महालक्ष्मी योग में मनेगी नवरात्रि, 10 दिन गूंजेंगे मां के जयकारें
नवरात्र केवल देवी उपासना का पर्व नहीं, बल्कि आत्मसंयम, सकारात्मक ऊर्जा और मानवीय मूल्यों के संरक्षण का उत्सव के साथ - साथ शक्ति का जागरण भी है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का आगाज़ 22 सितंबर, सोमवार को होगा और समापन 2 अक्टूबर, गुरुवार (विजयादशमी) को है। इस बार के महालक्ष्मी योग ने इसे और अधिक फलदायी बना दिया है। विशेष ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, इस बार चतुर्थी तिथि में वृद्धि होने के कारण यह पर्व सामान्य नौ दिवसों की जगह दस दिनों तक चलेगा. ऐसे दश-मितीय नवरात्र को शुभता, ऊर्जा और विशेष सिद्धि का प्रतीक माना जा रहा है। खास यह है कि मां दुर्गा इस वर्ष हाथी (गज) पर सवार होकर पृथ्वी पर पधारेंगी, जो सुख, समृद्धि, वर्षा और कृषि-वृद्धि के संकेतक हैं। जबकि प्रस्थान मनुष्य द्वारा संचालित सवारी से होगा, यह नए आयाम, समाज में उत्साह, और मानव-सम्बंधित प्रगति का प्रतीक मानी जाती है
सुरेश गांधी
आश्विन मास के शुक्ल
पक्ष की प्रतिपदा तिथि
से आरंभ होने वाला
शारदीय नवरात्र इस वर्ष 22 सितंबर
से 01 अक्टूबर तक श्रद्धा और
भक्ति के साथ मनाया
जाएगा। 2 अक्टूबर (गुरुवार) को विजयादशमी हैं।
मां दुर्गा के नौ स्वरूपों
की उपासना का यह पर्व
साधक के जीवन से
दुख-संकट हरकर सुख,
समृद्धि और कल्याण का
संदेश देता है। धार्मिक
मान्यता है कि नवरात्र
में विधिपूर्वक पूजन और व्रत
करने से देवी कृपा
सदैव बनी रहती है।
नवरात्र के अंतिम दिनों
में अष्टमी अथवा नवमी पर
कन्या पूजन का विशेष
महत्व है। मान्यता है
कि नौ कन्याओं का
पूजन कर भोजन, वस्त्र
और उपहार अर्पित करने से साधक
को पूर्ण फल की प्राप्ति
होती है और घर-परिवार में सुख-शांति
का वास होता है।
ज्योतिषियों के अनुसार, 24 सितंबर
को चंद्रमा तुला राशि में
प्रवेश करेगा और मंगल से
युति बनाएगा, जिससे “महालक्ष्मी राजयोग“ का निर्माण होगा,
यह योग आर्थिक समृद्धि,
सांस्कृतिक प्रौढ़ता और मानव्यधर्म में
वृद्धि का प्रतीक है।
यह योग न केवल
व्यक्तिगत जीवन में आर्थिक
उन्नति दिलाता है, बल्कि समग्र
मानव धर्म और कल्याण
के लिए प्रेरक ऊर्जा
प्रदान करता है। मानो
देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद समाहित
सृष्टि में फैलता है,
प्रत्येक हृदय में उत्साह,
सामर्थ्य और आत्मशक्ति जागृत।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह
योग आर्थिक वृद्धि, कला के विस्तार
और विवाह संबंधी बाधाओं से मुक्ति दिलाने
वाला होगा।
तिथियां और शुभ मुहूर्त
घटस्थापना व
प्रतिपदा
: 22 सितंबर
(रात
01ः23
बजे
से
प्रारंभ)
दुर्गा
अष्टमी : 30 सितंबर
अष्टमी
तिथि प्रारंभ : 29 सितंबर, शाम 04ः31 बजे
अष्टमी
तिथि समापन : 30 सितंबर, शाम 06ः06 बजे
महानवमी
: 01 अक्टूबर
नवमी
