काशी की
परंपरा
भारत
ही
नहीं,
पूरी
मानवता
के
लिए
शांति
और
आध्यात्मिक
ऊर्जा
का
अद्भुत
संदेश
देती
है
: डॉ.
नवीनचंद्र
काशी में गंगा आरती के दिव्य दर्शन से अभिभूत हुए डॉ. रामगुलाम
मंत्रोच्चार, शंखनाद
और
सैकड़ों
दीपों
की
लौ
से
घाट
हुआ
आलोकित
डॉ. नवीनचंद्र
दंपती
आध्यात्मिक
आभा
में
पूरी
तरह
रम
गए
सुरेश गांधी
वाराणसी. गुरुवार की संध्या काशी के घाटों पर आध्यात्मिक भव्यता और अंतरराष्ट्रीय मैत्री का अद्भुत संगम देखने को मिला। मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम अपनी धर्मपत्नी के साथ दशाश्वमेध घाट पहुंचे, जहां उन्होंने विश्वविख्यात गंगा आरती के दिव्य दर्शन किए। मंत्रोच्चार, शंखनाद और सैकड़ों दीपों की लौ से जब पूरा घाट आलोकित हुआ तो डॉ. रामगुलाम दंपती उस आध्यात्मिक आभा में पूरी तरह रम गए।
गंगा आरती के
दौरान उन्होंने श्रद्धापूर्वक गंगा मैया को
नमन किया और सपत्नीक
स्वयं भी आरती कर
भारतीय संस्कृति की इस अनुपम
परंपरा को आत्मसात किया।
परंपरा के अनुरूप मस्तक
पर चंदन का तिलक
धारण कर उन्होंने भारतीय
धार्मिक आस्था के प्रति गहरी
श्रद्धा व्यक्त की। इस अवसर
पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन
पटेल और वित्त एवं
संसदीय कार्य मंत्री तथा वाराणसी के
प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना ने अंगवस्त्र भेंट
कर उनका गर्मजोशी से
स्वागत किया। घाट पर उपस्थित
हजारों श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा और
तालियों की गूंज से
विदेशी मेहमानों का अभिनंदन किया।
डॉ. रामगुलाम ने
गंगा आरती के बाद
कहा कि काशी की
यह परंपरा केवल भारत ही
नहीं, पूरी मानवता के
लिए शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा
का अद्भुत संदेश देती है। उन्होंने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारतीय
संस्कृति और गंगा संरक्षण
को विश्व पटल पर स्थापित
करने के प्रयासों की
भी सराहना की। गंगा के
तट पर बहती मंद
समीर, घंटों की मधुर ध्वनि
और दीपों की सुनहरी रौशनी
में यह संध्या न
केवल काशीवासियों के लिए, बल्कि
मॉरीशस के प्रधानमंत्री और
उनके प्रतिनिधिमंडल के लिए भी
अविस्मरणीय बन गई। यह
क्षण भारत-मॉरीशस की
प्रगाढ़ मित्रता और सांस्कृतिक निकटता
का प्रतीक बनकर इतिहास में
दर्ज हो गया।
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