काशी में गंगा का रौद्र रूप : 22 से अधिक घाटों का टूटा संपर्क
गंगा का
जलस्तर
63.10 मीटर
तक
पहुंचा,
हर
घंटे
एक
सेमी
की
वृद्धि
दशाश्वमेध समेत
22 से
अधिक
घाट
गंगा
में
समाएं,
आरती
स्थल
भी
बदला
घाट किनारे
रहने
वालों
को
अलर्ट,
प्रशासन
ने
बचाव
कार्य
शुरू
किए
24 घंटे में 20 सेंटीमीटर
बढ़ा
जलस्तर,
बाढ़
जैसे
हालात
जल आयोग
व
मौसम
विभाग
की
निगाहें
उत्तर
भारत
की
बारिश
पर
सुरेश गांधी
वाराणसी. देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी
में जहां गंगा हर
दिन श्रद्धा का केंद्र होती
है, वहीं इस समय
मां गंगा ने रौद्र
रूप धारण कर लिया
है। बीते तीन दिनों
से लगातार जलस्तर में हो रही
बढ़ोतरी ने न सिर्फ
घाटों की रेखाएं लील
ली हैं, बल्कि शहरवासियों
की चिंता भी बढ़ा दी
है।
गंगा का जलस्तर अब हर घंटे औसतन एक सेंटीमीटर की गति से बढ़ रहा है, जिससे बाढ़ जैसे हालात बनते जा रहे हैं।केंद्रीय जल आयोग की ताजा बाढ़ बुलेटिन के अनुसार, सोमवार रात 8 बजे गंगा का जलस्तर 63.10 मीटर दर्ज किया गया। जबकि मंगलवार को 64 मीटर पार कर गया। यह वाराणसी के लिए एक अहम चेतावनी है, क्योंकि गंगा के जलस्तर में केवल 24 घंटे में 20 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। अब तक दशाश्वमेध, राजेन्द्र प्रसाद, मणिकर्णिका, हरिश्चंद्र, अस्सी, सिंधिया सहित 22 से अधिक घाटों का संपर्क आमजन से कट गया है।
कई स्थानों पर सीढ़ियां पूरी तरह जलमग्न हो चुकी हैं, जबकि कई घाटों पर पानी मंदिरों की सीढ़ियों तक पहुंच चुका है। गंगा के बढ़ते जलस्तर को लेकर जल आयोग के विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर भारत के कई हिस्सों में हो रही भारी बारिश के कारण गंगा की सहायक नदियों में भी जलप्रवाह तेज हुआ है, जिससे गंगा में जलभराव तेजी से बढ़ रहा है। यदि वर्षा की यही गति बनी रही, तो आगामी दो दिनों में जलस्तर चेतावनी बिंदु के निकट पहुंच सकता है।
दशाश्वमेध घाट दृ जहां
रोज शाम को होने
वाली विश्वविख्यात गंगा आरती हजारों
श्रद्धालुओं को आकर्षित करती
है दृ अब जलस्तर
बढ़ने के कारण संकट
में है। संभावना जताई
जा रही है कि
आरती स्थल को ऊपरी
हिस्से या वैकल्पिक स्थान
पर स्थानांतरित किया जा सकता
है। प्रशासन सतर्क है और सुरक्षात्मक
इंतजामों की समीक्षा कर
रहा है।
बढ़ती चिंता : स्थानीयों के लिए अलर्ट
उपाय व तैयारी
घाटों के किनारे बैरिकेडिंग
आरती स्थल का
अस्थायी स्थानांतरण
नाविकों व पुरोहितों को
सतर्कता निर्देश
बाढ़ राहत केंद्र
सक्रिय करने की प्रक्रिया
जलस्तर निगरानी के लिए टीम
गठित
शहर की धड़कनें तेज
काशी में गंगा
का रौद्र रूप केवल भौगोलिक
आपदा नहीं, सांस्कृतिक व्यथा भी है। आस्था
और आपदा के इस
द्वंद्व में शहर की
धड़कनें तेज हो गई
हैं। प्रशासन, श्रद्धालु और गंगा किनारे
बसे लोग अब मां
गंगा से करबद्ध प्रार्थना
कर रहे हैं, कि
वे फिर से शांत
हो जाएं।
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