तिथि प्रारंभ : 30 सितंबर, शाम 06ः06 बजे
नवमी
तिथि समापन : 01 अक्टूबर, रात 07ः01 बजे
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त (कलश स्थापना)
नवरात्रि आरंभ होने की
शाम घटस्थापना का विधिपूर्वक आयोजन
अत्यंत शुभ माना जाता
है। इस समय कलश
स्थापना, जौ बोना और
अखंड दीप प्रज्वलन सबसे
उत्तम रहेगा।
मुख्य शुभ
मुहूर्त
: प्रातः
6ः09
बजे
से
8ः06
बजे
तक
अभिजीत
मुहूर्त : 11ः49 बजे से
12ः38 बजे तक
दोनों
मुहूर्तों में सुबह का
समय उत्तम माना जाता है।
दिनवार
तिथि -नक्षत्र
सारिणी
22 सितंबर प्रतिपदा घटस्थापना,
शैलपुत्री पूजन
23 सितंबर द्वितीया ब्रह्मचारिणी पूजन
24 सितंबर तृतीया चंद्रघंटा पूजन
25 : 26 सितंबर चतुर्थी (वृद्धि) कूष्मांडा
पूजन, अतिरिक्त दिन
27 सितंबर पंचमी स्कंदमाता
पूजन
28 सितंबर षष्ठी कात्यायनी पूजन
29 सितंबर सप्तमी कालरात्रि पूजन
30 सितंबर अष्टमी महागौरी पूजन
1 अक्टूबर नवमी सिद्धिदात्री पूजन,
कन्या पूजन
2 अक्टूबर विजयदशमी , विसर्जन,
हवन, मेला
ग्रह-नक्षत्र और चारों ओर के प्रभाव
चतुर्थी तिथि वृद्धि (25 एवं
26 सितंबर दोनों) : इस वृद्धि को
बल, समय एवं आध्यात्मिक
अवसरों की वृद्धि का
संकेत माना गया है।
प्रस्थान की सवारी, मनुष्य
द्वारा संचालित “नई दिशा और
मनोबल” का प्रतीक।
मां का आगमन और प्रस्थान
देवी दुर्गा इस
बार हाथी की सवारी
से पृथ्वी पर पधारेंगी। शास्त्रों
के अनुसार यह सुख-समृद्धि,
अन्न-वृष्टि और शांति का
द्योतक है। जबकि विजयादशमी
के दिन मां का
मनुष्य वाहन से प्रस्थान
होगा। ज्योतिषाचार्यों का कहना है
कि यह संकेत समाज
में जागृति, मानवता के उत्थान और
नई राहों की ओर प्रेरणा
का द्योतक है। खास यह
है कि देवी दुर्गा
का आगमन हाथी वाहन
पर, इस वर्ष सोमवार
से आरंभ होने पर
विशिष्ट शुभ संकेत है,
यह संपन्नता, फसल की वृद्धि
और सामाजिक शांति का द्वार खोलता
है। उसके क्रमशः मनुष्य
वाहन से प्रस्थान का
दृश्य हमें यह याद
दिलाता है कि ज्यों-ज्यों समाज आगे बढ़ता
है, मानव प्रयास और
समानुभूति मायने रखते हैं। शक्ति
मात्र चमत्कार नहीं, बल्कि कर्म और चेतना
की अभिव्यक्ति है।
नौ दिनों के नौ रंग
नवरात्र के नौ दिनों
में नौ रंगों के
वस्त्र पहनने की परंपरा है।
हर रंग मां के
एक स्वरूप का प्रतीक है
और विशेष फल प्रदान करता
है।
तिथि देवी स्वरूप रंग महत्व
22 सित. मां
शैलपुत्री सफेद शांति
और पवित्रता
23 सित. मां
ब्रह्मचारिणी लाल ऊर्जा
और उत्साह
24 सित. मां
चंद्रघंटा गहरा
नीला सुख-संपन्नता
25 सित. (तृतीया) पीला स्नेह
और सौभाग्य
26 सित. मां
कुष्मांडा हरा
विकास और सफलता
27 सित. मां
स्कंदमाता स्लेटी इंद्रिय
नियंत्रण
28 सित. मां
कात्यायनी नारंगी
सकारात्मक ऊर्जा
29 सित. मां
कालरात्रि मोरपंखी
हरा शक्ति और विशिष्टता
30 सित. मां
महागौरी गुलाबी
प्रेम और सौहार्द
01 अक्टू. मां सिद्धिदात्री बैंगनी सिद्धि
