Friday, 25 July 2025

सिद्धिश्वर महादेव मंदिर में फिर गूंजे जयघोष : 15 वर्षों के बाद विधिवत पूजा, आस्था का पुनर्जागरण

सिद्धिश्वर महादेव मंदिर में फिर गूंजे जयघोष : 15 वर्षों के बाद विधिवत पूजा, आस्था का पुनर्जागरण

हर-हर महादेव के जयघोष से गूंजा मदनपुरा

विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में हुआ मंदिर का शुद्धिकरण, श्रद्धालुओं में उमंग

काशी की आत्मा पुनः जाग गई है... अब यह ज्योति बुझने पाए

सुरेश गांधी

वाराणसी. काशी की सांस्कृतिक आत्मा एक बार फिर जागी है। 15 वर्षों से बंद पड़े प्राचीन सिद्धिश्वर महादेव मंदिर में सात महीने के अंतराल के बाद शुक्रवार को विधिवत पूजा-अर्चना शुरू की गई। मंदिर परिसर "हर-हर महादेव" के जयघोषों से गूंज उठा। यह केवल एक पूजन अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण थाआस्था की लौ का फिर से जल उठना। सिद्धिश्वर महादेव मंदिर का पुनः उद्घाटन केवल मदनपुरा वासियों के लिए, बल्कि संपूर्ण काशी के लिए एक शुभ संकेत है। यह आस्था की विजय और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है। विहिप के प्रयासों से यह पहल एक मिसाल बन रही है कि मंदिर केवल ईंट-पत्थर नहीं, बल्कि लोकआस्था और परंपरा की धुरी होते हैं। अब जरूरत है कि इसके नियमित संचालन, सुरक्षा और महादेव की नित्य पूजा सुनिश्चित हो ताकि यह केंद्र फिर से आध्यात्मिक जीवन का हिस्सा बन सके। 

मदनपुरा स्थित यह ऐतिहासिक मंदिर पिछले 15 वर्षों से ताले में बंद था। आखिरी बार वर्ष 2009 में पूजा हुई थी, और फिर एक लंबे इंतजार के बाद 8 जनवरी 2025 को इसे खोला गया, किंतु खरमास के कारण केवल सीमित पूजन के बाद इसे फिर से बंद कर दिया गया। उस दौरान मंदिर की सफाई में तीन खंडित शिवलिंग मिले थे, जबकि मूल शिवलिंग लापता था, जिससे विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। अब एक बार फिर बृहस्पतिवार को विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने मंदिर की सफाई की और शुक्रवार को पूजा-पाठ प्रारंभ कर धार्मिक वातावरण को जीवंत कर दिया। मंदिर खुलते ही भक्तों की श्रद्धा उमड़ पड़ी। परिसर में धूप-दीप, गूंजते शंख, हर-हर महादेव के स्वर और पुष्प वर्षा ने माहौल को भक्तिमय बना दिया।

विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष राजेश मिश्रा ने कहा कि "यह केवल मंदिर का पुनः उद्घाटन नहीं, बल्कि काशी की सांस्कृतिक चेतना का पुनर्जागरण है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अब यह मंदिर पुनः वीरान हो, और नियमित पूजा-पाठ हो।" स्थानीय श्रद्धालुओं की मानें तो सिद्धिश्वर महादेव मंदिर केवल ऐतिहासिक महत्व का है, बल्कि इससे जुड़ी भावनाएं हर परिवार की पीढ़ियों से जुड़ी हैं। वर्षों से बंद पड़ा यह मंदिर अब पुनः आस्था की ज्योति जगाने को तैयार है। पूजा के दौरान फल, मिष्ठान, पुष्प, जल, गंगाजल, दुग्ध और पंचामृत से अभिषेक किया गया। खास बात यह रही कि आयोजन पूर्णतया सामूहिक सहभागिता और धार्मिक मर्यादा के साथ सम्पन्न हुआ।

मंदिर की सफाई के दौरान तीन खंडित शिवलिंग मिलने और मूल शिवलिंग के लापता होने की सूचना ने जन भावनाओं को झकझोर दिया था। स्थानीय लोगों के मन में संदेह था कि कहीं यह मंदिर सुनियोजित तरीके से उपेक्षा का शिकार तो नहीं बन रहा। सिद्धिश्वर महादेव मंदिर का पुनरुद्धार केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि काशी की मूल सांस्कृतिक धारा को पुनः प्रकट करने का उपक्रम है। जब एक मंदिर 15 वर्षों तक बंद रहा, तो यह केवल एक ईमारत नहीं, श्रद्धा का एक जीवंत प्रतीक मौन हो गया था। अब जब उसकी घंटियाँ पुनः बजने लगीं, तो मानो मोहल्ले के जनजीवन को फिर से दिशा मिल गई।

