Wednesday, 16 July 2025

वाराणसी में दर्दनाक हादसा : कच्ची दीवार गिरने से दो सगे भाइयों की मौत

वाराणसी में दर्दनाक हादसा कच्ची दीवार

गिरने से दो सगे भाइयों की मौत

सीएम योगी ने जताया शोक, परिजनों को मिलेगा 8 लाख मुआवजा

भैठौली गांव में सुबह हुआ हादसा, धान की नर्सरी के लिए जा रहे थे खेत

सुरेश गांधी

वाराणसी। चोलापुर थाना अंतर्गत भैठौली गांव में बुधवार सुबह एक हृदयविदारक हादसे ने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया। धान की नर्सरी लगाने के लिए खेत जा रहे दो सगे भाइयों की उस समय मौत हो गई जब एक कच्चे मकान की दीवार अचानक भरभराकर उन पर गिर गई। मलबे में दबने से दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। मृतकों की पहचान आदित्य गौतम (18 वर्ष) और अंकित गौतम (16 वर्ष) के रूप में हुई है, जो संतोष कुमार के पुत्र थे। सूचना मिलते ही चोलापुर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति का जायजा लिया। शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। फिलहाल परिवार की ओर से किसी के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है।

हादसे ने छीन ली परिवार की हँसी

आदित्य इंटरमीडिएट का छात्र था और अंकित हाईस्कूल की पढ़ाई कर रहा था। दोनों मेहनती और अनुशासित बालक माने जाते थे। सुबह खेत के लिए निकलना उनके रोज़मर्रा के कामों में शामिल था, लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि यह उनकी आखिरी सुबह होगी। परिवार में चार भाई और एक बहन हैंआदित्य सबसे बड़ा था। अंकित उससे छोटा और दो अन्य छोटे भाई मोनू (9) अंश (6) और एक बहन आनंदी है। पिता संतोष कुमार नदेसर डाकघर में पोस्टमैन के पद पर कार्यरत हैं। घटना के बाद मां नीलम देवी और अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।

सीएम योगी ने लिया संज्ञान, दी संवेदना

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने मृतकों के परिवार को तत्काल राहत सहायता देने का निर्देश दिया। जिलाधिकारी को आपदा राहत मद से दोनों मृतकों के परिवार को कुल 8 लाख रुपये की सहायता राशि तत्काल देने के आदेश जारी किए गए हैं।

ग्रामीणों में गुस्सा, मकान की जर्जर स्थिति पर उठे सवाल

दुर्घटनास्थल पर पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि जिस मकान की दीवार गिरी, वह बेहद जर्जर हालत में थी। बारिश के चलते मिट्टी कमजोर हो गई थी, लेकिन इसके बावजूद मकान को गिराया नहीं गया। यह प्रशासनिक लापरवाही और जनसुरक्षा के प्रति उदासीनता का संकेत है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की कि ऐसे पुराने और खतरनाक मकानों की सूची बनाकर उन्हें गिराने की पहल की जाए, जिससे भविष्य में ऐसे हादसे टाले जा सकें।

यह सिर्फ हादसा नहीं, एक चेतावनी है...

वाराणसी जैसे भीड़भाड़ वाले जिलों में सैकड़ों जर्जर कच्चे-पक्के मकान आज भी गांव-शहरों की गलियों में खड़े हैं। मानसून के इस सीजन में ऐसे निर्माण एक बड़ा खतरा हैं। यह हादसा प्रशासन के लिए एक चेतावनी भी है कि अब और विलंब करते हुए जर्जर भवनों को चिन्हित कर सुरक्षा के उपाय तत्काल किए जाएं। संवेदना ही नहीं, ज़िम्मेदारी भी जरूरी है। भैठौली के दो मासूम भाई अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी मौत उन सैकड़ों परिवारों को एक पीड़ा भरा संदेश दे गई हैजीवन क्षणभंगुर है, पर ज़िम्मेदारियों की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए। प्रशासन, पंचायत और आम नागरिकसभी को मिलकर अपने गांव-शहर को सुरक्षित बनाने की जिम्मेदारी लेनी होगी।

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