गंगा के उफान से डगमगाई काशी, घाटों पर टूटा श्रद्धा का संतुलन
वाराणसी में गंगा का तांडव, जलस्तर 71.13 मीटर
पार, गलियों में पानी, पीएम मोदी ने जाना हाल
चिता से
पहले
अब
घंटो
इंतजार,
बस्तियों
में
पानी,
डूबते
मंदिर
और
बेघर
होते
लोग
सुरेश गांधी
वाराणसी. पतित पावनी गंगा
अब काशीवासियों के लिए संकट
बनती जा रही हैं।
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी)
के अनुसार, शनिवार शाम छह बजे
गंगा का जलस्तर 71.13 मीटर
तक पहुंच चुका है, जो
खतरे के निशान 71.262 मीटर
से बस कुछ ही
सेंटीमीटर नीचे है। जलस्तर
में हर घंटे 3 सेमी
की रफ्तार से वृद्धि दर्ज
की जा रही है।
ऐसे में बाढ़ का
खतरा मंडराने लगा है। घाट
डूबने लगे हैं, गलियों
में नावें चलने लगी हैं
और शवदाह जैसे धार्मिक अनुष्ठानों
पर भी इसका प्रतिकूल
असर पड़ रहा है।
मणिकर्णिका घाट की गलियों
में अब नावों का
सहारा लेना पड़ रहा
है। बाबा मसाननाथ सेवा
समिति के संजय गुप्ता
के अनुसार, शवदाह के लिए लोगों
को अब 30 से 40 मिनट इंतजार करना
पड़ रहा है। घाट
की चिताएं जलाने वाली जगह कम
पड़ रही है और
हरिश्चंद्र घाट की गलियों
में भी पानी भर
चुका है। घाटों पर
स्थित छोटे-बड़े सभी
मंदिर जलमग्न हो गए हैं,
जिससे तीर्थयात्रियों और स्थानीय श्रद्धालुओं
को भारी असुविधा हो
रही है।
बता दें, बाढ़ काशीवासियों के लिए हर वर्ष एक बड़ी परीक्षा बनकर आती है, लेकिन इस वर्ष स्थिति और भी नाजुक बनती जा रही है। प्रशासन को चाहिए कि घाटों, बस्तियों और प्रमुख सड़कों की निगरानी और सहायता व्यवस्था में और तेजी लाई जाए। साथ ही आम जनता को जागरूक करना होगा कि वे अफवाहों से बचें और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें। संकट की इस घड़ी में प्रधानमंत्री का सक्रिय रुख आश्वस्त करता है कि काशी को केंद्र सरकार का पूरा सहयोग मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने लिया वाराणसी की स्थिति का फीडबैक
बाढ़ की गंभीरता
को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने वाराणसी के
मंडलायुक्त और जिलाधिकारी से
बात कर शहर की
बाढ़ स्थिति की जानकारी ली।
उन्होंने राहत शिविरों की
व्यवस्थाओं, खाद्य सामग्री की आपूर्ति, चिकित्सा
सेवाओं और सुरक्षित ठहराव
की व्यवस्था की समीक्षा की।
पीएम मोदी ने अधिकारियों
को निर्देश दिया कि बाढ़
प्रभावित लोगों को हरसंभव सहायता
तत्काल और प्रभावी ढंग
से उपलब्ध कराई जाए।
15 गांव और 10 मोहल्ले बाढ़ की चपेट में
गंगा के बढ़ते
उफान और वरुणा में
हो रहे पलट प्रवाह
से शहर के दीनदयालपुर,
पैगंबरपुर, पुलकोहना, पुराना पुल, रूप्पनपुर और
सलारपुर समेत कई बस्तियों
की स्थिति भयावह होती जा रही
है। अब तक 15 गांव
और वाराणसी शहर के करीब
10 मोहल्ले बाढ़ से प्रभावित
हो चुके हैं। प्रशासन
के आंकड़ों के अनुसार, 436 परिवारों
को अपने घर छोड़कर
राहत शिविरों में शरण लेनी
पड़ी है।
बाढ़ नियंत्रण के लिए युद्धस्तर पर कार्य
स्थानीय प्रशासन की ओर से
नगर निगम, जलकल विभाग, एनडीआरएफ
और जिला आपदा प्रबंधन
प्राधिकरण को अलर्ट पर
रखा गया है। घाटों
पर बैरिकेडिंग की जा रही
है और जलभराव वाले
क्षेत्रों में मोटरबोट, नावें
और रेस्क्यू टीमें तैनात कर दी गई
हैं। स्वास्थ्य विभाग ने शिविरों में
डॉक्टरों और दवाओं की
व्यवस्था सुनिश्चित की है।
जल आयोग का अनुमान : इस वर्ष विकराल रूप ले सकती है बाढ़
केंद्रीय जल आयोग का
अनुमान है कि इस
वर्ष गंगा का रौद्र
रूप पहले से कहीं
अधिक भयानक हो सकता है।
73.901 मीटर का उच्चतम बाढ़
स्तर (भ्थ्स्) वर्ष 1978 में दर्ज किया
गया था, और इस
वर्ष की बढ़ती रफ्तार
को देखते हुए हालात उसी
दिशा की ओर संकेत
कर रहे हैं।
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