“हर हर गंगे” के उद्घोष के साथ काशी में गूंजा भारतीय संस्कृति का संदेश
कण-कण में काशी, रस-रस में बनारस
काशी गंगा
महोत्सव
में
संगीत
की
सभी
विधाओं
की
झलक,
स्थानीय
कलाकारों
को
भी
मिला
मंच
देव दीपावली
से
पहले
गंगा
तट
पर
सजेगा
चार
दिन
तक
सांस्कृतिक
रंगमंच
जाह्नवी के
तट
पर
आरंभ
हुआ
भव्य
“काशी
गंगा
महोत्सव”
हंसराज
रघुवंशी
व
मालिनी
अवस्थी
समेत
43 कलाकार
देंगे
प्रस्तुतियां
सुरेश गांधी
वाराणसी. राजघाट की पवित्र धरती
पर शनिवार की संध्या भक्ति,
संगीत और संस्कृति के
संगम में बदल गई।
“कण-कण में काशी,
रस-रस में बनारस”
की थीम पर आधारित
चार दिवसीय काशी गंगा महोत्सव
का भव्य शुभारंभ राज्य
मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल ने दीप प्रज्ज्वलित
कर किया। मंत्रोच्चार और गंगाजल की
सुवास के बीच आरती
की लौ जब आसमान
में झिलमिलाई, तो पूरा वातावरण
“हर हर गंगे” के
उद्घोष से गूंज उठा।
इस अवसर पर जिलाधिकारी
सत्येंद्र कुमार, नगर आयुक्त हिमांशु
नागपाल, जिला पंचायत अध्यक्ष
पूनम मौर्य, संयुक्त निदेशक पर्यटन दिनेश सिंह समेत अनेक
गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। उद्घाटन समारोह
की शुरुआत पं. माता प्रसाद
मिश्र एवं पं. रविशंकर
मिश्र के मनमोहक युगल
कथक नृत्य से हुई, जिसने
दर्शकों को मुग्ध कर
दिया।
संगीत, संस्कृति और श्रद्धा का संगम
इस बार के
गंगा महोत्सव में कुल 43 नामचीन
कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे।
पद्मश्री मालिनी अवस्थी की सुरीली आवाज़
और भक्ति-भाव से ओतप्रोत
हंसराज रघुवंशी के गीत इस
उत्सव की शोभा बढ़ाएंगे।
इनके साथ देश के
विभिन्न हिस्सों से आए राष्ट्रीय
एवं अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कलाकार संगीत, नृत्य, नाट्य और लोकसंस्कृति की
विविध विधाओं की प्रस्तुति देंगे।
महोत्सव के मंच पर
न केवल ख्यात कलाकारों
को स्थान मिला है, बल्कि
स्थानीय प्रतिभाओं को भी अपनी
कला दिखाने का अवसर प्रदान
किया गया है। यह
आयोजन काशी की उस
परंपरा को सजीव करता
है जिसमें कला, अध्यात्म और
लोकसंस्कृति एक-दूसरे में
विलीन हो जाते हैं.
काशी की महिमा, यहां 365 दिन उत्सव मनते हैं : रवीन्द्र जायसवाल
राज्य मंत्री रवींद्र जायसवाल ने कहा कि
“काशी की ऐसी महिमा
है कि यहां वर्ष
के 365 दिन उत्सव मनाए
जाते हैं। उत्तरवाहिनी गंगा
के तट पर हो
रहा यह महोत्सव अब
विश्व-स्तर पर अपनी
पहचान बना चुका है।”
उन्होंने कहा कि इस
आयोजन ने न केवल
काशी की सांस्कृतिक धरोहर
को वैश्विक मंच पर पहुंचाया
है, बल्कि नवोदित कलाकारों को भी अपनी
प्रतिभा दिखाने का सुनहरा अवसर
दिया है। मंत्री ने
कहा कि गंगा महोत्सव
के बाद मनाया जाने
वाला देव दीपावली अब
समूचे विश्व का ध्यान आकर्षित
कर चुका है, यह
काशी की संस्कृति की
जीवंतता और भारतीय अध्यात्म
की गहराई का प्रतीक है।
संस्कृति और पर्यटन को नई उड़ान
गंगा तट पर
आयोजित यह महोत्सव न
केवल सांस्कृतिक उत्सव है, बल्कि यह
पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था
को भी बल देता
है। देश-विदेश से
हजारों श्रद्धालु और पर्यटक इस
अवसर पर काशी पहुंचते
हैं। घाटों की रौनक, संगीत
की स्वर-लहरियां और
गंगा आरती की दिव्यता,
सब मिलकर एक अलौकिक अनुभव
प्रदान करते हैं।


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