काशी में शक्ति का महाकुंभ
माता विशालाक्षी
के
कुम्भाभिषेक
से
गूंजेगी
काशी,
दिसंबर
में
होगा
भव्य
आयोजन
सुरेश गांधी
वाराणसी. काशी की पवित्र
धरती, जहाँ महादेव का
धाम और गंगा की
धारा मिलकर सनातन आस्था को जीवन देती
हैं, उसी काशी में
इस वर्ष एक ऐतिहासिक
और अद्वितीय धार्मिक महोत्सव का साक्षी बनने
जा रहा है। महादेव
की शक्ति स्वरूपा माता विशालाक्षी का
कुम्भाभिषेक दिसंबर माह में संपन्न
होगा। यह दिव्य आयोजन
हर 12 वर्ष में एक
बार होता है और
परंपरा के अनुसार इसमें
दक्षिण भारत से लेकर
पूरे देश से लाखों
श्रद्धालु शामिल होते हैं। अनुमान
है कि इस बार
लगभग एक लाख श्रद्धालुओं
का आगमन होगा।
11 सितंबर से शुरू होगी तैयारियाँ
कुम्भाभिषेक की औपचारिक तैयारियाँ 11 सितंबर को आरंभ होंगी। इस दिन तमिलनाडु से आए चार वैदिक विद्वान माता के विग्रह स्थान परिवर्तन का शुभ अनुष्ठान संपन्न कराएंगे। इसी के साथ तीन महीने तक चलने वाली मंदिर की मरम्मत, रंग-रोगन, जीर्णोद्धार और नवनिर्माण की प्रक्रिया भी प्रारंभ हो जाएगी। यह कार्य केवल भौतिक संरचना का नहीं, बल्कि श्रद्धा और आस्था के पुनर्संस्कार का भी प्रतीक माना जाता है।
परंपरा और दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं की आस्था
काशी की विशालाक्षी
शक्ति पीठ दक्षिण भारत
के श्रद्धालुओं के लिए विशेष
महत्व रखती है। यही
कारण है कि इस
आयोजन की जिम्मेदारी सदियों
से नाटुकोट्टई नगर क्षेत्रम सोसायटी,
तमिलनाडु निभाती आ रही है।
सोसायटी मंदिर के रखरखाव से
लेकर आयोजन की पूरी देखरेख
करती है। शनिवार की
शाम गोदौलिया स्थित सोसायटी कार्यालय में अध्यक्ष लेना
नारायण ने महंतों के
साथ बैठक कर कार्यक्रम
की रूपरेखा साझा की। महंतों
ने इस महायज्ञ में
पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
आस्था और अध्यात्म का संगम
काशी में होने
वाला यह कुम्भाभिषेक केवल
एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि शक्ति और शिव के
मिलन की प्रतीकात्मक पुनर्पुष्टि
है। माता विशालाक्षी का
यह महोत्सव आस्था को नवचेतना देता
है और समाज को
यह संदेश भी कि शक्ति
की उपासना के बिना शिव
की साधना अधूरी है। बैठक में
सोसायटी अध्यक्ष लेना नारायण, मंदिर
के महंत सुरेश तिवारी,
राजनाथ तिवारी, नितिन तिवारी और चिराग दुबे
मौजूद रहे।
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