बिजलीकर्मियों का भिखारीपुर मुख्यालय पर फूटा गुस्सा, वेतन रोकने पर गरजे कर्मचारी
“निजीकरण नहीं चलेगा! संसाधन दो या संघर्ष झेलो”
बिजली विभाग
में
उबाल!
निजीकरण
और
वेतन
कटौती
के
खिलाफ
कर्मचारी
भड़के,
कहा
ये
लड़ाई
सम्मान
और
हक
की
है
स्मार्ट मीटर
की
जबरदस्ती
और
फेसिअल
अटेंडेंस
नहीं
स्वीकार!
बिजलीकर्मियों का
एलान-
निजीकरण
की
कब्र
खुदेगी
आंदोलन
से
सुरेश गांधी
वाराणसी. बिजलीकर्मियों ने बिजली क्षेत्र के निजीकरण और संसाधनविहीन ‘फेसिअल अटेंडेंस’ को अनिवार्य बनाकर वेतन रोकने की कार्रवाई के विरोध में शनिवार को प्रबंध निदेशक कार्यालय, भिखारीपुर पर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने चेताया कि जब तक निजीकरण और उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां वापस नहीं ली जातीं, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
विधुत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के बैनर तले
आयोजित इस विरोध प्रदर्शन
में सैकड़ों बिजलीकर्मियों ने भाग लिया।
वक्ताओं ने आरोप लगाया
कि बिना आवश्यक संसाधन
(कैमरेयुक्त मोबाइल या कंप्यूटर) उपलब्ध
कराए कर्मचारियों पर फेसिअल अटेंडेंस
थोपना अनुचित है, और इसके
आधार पर वेतन रोका
जाना पूरी तरह से
अन्यायपूर्ण है।
‘फील्ड वर्क’ पर उठाए सवाल
वक्ताओं ने प्रबंधन से
पूछा कि जो कर्मचारी
फील्ड में कार्यरत रहते
हैं, वे क्या रोज
सुबह 10 से शाम 5 बजे
तक अटेंडेंस लगाकर अपनी ड्यूटी पूरी
कर लेंगे? शाम के बाद
होने वाले ब्रेकडाउन और
मरम्मत कार्यों का जिम्मा कौन
लेगा? क्या ऐसे समय
पर अभियंताओं और लाइनमैन को
नहीं बुलाया जाएगा? उन्होंने यह भी याद
दिलाया कि 20 जून 2025 को प्रबंध निदेशक
पूर्वांचल और संघर्ष समिति
वाराणसी के बीच हुई
वार्ता में यह तय
हुआ था कि जब
तक सभी कार्यालयों व
उपकेंद्रों पर फेसिअल अटेंडेंस
के लिए संसाधन नहीं
उपलब्ध कराए जाते, तब
तक इसे अनिवार्य नहीं
बनाया जाएगा। फिर भी जून
और जुलाई का वेतन रोक
दिया गया।
निजीकरण के खिलाफ हताश प्रबंधन का आरोप
को
संबोधित करते हुए वक्ताओं
ने आरोप लगाया कि
निजीकरण में विलंब से
हताश प्रबंधन अब बिजलीकर्मियों को
मनमानी कार्रवाई और स्थानांतरण से
प्रताड़ित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि मार्च
2023 की हड़ताल के बाद ऊर्जा
मंत्री ने उत्पीड़नात्मक कार्रवाइयों
को वापस लेने का
निर्देश दिया था, लेकिन
अब तक कोई ठोस
कार्रवाई नहीं हुई।
प्रमुख मांगें
संघर्ष समिति ने सरकार से
निम्नलिखित प्रमुख मांगें रखीं - फेसिअल अटेंडेंस के नाम पर
रोका गया वेतन अविलंब
दिया जाए। मार्च 2023 की हड़ताल के
बाद दर्ज फर्जी एफआईआर
वापस ली जाए। 55 वर्ष
से ऊपर व डाउनसाइजिंग
के नाम पर हटाए
गए संविदा कर्मियों को पुनः बहाल
किया जाए। स्थानांतरणों को निरस्त किया
जाए। स्मार्ट मीटर लगाने की
जबरन कार्यवाही बंद की जाए।
रियायती बिजली की सुविधा समाप्त
करने की धमकियों पर
रोक लगे।सभा की अध्यक्षता ई.
आर.बी. यादव और
संचालन अंकुर पांडेय ने किया। सभा
को ई. राजेंद्र सिंह,
ई. एस.के. सिंह,
ई. पंकज जैसवाल, वेदप्रकाश
राय, रविंद्र यादव, रामकुमार झा, राजेश सिंह,
हेमंत श्रीवास्तव, संदीप सिंह, प्रदीप कुमार, दीपक गुप्ता, मनोज
यादव, अनिल कुमार, उदयभान
दुबे समेत कई नेताओं
ने संबोधित किया।
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