जाम से निजात का नायाब तरीका : जनता को सड़कों पर गोल-गोल घुमाओ!
वन-वे की ‘वन मैन शो’ नीति से कराह उठी काशी
ट्रैफिक सुधार
के
नाम
पर
अव्यवस्था
का
तांडव,
10 मिनट
की
दूरी
एक
घंटे
में;
मरीज,
व्यापारी
और
आमजन
सब
बेहाल
सुरेश गांधी
वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय
क्षेत्र वाराणसी में ट्रैफिक पुलिस
ने जाम से मुक्ति
दिलाने के नाम पर
जो ‘वन-वे अभियान’
शुरू किया है, उसने
पूरे शहर की नाड़ी
को जकड़ लिया है।
दावा था कि प्रमुख
मार्गों को वन-वे
बनाकर जाम से राहत
मिलेगी, मगर नतीजा उल्टा
निकला। अब 10 मिनट की दूरी
तय करने में एक
घंटा लग रहा है,
और हर चौराहा जाम
का नया प्रयोगशाला बन
गया है। मतलब साफ
है ट्रैफिक पुलिस का यह ‘वन-वे प्रयोग’ जनता
की सहमति के बिना थोपे
गए ऐसे निर्णयों का
उदाहरण बन गया है,
जो सुधार की जगह अव्यवस्था
का प्रतीक बन जाते हैं।
काशी को ‘स्मार्ट’ बनाना
है तो पहले उसे
‘संवेदनशील’ बनाना होगा। क्योंकि सड़कें जनता के लिए
हैं, प्रयोगशाला के लिए नहीं।
ऐसे में बड़ा सवाल
तये यही है क्या
वाराणसी ट्रैफिक पुलिस जनता को सुविधा
दे रही है, या
व्यवस्था के नाम पर
उसे सड़क पर भटकाने
की तैयारी है?
10 से अधिक मार्ग हुए वन-वे, पांडेपुर सबसे प्रभावित
पुलिस लाइन से लेकर
पांडेपुर तक जाने वाले
मुख्य मार्ग को वन-वे
घोषित कर दिया गया
है। इसके चलते अब
लोगों को ओवरब्रिज से
काली मंदिर तिराहा होते हुए करीब
तीन किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर
लगाना पड़ रहा है।
जिनके घर या दुकान
पांडेपुर या आसपास हैं,
उन्हें रोज़ाना सड़क पर ‘भ्रमण’
करना पड़ रहा है।
इसी तरह कचहरी स्थित
अंबेडकर चौराहा, भेलूपुर, नदेसर, चौकाघाट, लंका और लहरतारा
समेत 10 से अधिक स्थानों
पर एकतरफा यातायात लागू कर दिया
गया है। इससे सड़कों
पर दबाव बढ़ गया
है, और पुराने रूट
अब ‘ट्रैफिक ट्रैप’ बन गए हैं।
एम्बुलेंस फंसी, मरीजों की जान पर संकट
इस व्यवस्था का
सबसे भयावह असर स्वास्थ्य सेवाओं
पर पड़ा है। पांडेपुर-नयी बस्ती निवासी
हरेराम गुप्ता बताते हैं, “पिताजी को हार्ट अटैक
हुआ, पांडेपुर से बीएचयू पहुंचने
में एम्बुलेंस को 1 घंटे 35 मिनट
लगा। इसकी बड़ी वजह
है रास्ते में पुलिस ने
कई जगह रास्ता बंद
कर रखा था। जाम
में फंसी हर सांस
डर बन गई थी।”
अस्पतालों के पास सायरन
बजाती एम्बुलेंसें अब वन-वे
के चक्कर में घंटों फंसी
रहती हैं। मरीजों के
साथ जीवन और व्यवस्था
दोनों ही ‘ट्रैफिक प्रयोग’
की भेंट चढ़ रहे
हैं।
पुलिस का दावा और जनता का दर्द
ट्रैफिक पुलिस का कहना है
कि यह व्यवस्था “परीक्षण”
के तौर पर लागू
की गई है ताकि
ट्रैफिक प्रवाह को समझा जा
सके। लेकिन जनता का कहना
है कि यह प्रयोग
नागरिकों पर थोप दिया
गया। वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष
अजीत सिंह बग्गा का
कहना है, “जहाँ पुलिस
को खड़ा होना चाहिए
था, वहां उन्होंने बैरिकेडिंग
लगा दी। अब जनता
खुद रास्ते तलाश रही है।
यह ट्रैफिक प्रबंधन नहीं, जनता को सजा
है।”
‘महाकुंभ मॉडल’ का मखौल
लोगों का कहना है
कि पुलिस “महाकुंभ की ट्रैफिक व्यवस्था”
की तर्ज पर शहर
को चलाना चाहती है। सामाजिक कार्यकर्ता
अरुण दुबे ने तंज
कसा, “काशी कोई मेले
का अस्थायी शहर नहीं है।
यहां रोज़ लाखों लोग
काम पर निकलते हैं।
यह वन-वे नहीं,
‘भ्रम-वे’ बन गया
है।”
काम से बचने की कोशिश या जनता से प्रयोग?