यह घटना इस बात का प्रमाण है कि जब समाज जागता है, संगठित होता है, और पुरातन मूल्यों की रक्षा में आगे बढ़ता है, तो प्रशासन भी सहयोग करता है और परंपराएं फिर से जीवंत होती हैं। यह काशी की परंपरा, संगठन की शक्ति और जनभावना के बल का संगम है। सिद्धिश्वर महादेव मंदिर का पुनः पूजन एक नई शुरुआत है। अब आवश्यकता है कि इस परिसर को केवल धार्मिक रूप से, बल्कि सांस्कृतिक केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाएजहां नित्य आरती हो, शिव भजन गूंजे, और युवाओं को अपनी परंपरा से जोड़ने के लिए विशेष आयोजनों की शृंखला शुरू की जाए। काशी की आत्मा पुनः जाग गई है... अब यह ज्योति बुझने पाए।

सात महीने बाद फिर से खुला ताला, शुरू हुआ पुनर्पूजन

सदियों से आस्था का केंद्र रहे प्राचीन सिद्धिश्वर महादेव मंदिर का ताला शुक्रवार को सात महीने बाद फिर खुला। पूरे परिसर में "हर-हर महादेव" के जयघोष गूंज उठे, जब विश्व हिंदू परिषद के काशी महानगर अध्यक्ष राजेश मिश्रा के नेतृत्व में मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना, शिवलिंग स्नान, जलाभिषेक और आरती संपन्न हुई। साथ ही महादेव को फल और मिष्ठान्न का भोग अर्पित कर पुनः भक्तिपथ का आरंभ हुआ। परिसर को आधिकारिक रूप से फिर से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। इससे एक दिन पहले यानी बृहस्पतिवार को विहिप कार्यकर्ताओं ने मंदिर की सफाई, धुलाई और शुद्धिकरण किया। आरती के दौरान पूरा परिसर भक्तिरस में सराबोर हो गया। भक्तों ने शंखध्वनि, घंटे-घड़ियाल और "हर-हर महादेव" के उद्घोष से महादेव का स्वागत किया।

स्थानीय श्रद्धालुओं की आंखों में आंसू, बोलेजैसे कोई खोया घर लौट आया

मंदिर खुलते ही क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन को उमड़ पड़े। कई स्थानीय वृद्ध श्रद्धालुओं की आंखें नम थीं। 70 वर्षीय गंगादेवी, जो मंदिर के सामने ही रहती हैं, ने भावुक होकर कहा— "जब मैं बहू बनकर इस मोहल्ले में आई थी, तो हर सोमवार को इस मंदिर में जल चढ़ाती थी। पिछले 15 सालों से मंदिर सूना पड़ा था। आज फिर महादेव के दर्शन हुए, तो जैसे अपने पिता के घर लौट आई हूँ।" वहीं 33 वर्षीय अमित पांडे ने बताया— "हमने बचपन से इस मंदिर में भोलेनाथ की पूजा करना सीखा था। लेकिन जब मंदिर का ताला बंद हुआ तो कई बार मन हुआ लड़ झगड़ कर खोल दें। अब विहिप के प्रयास से यह कार्य फिर शुरू हुआ है, हम इसमें तन-मन से सहयोग करेंगे।"

विहिप का संकल्प : अब रुकेगा शिवालय का संचालन

विहिप काशी महानगर अध्यक्ष राजेश मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में कहा— "यह केवल मंदिर का ताला खोलना नहीं है, यह काशी की आत्मा को फिर से जागृत करना है। हम सुनिश्चित करेंगे कि अब यह मंदिर फिर कभी वीरान हो। नियमित पूजा, पुजारी की नियुक्ति और परिसर की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता होगी।" उन्होंने आगे कहा कि स्थानीय प्रशासन से भी बात की गई है ताकि मंदिर की संपत्ति की वैधानिक सुरक्षा, सीसीटीवी निगरानी, और अनुशासित संचालन सुनिश्चित किया जा सके।

प्रशासन सहयोग को तैयार, किन्तु कानूनी पहलू स्पष्ट होना जरूरी

इस संदर्भ में प्रशासनिक सूत्रों ने भी पुष्टि की है कि सिद्धिश्वर महादेव मंदिर को लेकर स्थानीय विवाद या अधिकार संबंधी कोई मामला अदालत में लंबित नहीं है, अतः यदि श्रद्धालुओं की तरफ से विधिवत समिति बनती है, तो नगर निगम और पुलिस प्रशासन सहयोग करने को तैयार है। वाराणसी नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया "पुराने धार्मिक स्थलों के संरक्षण और संचालन हेतु जो दिशा-निर्देश राज्य सरकार ने तय किए हैं, उन्हीं के तहत यह मंदिर भी पुनः विकसित हो सकता है। बशर्ते संचालन पारदर्शिता और सार्वजनिक भावना के अनुरूप हो।"

पुनर्प्राण-प्रतिष्ठा की मांग तेज, समिति गठन की प्रक्रिया शुरू

पूजा के दौरान ही कई स्थानीय लोगों ने स्थायी मंदिर समिति के गठन का प्रस्ताव रखा। क्षेत्रीय श्रद्धालु अनिल पांडेय और शिवकुमार दुबे जैसे युवाओं ने पहल करते हुए विहिप के साथ समन्वय कर मंदिर के लिए एक संचालन समिति के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। साथ ही, भविष्य में भव्य पुनर्प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव और शिवरात्रि पर विशाल भंडारे की योजना भी बनाई जा रही है।

 

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