Sunday, 12 October 2025

कालीन उद्योग को मिले कृषि उद्योग का दर्जा : कुलदीप राज वट्टल

कालीन उद्योग को मिले कृषि उद्योग का दर्जा : कुलदीप राज वट्टल 

49वें इंडिया कारपेट एक्सपो में 190 विदेशी खरीददारों की भागीदारी, 163 प्रतिनिधियों ने दिखाई उत्पादों में गहरी रुचि

सुरेश गांधी

भदोही। डालरनगरी भदोही एक बार फिर वैश्विक मंच पर चमक उठी है। 49वें इंडिया कारपेट एक्सपो में दुनिया भर के आयातकों की जबरदस्त भागीदारी ने भारतीय कारीगरी पर भरोसे की नई मुहर लगा दी है। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) द्वारा आयोजित इस मेले में दूसरे दिन तक 190 विदेशी खरीददारों और 163 विदेशी प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिन्होंने भारतीय कालीनों और हस्तनिर्मित उत्पादों के प्रति गहरी रुचि दिखाई।

ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, बेल्जियम, ब्राजील, बुल्गारिया, कनाडा, फ्रांस, इटली, जापान, कजाखस्तान, स्विट्ज़रलैंड, ताइवान, अमेरिका, चिली, ईरान, रूस, यूएई और यूके सहित दो दर्जन से अधिक देशों से आए प्रतिनिधियों की मौजूदगी ने मेले को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया। सीईपीसी के चेयरमैन कुलदीप राज वट्टल ने कहा कि कालीन उद्योग को देश के औद्योगिक ढांचे में एक अलग श्रेणी की जरूरत है।

उन्होंने कहा, इस उद्योग में उपयोग होने वाला प्रमुख कच्चा माल, ऊन, जूट और सूती धागे, कृषि उत्पाद हैं, इसलिए इसेकृषि उद्योगका दर्जा मिलना चाहिए। इससे जुड़े लाखों बुनकरों और ग्रामीण परिवारों को वही सुविधाएं और लाभ मिलेंगे जो कृषि आधारित उद्योगों को प्राप्त हैं। वट्टल ने कहा कि इस बार मेले में विदेशी आयातकों की भागीदारी ने उद्योग को नई ऊर्जा दी है।टैरिफ और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा की चुनौतियों के बीच यह मेला निर्यातकों के लिए मनोबल बढ़ाने वाला साबित हुआ है.

कपड़ा सचिव ने की सराहना, फेयर डायरेक्टरी का किया विमोचन

भारत सरकार की वस्त्र मंत्रालय की सचिव श्रीमती नीलम शमी राव ने द्वितीय सत्र का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर किया और विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) श्रीमती अमृत राज के साथ फेयर डायरेक्टरी का विमोचन किया। श्रीमती राव ने कहा, यह मेला डीसी हैंडीक्राफ्ट्स के सहयोग से आयोजित है और पिछले चार वर्षों के सतत प्रयासों का परिणाम है कि भदोही अब वैश्विक मंच पर मजबूती से स्थापित हो चुका है। इस बार अमेरिका सहित कई देशों से आयातकों की उपस्थिति बताती है कि भारतीय कारीगरी और गुणवत्ता पर अंतरराष्ट्रीय भरोसा और गहरा हुआ है। 

उन्होंने बताया कि वस्त्र मंत्रालय कालीन उद्योग के लिए हस्तनिर्मित और मशीन निर्मित कालीनों हेतु उपयुक्त एचएसएन कोड निर्धारण पर काम कर रहा है, ताकि उद्योग को कर-संरचना में राहत मिल सके। मेले के दूसरे दिन भदोही विधायक जाहिद बेग ने स्टॉलों का भ्रमण किया और निर्यातकों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि, यह मेला केवल व्यापार का मंच नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत और कारीगरी की जीवंत झांकी है। यह कारीगरों के श्रम, धैर्य और सृजनशीलता का उत्सव है।

सफल आयोजन में सबकी सामूहिक भूमिका

49वें इंडिया कारपेट एक्सपो की सफलता में प्रशासनिक समिति के सदस्य, अनिल कुमार सिंह, आलम महबूब, बोध राज मल्होत्रा, दीपक खन्ना, हुसैन जफर हुसैनी, इम्तियाज अहमद, पीयूष बरनवाल, महावीर प्रताप शर्मा, मेराज यासीन जान, मुकेश कुमार गोंबर, मोहम्मद वासिफ अंसारी, रवि पाटोदिया, संजय गुप्ता, शौकत खान, शेख आशिक अहमद, सूर्यमणि तिवारी और रोहित गुप्ता का विशेष योगदान रहा।

भविष्य की दिशा में आत्मनिर्भर भदोही

49वां इंडिया कारपेट एक्सपो यह प्रमाणित करता है कि भदोही का कालीन उद्योग अबमेक इन इंडियाऔरवोकल फॉर लोकलकी भावना का जीवंत प्रतीक बन चुका है। विदेशी बाजारों में बढ़ती मांग से स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में यह उद्योग भारत की निर्यात अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ बनेगा।

कालीन निर्यात देश : अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा

मुख्य उत्पादः हैंड-नॉटेड कारपेट, हैंड-टफ्टेड रग्स, ऊनी कालीन, जूट एवं सूती फ्लोर कवरिंग

मुख्य विशेषताः 100 फीसदी हस्तनिर्मित, पर्यावरण अनुकूल, ग्रामीण कारीगरों की भागीदारी

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