कई नागरिक संगठनों
ने आरोप लगाया कि
यह पूरा निर्णय ट्रैफिक
पुलिस के “काम से
बचने” की मानसिकता से
प्रेरित है। जहां पहले
हर चौराहे पर सिपाही तैनात
होते थे, अब वहां
बैरिकेडिंग और बोर्ड लगा
दिए गए हैं।
हॉर्न, गाली और झगड़े, अब रोज का नजारा
अब शहर के
लगभग हर चौराहे पर
एक जैसा दृश्य है,
हॉर्न की गूँज, उलझे
वाहन, बहस करते चालक,
और मूकदर्शक पुलिस। नदेसर से चौकाघाट का
12 मिनट का सफर अब
40 मिनट में, वहीं भेलूपुर
से सिगरा तक पहुँचना मुश्किल
हो गया है।
ईंधन और पर्यावरण पर दोहरी चोट
वन-वे व्यवस्था
से पेट्रोल-डीजल की खपत
कई गुना बढ़ गई
है। गाड़ियों का धुआं और
शोर शहर की हवा
को जहरीला बना रहा है।
अर्थात, यह नीति न
केवल जनता के लिए
हानिकारक है, बल्कि पर्यावरण
के लिए भी खतरा
साबित हो रही है।
जनता की माँग, वापस लो ‘वन-वे फरमान’
नागरिक संगठनों, व्यापारियों और छात्रों ने
जिला प्रशासन से माँग की
है कि बिना यातायात
विशेषज्ञों की राय के
लागू की गई यह
नीति तत्काल प्रभाव से वापस ली
जाए। स्मार्ट ट्रैफिक लाइट, सिग्नल टाइमिंग सुधार और पार्किंग जोन
विकसित करने जैसे स्थायी
समाधान की मांग तेज
हो गई है।
जनमत : “हमें प्रयोग नहीं, समाधान चाहिए”
काशी के नागरिक
अब एक सुर में
कह रहे हैं, “प्रधानमंत्री
के संसदीय क्षेत्र में अगर जनता
ही सड़क पर परेशान
घूम रही है, तो
यह प्रशासनिक असफलता है। वन-वे
नहीं, विवेक चाहिए।”
काशी की वन-वे व्यवस्था ने बढ़ाई जनता की मुश्किलें
यह हैं
प्रमुख
8 मार्ग
जो
बने
वन-वे
1. पांडेपुर - पुलिस लाइन रोड : अब
ओवरब्रिज से काली मंदिर
तिराहा होकर जाना अनिवार्य
2. कचहरी - अंबेडकर चौराहा मार्ग : एकतरफा यातायात, दूसरा रूट नदेसर से
होकर
3. भेलूपुर - सिगरा रोड : सिगरा से आने-जाने
वालों के लिए लंबा
चक्कर
4. लंका - संकटमोचन - अस्सी मार्ग : अस्सी दिशा में वन-वे, वापसी के
लिए कर्बला मोड़ से रूट
5. चौकाघाट - नदेसर रोड : एकतरफा घोषित, जिससे रेलवे स्टेशन मार्ग पर बोझ बढ़ा
6. लहरतारा - महमूरगंज रोड : बंद रूट के
चलते मरीज़ और व्यापारी
परेशान
7. परेडकोट - भदैनी रोड : गलियों में जाम और
वाहन ठप
8. सीरगोवर्धन - मंडुवाडीह - डीएलडब्ल्यू रोड : वैकल्पिक मार्ग नहीं, जाम की जकड़न
लगातार
पुलिस का दावा
जाम कम करने
के लिए “परीक्षण आधारित
योजना”
यातायात का दबाव समझने
के लिए अस्थायी प्रयोग
बाद में समीक्षा
के बाद व्यवस्था में
संशोधन की बात
जनता का दर्द
10 मिनट की दूरी
अब 45 मिनट में तय
एम्बुलेंस और स्कूल बसें
जाम में फँसी
व्यावसायिक इलाकों में बिक्री पर
असर
पेट्रोल - डीजल की खपत
और प्रदूषण दोनों बढ़े
वैकल्पिक रास्तों का हाल
संकरे रास्तों में उल्टा ट्रैफिक
गलियों में जाम और
धुआँ
पुलिस की मौजूदगी नगण्य
दिशा-निर्देश बोर्ड
और सिग्नल की कमी
लोगों की माँग
जनसहभागिता से नई ट्रैफिक
नीति बने
हर क्षेत्र में
ट्रैफिक सिग्नल का समय पुनः
निर्धारित हो
अस्पताल और विद्यालयों के
मार्ग पर वन-वे
तुरंत समाप्त किया जाए
स्मार्ट ट्रैफिक लाइट, कैमरा और पार्किंग ज़ोन
की व्यवस्था हो


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