Thursday, 21 August 2025

स्वर्ण शिखर पर सफेद उल्लू : बाबा विश्वनाथ का संदेशवाहक?

स्वर्ण शिखर पर सफेद उल्लू : बाबा विश्वनाथ का संदेशवाहक

काशी में आस्था और कौतूहल का अद्भुत संगम

सुरेश गांधी

वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर के स्वर्ण शिखर पर बैठा सफेद उल्लू केवल एक पक्षी का संयोग मात्र नहीं है। यह काशी की आस्था, विश्वास और ज्योतिषीय मान्यता का ऐसा संगम है जिसने लोगों के हृदय में श्रद्धा और उत्साह की नई लहर जगा दी है। भक्त इसे बाबा का संदेशवाहक मानते हुए इसे शुभ संकेत और आगामी समृद्धि का प्रतीक मान रहे हैं। बता दें, आस्था की नगरी काशी में इन दिनों एक विचित्र और अद्भुत दृश्य चर्चा का विषय बना हुआ है। श्री काशी विश्वनाथ धाम के स्वर्ण शिखर पर एक सफेद उल्लू का बैठना भक्तों और श्रद्धालुओं के बीच रहस्यमय जिज्ञासा का केंद्र बना हुआ है। सामान्यतः उल्लू को रात्रिचर और रहस्यमय पक्षी माना जाता है, लेकिन सफेद उल्लू का स्वरूप अत्यंत दुर्लभ है। यही कारण है कि लोग इसे बाबा विश्वनाथ का संदेशवाहक और शुभ संकेत मान रहे हैं।

हिंदू शास्त्रों में उल्लू को मां लक्ष्मी का वाहन कहा गया है। जहां उल्लू का वास होता है, वहां लक्ष्मी की कृपा मानी जाती है और दरिद्रता टिक नहीं पाती। काशी जैसे तीर्थराज में, और वह भी बाबा विश्वनाथ के स्वर्ण शिखर पर बैठा सफेद उल्लू, भक्तों के लिए असाधारण दृश्य है। सफेद रंग स्वयं शांति, पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक है। ऐसे में भक्त इसे केवल शुभ मान रहे हैं, बल्कि इसे धन, सुख और समृद्धि का दिव्य संदेश भी समझ रहे हैं।

काशी के विद्वान पंडित और ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि देवता कई बार दुर्लभ जीवों या अपने वाहनों के माध्यम से संकेत देते हैं। उनका कहना है कि स्वर्ण शिखर पर सफेद उल्लू का बैठना महज संयोग नहीं हो सकता। यह संभवतः इस ओर इशारा है कि आने वाले समय में काशी और देश में सुख-समृद्धि का संचार होने वाला है। भक्तों का विश्वास है कि बाबा विश्वनाथ अपने अनोखे ढंग से संकेत देते हैं। कभी गंगा की धारा, कभी नाग-नागिन का प्रकट होना और अब सफेद उल्लू का दर्शनकृयह सब ईश्वर की योजना का हिस्सा है।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, उल्लू को रात्रि का प्रहरी माना जाता है। सफेद उल्लू का प्रकट होना अत्यंत दुर्लभ है और इसे दैवीय संकेत समझा जाता है। मान्यता है कि यह आने वाले समय में अच्छे परिवर्तन, शांति और कल्याणकारी फल का द्योतक है। काशी के लोगों का मानना है कि बाबा विश्वनाथ जब भी कोई अलौकिक संकेत देते हैं, उसका असर दूरगामी होता है। श्रद्धालुओं ने इस दृश्य कोबाबा का आशीर्वादबताया। बहुत से भक्तों ने इसेमां लक्ष्मी के आगमन का सूचकऔरअच्छे दिनों की दस्तकतक करार दिया।

भक्तों की श्रद्धा और आश्चर्य

श्रद्धालुओं का कहना है कि बाबा विश्वनाथ समय-समय पर अलौकिक संकेत देते हैं। सफेद उल्लू का प्रकट होना भी ऐसा ही दिव्य संदेश है। किसी ने इसे मां लक्ष्मी के आगमन का सूचक बताया, तो किसी ने इसे आने वाले सुख-समृद्धि और कल्याणकारी फल का प्रतीक माना।

रामचरितमानस से संदर्भ

मंगल भवन अमंगल हारी।

द्रवहु सो दसरथ अजिर बिहारी..

अर्थात, भगवान का संकेत सभी अमंगलों को दूर करके मंगल ही मंगल कर देता है।

जहं-जहं राम चरण चलि जाई।

तहं-तहं होत अनंत सुखाई…

यानी प्रभु के चरण जहाँ पड़ते हैं, वहाँ अपार सुख-समृद्धि स्वतः जाती है।

सकल मंगल करनि राम लखन गुनीस।

करहु नाथ दसरथ गृहमंगलमय दीस¬¬¬¬...” 

यह चौपाई इस विश्वास को और दृढ़ करती है कि भगवान का आशीष मिलने पर घर-परिवार नगर सब मंगलमय हो जाते हैं।

क्यों माना जाता है उल्लू शुभ?

मां लक्ष्मी का वाहन : पुराणों में उल्लू को लक्ष्मी का वाहन बताया गया है। धन की रक्षा : मान्यता है कि उल्लू रातभर जागकर पहरा देता है।

 सफेद उल्लू की दुर्लभता : इसे दिव्य संकेत और कल्याणकारी माना जाता है। लोकमान्यता : जहाँ उल्लू बैठता है, वहाँ दरिद्रता नहीं टिकती।

प्रतिक्रियाएं

हमने अपनी आँखों से सफेद उल्लू को शिखर पर बैठा देखा। यह बाबा की कृपा का संकेत है। पूरा मन श्रद्धा से भर गया।रामस्वरूप दुबे, लक्सा क्षेत्र

सफेद उल्लू अत्यंत दुर्लभ होता है। बाबा विश्वनाथ ने हमें दर्शन दिए हैं। आने वाले दिन काशीवासियों के लिए मंगलकारी होंगे।गीता देवी, अस्सी घाट

यह कोई साधारण घटना नहीं है। मंदिर के स्वर्ण शिखर पर सफेद उल्लू का बैठना दिव्य आशीर्वाद जैसा है। हमने इसे शुभ संकेत माना।अनुराग पांडेय, मदनपुरा

सफेद उल्लू का स्वर्ण शिखर पर बैठना सामान्य घटना नहीं है। यह बाबा विश्वनाथ का शुभ संदेश है और काशी ही नहीं पूरे देश के लिए समृद्धि का संकेत है। पुराणों में वर्णन है कि देवता अपने वाहन या दुर्लभ जीवों के माध्यम से संकेत भेजते हैं।पंडित गणेश शास्त्री, ज्योतिषाचार्य

 

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