और आध्यात्मिक उन्नति
इन राशियों के लिए होगा चमत्कारी
सिंह राशि
: करियर में नई उपलब्धियां,
मान-सम्मान और वाहन लाभ।
तुला
राशि
: व्यापार में लाभ, पदोन्नति
और सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि। मकर राशि : रुके कार्य गति
पकड़ेंगे, धन लाभ और
पारिवारिक सुख मिलेगा।
न करें ये गलतियां
अष्टमी और नवमी पर
घर-मंदिर की साफ-सफाई
अवश्य करें। पूजा के समय
काले वस्त्र न पहनें। विवाद,
अपमान और नकारात्मक विचारों
से दूर रहें। नवरात्रि
में तामसिक भोजन का सेवन
न करें।
घर में रखें ये वस्तुएं
नवरात्र से पहले अथवा
नवरात्र के दौरान कुछ
वस्तुएं घर लाना शुभ
माना गया है। महालक्ष्मी
यंत्र : धन-समृद्धि का
स्रोत। स्वास्तिक : घर में सुख-सौभाग्य का वास। नवग्रह
यंत्र : ग्रह दोषों का
नाश। श्रृंगार सामग्री : मां दुर्गा को
प्रिय, मनोकामना पूर्ति का साधन। दक्षिणावर्ती
शंख : घर में स्थायी
खुशहाली।
काशी की विशेष नवरात्रि परंपराए
काशी, जिसे ‘आध्यात्मिक राजधानी’ व ‘मुक्ति की
नगरी’ कहा जाता है,
नवरात्रि में एक अनोखी
आभा से दमक उठता
है। घटस्थापना से लेकर दशहरा
तक, काशी के हर
गली-कूचे में देवी
पंडाल सजते हैं। ललिता
घाट से लेकर मैदागिन
तक भक्ति की धारा बहती
है। दुर्गा मंदिरों में विशेष आयोजन
के साथ ही दुर्गाकुंड,
अन्नपूर्णा देवी मंदिर, विशालाक्षी
शक्ति पीठ और मां
गौरी के मंदिरों में
अखंड पाठ और हवन
होते हैं। घाटों पर
दीपमालाएं, मंदिरों में घंटा-घड़ियाल
और घर-घर में
नौ दिनों का व्रत-भजन।
अष्टमी और नवमी पर
हज़ारों कन्याओं को भोजन कराने
की परंपरा, बनारस की सेवा-भावना
और शक्ति-साधना का अनूठा संगम
है।
दुर्गाकुंड मंदिर
माता दुर्गा का
ऐतिहासिक और भव्य मंदिर।
यहां नवरात्रि में भक्तों की
अपार भीड़ उमड़ती है।
दुर्गा सप्तशती का अखंड पाठ
और विशेष श्रृंगार होता है।
विशालाक्षी मंदिर
(शक्ति
पीठ)
माँ सती की
कान की मणि यहाँ
गिरी थी। नवरात्रि में
दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़
जुटती है। दिसंबर में
होने वाले कुम्भाभिषेक की
तैयारियों के साथ इस
बार नवरात्रि में विशेष उत्साह
रहेगा।
अन्नपूर्णा देवी
मंदिर
भोजन और समृद्धि
की देवी माँ अन्नपूर्णा
की पूजा नवरात्रि में
विशेष फलदायी मानी जाती है।
माँ गौरी
और
मां
ललिता
घाट
यहां नौ दिनों
तक दीपमालाएं सजती हैं और
गंगा तट पर सामूहिक
भजन-कीर्तन गूंजते हैं।
शक्ति, योग और मानवता का त्रिवेणी संगम
मंगल-चंद्र योग
(महालक्ष्मी राजयोग) : एक ऐसा ज्योतिषीय
संयोग जो समृद्धि और
मानव कल्याण का द्वार खोलता
है। देवी का हाथी
पर आगमन, शांति, खेती, वर्षा और स्थिरता की
शक्ति। मनुष्य वाहन से प्रस्थान,
मानव प्रयास का महत्त्व और
समाज में जागृति का
प्रतीक। शक्ति तभी सार्थक जब
वह मानव कल्याण में
समर्पित हो।
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