी कार्य बहिष्कार और जेल भरो आंदोलन शुरू करेंगे। किसान इस संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर साथ देंगे।

निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप

. नीरज बिंद ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार घाटे के झूठे आंकड़े दिखाकर पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण की साजिश कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार सात महीने से आंदोलन कर रहे बिजलीकर्मियों से अब तक कोई वार्ता करने को तैयार नहीं है। . एस.के. सिंह ने बताया कि गलत पावर परचेज एग्रीमेंट्स के कारण सरकार को निजी बिजली उत्पादकों को हर साल 6761 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ता है, जबकि कोई बिजली खरीदी नहीं जाती। इसके अलावा महंगी दरों पर बिजली खरीदने के कारण हर साल 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ उपभोक्ताओं पर रहा है। उन्होंने कहा कि गरीब किसानों और बुनकरों को दी जा रही बिजली सब्सिडी को भी घाटा बताया जा रहा है। अगर निजीकरण हुआ तो गरीब उपभोक्ताओं को 10-12 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदनी पड़ेगी, जिससे वे लालटेन युग में लौटने को मजबूर हो जाएंगे।

27 लाख बिजलीकर्मियों की चेतावनी

मदन श्रीवास्तव ने कहा कि आज देशभर में 27 लाख बिजली कर्मचारियों ने एक साथ भोजनावकाश के समय सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया और उत्तर प्रदेश के बिजलीकर्मियों के साथ एकजुटता दिखाई। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि बिजलीकर्मियों का उत्पीड़न हुआ तो पूरे देश के बिजलीकर्मी सड़कों पर उतरेंगे और इसके परिणामों की पूरी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार की होगी।

आंदोलन का नेतृत्व और संचालन

सभा की अध्यक्षता . मायाशंकर तिवारी ने की और संचालन विजय नारायण हिटलर ने किया। सभा को .पी. सिंह, रविंद्र यादव, . विजय सिंह, प्रमोद कुमार, रामकुमार झा, धर्मेंद्र यादव, पंकज यादव, रंजीत कुमार, . अमित श्रीवास्तव, उदयभान दुबे, मनोज सोनकर, नवीन कुमार, कृष्णमोहन, रंजीत पटेल, जयप्रकाश समेत कई नेताओं ने संबोधित किया।

चकरोड विस्थापन की साजिश पर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा

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